विवाह के सात वचन pdf

  1. शादी में सात वचन का महत्व
  2. सात फेरों के सातों वचन
  3. shadi ke saat vachan promises given by dulha dulhan during saat phere know meaning wedding vows
  4. शादी विवाह के श्लोक / शादी के सात वचन हिंदी में
  5. शादी के समय कन्या अपने पति को देती है ये सात वचन
  6. शादी के सात वचन व सात फेरों मतलब जानें
  7. विवाह के 7 पवित्र वचन और महत्व
  8. विवाह के 7 पवित्र वचन और महत्व
  9. शादी के समय कन्या अपने पति को देती है ये सात वचन
  10. सात फेरों के सातों वचन


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शादी में सात वचन का महत्व

पारंपरिक भारतीय हिंदू शादी बिना सात वचनों के पूरी नहीं होती। यूं तो शादी के रीति- रिवाज तीन- चार दिन पहले से होने शुरू हो जाते हैं लेकिन बिना सात फेरे और सात वचनों के शादी के कोई मायने नहीं हैं। होने वाले पति और पत्नी पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर उसके चारों ओर सात फेरे लेते हुए एक दूसरे को सात वचन देते हैं। इस तरह से एक हिंदू धर्म में विवाह का अर्थ हिंदू धर्म में विवाह को केवल दो शरीरों नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन माना जाता है। इसकी पुष्टि पवित्र अग्नि और ये साच वचन करते हैं। ये सात वचन ही शादी को सात जन्मों से जोड़ते हैं। इसीलिए इसे पाणिग्रहण संस्कार भी कहा जाता है, जिसमें दूल्हे के नियम और सभी वचनों को मानने के बाद दुल्हन अपना हाथ दूल्हे के हाथ में सौंपती है। इसे ही पाणिग्रहण कहा जाता है। विवाह दो शब्दों वि और वाह के जोड़ से बना है, जिसका मतलब है विशेष जिम्मेदारी का वजन करना। यह एक तरह का वादा है, जिसे दूल्हा आैर दुल्हन एक- दूसरे के लिए लेते हैं और इसे कभी न तोड़ने की कसमें भी खाते हैं। हालांकि कई बार विशेष परिस्थितियों में ऐसा नहीं भी होता है। शादी की रस्में भारतीय विवाह रंग- बिरंगे और पारंपरिक होते हैं, शायद यही वजह है कि इससे जुड़ी यादें जीवन भर हृदय में रह जाती हैं। हर संस्कृति के अपने रस्मो- रिवाज हैं, जिन्हें देखने का अपना अलग लुत्फ है। बिना इन रिवाजों के भारतीय शादी कुछ अधूरी और फीकी सी लगती है। मेहंदी की रस्म – Mehendi Ceremony मेहंदी लगाना भला किसे अच्छा नहीं लगता! लेकिन जब मेहंदी का रंग दुल्हन के हाथों पर लगकर उसके चेहरे पर आ जाता है तो उसके चेहरे पर गर्व सहज दिख जाता है। सिर्फ दुल्हन ही नहीं, उसकी सहेलियां और घर परिवार की अन्य महिलाएं भी हाथों पर मेहंदी सजाती है...

सात फेरों के सातों वचन

• विवाह के साथ एक नए जीवन का आरम्भ होता है, हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में विवाह को भी स्थान दिया गया है. और इनमें से हर संस्कार आज भी प्रासंगिक है. हिन्दू विवाह पद्धति में सात फेरे और सात वचन होते हैं. अगर इन सातों वचनों को जीवन भर निभाया जाए, तो वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय रहेगा. दूल्हा और दुल्हन विवाह के समय एक-दूसरे से सात वचन लेते हैं. ज्यादातर लोगों ने सात फेरों के बारे में सुना तो है, लेकिन इन सात फेरों को कम हीं लोग जानते हैं. तो आइए जानते हैं वो सात वचन कौन-कौन से हैं. • हिन्दू विवाह के सात वचन : • 1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी – पहले वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थ यात्रा में जाएँ, या कोई व्रत इत्यादि करें अथवा कोई भी धार्मिक कार्य करें, तो मुझे अपने बाएँ भाग में जरुर स्थान दें. यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ. • 2. पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम – दूसरे वचन में कन्या वर से वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें और परिवार की मर्यादा के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान करते हुए भगवान के भक्त बने रहें. यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ. • 3. जीवनम अवस्थात्रये पालनां कुर्यात वामांगंयामितदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं – तीसरे वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं: युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में मेरा पालन करने का व...

