वट सावित्री व्रत 2023 vidhi in hindi

  1. [PDF] वट सावित्री व्रत पूजा विधि
  2. Vat Savitri Vrat 2023 Date Amavasya Purnima Kab Hai Puja Vidhi Muhurat Upay In Hindi
  3. Vat Savitri Vrat 2023 date puja vidhi Vat Savitri vrat katha in hindi bargadahi amavasya kab hai
  4. vat savitri vrat 2023 importance significance puja time puja vidhi story in hindi Latest News in Hindi, Newstrack Samachar, Aaj Ki Taja Khabar
  5. Vat Savitri Vrat 2023:पहली बार रखने जा रही हैं वट सावित्री व्रत, तो जान लें कुछ जरूरी नियम
  6. Vat Savitri Purnima 2023:वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत कल, जानिए वट वृक्ष की पूजा के लाभ और नियम
  7. Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत आज, जानिए पूजा की सामग्री, मंत्र और महत्व


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[PDF] वट सावित्री व्रत पूजा विधि

वट सावित्री व्रत पूजा विधि इस दिन स्त्रियाँ सुबह-सवेरे केशों सहित स्नान करें । तत्पश्चात् एक बांस की टोकरी में रेत भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए । ब्रह्मा के वाम-पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए । इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मर्तियाँ स्थापित करके दोनों टोकरियां वट वृक्ष के नीचे रखनी चाहिए । सर्व प्रथम ब्रह्मा और सावित्री का पूजन करना चाहिए, उसके बाद सत्यवान तथा सावित्री की पूजा करें तथा वट के पेड़ को पानी दें। जल, फूल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया चना, गुड़ तथा धौप-दीप से वट वृक्ष की पूजा करी जाती है। वट वृक्ष को जल चढ़ा कर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें । वट के पत्तों के गहने पहनकर वट-सावित्री की कथा सुननी चाहिए। भीगे हुए चने का बायना निकालकर उस पर रुपये रखकर अपनी सास को दें तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। यदि सास दूर हो तो बायना बनाकर वहाँ भेज दें। वट तथा सावित्री की पूजा के बाद प्रतिदिन पान, सिंदूर तथा कुंकुम से सुहागिन स्त्री की पूजा का भी विधान है। पूजा के समाप्त होने पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि बांस के पत्ते में रखकर दान करनी चाहिए। यदि आपके आस-पास कोई वट वृक्ष नहीं हो तो दिवार पर वट वृक्ष की तस्वीर लगा कर पूरी श्रद्धा और आस्था से पूजा करें । इसके पश्चात् वट-सावित्री की कथा सुननी चाहिए । वट सावित्री व्रत कथा –Vat Savitri Vrat Katha एक समय मद देश में अश्वपति नामक परम ज्ञानी राजा राज करता था। उन्होने संताप प्राप्ति के लिए अपनी पत्नि के साथ सावित्री देवी का विधिपूर्वक व्रत तथा पूजन किया और पुत्री होने का वर प्राप्त किया। इस पूजा के फल से उनके यहाँ सर्वगुण सम्पन्न सावित्री का जन्...

Vat Savitri Vrat 2023 Date Amavasya Purnima Kab Hai Puja Vidhi Muhurat Upay In Hindi

