व्यंजन कितने होते हैं

  1. व्यंजन किसे कहते हैं?
  2. व्यंजन के कितने भेद होते हैं?
  3. व्यंजन किसे कहते है
  4. Prakampit Vyanjan
  5. Parshvik Vyanjan
  6. व्यंजन किसे कहते है
  7. Parshvik Vyanjan
  8. व्यंजन किसे कहते हैं?
  9. Prakampit Vyanjan
  10. व्यंजन के कितने भेद होते हैं?


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व्यंजन किसे कहते हैं?

व्यंजन की व्याख्या उस ध्वनि को व्यंजन कहते हैं जिसका उच्चारण करने के लिए किसी जैसे – क् हम क् यह ध्वनि मुंह से नहीं निकाल सकते। हमें इसके लिए किसी स्वर की आवश्यकता होगी। फिर चाहे वह आगे हो या पीछे। जैसे – • क् + अ – क • अ + क् – अक् व्यंजनों का उच्चारण करते समय हमारी जीभ मुंह के किसी ना किसी हिस्से से किंचित् रगड़ती है। हमारे मुंह से जो हवा बाहर आती है, उस हवा के मार्ग में मुंह में हमे आशा है कि आपको पता चल चुका होगा कि व्यंजन किसे कहते हैं। अब प्रश्न उठता है कि संस्कृत वर्णमाला में कुल मिला कर – व्यंजन कितने होते हैं? संस्कृत वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या कितनी होती है? इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए चलिए क्रम से व्यंजनों को गिनते हैं। जैसे की हम जानते हैं, संस्कृत वर्णमाला में व्यंजनों के दो हिस्से होते हैं – • वर्गीय व्यंजन • अवर्गीय व्यंजन इन दोनों की गिनती से हम सही उत्तर पा सकते हैं। वर्गीय व्यंजन – २५ वर्णमाला में क् से लेकर म् तक के व्यंजन वर्गीय व्यंजन होते हैं। और वर्गीय व्यंजनों में पांच पांच व्यंजनों के पांच वर्गों को कुल मिलाकर पच्चीस (५x५=२५) व्यंजन होते हैं। यानी पांच पांच व्यंजनों की पांच कतारें होती हैं। अवर्गीय व्यंजन – ८ अर्धस्वर (य्। र्। ल्। व्) और उष्मों (श्। ष्। स्। ह्) को कुल मिलाकर आठ व्यंजन अवर्गीय होते हैं। ळ यह भी एक व्यंजन है जो अवर्गीय होता है। अवर्गीय व्यंजनों में ळ होता है या नहीं इस बारे में शंका कभी कबार होती है। इसके बारे में हमने एक लेख में ( पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए।) लिखा है। इसे हम वर्णमाला में नहीं गिनते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो – व्यंजनों का प्रकार संख्या वर्गीय व्यंजन २५ अवर्गीय व्यंजन ०८ कुल ३३ संस्कृत वर्णमाला में व्यंजन...

व्यंजन के कितने भेद होते हैं?