shadi ke saat vachan promises given by dulha dulhan during saat phere know meaning wedding vows

नई दिल्ली: वेदों के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक सोलह संस्कारों का निर्वाह किया जाता है. इन्ही संस्कारों में से विवाह संस्कार को सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है. इस संस्कार के जरिये ही समाज की प्रथम ईकाइ यानी एक परिवार की की शुरुआत होताी है. विवाह के बिना किसी भी व्यक्ति का जीवन अधूरा माना जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार वर-वधू अग्नि के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सात फेरे लेते हैं. हर एक फेरे के दौरान वधू वर से एक वचन लेती है. पंडित इन सातों वचनों का उच्चारण संस्कृत में करते है, जिस कारण बहुत से लोग इनके अर्थ को समझ नहीं पाते. हिंदू धर्म में सात फेरों के सात वचनों के बिना विवाह को मान्यता नहीं दी जाती और साथ ही कोई भी विवाह इनके बगैर संपूर्ण नही होता. इन सात वचनों को लेने के बाद ही वधू वर के बांयी ओर यानि वाम अंग में बैठती है. आइये आज हम आपको इन सात वचनों और उनके अर्थ के बारे में विस्तार से समझाते हैं. 1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!! इस पहले वचन में कन्या वर से मांगती है कि यदि आप कभी किसी तीर्थयात्रा पर जाएं तो मुझे भी अपने साथ लेकर चलें, व्रत-उपवास या फिर कोई भी अन्य धार्मिक कार्य करें तो उसमें मेरी भी सहभागिता हो और जिस प्रकार आज आप मुझे अपने वाम अंग में बैठा रहे हैं उस दिन भी आपके वाम अंग में मुझे स्थान मिले. यदि यह आपको स्वीकार है तो मैं आपके वामांग में आने को तैयार हूं. दरअसल इसका अर्थ यह है कि किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यों में पति के साथ पत्नि की सहभागिता होना बेहद जरुरी है. 2. पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्र...

शादी विवाह के श्लोक / शादी के सात वचन हिंदी में

शादी विवाह के श्लोक / शादी के सात वचन हिंदी में –हिंदू सनातन धर्म में श्लोक का महत्व प्राचीन समय से ही चला आ रहा हैं. और आज के वर्तमान समय में भी श्लोक को उतना ही माना जाता हैं. जितना प्राचीन समय में माना जाता था. आज के समय में भी जब भी कोई मांगलिक कार्य होता हैं. तो सबसे पहले श्लोक उच्चारण के साथ कार्य की शुरुआत की जाती हैं. ऐसा माना जाता है की इन श्लोक में इतना प्रभाव होता है. की व्यक्ति का जीवन श्लोक के कारण सुखमय बन जाता जाता हैं. आज भी शादी विवाह में श्लोक आदि बोलकर विवाह की शुरुआत की जाती हैं. जिस कारण दंपति विवाह के बाद खुशहाल जीवन जी सके. आज हम आपको इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ शादी विवाह के श्लोक बताने वाले हैं. जो हर शादी में ब्राह्मण देवता के द्वारा बोले जाते हैं. • • • • • • • • • • • • • • • • • शादी विवाह के श्लोक शादी विवाह में उच्चारित किए जाने वाले श्लोक हमने नीचे बताए हैं. श्लोक -1 वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: निर्विघ्नं कुरूमेदेव शुभ कार्येषु सर्वदा श्लोक -2 प्रजयौनौ स्वस्तकौ विस्वमायुर्व्यअशनुताम् श्लोक -3 धर्मेच अर्थेच कामेच इमं नातिचरामि श्लोक -4 भगो अर्यमा सविता पुरन्धिर्मह्यांत्वादुः गार्हपत्याय देवाः श्लोक -5 सखा सप्तपदा भव सखायौ सप्तपदा बभूव सख्यं ते गमेयम् सख्यात् ते मायोषम् सख्यान्मे मयोष्ठाः श्लोक -6 धैरहं पृथिवीत्वम् रेतोअहं रेतोभृत्त्वम् मनोअहमस्मि वाक्त्वम् सामाहमस्मि ऋकृत्वम् सा मां अनुव्रता भव श्लोक -7 भगो अर्यमा सविता पुरंधिर्मह्यं त्वादुर्गार्हपत्याय देवाः गर्भ गीता के फायदे / गर्भ संस्कार मंत्र – गर्भ गीता में कितने अध्याय हैं शादी के मंत्र हिंदी में / शादी के सात वचन हिंदी में शादी के सात वचन मंत्र सहित हमने नीचे बताए हैं. वचन नंबर ...