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत इस दिन है, जानें वट सावित्री अमावस्या और पूर्णिमा व्रत की डेट, शुभ मुहूर्त Vat Savitri Vrat 2023: पति की दीर्धायु और अखंड सौभाग्य के लिए ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा, अमावस्या पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है. जानते हैं इस साल वट सावित्री व्रत की डेट, मुहूर्त, शुभ योग, पूजा विधि Vat Savitri Vrat 2023: हर साल पति की दीर्धायु और सौभाग्य प्राप्ति के लिए ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा और अमावस्या पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. आइए जानते हैं इस साल वट सावित्री व्रत की डेट, मुहूर्त, शुभ योग, उपाय और पूजा विधि वट सावित्री व्रत 2023 कब है ? (Vat Savitri Vrat 2023 Date) सुहागिनों के लिए वट सावित्री व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. कहते हैं इस व्रत के प्रभाव से विवाहिता के दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. मान्यता अनुसार ये व्रत ज्येष्ठ माह में दो बार अमावस्या और पूर्णिाम पर रखा जाता है. इस साल वट सावित्री अमावस्या 19 मई 2023 को है और वट सावित्री पूर्णिमा 3 जून 2023 को है. वट सावित्री व्रत 2023 मुहूर्त (Vat Savitri Vrat 2023 Muhurat) 19 मई 2023 को वट सावित्री अमावस्या पर सुबह 07.19 से 10.42 तक पूजा का मुहूर्त है, इस दिन शनि जयंती और शोभन योग भी है. वहीं 3 जून 2023 को वट सावित्री पूर्णिमा पर सुबह 07.16 से सुबह 08.59 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है, इस दिन शिव, सिद्धि और रवि योग का संयोग बन रहा है. वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi) 'वट सावित्री अमावस्या एवं पूर्णिमा' का व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है. वट अर्थात बरगद का पेड़. हिंदू धर्म में कहा गया है कि वट के पेड़ पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. मान्यता है इस दिन बरगद क...

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Vat Savitri Vrat 2023 date puja vidhi Vat Savitri vrat katha in hindi bargadahi amavasya kab hai | Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत में जरूर पढ़ें यह कथा, सावित्री-सत्यवान की तरह अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति | Hindi News, UPUK Trending News Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत में जरूर पढ़ें यह कथा, सावित्री-सत्यवान की तरह अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति Vat Savitri Vrat 2023: आज वट सावित्री व्रत है. हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का खास महत्व बताया गया है. हर साल यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं. साथ ही वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को सदा सुहागिन होने का वरदान मिलता है. इस दिन बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा करने के साथ ही व्रत कथा सुनना शुभ होता है. ऐसे में आज हम आपको इस व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं. वट सावित्री व्रत कथा पौराणिक कथा के अनुसार, भद्र देश के एक राजा थे, जिनका नाम अश्वपति था. भद्र देश के राजा अश्वपति के कोई संतान न थी. उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिए मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिदिन एक लाख आहुतियां दीं. 18 वर्षों तक यह क्रम जारी रहा. इसके बाद सावित्रीदेवी ने प्रकट होकर वर दिया कि: राजन तुझे एक तेजस्वी कन्या पैदा होगी. सावित्रीदेवी की कृपा से जन्म लेने के कारण से कन्या का नाम सावित्री रखा गया. कन्या बड़ी होकर बेहद रूपवान हुई. योग्य वर न मिलने की वजह से सावित्री के पिता दुःखी थे. उन्होंने कन्या को स्वयं वर तलाशने भेजा. सावित्री तपोवन में भटकने लगी. वहां साल्व देश के राजा द्युमत्स...

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Vat Savitri Vrat 2023:पहली बार रखने जा रही हैं वट सावित्री व्रत, तो जान लें कुछ जरूरी नियम

Vat Savitri Vrat 2023 Niyam: सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं कई तरह के व्रत और उपवास रखती हैं। इन्ही में से एक है वट सावित्री व्रत। ये व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इस साल वट सावित्री व्रत 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जा रहा है। इस दिन अखंड सौभाग्य एवं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं। साथ ही व्रती महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और पेड़ की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कलावा बांधती हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद खास होता है। वहीं जो महिलाएं शादी के बाद पहली बार वट सावित्री व्रत रखने जा रही हैं, उनके लिए पूजा विधि से जुड़े कुछ नियम जानना बहुत जरूरी है। चलिए जानते हैं उन नियमों के बारे में...

