Vyanjan kise kahate hain

  1. Sanyukt Vyanjan
  2. व्यंजन किसे कहते हैं? (Vyanjan Kise Kahate Hain) व्यंजन के भेद
  3. अन्तस्थ व्यंजन क्या है? — Antastha Vyanjan Kya Hain?
  4. Vyanjan kise Kahate Hain : Types and Difination
  5. Parshvik Vyanjan
  6. जानिए व्यंजन की परिभाषा, भेद, प्रकार एवं उदहारण
  7. व्यंजन किसे कहते हैं
  8. व्यंजन संधि (परिभाषा और उदाहरण)


Download: Vyanjan kise kahate hain
Size: 64.57 MB

Sanyukt Vyanjan

sanyukt vyanjan : आज के इस आर्टिकल के जरिए हम हिंदी वर्णमाला के संयुक्त व्यंजन के बारे में जानकारी लेंगे, और अगर आप sanyukt vyanjan के बारे में विस्तारपूर्वक संपूर्ण जानकारी चाहते हैं तो आप इस लेख को पूरा आखिर तक ध्यान से पढ़िए गा। Sanyukt Vyanjan हिंदी भाषा का साहित्य बहुत बड़ा है इसीलिए हमें हिंदी भाषा को अच्छी तरह से सीखने और समझने के लिए सबसे पहले हिंदी स्वर और हिंदी व्यंजन का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है। और हम किसी चीज के बारे में पूर्ण ज्ञान तभी ले सकते हैं जब हमें सरल भाषा में समझाया जाए, इसलिए इस आर्टिकल में संयुक्त व्यंजन के बारे में बहुत ही सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है। हिंदी व्याकरण में इन व्यंजनों का प्रयोग शब्द बनाने में किया जाता है। संयुक्त व्यंजन जो की संपूर्ण हिंदी व्याकरण का आधार बनते हैं या यूं कहें कि संपूर्ण हिंदी व्याकरण इन्हीं पर टिका है। तो आइए जानते हैं इन व्यंजनों के बारे में विस्तार पूर्वक संपूर्ण जानकारी। Sanyukt Vyanjan Kise Kahate Hain वे व्यंजन जो दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से बनते हैं, वह sanyukt vyanjan कहलाते हैं। संयुक्त व्यंजन एक तरह से व्यंजन का ही एक प्रकार है। इसमें पहला व्यंजन बिना स्वर के होता है और दूसरे व्यंजन में स्वर मिला होता है अर्थात पूर्ण व्यंजन होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे वर्ण या अक्षर जिनमें दो व्यंजन वर्ण एक साथ उच्चारित होते हैं यानी 2 व्यंजन वर्ण अगल-बगल में उपयोग होते हैं और इनके बीच में कोई भी स्वर अक्षर नहीं रहेंता है। जिसे संयुक्त व्यंजन वर्ण कहा जाता हैं। तो अब आप समझ गए होंगे कि संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं। Sanyukt Vyanjan Kitne Hote Hainहिंदी वर्णमाला में संयुक्त व्यंजनों की कुल संख्...