शादी के समय कन्या अपने पति को देती है ये सात वचन

क्या कहते हैं सात फेरों के सात वचन वैसे तो वैदिक संस्कृति के अनुसार जातक के जन्म से लेकर मरणोपरांत तक सोलह संस्कारों का निबाह किया जाता है। इन्हीं संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है विवाह संस्कार। विवाह दरअसल एक ऐसी संस्था है जिससे समाज की प्रथम इकाई यानि कि परिवार का आरंभ होता है। विवाह के बिना मनुष्य अधूरा माना जाता है। हिंदूओं में विवाह के दौरान आप अक्सर देखते हैं कि वर वधु अग्नि के चारों और चक्कर लगाकर फेरे लेते हैं। सात फेरे हर फेरे के साथ ब्राह्मण मंत्रोच्चारण करता है और वर वधु से एक वचन लेता है। लेकिन यह मंत्र संस्कृत में होते हैं जिस कारण बहुत से लोग इनके अर्थ से अंजान रहते हैं। तो आइये आपको बताते हैं कि विवाह के दौरान वर-वधू द्वारा लिये जाने वाले सात वचन कौनसे हैं और उनके मायने क्या हैं। सात फेरों सात वचन सात फेरों के सात वचनों के बगैर हिंदुओं में विवाह को मान्यता नहीं मिलती। ना ही कोई विवाह इसके बगैर संपूर्ण होता है। विवाह के बाद ही कन्या वर के बांयी और यानि वाम अंग में बैठती है इसके लिये कन्या वर से सात वचन लेती है जो इस प्रकार हैं:- पहला वचन तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:। वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी।। यह पहला वचन अथवा शर्त होती है जो कन्या वर से मांगती है। इसमें वह कहती है कि यदि आप कभी किसी तीर्थयात्रा पर जाएं तो मुझे भी अपने साथ लेकर चलेंगें, व्रत-उपवास या फिर अन्य धार्मिक कार्य करें तो उसमें मेरी भी सहभागिता हो और जिस प्रकार आज आप मुझे अपने वाम अंग बैठा रहे हैं उस दिन भी आपके वाम अंग मुझे स्थान मिले। यदि यह आपको स्वीकार है तो मैं आपेक बांयी और आने को तैयार हूं। कुल मिलाकर इसका अर्थ यही है कि किसी ...

शादी के सात वचन व सात फेरों मतलब जानें

शादी के 7 वचन और 7 फेरों का मतलब क्या है | Shadi ke Saat Vachan Shadi ke 7 vachan– विवाह में पति पत्नी सात फेरे के साथ सात वचन लेते हैं। हर फेरे का एक वचन होता है, जिसे पति-पत्नी जीवन भर साथ निभाने का वादा करते हैं। लड़की विवाह के बाद लड़के के वाम अंग (बाई ओर) में बैठने से पहले उससे 7 वचन लेती है। हम आपको 7 संस्कृत मंत्र वचन तथा उनका सरल हिंदी अनुवाद (Hindi Translation) बताने जा रहे हैं। पंडित की उपस्थिति में मंत्र उच्चारण के साथ अग्नि के सात फेरे लेकर व ध्रुव तारा को साक्षी मान कर दो व्यक्ति तन-मन और आत्मा के साथ एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। हिन्दू विवाह में कन्या के 7 वचन मंत्र और उनका अर्थ | 7 Vachan of Hindu Marriage in hindi 1) प्रथम वचन तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:, वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी !! यहाँ कन्या वर से पहला वचन मांग रही है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा करने जाएं तो मुझे भी अपने संग लेकर जाइएगा. यदि आप कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धार्मिक कार्य करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग (बांई ओर) में बिठाएं. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ. 2) द्वितीय वचन पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:, वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम !! दूसरे वचन में कन्या वर से मांग रही है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा परिवार की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहें. यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ. 3) तृतीय वचन जीवनम अवस्थात्रये मम पाल...