आज के इस लेख में हम हिंदी यानी हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण भाग व्यंजन के बारे में जानेंगे कि व्यंजन क्या है? व्यंजन कितने प्रकार का होता है? ( Vyanjan kitne prakar ke hote hain) यानी व्यंजन के कितने भेद होते हैं? ( Vyanjan ke kitne bhed hote hain) इत्यादि। दोस्तों आज के समय में अंग्रेजी भाषा का चलन है, हर क्षेत्र में इसका उपयोग किया जा रहा है परंतु इससे हिंदी जो कि हमारी मातृभाषा है, इसका महत्व बिल्कुल भी कम नहीं होता है। आज के समय में कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हिंदी शामिल रहता है। यदि आप UPTET, CTET, HTET इत्यादि जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो हिंदी और उसमें विशेष करके हिंदी व्यंजन क्या है इसे समझने के लिए आसान होगा पहले यह जानना की इसीलिए हिंदी भाषा में हम जो अक्षर पढ़ते हैं उन्हें ही वर्ण कहा जाता है। अब उन वर्णो को व्यंजन वर्ण कहा जाता है जिनका उच्चारण स्वर वर्णों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता। यानी स्वर वर्ण की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन वर्ण कहलाते हैं। क ख ग घ इस तरह के वर्ण है जिनका उच्चारण हम स्वर वर्ण के बिना नहीं कर सकते हैं, इसीलिए यह सारे वर्ण व्यंजन वर्ण के अंतर्गत आते हैं। व्यंजन वर्णों के उदाहरण में क ख ग घ ट थ द ड च छ ज झ सहित इस तरह के अन्य, व्यंजन वर्णों की सूची में आते हैं। हिंदी भाषा की हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या 33 है। इन 33 व्यंजन वर्णों का उपयोग हिंदी भाषा में किया जाता है। व्यंजन के कितने भेद होते हैं? (Vyanjan ke kitne bhed hote hain) व्यंजन के कितने भेद होते हैं (Vyanjan ke kitne bhed hote hain) यानी व्यंजन कितने प्रकार के होते है? (Vyanjan ke prakar) , इसका सही उत्तर यह पूछने पर दिया जा सकता है कि किस आध...

व्यंजन किसे कहते है

व्यंजन कितने होते हैं या व्यंजन के कितने भेद होते हैं- हिंदी भाषा में कुल 37 Vyanjan है- 1. क 2. ख 3. ग 4. घ 5. ङ 6. च 7. छ 8. ज 9. झ 10. ञ 11. ट 12. ठ 13. ड 14. ढ 15. ण 16. त 17. थ 18. द 19. ध 20. न 21. प 22. फ 23. ब 24. भ 25. म 27. य 28. र 29. ल 30. व 31. श 32. ष 33. स 34. ह 35. क्ष 36. त्र 37.ज्ञ Vyanjan kise kahate hain • यह भी पड़े – • • व्यंजन के कितने भेद होते हैं व्यंजन पांच प्रकार के होते हैं या व्यंजन के पांच भेद होते हैं- स्पर्श व्यंजन कितने होते हैं– स्पर्श व्यंजन 5 तरह के होते है– • ‘क’ वर्ग- क, ख, ग, घ, ड -कण्ठ्य(गला) वर्ग • ‘च’ वर्ग- च, छ, ज, झ, ञ -तालव्य(जीभ) वर्ग • ‘ट’ वर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण -मूर्धा वर्ग • ‘त’ वर्ग-त, थ, द, ध, न -दन्त वर्ग • ‘प’ वर्ग- प, फ, ब, भ, म-ओष्ठ(होंठ) वर्ग अन्तस्थ व्यंजन किसे कहते है वह वर्ण जिनका उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु मुख के किसी भी भाग से स्पर्श नहीं करती और धीरे से बाहर निकल जाती है| • क + ष = क्ष • त + ट = त्र • ज + ञ = ज्ञ • श + र = श्र संयुक्त व्यंजन चार होते हैं- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है-Swar Vyanjan किन वर्णों का उच्चारण करते समय किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती या जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से बोला जा सकता है उन्हें स्वर कहते हैं वहीं जिन वर्णों का उच्चारण करते समय स्वरों की सहायता ली जाती है या जिन्हें स्वतंत्र रूप से नहीं बोला जा सकता उन्हें Vyanjan कहते हैं| हिंदी भाषा को भी आज देश विदेश के लोग पहचानते हैं भारत एक बहुत बड़ा देश है और यहां पर अलग-अलग तरह की बहुत सारी भाषाएं बोली जाती है साथ ही यहां पर बहुत सी बोलियां भी है जो भारत देश के लोग उपयोग करते हैं जिनमें अवधी, ब्...