व्यंजन किसे कहते हैं? (Vyanjan Kise Kahate Hain) व्यंजन के भेद

क्या आप व्यंजन के बारे में जानते हो? यदि नहीं तो आपको इस पोस्ट में व्यंजन किसे कहते हैं? (Vyanjan Kise Kahate Hain), के बारे में विस्तार से बताया गया है | हिन्दी भाषा को जानने व समझने के लिए स्वर व व्यंजन दोनों का ज्ञान होता आवश्यक होता है | आज इस पोस्ट में व्यंजन की परिभाषा, भेद, उदाहरण, तथा हिंदी में व्यंजन कौन कौन से होते है, आदि के बारे में विस्तार से समझाया गया है | चार संयुक्त व्यंजन (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र) व दो द्विगुण व्यंजन (ड़ और ढ) को मिलाकर हिंदी में कुल 39 व्यंजन होते है | इन व्यंजनों की सहायता से शब्दों का निर्माण होता है | व्यंजन की परिभाषा- वे वर्ण जिनका उच्चारण करने के लिए स्वर की जरूरत पड़ती है, बिना स्वर के इन वर्णों का उच्चारण संभव नहीं है, व्यंजन कहलाते है | यह भी पढे- व्यंजन के उदाहरण • क, ख, ग, घ, ङ • च, छ, ज, झ, ञ • ट, ठ, ड, ढ़, ण • त, थ, द, ध, न • प, फ, ब, भ, म • य, र, ल, व, • श, ष, स, ह • क्ष, त्र, ज्ञ, श्र • ड़, ढ व्यंजन के भेद (प्रकार) हिन्दी भाषा में श्वास के कंपन, श्वास की मात्रा व श्वास के अवरोध के आधार पर व्यंजन को अलग-अलग भेद होते है जो कि निम्नानुसार है – श्वास के अवरोध के आधार पर व्यंजन चार प्रकार के होते है- • स्पर्शी व्यंजन • अंतस्थ व्यंजन • ऊष्म व्यंजन (संघर्षी व्यंजन) • संयुक्त व्यंजन श्वास के कंपन के आधार पर व्यंजन दो प्रकार के होते है – • अघोष व्यंजन • सघोष व्यंजन श्वास की मात्रा के आधार पर व्यंजन दो प्रकार के होते है – • अल्पप्राण व्यंजन • महाप्राण व्यंजन अब व्यंजन के प्रत्येक भेद को विस्तार से जानने की कोशिश करते है | यह भी पढे- स्पर्शी व्यंजन किसे कहते है? वें व्यंजन जिनका उच्चारण करते समय हमारी जीभ कंठ, मूर्धा, तालु, दांत, होठ आदि क...

अन्तस्थ व्यंजन क्या है? — Antastha Vyanjan Kya Hain?

जिन वर्णों को बोलने के लिए स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है, वे व्यंजन कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में – व्यंजन वे अक्षर हैं जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है। जैसे की; क, ख, ग, च, घ, छ, त, थ, द, भ, म इत्यादि। आज हम इस पोस्ट में अंतस्थ व्यंजन / अन्तस्थ व्यंजन क्या हैं?, Antastha Vyanjan Kise Kahate Hain, के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जैसे की आपको अन्तस्थ पढ़ के ही समझ आ रहा होगा की, अन्तस्थ का अर्थ ‘अन्तः’ होता है। अर्थात ‘भीतर’। उच्चारण के वक़्त जो व्यंजन मुख / मुँह के भीतर ही रहे उन्हें अन्तःस्थ व्यंजन कहा जाता हैं। अन्तः यानि की, ‘ मध्य/बीच‘, और स्थ यानि की, ‘ स्थित‘ होता हैं। अन्तःस्थ व्यंजन, स्वर और व्यंजन के बीच उच्चारित किए जाते हैं। उच्चारण के समय जीभ / मुंह / जिह्वा, के किसी भी हिस्से को नहीं छूती है। अंतस्थ व्यंजन चार प्रकार के होते हैं, जो की; य, र, ल और व हैं। • 1 Antastha Vyanjan Kiya Hain? • 2 Antastha Vyanjan Kise Kahate Hain Antastha Vyanjan Kiya Hain? वो सभी वर्ण जिनके उच्चारण में जीभ/जिह्व, दाँत, तालु, और होंठों के परस्पर सटने से होता हैं, लेकिन कहीं भी पूरी तरह से स्पर्श नहीं होता हैं। इसलिए य, र, ल एवं व वर्ण यानि की इन चारों वर्णों को अन्तःस्थ व्यंजन कहा जाता हैं, ‘ अर्द्धस्वर’ भी कहलाते हैं। तो दोस्तों, अगर हम सरल भाषा में कहें तो, हिंदी वर्णमाला में “ इन अन्तस्थ व्यंजन वर्णों के उच्चारण में साँस की गति, दूसरे अन्य इन वर्णों को अर्द्धस्वर इसलिए बोला जाता हैं, क्योंकि ये सभी वर्ण स्वरों की भाँति ही उच्चारित किये जाते हैं एवं इनके बोलने के समय में ज्यादा घर्षण नहीं होता हैं। इनके अतिरिक्त शेष अन्तःस्थ व्यंजनों में “र” वर्ण को लुंठित या प्रक...