विवाह के 7 पवित्र वचन और महत्व

How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ हो जाती है। इसके बाद श्रावण माह आता है जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो पूरे माह की व्रत रखते हैं परंतु इस माह में सोमवार के दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है। आओ जानते हैं कि श्रावण मास कब से हो रहा है प्रारंभ, कितने सोमवार रहेंगे इस माह में? Halharini amavasya 2023 : आषाढ़ माह की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। किसानों के लिए यह शुभ दिन है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ में पड़ने वाली इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है। How to Care for Indoor Plants in Hindi : घर में हरेभरे पौधा के होने से मन प्रसन्न रहता है और सकारात्मकता फैलती है। क्या आपके गमले में पौधे पनप नहीं पा रहे हैं? जल्दी से मुरझा जाते हैं या पौधों की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पा रही है? ऐसे में जानिए हमारे द्वारा बताए गए मात्र 3 टिप्स। इन टिप्स को आजमाएंगे तो आपके पौधे भी हरेभरे होकर महकने लगेंगे। Lal kitab karj mukti ke upay : यदि आप कर्ज के तले दबे हुए हैं और इससे छुटकारा पाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। हमारे द्वारा बताए गए उपाय करके आप ऋण मुक्त हो सकते हैं परंतु शर्त यह है कि आपके कर्म अच्छे होना चाहिए। उपाय तभी काम करते हैं जबकि आप सच्चे और अच्‍छे हैं। परिवार के प्रति जिम्मेदार हैं। Vidur Niti : भारत में कई महान नीतिज्ञ हुए। जैसे भीष्म, विदुर, मनु, चर्वाक, शुक्राचार्य, बृहस्पति, परशुराम, गर्ग, चाणक्य, भर्तृहरि, हर्षवर्धन, बाणभट्ट आदि ...

विवाह के 7 पवित्र वचन और महत्व

How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ हो जाती है। इसके बाद श्रावण माह आता है जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो पूरे माह की व्रत रखते हैं परंतु इस माह में सोमवार के दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है। आओ जानते हैं कि श्रावण मास कब से हो रहा है प्रारंभ, कितने सोमवार रहेंगे इस माह में? Halharini amavasya 2023 : आषाढ़ माह की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। किसानों के लिए यह शुभ दिन है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ में पड़ने वाली इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है। How to Care for Indoor Plants in Hindi : घर में हरेभरे पौधा के होने से मन प्रसन्न रहता है और सकारात्मकता फैलती है। क्या आपके गमले में पौधे पनप नहीं पा रहे हैं? जल्दी से मुरझा जाते हैं या पौधों की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पा रही है? ऐसे में जानिए हमारे द्वारा बताए गए मात्र 3 टिप्स। इन टिप्स को आजमाएंगे तो आपके पौधे भी हरेभरे होकर महकने लगेंगे। Lal kitab karj mukti ke upay : यदि आप कर्ज के तले दबे हुए हैं और इससे छुटकारा पाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। हमारे द्वारा बताए गए उपाय करके आप ऋण मुक्त हो सकते हैं परंतु शर्त यह है कि आपके कर्म अच्छे होना चाहिए। उपाय तभी काम करते हैं जबकि आप सच्चे और अच्‍छे हैं। परिवार के प्रति जिम्मेदार हैं। Vidur Niti : भारत में कई महान नीतिज्ञ हुए। जैसे भीष्म, विदुर, मनु, चर्वाक, शुक्राचार्य, बृहस्पति, परशुराम, गर्ग, चाणक्य, भर्तृहरि, हर्षवर्धन, बाणभट्ट आदि ...

