Yan sandhi ke udaharan

  1. संधि क्या है ? उदाहरण और Sandhi Ke Prakar
  2. यण संधि (परिभाषा एवं उदाहरण)
  3. यण् संधि
  4. यण संधि किसे कहते हैं? यण संधि के उदाहरण, सूत्र, नियम, परिभाषा, अर्थ, संस्कृत yan sandhi in hindi, in sanskrit
  5. गुण संधि
  6. संधि क्या है ? उदाहरण और Sandhi Ke Prakar
  7. यण संधि किसे कहते हैं? यण संधि के उदाहरण, सूत्र, नियम, परिभाषा, अर्थ, संस्कृत yan sandhi in hindi, in sanskrit
  8. गुण संधि
  9. यण् संधि
  10. यण संधि (परिभाषा एवं उदाहरण)


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संधि क्या है ? उदाहरण और Sandhi Ke Prakar

Sandhi Ke Prakar संधि कितने प्रकार के होते हैं ? संधि तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं :- 1) स्वर संधि (Swar Sandhi) 2) व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi) 3) विसर्ग संधि (Visarg Sandhi) 1) स्वर संधि - Swar Sandhi स्वर वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार या परिवर्तन उत्पन्न होता है, उन्हें स्वर संधि (Swar Sandhi) कहा जाता है। स्वर = अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं (अनुनासिक) . Swar Sandhi Ke Prakar स्वर संधि पांच प्रकार के होते हैं :- i) दीर्घ सन्धि - Dirgh Sandhi ii) गुण सन्धि - Gun Sandhi iii) यण सन्धि - Yan Sandhi iv) अयादि सन्धि - Yadi Sandhi v) वृद्धि सन्धि - Vriddhi Sandhi i) दीर्घ स्वर संधि - Dirgh Swar Sandhi जब एक समान लघु स्वर या दीर्घ स्वर का आपस में मेल हो तो वहां दीर्घ स्वर संधि उत्पन्न होता है। जैसे :- 1) अ + अ = आ 2) अ + आ = आ 3) आ + अ = आ लघु स्वर(ह्रस्व स्वर) = अ, इ, उ, ऋ दीर्घ स्वर (गुरु स्वर) = आ, ई, यू, ए, ऐ, ओ, औ इसी प्रकार से (अ या आ), (इ या ई), (उ या ऊ), (ऋ या ॠ) का आपस में मेल करने से दीर्घ स्वर उत्पन्न होता है। Dirgh Swar Sandhi Ka Udaharan ऊपर दिए गए चित्र में आप दीर्घ स्वर संधि - Dirgh Swar Sandhi Ka Udaharan समझने का प्रयास करें। ii) गुण सन्धि– Guna Sandhi जब "अ" या "आ" के बाद इ/ई, उ/ऊ, ऋ या लृ आ जाए तो क्रमशः ए, ओ, अर् तथा अल् हो जाता है। जैसे कि :- 1) अ/आ + इ/ई = ए 2) अ/आ + उ/ऊ= ओ 3) अ/आ + ऋ= अर् 4) अ/आ + लृ = अल् Gun Swar Sandhi Ka Udaharan दिए गए चित्र के माध्यम से आप गुण स्वर संधि का उदाहरण समझ सकते हैं। iii) वृद्धि सन्धि - Vriddhi Sandhi जब "अ" या "आ" के आगे ए /ऐ या ओ/औ आए तो क्रमशः "ऐ" और "औे" हो जाता है। उदाहरण :- 1) अ + ए = ऐ. 2) अ + ऐ =...

यण संधि (परिभाषा एवं उदाहरण)