Prakampit Vyanjan

Table of Contents • • • • • • • • • • • • Prakampit Vyanjan | प्रकम्पित व्यंजन इस लेख में हम आपको हिंदी वर्णमाला के प्रकम्पित व्यंजनों (Prakampit Vyanjan) के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे की प्रकम्पित व्यंजन किसे कहते हैं, प्रकम्पित व्यंजन कौन-कौन से होते हैं और प्रकम्पित व्यंजन (Prakampit Vyanjan) कितने होते हैं। दरअसल, हिंदी व्यंजनों का जब उच्चारण के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है तो हिंदी व्यंजनों के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं। • स्पर्श व्यंजन • संघर्षी व्यंजन • स्पर्श संघर्षी व्यंजन • नासिक्य व्यंजन • पार्श्विक व्यंजन • प्रकम्पित व्यंजन • उत्क्षिप्त व्यंजन • संघर्षहीन व्यंजन इन आठ भेदों में से एक भेद प्रकम्पित व्यंजन (Prakampit Vyanjan) होता है, जिसके बारे में इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे। अतः प्रकम्पित व्यंजनों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए पूरे लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें। Prakampit Vyanjan प्रकम्पित व्यंजन किसे कहते हैं | Prakampit Vyanjan Kise Kahate Hain जिन व्यंजन वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा में दो-तीन बार कम्पन होता हो उन्हें प्रकम्पित व्यंजन (Prakampit Vyanjan) कहते हैं। प्रकम्पित व्यंजनों (Prakampit Vyanjan) की संख्या एक होती है। र को प्रकम्पित व्यंजन कहते हैं। प्रकम्पित व्यंजन वर्णों को लुंठित व्यंजन भी कहते हैं। प्रकम्पित का अर्थ काँपता हुआ होता है। दरअसल, जब हम ‘र’ वर्ण का उच्चारण करते हैं तो हमारी जीभ में कम्पन होने के साथ-साथ प्राणवायु जिह्वा से टकराकर लुढ़कती हुई मुख से बाहर निकलती है। प्राण वायु के इस तरह लुढ़क कर मुख से बाहर निकलने की वजह से ही प्रकम्पित व्यंजन वर्णों को लुंठित व्यंजन भी कहते हैं। प्रकम्पित व्य...

Parshvik Vyanjan

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • Parshvik Vyanjan | पार्श्विक व्यंजन इस लेख में हम आपको हिंदी वर्णमाला के पार्श्विक व्यंजनों (Parshvik Vyanjan) के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे की पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं, पार्श्विक व्यंजन कौन-कौन से होते हैं और पार्श्विक व्यंजन (Parshvik Vyanjan) कितने होते हैं। दरअसल, हिंदी व्यंजनों का जब उच्चारण के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है तो हिंदी व्यंजनों के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं। • स्पर्श व्यंजन • संघर्षी व्यंजन • स्पर्श संघर्षी व्यंजन • नासिक्य व्यंजन • पार्श्विक व्यंजन • प्रकम्पित व्यंजन • उत्क्षिप्त व्यंजन • संघर्षहीन व्यंजन इन आठ भेदों में से एक भेद पार्श्विक व्यंजन होता है, जिसके बारे में इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे। अतः पार्श्विक व्यंजनों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए पूरे लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें। पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं | Parshvik Vyanjan Kise Kahate Hain जिन व्यंजन वर्णों का उच्चारण करते समय प्राणवायु जिह्वा के दोनों पार्श्व से निकल जाती हो उन्हें पार्श्विक व्यंजन (Parshvik Vyanjan) कहते हैं। पार्श्विक व्यंजनों की संख्या एक होती है। हिंदी वर्णमाला में ल व्यंजन को पार्श्विक व्यंजन (Parshvik Vyanjan) कहते हैं। दरअसल, ल वर्ण का उच्चारण करते समय हमारी जीभ का अग्रभाग मसूड़े को स्पर्श करता है, जिससे प्राणवायु का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। प्राण वायु का मार्ग रुक जाने से वायु हमारी जीह्वा के आस-पास (बग़ल) से निकलती है और ‘ल’ का उच्चारण पूरा होता है। प्राण वायु के हमारी जिह्वा के बग़ल से निकलने की वजह से ही ल वर्ण को पार्श्विक व्यंजन कहते हैं। Parshvik Vyanjan पार्श्विक व्...

