यमुनोत्री से गंगोत्री की दूरी

  1. यमनोत्री से गंगोत्री की 26 किलोमीटर दूरी होगी कम
  2. यमुनोत्री धाम यात्रा 2023 की जानकारी हिंदी में
  3. यमुनोत्री हाईवे पर ऑल वेदर रोड परियोजना की टनल का कार्य दिसंबर तक होगा पूरा, जानिए क्या हैं फायदे, tunnel work on yamunotri highway under all weather road project will be completed by december 2023
  4. At 45 km from Gangotri Yamunotri will walk
  5. यमुनोत्री
  6. 6 दिन, 700 किलोमीटर: ऐसे करें यमुनोत्री से गौमुख की सम्पूर्ण यात्रा प्लानिंग
  7. यमुनोत्री धाम यात्रा
  8. हरिद्वार से गंगोत्री कैसे पहुंचे? हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी


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यमनोत्री से गंगोत्री की 26 किलोमीटर दूरी होगी कम

उत्तराखंड में साढ़े चार किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड टू लेन मोटर टनल अगस्त 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगी. इससे यमनोत्री से गंगोत्री जाने में 45 मिनट की बचत होगी. ईमानदार और निड़र पत्रकारिता के हाथ मजबूत करने के लिए विंध्यलीडर के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब और मोबाइल एप को डाउनलोड करें देहरादून । उत्तराखंड में साढ़े चार किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड टू लेन मोटर टनल का काम चल रहा है. अगस्त 2023 तक ये टनल बनकर तैयार हो जाएगी. ये टनल उत्तराखंड की सबसे बड़ी मोटर टनल होगी. चाइना बॉर्डर से लगे सीमांत उत्तरकाशी में यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर सिलक्यारा और बड़कोट के बीच उत्तराखंड की सबसे लंबी और देश की सबसे बड़ी ब्यास (डायामीटर) वाली डबल लेन मोटर सुरंग का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है. 4531 मीटर लंबी इस अत्याधुनिक सुरंग के निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्रीधाम के बीच की दूरी 26 किमी कम हो जाएगी. इससे यमनोत्री से गंगोत्री जाने में 45 मिनट की बचत होगी. नेशनल हाईवे एन्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, एनएचआइडीसीएल के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर कर्नल सन्दीप सुधेरा कहते हैं कि न्यू आस्टियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से बनाई जा रही ये डबल लेन सुरंग अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी. इसका डिजाइन ऑस्ट्रिया में हो रहा है. इसका निर्माण अगस्त 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा. ये सुरंग देशभर में अब तक बनाई गई सभी सुरंगों में से सबसे अधिक डायमीटर वाली होगी. इसका डायमीटर 15.095 मीटर है, जबकि इसी मैथड से रोहतांग में बनाई गई अटल सुरंग भी इससे कम डायमीटर 13 मीटर की है. सुरंग में आने-जाने के लिए अलग-अलग लेन होगी, जिनके बीच में 400 एमएम मोटी डिवाडर वाल होगी. इससे दुर्घटना का खतरा नहीं होगा. चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव धरासू,...

यमुनोत्री धाम यात्रा 2023 की जानकारी हिंदी में

यमुनोत्री गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के साथ चार धाम का एक हिस्सा है, जो हिमालय के चार सबसे प्रतिष्ठित हिंदू तीर्थ हैं। गढ़वाल हिमालय के पश्चिमी किनारे पर, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में, यमुनोत्री का पवित्र स्थान है। समुद्र तल से लगभग 3,293 मीटर ऊपर, यमुनोत्री अपनी विशाल पर्वत चोटियों, हिमनदों और यमुना के बहते पानी के साथ गर्व से खड़ा है। भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी यमुना नदी, यमुनोत्री से निकलती है, जो इसे उत्तराखंड में छोटा चार धाम यात्रा के तीर्थ स्थलों में से एक बनाती है। देवी यमुना को सूर्य की बेटी और यम (मृत्यु के देवता) की जुड़वां बहन कहा जाता है, वेदों में यमुना को यामी (जीवन की देवी) कहा गया है। कहा जाता है कि यमुना के पवित्र जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और असमय या दर्दनाक मृत्यु से रक्षा होती है। इसके केंद्र में यमुनोत्री मंदिर के साथ छोटा पहाड़ी गांव, हर साल हजारों भक्तों को आकर्षित करता है और चार धाम यात्रा तीर्थ यात्रा (मई से अक्टूबर) का प्रारंभ बिंदु है, जो यमुनोत्री से गंगोत्री और अंत में केदारनाथ और बद्रीनाथ तक जाता है। यमुना के स्रोत के करीब एक संकरी घाटी में स्थित, यमुनोत्री मंदिर गंगा के बाद दूसरी सबसे पवित्र नदी यमुना को समर्पित है। जानकी चट्टी से मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्त पालकी या घोड़े की सवारी करते हैं या लगभग 3 किमी की लंबी पैदल यात्रा करते है जिसमें लगभग 3 घंटे लगते हैं। जयपुर की महारानी गुलेरिया ने 19वीं सदी में मंदिर का निर्माण कराया था। जिसे चांदी की मूर्ति के रूप में दर्शाया गया है, जिसे मालाओं से सजाया गया है और टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया है। यमुनोत्री धाम के लिएअक्सर पूछे जाने वाले प्...