विषय सूची • • • • • • यण संधि किसे कहते हैं? (Yan Sandhi Kise Kahate Hain) सुत्र:- ‘इको यणचि’ यण संधि की परिभाषा: इक् (इ, उ, ऋ, लृ) वर्ण के परे असमान यण संधि की पहचान संभवतः किसी शब्द में य, व, र, ल से पहले आधा यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi ke Udaharan) • अत्यधिक = अति + अधिक • प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष • प्रत्याघात = प्रति + आघात • अत्यंत = अति + अंत • यद्यपि = यदि + अपि • अत्यावश्यक = अति + आवश्यक • अत्युत्तम = अति + उत्तम • अत्यूष्म = अति + उष्म • अन्वय = अनु + आय • मध्वालय = मधु + आलय • गुर्वोदन = गुरु + ओदन • गुरवौदार्य = गुरु + औदार्य • अन्वित = अनु + इत • अन्वेषण = अनु + एषण • पित्रादेश = पितृ + आदेश • पर्यटन = परि + अटन • व्यंजन = वि + अंजन • अध्याय = अधि + आय • इत्यादि = इति + आदि • व्यवहार = वि + अवहार • व्यभिचार =वि + अभिचार • सख्यागमन =सखी + आगमन • अभ्यास =अभि + आस • स्वागत= सु + आगत • पित्रुपदेश = पितृ + उपदेश • मात्राज्ञा = मातृ + आज्ञा • मात्रिच्छा = मातृ + इच्छा • साध्वाचार = साधु + आचार • स्वभास = सु + आभास • देव्यागमन = देवी + आगमन • देव्यालय = देवी + आलय • सख्याग्म = सखी + आगम • उपर्युक्त = उपरि + उक्त • प्रत्युपकार= प्रति + उपकार • प्रत्युत्तर = प्रति + उत्तर • अभ्युदय = अभि + उदय • न्यून = नि + ऊन • अभ्यागत = अभि + आगत • देव्यर्पण = देवी + अर्पण • सख्यपराध = सखी + अपराध यह भी पढ़े: यण संधि की ट्रिक • इ/ई + असमान स्वर = य् • उ/ऊ + असमान स्वर = व् • ऋ + असमान स्वर = र् यण संधि के नियम नियम – 1 जब लघु (ह्रस्व) इ और दीर्घ ई के बाद कोई असमान स्वर आये तो इ, ई की जगह ‘य्’ हो जाता हैं। जैसे: • अति + अधिक = अत्यधिक • अधि + अक्ष = अध्यक्ष • अभि + अर्थी = अभ्यर्थी ...

यण् संधि

यण् संधि – इकोयणचि | Yan Sandhi in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran) यण् संधि का सूत्र है- इकोयणचि। इस सूत्र के अनुसार इक् (इ, उ, ऋ, लृ) के स्थान पर यण् (य्, व्, र्, ल्) हो जाता है। जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ के बाद कोई असमान स्वर आये तो इ/ई के स्थान पर य्, उ/ऊ के स्थान पर व्, ऋ/ॠ के स्थान पर र् और लृ के स्थान पर ल् हो जाता है। जैसे- यदि + अपि = यद्यपि नियम 1 – इ/ई + कोई दूसरा स्वर = य् सुधी + उपास्यः = सुध्युपास्यः परि + अवेक्षकः = पर्यवेक्षकः अधि + आपकः = अध्यापकः अधि + आयः = अध्यायः अधि + आदेशः = अध्यादेशः अधि + आत्मः = अध्यात्मः अति + उत्तमः = अत्युत्तमः अपि + एषः = अप्येषः स्त्री + उत्सवः = स्त्र्युत्सवः प्रति + अक्षः = प्रत्यक्षः प्रति + अयः = प्रत्ययः प्रति + उत्पन्नः = प्रत्युत्पन्नः प्रति + उपकारः = प्रत्युपकारः दधि + आनयः = दध्यानयः अभि + उदयः = अभ्युदयः अभि + आगतः = अभ्यागतः अभि + आसः = अभ्यासः नदी + आदयः = नद्यादयः वि + अस्तः = व्यस्तः वि + अंग्यः = व्यंग्यः वि + अयः = व्ययः वि + आप्तः = व्याप्तः वि + आसः = व्यासः वि + ओमः = व्योमः वि + ऊहः = व्यूहः वि + अष्टिः = व्यष्टिः वि + आधिः = व्याधिः वि + अभिचारः = व्यभिचारः वि + अवसायः = व्यवसायः वि + आयामः = व्यायामः वि + आकुलः = व्याकुलः वि + अक्तिः = व्यक्तिः वि + उत्पत्तिः = व्युत्पत्तिः गौरी + आत्मजः = गौर्यात्मजः अति + उक्तिः = अत्युक्तिः इति + अत्र = इत्यत्र इति + आदि = इत्यादि यदि + अपि = यद्यपि वि + अवस्था = व्यवस्था महती + एषणा = महत्येष्णा करोति + अयम् = करोत्ययम् इति + अलम् = इत्यलम् परि + अटनम् = पर्यटनम् नारी + औदार्यम् = नार्यौदार्यम् नारी + उचितम् = नार्युचितम् देवी + अर्पणम् = देव्यर्पणम् प्रति + अर्पणम् = प्र...