व्यंजन किसे कहते है

व्यंजन कितने होते हैं या व्यंजन के कितने भेद होते हैं- हिंदी भाषा में कुल 37 Vyanjan है- 1. क 2. ख 3. ग 4. घ 5. ङ 6. च 7. छ 8. ज 9. झ 10. ञ 11. ट 12. ठ 13. ड 14. ढ 15. ण 16. त 17. थ 18. द 19. ध 20. न 21. प 22. फ 23. ब 24. भ 25. म 27. य 28. र 29. ल 30. व 31. श 32. ष 33. स 34. ह 35. क्ष 36. त्र 37.ज्ञ Vyanjan kise kahate hain • यह भी पड़े – • • व्यंजन के कितने भेद होते हैं व्यंजन पांच प्रकार के होते हैं या व्यंजन के पांच भेद होते हैं- स्पर्श व्यंजन कितने होते हैं– स्पर्श व्यंजन 5 तरह के होते है– • ‘क’ वर्ग- क, ख, ग, घ, ड -कण्ठ्य(गला) वर्ग • ‘च’ वर्ग- च, छ, ज, झ, ञ -तालव्य(जीभ) वर्ग • ‘ट’ वर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण -मूर्धा वर्ग • ‘त’ वर्ग-त, थ, द, ध, न -दन्त वर्ग • ‘प’ वर्ग- प, फ, ब, भ, म-ओष्ठ(होंठ) वर्ग अन्तस्थ व्यंजन किसे कहते है वह वर्ण जिनका उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु मुख के किसी भी भाग से स्पर्श नहीं करती और धीरे से बाहर निकल जाती है| • क + ष = क्ष • त + ट = त्र • ज + ञ = ज्ञ • श + र = श्र संयुक्त व्यंजन चार होते हैं- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है-Swar Vyanjan किन वर्णों का उच्चारण करते समय किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती या जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से बोला जा सकता है उन्हें स्वर कहते हैं वहीं जिन वर्णों का उच्चारण करते समय स्वरों की सहायता ली जाती है या जिन्हें स्वतंत्र रूप से नहीं बोला जा सकता उन्हें Vyanjan कहते हैं| हिंदी भाषा को भी आज देश विदेश के लोग पहचानते हैं भारत एक बहुत बड़ा देश है और यहां पर अलग-अलग तरह की बहुत सारी भाषाएं बोली जाती है साथ ही यहां पर बहुत सी बोलियां भी है जो भारत देश के लोग उपयोग करते हैं जिनमें अवधी, ब्...

Parshvik Vyanjan

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व्यंजन किसे कहते हैं?

