विष्णु लक्ष्मी स्तुति

  1. लक्ष्मी स्तुति
  2. Vishnu Stuti
  3. श्री विष्णु पुराण में कथित इन्द्र द्वारा कृत श्री लक्ष्मी स्तुति
  4. Indira Ekadashi 2021: आज के दिन करें मां लक्ष्मी की स्तुति, मिलेगा धन
  5. विष्णु स्तुति
  6. Mahalaxmi Stuti: महालक्ष्मी स्तुति हिंदी अर्थ सहित
  7. लक्ष्मी स्तुति (इन्द्र द्वारा)
  8. श्री महालक्ष्मी की स्तुति


Download: विष्णु लक्ष्मी स्तुति
Size: 68.8 MB

लक्ष्मी स्तुति

माता लक्ष्मी को धन व वैभव की देवी माना जाता है। उनकी निरंतर पूजा करने से मनुष्य को धन-संपत्ति की कभी कोई कमी नहीं रहती है लेकिन इसी के साथ ही मनुष्य के अंदर विद्या व बुद्धि का होना आवश्यक है अन्यथा माँ लक्ष्मी ज्यादा दिन तक वहां टिकती नहीं है। अब यदि आपको माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो आपको प्रतिदिन लक्ष्मी स्तुति (Laxmi Stuti) का पाठ करना चाहिए। आज के इस लेख में हम आपके साथ महालक्ष्मी स्तुति (Lakshmi Stuti) का पाठ ही करने जा रहे हैं। साथ ही इस लेख के माध्यम से आपको लक्ष्मी जी की स्तुति (Laxmi Ji Ki Stuti) हिंदी में भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका संपूर्ण अर्थ व महत्व जान सके। यदि श्री लक्ष्मी स्तुति को पढ़ने के साथ-साथ उसका हिंदी अर्थ भी जान लिया जाए तो यह आपके लिए अत्यधिक हितकारी सिद्ध होगा। अंत में आपको लक्ष्मी माता की स्तुति को पढ़ने के लाभ भी जानने को मिलेंगे। आइये पढ़े लक्ष्मीजी की स्तुति। लक्ष्मी स्तुति (Laxmi Stuti) आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि। यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि। पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि। विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि। धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते। धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि। प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि। अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु...

Vishnu Stuti

English ShuklambaraDharam Vishnum, ShashiVarnam Chaturbhujam PrasannaVadanam Dhyaayet, SarvaVighno Pashaantaye ShaantaKaaram BhujagaShayanam, PadmaNaabham Suresham VishvaDhaaram GaganaSadasham, MeghaVarna Shubhangam LakshmiKaantam KamalaNayanam, YogiBhirdhyanGamyam Vande Vishnum BhavaBhayaHaram, SarvaLokek Naatham Aushade Chintaye Vishnum, Bhojane Cha Janardhanam, Sayne Padmanabham Cha, Vivahe Cha Prajapatim Yuddhe Chakradharam Devam, Pravase Cha Trivikramam Narayanam Tanu Tyage, ShreedharamPriya Sangme Duswapne Smar Govindam, Sankate Madhu Sudhanam KaanNe Narasimham Cha, Pavake Jalasayinam Jalmadhye Varaham Cha, Parvathe Raghu Nandanam Gamne Vamanam Chaiva, Sarva Karyeshu Madhavam Shodsaitani Naamani, Prataruthaya YahaPathet Sarva PapaVinirmukto, Vishnu Loke Mahiyate Sanskrit शुक्लाम्बर धरंविष्णुं, शशि वर्णंचतुर्भुजम् प्रसन्न वदनंध्यायेत्, सर्व विघ्नो पशान्तये शान्ता कारंभुजग शयनं, पद्म नाभंसुरेशं विश्वा धारंगगन सदृशं, मेघ वर्णशुभाङ्गम् लक्ष्मी कान्तंकमल नयनं, योगि भिर्ध्यान गम्यम् वन्देविष्णुंभव भय हरं, सर्व लोकैक नाथम् औषधेचिंतयेविष्णुम, भोजनेचजनार्धनम शयनेपद्मनाभंच, विवाहेचप्रजापतिम युद्धेचक्रधरमदेवं, प्रवासेचत्रिविक्रमं नारायणंतनुत्यागे, श्रीधरंप्रियसंगमे दुःस्वप्नेस्मरगोविन्दम, संकटेमधु सूधनम कान नेनारासिम्हमच, पावकेजलाशयिनाम जलमध्येवराहमच, पर्वतेरघुनन्दनं गमनेवामनंचैव, सर्वकार्येशुमाधवं षोडशैतानीनमानी, प्रातरुत्थाययहपठेत सर्व पापाविर्निमुक्तो, विष्णु लोकेमहीयते Post navigation