यमुनोत्री हाईवे पर ऑल वेदर रोड परियोजना की टनल का कार्य दिसंबर तक होगा पूरा, जानिए क्या हैं फायदे, tunnel work on yamunotri highway under all weather road project will be completed by december 2023

उत्तरकाशी: यमुनोत्री हाईवे पर चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत बन रही करीब 4.5 किमी लंबी सुरंग का निर्माण दिसंबर तक पूरा हो जाएगा. टनल का निर्माण कर रही कंपनी राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के अधिकारियों का दावा है कि दिसंबर तक वाहनों की आवाजाही शुरू करवा दी जाएगी. इस टनल का निर्माण सिलक्यारा बैंड से लेकर पोल गांव तक किया जा रहा है. टनल के निर्माण से दूरी होगी कम सुरंग के निर्माण से जिस दूरी के लिए करीब दो घंटे वाहन चालकों को लगते थे, वहां मात्र पांच मिनट की दूरी में सफर तय हो जाएगा. यमुनोत्री हाईवे पर करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे राड़ी टाॅप से बरसात और बर्फबारी के दौरान उत्तरकाशी से यमुना घाटी का सफर मुश्किल होता है. वहीं चारधाम यात्रा के दौरान भी बड़कोट से राड़ी टॉप के बीच में सबसे अधिक जाम की स्थिति बनती है. इस स्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार ने यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा बैंड से पोल गांव तक 4.5 किमी लंबी सुरंग की स्वीकृति प्रदान की. साल 2019 में एनएचआईडीसीएल ने करीब 850 करोड़ की लागत से सिलक्यारा की ओर से पहाड़ी के भीतर सुरंग निर्माण के लिए कटान शुरू किया था. पढ़ें- हाईकोर्ट ने सभी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण और विस्फोट पर लगाई रोक दिसंबर में शुरू हो जाएगी वाहनों की आवाजाही यह सुरंग करीब 12 मीटर चौड़ी डबल लेन है. एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल का कहना है कि दिसंबर माह तक सुरंग का निर्माण पूरा कर दिया जाएगा. अभी टनल कटिंग का करीब 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है. वहीं इस टनल के निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच करीब 27 किमी की दूरी कम होगी. वहीं बड़कोट से उत्तरकाशी आने-जाने के लिए राड़ी टॉप में चाल...

At 45 km from Gangotri Yamunotri will walk

यमुनोत्री से गंगोत्री जाने वाले यात्रियों को पहले 135 किमी की दूरी तय कर उत्तरकाशी पहुंचना पड़ता है। उसके बाद 100 किमी की दूरी तय कर गंगोत्री पहुंचते हैं। अगर लोनिवि प्रांतीय खंड की योजना धरातल पर उतरती है तो यात्रियों को यमुनोत्री से बड़कोटट नहीं आना पड़ेगा। बल्कि वह सयानाचट्टी से सीधा उपरीकोट-साल्ड होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचेंगे। जिससे उन्हें लगभग 45 किमी की कम दूरी तय करनी पड़ेगी। इससे यात्रियों के समय की बचत होगी। लोनिवि प्रांतीय खंड ने इस पर सर्वे पूरा कर दिया है और अब यहां पर आने वाले वन भूमि के हस्तांतरण को ऑनलाइन भेज दिया गया है। वहीं अगर यह योजना जल्द ही धरातल पर उतरती है तो यात्रियों के पास दो वैकल्पिक मार्ग हो जाएंगे। इसके साथ ही गंगा और यमुना घाटी के लगभग 10 से 15 गांवों के लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