व्यंजन की व्याख्या उस ध्वनि को व्यंजन कहते हैं जिसका उच्चारण करने के लिए किसी जैसे – क् हम क् यह ध्वनि मुंह से नहीं निकाल सकते। हमें इसके लिए किसी स्वर की आवश्यकता होगी। फिर चाहे वह आगे हो या पीछे। जैसे – • क् + अ – क • अ + क् – अक् व्यंजनों का उच्चारण करते समय हमारी जीभ मुंह के किसी ना किसी हिस्से से किंचित् रगड़ती है। हमारे मुंह से जो हवा बाहर आती है, उस हवा के मार्ग में मुंह में हमे आशा है कि आपको पता चल चुका होगा कि व्यंजन किसे कहते हैं। अब प्रश्न उठता है कि संस्कृत वर्णमाला में कुल मिला कर – व्यंजन कितने होते हैं? संस्कृत वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या कितनी होती है? इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए चलिए क्रम से व्यंजनों को गिनते हैं। जैसे की हम जानते हैं, संस्कृत वर्णमाला में व्यंजनों के दो हिस्से होते हैं – • वर्गीय व्यंजन • अवर्गीय व्यंजन इन दोनों की गिनती से हम सही उत्तर पा सकते हैं। वर्गीय व्यंजन – २५ वर्णमाला में क् से लेकर म् तक के व्यंजन वर्गीय व्यंजन होते हैं। और वर्गीय व्यंजनों में पांच पांच व्यंजनों के पांच वर्गों को कुल मिलाकर पच्चीस (५x५=२५) व्यंजन होते हैं। यानी पांच पांच व्यंजनों की पांच कतारें होती हैं। अवर्गीय व्यंजन – ८ अर्धस्वर (य्। र्। ल्। व्) और उष्मों (श्। ष्। स्। ह्) को कुल मिलाकर आठ व्यंजन अवर्गीय होते हैं। ळ यह भी एक व्यंजन है जो अवर्गीय होता है। अवर्गीय व्यंजनों में ळ होता है या नहीं इस बारे में शंका कभी कबार होती है। इसके बारे में हमने एक लेख में ( पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए।) लिखा है। इसे हम वर्णमाला में नहीं गिनते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो – व्यंजनों का प्रकार संख्या वर्गीय व्यंजन २५ अवर्गीय व्यंजन ०८ कुल ३३ संस्कृत वर्णमाला में व्यंजन...

Prakampit Vyanjan

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व्यंजन के कितने भेद होते हैं?

आज के इस लेख में हम हिंदी यानी हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण भाग व्यंजन के बारे में जानेंगे कि व्यंजन क्या है? व्यंजन कितने प्रकार का होता है? ( Vyanjan kitne prakar ke hote hain) यानी व्यंजन के कितने भेद होते हैं? ( Vyanjan ke kitne bhed hote hain) इत्यादि। दोस्तों आज के समय में अंग्रेजी भाषा का चलन है, हर क्षेत्र में इसका उपयोग किया जा रहा है परंतु इससे हिंदी जो कि हमारी मातृभाषा है, इसका महत्व बिल्कुल भी कम नहीं होता है। आज के समय में कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हिंदी शामिल रहता है। यदि आप UPTET, CTET, HTET इत्यादि जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो हिंदी और उसमें विशेष करके हिंदी व्यंजन क्या है इसे समझने के लिए आसान होगा पहले यह जानना की इसीलिए हिंदी भाषा में हम जो अक्षर पढ़ते हैं उन्हें ही वर्ण कहा जाता है। अब उन वर्णो को व्यंजन वर्ण कहा जाता है जिनका उच्चारण स्वर वर्णों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता। यानी स्वर वर्ण की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन वर्ण कहलाते हैं। क ख ग घ इस तरह के वर्ण है जिनका उच्चारण हम स्वर वर्ण के बिना नहीं कर सकते हैं, इसीलिए यह सारे वर्ण व्यंजन वर्ण के अंतर्गत आते हैं। व्यंजन वर्णों के उदाहरण में क ख ग घ ट थ द ड च छ ज झ सहित इस तरह के अन्य, व्यंजन वर्णों की सूची में आते हैं। हिंदी भाषा की हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या 33 है। इन 33 व्यंजन वर्णों का उपयोग हिंदी भाषा में किया जाता है। व्यंजन के कितने भेद होते हैं? (Vyanjan ke kitne bhed hote hain) व्यंजन के कितने भेद होते हैं (Vyanjan ke kitne bhed hote hain) यानी व्यंजन कितने प्रकार के होते है? (Vyanjan ke prakar) , इसका सही उत्तर यह पूछने पर दिया जा सकता है कि किस आध...