श्री विष्णु पुराण में कथित इन्द्र द्वारा कृत श्री लक्ष्मी स्तुति

श्री लक्ष्मी स्तुति - श्री विष्णु पुराण में कथित इन्द्र द्वारा कृत नमस्तस्यै सर्वभूतानां जननीमब्जसम्भवाम् श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥ पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम् वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥ त्वं सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोकपावनी सन्धया रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती॥ यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या च शोभने आत्मविद्या च देवि त्वं विमुक्तिफलदायिनी॥ आन्वीक्षिकी त्रयीवार्ता दण्डनीतिस्त्वमेव च सौम्यासौम्येर्जगद्रूपैस्त्वयैतद्देवि पूरितम्॥ का त्वन्या त्वमृते देवि सर्वयज्ञमयं वपुः अध्यास्ते देवदेवस्य योगिचिन्त्यं गदाभृतः॥ त्वया देवि परित्यक्तं सकलं भुवनत्रयम् विनष्टप्रायमभवत्त्वयेदानीं समेधितम्॥ दाराः पुत्रास्तथाऽऽगारं सुहृद्धान्यधनादिकम् भवत्येतन्महाभागे नित्यं त्वद्वीक्षणान्नृणाम्॥ शरीरारोग्यमैश्वर्यमरिपक्षक्षयः सुखम् देवि त्वदृष्टिदृष्टानां पुरुषाणां न दुर्लभम्॥ त्वमम्बा सर्वभूतानां देवदेवो हरिः पिता त्वयैतद्विष्णुना चाम्ब जगद्वयाप्तं चराचरम्॥ मनःकोशस्तथा गोष्ठं मा गृहं मा परिच्छदम् मा शरीरं कलत्रं च त्यजेथाः सर्वपावनि॥ मा पुत्रान्मा सुहृद्वर्गान्मा पशून्मा विभूषणम् त्यजेथा मम देवस्य विष्णोर्वक्षःस्थलाश्रये॥ सत्त्वेन सत्यशौचाभ्यां तथा शीलादिभिर्गुणैः त्यज्यन्ते ते नराः सद्यः सन्त्यक्ता ये त्वयाऽमले॥ त्वयाऽवलोकिताः सद्यः शीलाद्यैरखिलैर्गुणैः कुलैश्वर्यैश्च युज्यन्ते पुरुषा निर्गुणा अपि॥ सश्लाघ्यः सगुणी धन्यः स कुलीनः स बुद्धिमान् स शूरः सचविक्रान्तो यस्त्वया देवि वीक्षितः॥ सद्योवैगुण्यमायान्ति शीलाद्याः सकला गुणाः पराङ्गमुखी जगद्धात्री यस्य त्वं विष्णुवल्लभे॥ न ते वर्णयितुं शक्तागुणञ्जिह्वाऽपि वेधसः प्रसीद दे...

Indira Ekadashi 2021: आज के दिन करें मां लक्ष्मी की स्तुति, मिलेगा धन

नई दिल्ली, 02 अक्टूबर। आज 'इंदिरा एकादशी' है, वैसे तो आज भगवान विष्णु का दिन है लेकिन अगर आज के दिन हम भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें तो इंसान को दोगुने फल की प्राप्ति होती है। पालनहार जहां भक्त के सारे कष्टों को दूर करते हैं, वहीं मां लक्ष्मी की स्तुति करने से इंसान को सुख-शांति, धन-वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है। • आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे। • जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।। • भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। • कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। • आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।। • सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्ध...