यमुनोत्री

गंगोत्री - Gangotri गंगोत्री उत्तरकाशी में यमुनोत्री से बहुत आगे स्थित है। यह देवी गंगा का निवास है, जो उसी दिन खुलता है जब यमुना का मंदिर गर्मियों की तीर्थयात्रा के लिए खुलता है। गंगा का मंदिर नदी के तट पर स्थित है, और इसकी शुद्ध आभा आंखों के लिए सुखदायक है। इस क्षेत्र में और भी पवित्र स्थान हैं जैसे भोजबासा, गंगनानी, केदारताल, भैरोंघाटी, जलमगना शिवलिंग और तपोवन।उत्तराखंड का मशहूर 'वैली ऑफ फ्लावर' कैसे जाएं, इससे जुड़ी सारी जानकारी मिलेगी आपको यही (फोटो साभार : wikimedia commons) गौमुख - Gaumukh इस तीर्थ से लगभग 9 किमी दूर गौमुख ग्लेशियर स्थित है, जो गंगा नदी का स्रोत है। देवप्रयाग में अलकनंदा के साथ एकजुट होने से पहले भक्तों द्वारा गंगा को वास्तव में भागीरथी कहा जाता है।उत्तराखंड की देखी हुई जगहों को छोड़, एक बार इन जगहों को भी अपने दोस्तों के साथ एक्सप्लोर करके देखिए (फोटो साभार : TOI.com) बद्रीनाथ - Badrinath अलकनंदा नदी के बाईं ओर स्थित, बद्रीनाथ भगवान विष्णु को समर्पित एक मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने हजारों साल पहले यहां तपस्या की थी। बद्रीनाथ के मंदिर के पास व्यास गुफा है, जहां ऋषि वेद व्यास ने महाभारत और अन्य शास्त्र लिखे थे। भारत का अंतिम गाँव माणा गाँव बद्रीनाथ मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक लंबा ट्रेक तीर्थयात्रियों को माणा गाँव से आगे ले जाता है जहाँ पवित्र सतोपंथ झील स्थित है।उत्तराखंड की वो 7 जगहें जहां इन सर्दियों में ले सकते हैं आप खूब सारी बर्फ का मजा (फोटो साभार : wikimedia commons) केदारनाथ - Kedarnath कई सौ साल पुराना एक तीर्थस्थल, केदारनाथ एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जहाँ एक कठिन ट्रेक या एक टट्टू की सवारी द्वारा पहुँचा ...

6 दिन, 700 किलोमीटर: ऐसे करें यमुनोत्री से गौमुख की सम्पूर्ण यात्रा प्लानिंग

उत्तराखंड भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है। उत्तराखंड को देवों की भूमि भी कहा जाता है। क्योंकि यहां पर आपको कई हजारों साल पुरानी देवी देवताओं के मंदिर देखने को मिलेंगे।उत्तराखंड भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय स्थल भी है जहां हिल स्टेशन के साथ-साथ कई सारे तीर्थ स्थल भी हैं, और इसी राज्य से हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और पावन मानी जाने वाली नदियों में से दो नदियां गंगा और यमुना का उद्गम स्थल भी है।जहां हर साल अलग-अलग जगहों से बहुत सारे पर्यटक घूमने आते हैं।आज हम आपको इस लेख में यह बताएंगे कि कैसे आप 6 दिनों में, लगभग 700 किलोमीटर तय करके देहरादून, यमुनोत्री, गंगोत्री, गौमुख और हरिद्वार की यात्रा कर सकते हैं। पहला दिन: देहरादून से जानकी चट्टी यात्रा की शुरुआत हम उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करेंगे।देहरादून से जानकी चट्टी लगभग 180 किलोमीटर हैं। इसलिए हम पहले बरकोट जायेंगे और वहां रुक के दोपहर का खाना खायेंगे।देहरादून से बरकोट लगभग 130 किमी है और यहां तक पहुंचने में लगभग 4 घंटे लगेंगे।कुछ टाइम आराम करने के उपरांत हम जानकी चट्टी के लिए निकलेंगे जो की बड़कोट से 50किलोमीटर हैं और वहां तक पहुंचने में हमें 2 घंटे के लगभग लग जायेंगे।अगर हम बड़कोट से जानकी चट्टी के लिए 2 बजे निकलते हैं तो रात तक जानकी चट्टी पहुंच जायेंगे।सड़क पहाड़ों और घने जंगलों से होकर गुजरती है, जिसके बीच में बर्फ से ढकी चोटियां हैं। जानकी चट्टी एक छोटी सी बस्ती है और यमुनोत्री के ट्रेक का मध्य बिंदु है, जहां जीपों द्वारा पहुंचा जा सकता है। यमुनोत्री से लगभग 7 किमी पहले स्थित, यह थर्मल स्प्रिंग्स के लिए लोकप्रिय है। आप यहां रात रुक सकते हैं। दूसरा दिन: जानकी चट्टी से यमुनोत्री दूसरे दिन की यात्रा करने से पहले...