Vat Savitri Purnima 2023:वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत कल, जानिए वट वृक्ष की पूजा के लाभ और नियम

Vat Savitri Purnima 2023: वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत कल, जानिए वट वृक्ष की पूजा के लाभ और नियम विस्तार Vat Savitri Purnima 2023 Date : हिंदू पंचाग के हिसाब से साल में दो बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है। पहला ज्येष्ठ अमावस्या को और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन। दोनों ही तिथियों के व्रत में पूजा-पाठ करने का विधान, कथा, नियम और महत्व एक जैसे ही होते हैं। शास्त्रों में मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अनेक वृक्षों की पूजा का विधान बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार,वट वृक्ष पांच तरह का होता है । इनमें सबसे चमत्कारी 'अक्षय वट' होता है,जो कभी नष्ट नहीं होता है। मान्यता है कि जो इस वृक्ष की पूजा करता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। शोधों से पता लगा है कि इस वृक्ष की आयु करीब 3,250 ईसा पूर्व की बताई गई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वट वृक्ष के तने में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। इस वृक्ष में तीनों देवों का निवास होने के कारण इसे त्रिमूर्ति का प्रतीक माना गया है। वट वृक्ष की पूजा के लाभ • स्कंद पुराण के अनुसार इस वृक्ष की पूजा यदि सुबह-शाम की जाए तो दांपत्य जीवन सुखद बनता है,सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनुष्य निरोगी रहता है। मान्यता है कि महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। परिवार पर किसी प्रकार का कोई संकट नहीं आता। वट वृक्ष की नियमित पूजा करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन वैदिक ब्राह्मण अथवा असहाय लोगों की सहायता करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं। जो व्यक्ति इस दिन वट वृक्ष का रोपण करता है उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। जीवन के सभी क्लेश दूर होते हैं। स्त्रियां इस दिन वट वृक...

Vat Savitri Vrat 2023: वट सावित्री व्रत आज, जानिए पूजा की सामग्री, मंत्र और महत्व

Vat Savitri Vrat 2023 Puja Samagri: अखंड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री ज्येष्ठ महीने की कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है, आज ही ये पावन दिन है इस व्रत के लिए महिलाएं काफी उत्साहित रहती हैं। सोलह श्रृंगार करके जब पत्नियां भरी दोपहर में अपनी पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ की फेरी करती हैं तो वो दृश्य अनुपम और अलौकिक होता है। ये त्योहार है आस्था का, चाहत का, विश्वास और समर्पण का, ये पर्व बड़ी ही श्रद्धा के साथ यूपी, बिहार, एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मनाया जाता है। इस बार पूर्णिमा का प्रारंभ 18 मई की रात 09 बजकर 42 मिनट पर हो गया था और इसका समापन 19 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा, उदया तिथी शुक्रवार को होने की वजह से वट सावित्री व्रत आज रखा गया है। पूजा सामग्री • धूप, • मिट्टी का दीपक, • घी, फूल, • फल, • 24 पूरियां, • 24 बरगद फल (आटे या गुड़ के) • बांस का पंखा, • लाल धागा, • कपड़ा, • सिंदूर, • सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, • जल • कच्चा सूत • और रोली कैसे करें पूजा सबसे पहले नहाधोकर आप स्वच्छ कपड़े पहनें, फिर रसोई में जाकर पूजा के लिए पुड़ी और आटे के बरगद बनाएं। इसके बाद आप खुद को तैयार करें। आज के दिन सोलह श्रृंगार करना जरूरी होता है। फिर बरगद के पेड़ के नीच सावित्री-सत्यवान की तस्वीर रखकर पूजा करें और सारी सामग्री उन्हें अर्पित करें। कथा सुनें और फिर बरगद की 107 फेरी लगाकर सावित्री माता और बरगद के वृक्ष से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें और घर-आंगन के लिए सुख-शांति मांगे। शुद्धजल चढ़ाएं, फिर वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत से स्वास्तिक बनाकर पूजन करें। फिर प्रसाद खाकर जल पिएं और गरीबों को दान करें। पूजा के दौरान हर महिला को 108 बार महामृत्युजंय मंत्र का जाप करना चाह...