यण संधि किसे कहते हैं? यण संधि के उदाहरण, सूत्र, नियम, परिभाषा, अर्थ, संस्कृत yan sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • इसलेखमेंहम यणसंधिकीपरिभाषा जबसंधिकरतेसमय इ, ईकेसाथकोईअन्यस्वरहोतो ‘य‘बनजाताहै, जब उ, ऊकेसाथकोईअन्यस्वरहोतो ‘व्‘बनजाताहै , जबऋकेसाथकोईअन्यस्वरहोतो ‘र‘बनजाताहै। यणसंधिकेउदाहरण • अधि + आय : अध्याय (इ + आ = या) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं आवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर याबनादेतेहैं। अधिऔर आयका अध्यायबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • अनु + एषण : अन्वेषण (उ + ए = व्) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं उएवं एवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर वबनादेतेहैं। अनुऔर एषणका अन्वेषणबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • अधि + अयन : अध्ययन (इ + अ = य) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं अवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर यबनादेतेहैं। अधिऔर अयनका अध्ययनबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • अनु + इत : अन्वित (उ + इ = वि) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं आवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर विबनादेतेहैं। अनुऔर इतका अन्वितबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • इति + आदि : इत्यादि (इ + आ = या ) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं आवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर याबनादेतेहैं। इतिऔर आदिका इत्यादिबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • प्रति + एक : प्रत्येक (इ + ए = ये) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं ए...

गुण संधि

गुण संधि – Gun Sandhi Sanskrit Gun Sandhi Sanskrit:‘आद्गुणः’ सूत्र द्वारा ( गुण संधि के 11 नियम होते हैं! गुण संधि के उदाहरण – (Gun Sandhi Sanskrit Examples) (अ) अ+इ – ए उप + इन्द्रः = उपेन्द्रः गज + इन्द्रः = गजेन्द्रः न + इति = नेति देव + इन्द्रः = देवेन्द्रः विकल:+ इन्द्रियः = विकलेन्द्रियः राम + इतिहासः = रामेतिहास: (आ) आ + इ = ए महा + इन्द्रः = महेन्द्रः तथा + इति = तथेति यथा + इच्छम् = यथेच्छम् यथा + इष्ट = यथेष्ट (इ) अ+ई = ए गण + ईशः = गणेशः सर्व + ईशः = सर्वेशः सुर + ईशः = सुरेशः दिन + ईशः = दिनेशः (ई) आ + ई = ए रमा + ईशः = रमेशः गङ्गा + ईश्वरः = गङ्गेश्वरः उमा + ईशः = उमेशः महा + ईशः = महेशः (उ) अ+उ = ओ सूर्य + उदयः = सूर्योदयः पर + उपकार:= परोपकारः वृक्ष + उपरि = वृक्षोपरि हित + उपदेशः= हितोपदेशः पुरुष + उत्तमः = पुरुषोत्तमः (ऊ) आ + उ = ओ परीक्षा + उत्सवः = परीक्षोत्सवः महा + उदयः = महोदयः आ + उदकान्तम् = ओदकान्तम् गङ्गा + उदकम् = गङ्गोदकम् (ऋ) अ+ऊ = ओ अत्यन्त + ऊर्ध्वम् = अत्यन्तोर्ध्वम् एक + ऊन = एकोनः गगन + ऊर्ध्वम् = गगनोर्ध्वम् (ऋ) आ + ऊ = ओ मायया + ऊर्जस्वि = माययोर्जस्वि महा + ऊर्णम् = महोर्णम् (ल) अ ऋ = अर् कृष्ण + ऋद्धिः = कृष्णर्द्धिः ग्रीष्म. + ऋतुः = ग्रीष्मतः वसन्त + ऋतुः = वसन्ततः राज + ऋषिः = राजर्षिः (ए) आ+ऋ =अर् महा + ऋषिः = महर्षिः ब्रह्मा + ऋषिः = ब्रह्मर्षिः महा + ऋद्धिः = महर्द्धिः (ऐ) अ/आ ल = अल् तव + लृकारः = तवल्कारः मम + लृकारः = ममल्कारः तव + लृदन्तः = तवल्दन्तः सम्बंधित संधि: • • • • • • Filed Under:

संधि क्या है ? उदाहरण और Sandhi Ke Prakar

Sandhi Ke Prakar संधि कितने प्रकार के होते हैं ? संधि तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं :- 1) स्वर संधि (Swar Sandhi) 2) व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi) 3) विसर्ग संधि (Visarg Sandhi) 1) स्वर संधि - Swar Sandhi स्वर वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार या परिवर्तन उत्पन्न होता है, उन्हें स्वर संधि (Swar Sandhi) कहा जाता है। स्वर = अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं (अनुनासिक) . Swar Sandhi Ke Prakar स्वर संधि पांच प्रकार के होते हैं :- i) दीर्घ सन्धि - Dirgh Sandhi ii) गुण सन्धि - Gun Sandhi iii) यण सन्धि - Yan Sandhi iv) अयादि सन्धि - Yadi Sandhi v) वृद्धि सन्धि - Vriddhi Sandhi i) दीर्घ स्वर संधि - Dirgh Swar Sandhi जब एक समान लघु स्वर या दीर्घ स्वर का आपस में मेल हो तो वहां दीर्घ स्वर संधि उत्पन्न होता है। जैसे :- 1) अ + अ = आ 2) अ + आ = आ 3) आ + अ = आ लघु स्वर(ह्रस्व स्वर) = अ, इ, उ, ऋ दीर्घ स्वर (गुरु स्वर) = आ, ई, यू, ए, ऐ, ओ, औ इसी प्रकार से (अ या आ), (इ या ई), (उ या ऊ), (ऋ या ॠ) का आपस में मेल करने से दीर्घ स्वर उत्पन्न होता है। Dirgh Swar Sandhi Ka Udaharan ऊपर दिए गए चित्र में आप दीर्घ स्वर संधि - Dirgh Swar Sandhi Ka Udaharan समझने का प्रयास करें। ii) गुण सन्धि– Guna Sandhi जब "अ" या "आ" के बाद इ/ई, उ/ऊ, ऋ या लृ आ जाए तो क्रमशः ए, ओ, अर् तथा अल् हो जाता है। जैसे कि :- 1) अ/आ + इ/ई = ए 2) अ/आ + उ/ऊ= ओ 3) अ/आ + ऋ= अर् 4) अ/आ + लृ = अल् Gun Swar Sandhi Ka Udaharan दिए गए चित्र के माध्यम से आप गुण स्वर संधि का उदाहरण समझ सकते हैं। iii) वृद्धि सन्धि - Vriddhi Sandhi जब "अ" या "आ" के आगे ए /ऐ या ओ/औ आए तो क्रमशः "ऐ" और "औे" हो जाता है। उदाहरण :- 1) अ + ए = ऐ. 2) अ + ऐ =...

यण संधि किसे कहते हैं? यण संधि के उदाहरण, सूत्र, नियम, परिभाषा, अर्थ, संस्कृत yan sandhi in hindi, in sanskrit

विषय-सूचि • • • इसलेखमेंहम यणसंधिकीपरिभाषा जबसंधिकरतेसमय इ, ईकेसाथकोईअन्यस्वरहोतो ‘य‘बनजाताहै, जब उ, ऊकेसाथकोईअन्यस्वरहोतो ‘व्‘बनजाताहै , जबऋकेसाथकोईअन्यस्वरहोतो ‘र‘बनजाताहै। यणसंधिकेउदाहरण • अधि + आय : अध्याय (इ + आ = या) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं आवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर याबनादेतेहैं। अधिऔर आयका अध्यायबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • अनु + एषण : अन्वेषण (उ + ए = व्) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं उएवं एवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर वबनादेतेहैं। अनुऔर एषणका अन्वेषणबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • अधि + अयन : अध्ययन (इ + अ = य) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं अवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर यबनादेतेहैं। अधिऔर अयनका अध्ययनबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • अनु + इत : अन्वित (उ + इ = वि) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं आवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर विबनादेतेहैं। अनुऔर इतका अन्वितबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • इति + आदि : इत्यादि (इ + आ = या ) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं आवहदोस्वरहैंजिनसेमुख्यतःसंधिकरनेपरशब्दोंमेंपरिवर्तनआरहाहै।जबशब्दोंकिसंधिहोरहीहैतोयेदोनोंस्वरमिलकर याबनादेतेहैं। इतिऔर आदिका इत्यादिबनजाताहै।अतःयहउदाहरणयणसंधिकेअंतर्गतआएगा। • प्रति + एक : प्रत्येक (इ + ए = ये) जैसाकिआपऊपरदिएगएउदाहरणमेंदेखसकतेहैं इएवं ए...