विष्णु स्तुति

विष्णु स्तुति विष्णु स्तुति एक ऐसा स्तोत्र जो विष्णु ने कृष्ण के लिया किया था पुरुषोत्तम मास में जब भगवान् ने भगवान् की स्तुति की तब भगवान् ने भगवान् को जो वरदान दिया सुबह सुबह उठकर सिर्फ एक बार बोले यह भगवान् कृष्ण ने वरदान दिया है सभी पापो का विनाश कर देगा बुरे स्वप्नों का नाश हो जाएगा मान सन्मान की प्राप्ति होगी || श्री विष्णुरुवाच || वन्दे विष्णुं गुणातीतं गोविन्दमेकअक्षरं | अव्यक्तमव्ययं व्यक्तं गोपवेशविधायिनं || किशोरवयशं शान्तं गोपीकांतं मनोहरं | नवीननीरदश्यामं कोटिकन्दर्पसुन्दरं || वृन्दावनवनाभ्यन्ते रासमण्डलसंस्थितं | लसत्पीतपटं सौम्यं त्रिमंगळलिताकृतिं || रासेस्वरं रासवासं रासाल्लाससमुत्सुकं | द्विभुजं मुरलोहस्तं पीतवाससमच्युतं || इत्येवमुक्त्वा तं नत्वा रत्नसिंहासने वरे | पार्षदैः सत्कृतो विष्णुः स उवास तदाज्ञया || श्री नारायण उवाच इति विष्णुकृतं स्तोत्रं प्रातरूत्थाय यः पठेत | पापानि तस्य नश्यन्ति दुःस्वप्नः सत्फलप्रदः || भक्तिर्भवति गोविन्दे पुत्रपौत्रविवर्द्धिनी | अकीर्तिः क्षयमाप्नोति सत्कीर्तिर्वर्द्धते चिरं || || अस्तु || नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है। मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है।।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद • ► (76) • ► (18) • ► (23) • ► (16) • ► (15) • ► (4) • ► (103) • ► (4) • ► (3) • ► (3) • ► (28) • ► (3) • ► (15) • ► (26) • ► (9) • ► (12) • ► (100) • ► (6) • ► (1) • ► (7) • ► (5) • ► (9) • ► (12) • ► (14) • ► (5) • ► (8) • ► (1...

Mahalaxmi Stuti: महालक्ष्मी स्तुति हिंदी अर्थ सहित

Mahalaxmi Stuti: महालक्ष्मी स्तुति हिंदी अर्थ सहित Mahalaxmi Stuti मां लक्ष्मी की आराधना धन की देवी के रूप में की जाती है। मानव जीवन में लगभग सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये धन का बड़ा महत्व है। शिक्षा, व्यापार तथा यात्रा आदि सभी कार्यां में अर्थ की उपयोगिता सर्वमान्य है। यही कारण है कि महालक्ष्मी स्तुति Mahalaxmi Stuti की रचना महर्षि अगस्त्य के द्वारा की गयी है। इस स्तुति के भक्तिपूर्वक पाठ से महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और दरिद्रता का नाश होता है। साथ ही साधकों के सभी प्रकार के दुःख-संताप दूर हो जाते हैं और उन्हें सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है। यहां मां लक्ष्मी की स्तुति Mahalaxmi Stuti संस्कृत श्लोक के साथ-साथ हिन्दी में अर्थ सहित दी गयी है जिससे पाठक मंत्रों का अर्थ भी सरलता से समझ सकें। कहा जाता है कि किसी भी मंत्र का यदि अर्थ भी हमें ज्ञात होता है तो भक्ति का फल भी कई गुना बढ़ जाता है। तो आईये, हम भी Mahalaxmi Stuti माता की स्तृति करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें तथा अपने जीवन को खुशहाल बनायें। Mahalaxmi Stuti॥ महालक्ष्मी स्तुति ॥ मातर्नमामि कमले कमलायताक्षि श्रीविष्णुहृत्कमलवासिनि विश्वमातः । क्षीरोदजे कमलकोमलगर्भगौरि लक्ष्मि प्रसीद सततं नमतां शरण्ये ॥१॥ अर्थ – कमल के समान विशाल नेत्रोंवाली माता कमले ! मैं आपको प्रणाम करता हूँ। आप त्वं श्रीरूपेन्द्रसदने मदनैकमात – र्ज्योत्स्नासि चन्द्रमसि चन्द्रमनोहरास्ये । सूर्ये प्रभासि च जगत्त्रितये प्रभासि लक्ष्मि प्रसीद सततं नमतां शरण्ये ॥२॥ अर्थ– मदन ( प्रद्युम्न ) की एकमात्र जननी रुक्मिणी रुप धारिणी माता ! आप भगवान विष्णु के त्वं जातवेदसि सदा दहनात्मशक्ति – र्वेधास्त्वया जगदिदं विविधं विदध्यात् । विश्वम्भरोऽ...

