वट सावित्री पूजा विधि

  1. वट सावित्री व्रत की पूजा विधि पूजा सामग्री और बड अमावस्या की कहानी 2022
  2. वट सावित्री व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त
  3. Vat Purnima 2022 Puja


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वट सावित्री व्रत की पूजा विधि पूजा सामग्री और बड अमावस्या की कहानी 2022

वट सावित्री व्रत पूजा विधि क्या है कैसे करते है ( बड अमावस्या की पूजा 2022) वट सावित्री व्रत की पूजा विधि पूजा सामग्री और बड अमावस्या की कहानी vat savitri vrat ka mahtav कब और क्यों किया जाता है वट सावित्री का व्रत वर्ष 2022 में कब आएगा वट सावित्री पूजा और व्रत वट सावित्री पूजा और व्रत जिसे लोक भाषा में बड अमावस्या व्रत भी कहा जाता है यह व्रत यह पूजा हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन किया जाता है वट सावित्री व्रत केवल सुहागिन महिलाएं ही करती है इस व्रत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा के साथ साथ वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की भी विधि-विधान से पूजा की जाती हैं हिन्दू महिलाए पूजा व्रत करके अपने पति की लंबी आयु एवं परिवार के सुखमय जीवन के लिए भगवान से वर मांगती हैं। वर्ष 2022 में यह व्रत 30 मई के दिन रखा जाएगा इस बार यह व्रत कुछ खास है क्योंकि इस बार ज्येष्ठ अमावस्या और सोमवार का भी संयोग बन रहा है यानि वट सावित्री व्रत के साथ साथ यह दिन सोमवती अमावस्या का भी दिन है, देखिये हिन्दू धर्म में इस व्रत को बहुत ही खास माना जाता है कहते है की ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही देवी सती सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे और यही कारण है की वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए और अपने पति की लंबी आयु और जीवन में सभी प्रकार के सुखो की प्राप्ति के लिए रखती हैं। इस व्रत को पुरे विधि-विधान के साथ रखा जाता है इस व्रत के लिए विशेष पूजा सामग्री का प्रयोग किया जाता है यह पूजा किसी बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बैठ कर की जाती है बरगद के पेड़ की पूजा करने के बाद उसकी परिक्रमा की जाती है और फिर महिलाए उसी बरगद के चारों ओर कलावा भी बांधती हैं। यह बहुत ...

वट सावित्री व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त

अपने पति की लम्बी आयु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विवाहित स्त्रियाँ प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत का अनुष्ठान करती हैं। उत्तर भारत में इस व्रत को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन जबकि दक्षिण के प्रदेशों में इसे ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाया जाता है। अमावस्या के दिन मनाये जाने वाले व्रत को वट सावित्री अमावसी और पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले व्रत को वट सावित्री पूर्णिमा कहा जाता है। Table of Contents • • • • • • वट सावित्री व्रत कब है ? वट सावित्री अमावस्या व्रत 2022 / Vat Amavasya Vrat 2022 Date – 30 May 2022 तिथि – ज्येष्ठ अमावस्या वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 2022 / Vat Purnima Vrat 2022 Date – 14 June 2022 तिथि – ज्येष्ठ पूर्णिमा Vat Savitri Vrat वट सावित्री व्रत का महत्व वट सावित्री व्रत में विशेष रूप से वट वृक्ष का पूजन किया जाता है। वट देववृक्ष है। वट वृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु तथा अग्रभाग में देवाधिदेव शिव स्थित रहते हैं। देवी सावित्री भी वट वृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं। इसी अक्षयवट के पत्ते पर प्रलय के अंतिम चरण में भगवान श्रीकृष्ण ने बालरूप में मार्कण्डेय ऋषि को प्रथम दर्शन दिया था। प्रयागराज में गंगा के तट पर वेणीमाधव के निकट अक्षयवट प्रतिष्ठित है। भक्त शिरोमणि तुलसीदास ने संगम स्थित इस संगमु सिंहासनु सुठि सोहा । छत्रु अखयबटु मुनि मनु मोहा ॥ रामचरितमानस २ | १०५ | ७ इसी प्रकार तीर्थों में पंचवटी का भी विशेष महत्व है। पाँच वटों से युक्त स्थान को पंचवटी कहा गया है। कुम्भज मुनि के परामर्श से भगवान श्रीराम ने सीता एवं लक्ष्मण के साथ वनवास काल में यहाँ निवास किया था। हानिकारक गैसों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करने में वट वृक्ष का ...

Vat Purnima 2022 Puja

Vat Savitr Purnima 2022: हिन्दू धर्म में सभी पूर्णिमा तिथियों का अलग महत्व है और इनमे पूरे श्रद्धा भाव से पूजन करने का विधान है। पूरे साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं जिनमें से ज्येष्ठ महीने की वट पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पूर्णिमा तिथि में सुहागिन महिलाएं व्रत उपवास करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना में बरगद यानी वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करती हैं। वट पूर्णिमा को मुख्य रूप से सुहागिनों का त्योहार माना जाता है और ऐसा माना जाता है जाता है कि जो स्त्री बरगद की पूजा और व्रत उपवास करती है उसके पति को लंबी उम्र मिलती है और पति का स्वास्थ्य ठीक रहता है। इस साल वट सावित्री पूर्णिमा का त्योहार 14 जून, मंगलवार के दिन पड़ेगा। आइए माय पंडित के फाउंडर, सीईओ कल्पेश शाह एंड टीम ऑफ एस्ट्रोलॉजर से जानें वट पूर्णिमा की कथा और इस दिन पूजन की सही विधि के बारे में। ऐसे करें वट सावित्री पूर्णिमा व्रत और पूजन • वट सावित्री पूर्णिमा व्रत करने से पहले सुबह उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। • इस व्रत करने का पूरा विधान करवा चौथ व्रत की ही तरह है। • महिलाएं व्रत संकल्प करके शुद्ध होकर नए वस्त्र धारण करें और श्रृंगार करें। • सुहाग की वस्तुएं भी पूजा की थाली में सजाएं। • अपने घर के आसपास किसी बरगद के पेड़ की पूजा करें। • सबसे पहले बरगद के पेड़ से प्रार्थना करें कि वह उनकी पूजा स्वीकार करें। • बरगद के पेड़ के आसपास सफाई करके उसमें पानी अर्पित करें। • • माता पार्वती और पिता शिव जी का ध्यान करें और उनकी पूजा करें। • सावित्री और सत्यवान की मूर्ति बनाएं या उनके चित्र को फूल माला से सजाएं। • बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें और सुहाग की वस्तुएं सावित्री को अर्पण करें। •...