गुण संधि

गुण संधि – Gun Sandhi Sanskrit Gun Sandhi Sanskrit:‘आद्गुणः’ सूत्र द्वारा ( गुण संधि के 11 नियम होते हैं! गुण संधि के उदाहरण – (Gun Sandhi Sanskrit Examples) (अ) अ+इ – ए उप + इन्द्रः = उपेन्द्रः गज + इन्द्रः = गजेन्द्रः न + इति = नेति देव + इन्द्रः = देवेन्द्रः विकल:+ इन्द्रियः = विकलेन्द्रियः राम + इतिहासः = रामेतिहास: (आ) आ + इ = ए महा + इन्द्रः = महेन्द्रः तथा + इति = तथेति यथा + इच्छम् = यथेच्छम् यथा + इष्ट = यथेष्ट (इ) अ+ई = ए गण + ईशः = गणेशः सर्व + ईशः = सर्वेशः सुर + ईशः = सुरेशः दिन + ईशः = दिनेशः (ई) आ + ई = ए रमा + ईशः = रमेशः गङ्गा + ईश्वरः = गङ्गेश्वरः उमा + ईशः = उमेशः महा + ईशः = महेशः (उ) अ+उ = ओ सूर्य + उदयः = सूर्योदयः पर + उपकार:= परोपकारः वृक्ष + उपरि = वृक्षोपरि हित + उपदेशः= हितोपदेशः पुरुष + उत्तमः = पुरुषोत्तमः (ऊ) आ + उ = ओ परीक्षा + उत्सवः = परीक्षोत्सवः महा + उदयः = महोदयः आ + उदकान्तम् = ओदकान्तम् गङ्गा + उदकम् = गङ्गोदकम् (ऋ) अ+ऊ = ओ अत्यन्त + ऊर्ध्वम् = अत्यन्तोर्ध्वम् एक + ऊन = एकोनः गगन + ऊर्ध्वम् = गगनोर्ध्वम् (ऋ) आ + ऊ = ओ मायया + ऊर्जस्वि = माययोर्जस्वि महा + ऊर्णम् = महोर्णम् (ल) अ ऋ = अर् कृष्ण + ऋद्धिः = कृष्णर्द्धिः ग्रीष्म. + ऋतुः = ग्रीष्मतः वसन्त + ऋतुः = वसन्ततः राज + ऋषिः = राजर्षिः (ए) आ+ऋ =अर् महा + ऋषिः = महर्षिः ब्रह्मा + ऋषिः = ब्रह्मर्षिः महा + ऋद्धिः = महर्द्धिः (ऐ) अ/आ ल = अल् तव + लृकारः = तवल्कारः मम + लृकारः = ममल्कारः तव + लृदन्तः = तवल्दन्तः सम्बंधित संधि: • • • • • • Filed Under:

यण् संधि

यण् संधि – इकोयणचि | Yan Sandhi in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran) यण् संधि का सूत्र है- इकोयणचि। इस सूत्र के अनुसार इक् (इ, उ, ऋ, लृ) के स्थान पर यण् (य्, व्, र्, ल्) हो जाता है। जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ के बाद कोई असमान स्वर आये तो इ/ई के स्थान पर य्, उ/ऊ के स्थान पर व्, ऋ/ॠ के स्थान पर र् और लृ के स्थान पर ल् हो जाता है। जैसे- यदि + अपि = यद्यपि नियम 1 – इ/ई + कोई दूसरा स्वर = य् सुधी + उपास्यः = सुध्युपास्यः परि + अवेक्षकः = पर्यवेक्षकः अधि + आपकः = अध्यापकः अधि + आयः = अध्यायः अधि + आदेशः = अध्यादेशः अधि + आत्मः = अध्यात्मः अति + उत्तमः = अत्युत्तमः अपि + एषः = अप्येषः स्त्री + उत्सवः = स्त्र्युत्सवः प्रति + अक्षः = प्रत्यक्षः प्रति + अयः = प्रत्ययः प्रति + उत्पन्नः = प्रत्युत्पन्नः प्रति + उपकारः = प्रत्युपकारः दधि + आनयः = दध्यानयः अभि + उदयः = अभ्युदयः अभि + आगतः = अभ्यागतः अभि + आसः = अभ्यासः नदी + आदयः = नद्यादयः वि + अस्तः = व्यस्तः वि + अंग्यः = व्यंग्यः वि + अयः = व्ययः वि + आप्तः = व्याप्तः वि + आसः = व्यासः वि + ओमः = व्योमः वि + ऊहः = व्यूहः वि + अष्टिः = व्यष्टिः वि + आधिः = व्याधिः वि + अभिचारः = व्यभिचारः वि + अवसायः = व्यवसायः वि + आयामः = व्यायामः वि + आकुलः = व्याकुलः वि + अक्तिः = व्यक्तिः वि + उत्पत्तिः = व्युत्पत्तिः गौरी + आत्मजः = गौर्यात्मजः अति + उक्तिः = अत्युक्तिः इति + अत्र = इत्यत्र इति + आदि = इत्यादि यदि + अपि = यद्यपि वि + अवस्था = व्यवस्था महती + एषणा = महत्येष्णा करोति + अयम् = करोत्ययम् इति + अलम् = इत्यलम् परि + अटनम् = पर्यटनम् नारी + औदार्यम् = नार्यौदार्यम् नारी + उचितम् = नार्युचितम् देवी + अर्पणम् = देव्यर्पणम् प्रति + अर्पणम् = प्र...

यण संधि (परिभाषा एवं उदाहरण)

विषय सूची • • • • • • यण संधि किसे कहते हैं? (Yan Sandhi Kise Kahate Hain) सुत्र:- ‘इको यणचि’ यण संधि की परिभाषा: इक् (इ, उ, ऋ, लृ) वर्ण के परे असमान यण संधि की पहचान संभवतः किसी शब्द में य, व, र, ल से पहले आधा यण संधि के उदाहरण (Yan Sandhi ke Udaharan) • अत्यधिक = अति + अधिक • प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष • प्रत्याघात = प्रति + आघात • अत्यंत = अति + अंत • यद्यपि = यदि + अपि • अत्यावश्यक = अति + आवश्यक • अत्युत्तम = अति + उत्तम • अत्यूष्म = अति + उष्म • अन्वय = अनु + आय • मध्वालय = मधु + आलय • गुर्वोदन = गुरु + ओदन • गुरवौदार्य = गुरु + औदार्य • अन्वित = अनु + इत • अन्वेषण = अनु + एषण • पित्रादेश = पितृ + आदेश • पर्यटन = परि + अटन • व्यंजन = वि + अंजन • अध्याय = अधि + आय • इत्यादि = इति + आदि • व्यवहार = वि + अवहार • व्यभिचार =वि + अभिचार • सख्यागमन =सखी + आगमन • अभ्यास =अभि + आस • स्वागत= सु + आगत • पित्रुपदेश = पितृ + उपदेश • मात्राज्ञा = मातृ + आज्ञा • मात्रिच्छा = मातृ + इच्छा • साध्वाचार = साधु + आचार • स्वभास = सु + आभास • देव्यागमन = देवी + आगमन • देव्यालय = देवी + आलय • सख्याग्म = सखी + आगम • उपर्युक्त = उपरि + उक्त • प्रत्युपकार= प्रति + उपकार • प्रत्युत्तर = प्रति + उत्तर • अभ्युदय = अभि + उदय • न्यून = नि + ऊन • अभ्यागत = अभि + आगत • देव्यर्पण = देवी + अर्पण • सख्यपराध = सखी + अपराध यह भी पढ़े: यण संधि की ट्रिक • इ/ई + असमान स्वर = य् • उ/ऊ + असमान स्वर = व् • ऋ + असमान स्वर = र् यण संधि के नियम नियम – 1 जब लघु (ह्रस्व) इ और दीर्घ ई के बाद कोई असमान स्वर आये तो इ, ई की जगह ‘य्’ हो जाता हैं। जैसे: • अति + अधिक = अत्यधिक • अधि + अक्ष = अध्यक्ष • अभि + अर्थी = अभ्यर्थी ...