शादी के समय कन्या अपने पति को देती है ये सात वचन

क्या कहते हैं सात फेरों के सात वचन वैसे तो वैदिक संस्कृति के अनुसार जातक के जन्म से लेकर मरणोपरांत तक सोलह संस्कारों का निबाह किया जाता है। इन्हीं संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है विवाह संस्कार। विवाह दरअसल एक ऐसी संस्था है जिससे समाज की प्रथम इकाई यानि कि परिवार का आरंभ होता है। विवाह के बिना मनुष्य अधूरा माना जाता है। हिंदूओं में विवाह के दौरान आप अक्सर देखते हैं कि वर वधु अग्नि के चारों और चक्कर लगाकर फेरे लेते हैं। सात फेरे हर फेरे के साथ ब्राह्मण मंत्रोच्चारण करता है और वर वधु से एक वचन लेता है। लेकिन यह मंत्र संस्कृत में होते हैं जिस कारण बहुत से लोग इनके अर्थ से अंजान रहते हैं। तो आइये आपको बताते हैं कि विवाह के दौरान वर-वधू द्वारा लिये जाने वाले सात वचन कौनसे हैं और उनके मायने क्या हैं। सात फेरों सात वचन सात फेरों के सात वचनों के बगैर हिंदुओं में विवाह को मान्यता नहीं मिलती। ना ही कोई विवाह इसके बगैर संपूर्ण होता है। विवाह के बाद ही कन्या वर के बांयी और यानि वाम अंग में बैठती है इसके लिये कन्या वर से सात वचन लेती है जो इस प्रकार हैं:- पहला वचन तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:। वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी।। यह पहला वचन अथवा शर्त होती है जो कन्या वर से मांगती है। इसमें वह कहती है कि यदि आप कभी किसी तीर्थयात्रा पर जाएं तो मुझे भी अपने साथ लेकर चलेंगें, व्रत-उपवास या फिर अन्य धार्मिक कार्य करें तो उसमें मेरी भी सहभागिता हो और जिस प्रकार आज आप मुझे अपने वाम अंग बैठा रहे हैं उस दिन भी आपके वाम अंग मुझे स्थान मिले। यदि यह आपको स्वीकार है तो मैं आपेक बांयी और आने को तैयार हूं। कुल मिलाकर इसका अर्थ यही है कि किसी ...

सात फेरों के सातों वचन

• विवाह के साथ एक नए जीवन का आरम्भ होता है, हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में विवाह को भी स्थान दिया गया है. और इनमें से हर संस्कार आज भी प्रासंगिक है. हिन्दू विवाह पद्धति में सात फेरे और सात वचन होते हैं. अगर इन सातों वचनों को जीवन भर निभाया जाए, तो वैवाहिक जीवन हमेशा सुखमय रहेगा. दूल्हा और दुल्हन विवाह के समय एक-दूसरे से सात वचन लेते हैं. ज्यादातर लोगों ने सात फेरों के बारे में सुना तो है, लेकिन इन सात फेरों को कम हीं लोग जानते हैं. तो आइए जानते हैं वो सात वचन कौन-कौन से हैं. • हिन्दू विवाह के सात वचन : • 1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी – पहले वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थ यात्रा में जाएँ, या कोई व्रत इत्यादि करें अथवा कोई भी धार्मिक कार्य करें, तो मुझे अपने बाएँ भाग में जरुर स्थान दें. यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ. • 2. पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम – दूसरे वचन में कन्या वर से वचन मांगती है कि जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें और परिवार की मर्यादा के अनुसार, धार्मिक अनुष्ठान करते हुए भगवान के भक्त बने रहें. यदि आप ऐसा करने का वचन देते हैं, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ. • 3. जीवनम अवस्थात्रये पालनां कुर्यात वामांगंयामितदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृतीयं – तीसरे वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं: युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में मेरा पालन करने का व...