Vyanjan kise Kahate Hain : Types and Difination

मुख्य रूप से व्यंजन 3 प्रकार के होते हैं- • स्पर्श व्यंजन • अन्तःस्थ व्यंजन • ऊष्मव्यंजन स्पर्श व्यंजन – इन वर्णों का उच्चारण कंठ, तालु, मूर्द्धा, दंत और ओष्ठ आदि स्थानों के स्पर्श से होता है। इसी कारण इन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं।”स्पर्श व्यंजन निम्न वर्गों में विभक्त हैं। • ‘क’ वर्ग : क, ख, ग, घ, ङ। • ‘च’ वर्ग : च, छ, ज, झ, ञ। • ‘ट’ वर्ग : ट, ठ, ड, ढ, ण। • ‘त’ वर्ग : त, थ, द, ध, न। • ‘प’ वर्ग : प, फ, ब, भ, म। अन्तःस्थ व्यंजन – जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के बीच स्थित हो उसे अन्तःस्थ व्यंजन कहते हैं। यह 4 होते हैं। – य र ल व उष्म व्यंजन – जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु मुख में किसी स्थान पर घर्षण खा कर ऊष्मा पैदा करती है, उन्हें उष्म व्यंजन कहते है। यह भी 4 होते हैं-श, ष, स, ह FAQ- Ques- व्यंजन किसे कहते हैं? Ans-जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से ना होकर स्वरों की सहायता से होता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं। Ques- द्वित्व व्यंजन या व्यंजन गुच्छ किसे कहते हैं? Ans-जब किसी शब्द में दो समान व्यंजन एक साथ आ जाते हैं, तू ऐसी स्थिति में वह द्वित्व व्यंजन या व्यंजन कहलाता है। Ques- हिंदी में कुल कितने व्यंजन होते हैं? Ans-हिंदी में कुल 39 व्यंजन होते हैं Ques- व्यंजन कितने हैं? Ans-क से लेकर ज्ञ तक Ques- स्पर्श व्यंजन कितने हैं? Ans-25 Ques- य र ल व कौन से व्यंजन है? Ans-अन्तस्थ: व्यंजन आशा करते है कि Vyanjan kise Kahate Hain के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे लेख पढ़ने के लिए हमसे के माध्यम से जुड़े।

Parshvik Vyanjan

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • Parshvik Vyanjan | पार्श्विक व्यंजन इस लेख में हम आपको हिंदी वर्णमाला के पार्श्विक व्यंजनों (Parshvik Vyanjan) के बारे में बता रहे हैं। इस लेख में हम जानेंगे की पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं, पार्श्विक व्यंजन कौन-कौन से होते हैं और पार्श्विक व्यंजन (Parshvik Vyanjan) कितने होते हैं। दरअसल, हिंदी व्यंजनों का जब उच्चारण के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है तो हिंदी व्यंजनों के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं। • स्पर्श व्यंजन • संघर्षी व्यंजन • स्पर्श संघर्षी व्यंजन • नासिक्य व्यंजन • पार्श्विक व्यंजन • प्रकम्पित व्यंजन • उत्क्षिप्त व्यंजन • संघर्षहीन व्यंजन इन आठ भेदों में से एक भेद पार्श्विक व्यंजन होता है, जिसके बारे में इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे। अतः पार्श्विक व्यंजनों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए पूरे लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें। पार्श्विक व्यंजन किसे कहते हैं | Parshvik Vyanjan Kise Kahate Hain जिन व्यंजन वर्णों का उच्चारण करते समय प्राणवायु जिह्वा के दोनों पार्श्व से निकल जाती हो उन्हें पार्श्विक व्यंजन (Parshvik Vyanjan) कहते हैं। पार्श्विक व्यंजनों की संख्या एक होती है। हिंदी वर्णमाला में ल व्यंजन को पार्श्विक व्यंजन (Parshvik Vyanjan) कहते हैं। दरअसल, ल वर्ण का उच्चारण करते समय हमारी जीभ का अग्रभाग मसूड़े को स्पर्श करता है, जिससे प्राणवायु का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। प्राण वायु का मार्ग रुक जाने से वायु हमारी जीह्वा के आस-पास (बग़ल) से निकलती है और ‘ल’ का उच्चारण पूरा होता है। प्राण वायु के हमारी जिह्वा के बग़ल से निकलने की वजह से ही ल वर्ण को पार्श्विक व्यंजन कहते हैं। Parshvik Vyanjan पार्श्विक व्...