लक्ष्मी स्तुति (इन्द्र द्वारा)

नमस्तस्यै सर्वभूतानां जननीमब्जसम्भवाम् श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥ हे सभी जीवों की जननी, हे जल में से प्रकट हुई देवी, पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम् वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥ कमल आसन वाली, कमल जैसे हाथों वाली, कमल के पत्तों जैसी आँखों वाली, हे पद्म (कमल) मुख देवी, आप की मैं वन्दना करता हूँ, हे पद्मनाभ त्वं सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोकपावनी सन्धया रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती॥ आप सिद्धि हैं, आप ही स्वधा हैं, आप स्वाहा हैं, आप ही सुधा हैं, आप ही इस संसार को पवित्र करने वाली हैं । आप ही सन्ध्या हैं, आप ही रात्रि हैं, आप प्रभा हैं, आप ही भूति, मेधा, श्रद्धा हैं, आप ही सरस्वती हैं। यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या च शोभने आत्मविद्या च देवि त्वं विमुक्तिफलदायिनी॥ आप ही हे शुभे (शोभने), यज्ञ विद्या हैं, महा विद्या हैं, गुह्य विद्या हैं । आप ही, हे देवी, आत्म विद्या हैं - मुक्ति फल देने वाली। आन्वीक्षिकी त्रयीवार्ता दण्डनीतिस्त्वमेव च सौम्यासौम्येर्जगद्रूपैस्त्वयैतद्देवि पूरितम्॥ आप ही त्रयीवार्ता हैं (वेद रुप ज्ञान), आप ही दण्ड नीति आदि भी हैं । यह संसार आप के ही सौम्य और असौम्य रुपों से परिपूर्ण है। का त्वन्या त्वमृते देवि सर्वयज्ञमयं वपुः अध्यास्ते देवदेवस्य योगिचिन्त्यं गदाभृतः॥ हे देवी, आप के अतिरिक्त कौन सभी यज्ञों के सार रुप, देवों के देव, योगियों के चिन्तनीय, गदाधारी भगवान हरि के वक्ष स्थल में निवास कर सकता है। त्वया देवि परित्यक्तं सकलं भुवनत्रयम् विनष्टप्रायमभवत्त्वयेदानीं समेधितम्॥ हे देवी, आप ने जब इन तीन भुवनों दाराः पुत्रास्तथाऽऽगारं सुहृद्धान्यधनादिकम् भवत्येतन्महाभागे नित्यं त्वद्वीक्षणान्नृणाम्॥...

श्री महालक्ष्मी की स्तुति

महादेवी महालक्ष्मी नमस्ते त्वं विष्णु प्रिये। शक्तिदायी महालक्ष्मी नमस्ते दुःख भंजनि।। श्रेया प्राप्ति निमित्ताय महालक्ष्मी नमाम्यहम। पतितो द्धारीणि देवी नमाम्यहं पुनः पुनः देवांस्तवा संस्तुवन्ति ही शास्त्राणि च मुर्हुमः। देवास्त्वां प्रणमन्तिही लक्ष्मीदेवी नमोडस्तुते। । नमस्ते महालक्ष्मी नमस्ते भवभंजनी। भुक्मिुक्ति न लभ्यते महादेवी त्ययि कृपा बिना।। सुख सौभाग्यं न प्रात्नोति पुत्र लक्ष्मी न विधते। न तत्पफलं समात्नोति महालक्ष्मी नमाम्यहम।। देहि सौभाग्यमारोग्य देहिमें परमं सुखम्। नमस्ते आद्यशक्ति त्वं नमस्ते भीड़भंजनी।। विधेहि देवी कल्याण विधेहि परमां श्रियम। विधावन्त यशस्वन्तं लक्ष्मवन्त जन कुरू।। अचिन्त्य रूप-चरितें सर्वशत्रु विनाशीनी। नमस्तेतु महामाया सर्व सुख प्रदायिनी।। नमात्यंह महालक्ष्मी नमाम्यहम सुरेश्रवरी । नमात्यहं जगद्धात्री नमाम्यंह परमेश्वरी।।