जानिए व्यंजन की परिभाषा, भेद, प्रकार एवं उदहारण

Contents • 1 व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन किसे कहते हैं? • 2 व्यंजन के भेद या प्रकार • 3 व्यंजन के भेदों की परिभाषा • 3.1 संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं? – Sanyukt Vyanjan Kise Kahate Hain • 3.2 स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं? – Sparsh Vyanjan Kise Kahate Hain • 3.3 उष्म व्यंजन किसे कहते हैं? – Ushm Vyanjan Kise Kahate Hain • 3.4 द्विगुण व्यंजन किसे कहते हैं? – Dvigun Vyanjan Kise Kahate Hain • 3.5 अन्तः स्थ व्यंजन किसे कहते हैं? – Anth Sth Vyanjan Kise Kahate Hain व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन किसे कहते हैं? व्यंजन की निन्मलिखित परिभाषाएँ होती है:- • स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्णों को व्यंजन कहते हैं| • जिन वर्णों का उच्चारण करने में ‘अ” की सहायता लगे उन्हें व्यंजन कहते हैं| व्यंजन के भेद या प्रकार व्यंजन के निम्न भेद होते हैं: • स्पर्श व्यंजन • संयुक्त व्यंजन • उष्म व्यंजन • द्विगुण व्यंजन • अन्तः स्थ व्यंजन व्यंजन के भेदों की परिभाषा संयुक्त व्यंजन किसे कहते हैं? – Sanyukt Vyanjan Kise Kahate Hain जो व्यंजन दो व्यंजनों को मिल के बने उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं| संयुक्त व्यंजन के उदहारण – • श्री – क् + ष • त्र – त् + र स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं? – Sparsh Vyanjan Kise Kahate Hain जिन व्यंजन को बोलते या उनका उच्चारण करते वक़्त वायु हमारे मुँह के किसी विशेष स्थान को छूती है या स्पर्श करती है, तो उन व्यंजनों को स्पर्श व्यंजन कहा जाता है| स्पर्श व्यंजन के उदहारण – उन्हें 5 वर्गों में बाटा गया है: • क वर्ग – क ख ग घ ङ • च वर्ग – च छ ज झ • ट वर्ग – ट ठ ड ढ़ ण • त वर्ग – त थ द ध न • प वर्ग – प फ ब भ म उष्म व्यंजन किसे कहते हैं? – Ushm Vyanjan Kise Kahate Hain जिन व्यंजन को बोलत...

व्यंजन किसे कहते हैं

आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे की, व्यंजन किसे कहते हैं? (Vyanjan Kise Kahate Hain), जैसे की आप जानते ही होंगे कि दुनिया के किसी भी भाषा को समझने, बोलने एवं पढ़ने के लिए सबसे ज्यादा ये ज़रूरी है, कि उस भाषा के वर्णमाला को अच्छा से समझ लिया जाएँ। वो सभी वर्णों के उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती हो, उनको व्यंजन वर्ण कहते हैं। हर एक व्यंजन वर्ण के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी होती है। बिना इनके व्यंजन का उच्चारण संभव ही नहीं है। जैसे क्+अ = ‘क’, ज्+अ = ‘ज’। जिस व्यंजन के साथ स्वर नहीं रहता है, उनके उच्चारण में कठिनाई होती है क्यूंकि बिना स्वर के व्यंजनों का उच्चारण करना सम्भव नहीं हैं। व्यंजन ध्वनि के उच्चारण में भीतर से आने वाली हवा, मुंह में कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में रुकती है। हम आपको बता दे की, हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं, जिनको दो भागों में प्रथम “स्वर”एवं दूसरा “व्यंजन” में बाँटा गया है। तो आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से वर्णमाला के दुसरे भाग यानि के व्यंजन किसे कहते हैं? “संयुक्त व्यंजन”, “Vyanjan Kitne Prakar Ke Hote Hain?”, “व्यंजन के कितने भेद होते हैं?”, “व्यंजन कितने प्रकार होते हैं?”, “Vyanjan Kitne Hote Hain”, “Vyanjan Kise Kahate Hain”, “Vyanjan Ke Kitne Bhed Hote Hain”, “और व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं”, के बारे में एकदम विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे। आज हम इस पोस्ट में आपको सिर्फ व्यंजन (Consonants) के बारे में पूरी जानकारी बताएंगे साथ ही इसके परिभाषा और प्रकार के बारे में भी। हिंदी व्यंजन वर्ण को अंग्रेजी में Consonent कहा जाता हैं। हिंदी भाषा में व्यंजन की कुल संख्या 33 की होती है। किन्तु 2 द्विगुण और 4 संयुक्त व्यंजन के जोड़न...

व्यंजन संधि (परिभाषा और उदाहरण)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • व्यंजन संधि किसे कहते है? व्यंजन संधि की परिभाषा: व्यंजन संधि के अंदर जब भी कोई व्यंजन संधि की दूसरी परिभाषा: जब किसी भी दो वर्णों के अंतर्गत संधि की जाती है तो उनमें से प्रथम वर्ण व्यंजन और दूसरा वर्ण स्वर हो तो उसे व्यंजन संधि कहा जाता हैं। व्यंजन संधि के उदाहरण (Vyanjan Sandhi ke Udaharan) • जगत् + आनन्द = जगदानन्द • सम् + लग्न = संलग्न व्यंजन संधि के नियम व्यंजन संधि के निम्नलिखित नियम होते हैं: नियम 1 जब किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन प्रथम वर्ण का मेल किसी स्वर से होता है तो उस वर्ग का प्रथम वर्ण अपने ही वर्ग के ‘तृतीय वर्ण’ में बदल जाता है। उदाहरण • वाक् + ईश = वागीश • षट् + आनन = षडानन • सत् + आशय = सदाशय • अप् + ज = अब्ज नियम 2 जब किसी वर्ग के प्रथम वर्ण का मेल किसी ‘अनुनासिक वर्ण’ से होता है तो उस वर्ग का प्रथम वर्ग के स्थान पर पांचवा वर्ण हो जाएगा। जैसे • सम् + ख्या = संख्या • सम् + गम = संगम • शम् + कर = शंकर नियम 3 जब त अथवा द का मेल च अथवा छ वर्ण से होता है तो उनके स्थान पर उस वर्ग का तृतीय वर्ण आ जाएगा। जैसे • सम् + वत् = संवत् • तत् + टीका = तट्टीका नियम 4 जब त अथवा द के पश्चात ‘ह’ वर्ण आने पर त ‘द’ में तथा ह ‘ध’ में बदल जाता है। जैसे • उत् + हरण = उद्धरण नियम 5 यदि कहीं पर ‘म’ वर्ण के पश्चात आने वाले वर्ण के स्थान पर उसी वर्ग का पांचवा वर्ण आता है। जैसे • सम् + हार = संहार नियम 6 यदि किसी स्वर के पश्चात ‘ह’ आए तो उसके स्थान पर “च्छ” हो जाता है। जैसे स्व + छंद = स्वच्छंद नियम 7 यदि ‘म’ के पश्चात ‘क’ से ‘म’ तक के वर्णों के अतिरिक्त अन्य कोई वर्ण आए तो ‘म’ अनुस्वार में बदल जाता है। जैसे • किम् + च...