यमुनोत्री धाम यात्रा

लेख सारिणी • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • यमुनोत्री – Yamunotri यमुनोत्री चार धामों मे से एक प्रमुख धाम है. यमुनोत्री हिमालय के पश्चिम में ऊँचाई पर स्थित है. यमुनोत्री को सूर्यपुत्री के नाम से भी जाना जाता है. और यमुनोत्री से कुछ किलोमीटर की दूरी पर कालिंदी पर्वत स्थित है. जो अधिक ऊँचाई पर होने के कारण दुर्गम स्थल भी है. यही वह स्थान है जहां से यमुना एक संकरी झील रूप में निकलती है. यमुनोत्री धाम – Yamunotri Dham यह यमुना का उद्गम-स्थल माना जाता है. यहां पर यमुना अपने शुरूवाती रूप मे यानी के शैशव रूप में होती है यहां का जल शुद्ध एवं स्वच्छ तथा सफेद बर्फ की भांती शीतल होता है. यमुनोत्री मंदिर यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी के राजा महाराजा प्रतापशाह ने बनवाया थान मंदिर में काला संगमरमर है. यमुनोत्री मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खोले जाते हैं व कार्तिक के महीने में यम द्वितीया के दिन बंद कर दिए जाते हैं. सर्दियों के समय यह कपाट बंद हो जाते हैं क्योंकी बर्फ बारी की वजह से यहां पर काम काज ठप हो जाता है. और यात्रा करना मना होता है शीतकाल के छ: महीनों के लिए खरसाली के पंडित मां यमुनोत्री को अपने गांव ले जाते हैं पूरे विधि विधान के साथ मां यमुनोत्री की पूजा अपने गांव में ही करते हैं. इस मंदिर में गंगा जी की भी मूर्ति सुशोभित है तथा गंगा एवं यमुनोत्री जी दोनो की ही पूजा का विधान है. यमुनोत्री धाम का इतिहास – Yamunotri Temple History in Hindi यमुनोत्री मंदिर गढ़वाल हिमालय के पश्चिम में समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है | यह मंदिर चार धाम यात्रा का पहला धाम अर्थात यात्रा की शुरूआत इस स्थान से होती है तथा यह चार धाम यात्रा का यह पहला पड़ाव है । यमुनोत्...

हरिद्वार से गंगोत्री कैसे पहुंचे? हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी

उत्तरकाशी – धरासू से उत्तरकाशी 28 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह यहाँ का आधुनिक तरीके से बसा हुआ धार्मिक नगर है। यह 1150 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मकर संक्राती पर हजारों तीर्थ यात्री यहाँ आकर गंगा स्नान करते है। यहाँ प्रसिद्ध विश्वनाथ मन्दिर, एकादश रुद्र मंदिर, ज्ञानेश्वर मन्दिर तथा कुट्टी देवी मन्दिर है। यह जनपद मुख्यालय है यहाँ पर सभी सुविधायें उपलब्ध है। समयानुसार तीर्थ यात्री यहाँ विश्राम भी करते है और शिव के प्राचीन विश्वनाथ मन्दिर के दर्शन भी करते है। यहाँ राष्ट्रीय स्तर का नेहरू पवर्तारोहण संस्थान है। उत्तरकाशी में ठहरने हेतु अच्छे होटल, आश्रम धर्मशालाऐं, गेस्ट हाउस है तथा खाने पीने हेतु अच्छे भोजनालय और रेस्टारेंट भी मौजूद है। यहाँ से सभी स्थानों के लिये बस सुविधा उपलब्ध है। मनेरी – उत्तरकाशी से गंगोत्री जाते समय 11 कि.मी. की दूरी पर मनेरी नामक स्थान है। यह विद्युत परियोजना का स्थल है । यहाँ भागीरथी के ऊपर बांध बनाया गया है जिससे यहाँ पर भागीरथी नदी झील के रूप में दिखाई देती है। पहाड़ के अन्दर से सुरंग के रास्ते भागीरथी का जल निकलने से सुन्दर फब्बारे का रूप दिखाई देता है । ड फब्बारे की फुहार से सड़क पर खड़े होकर बहुत से यात्री आनंदित होते गंगनानी – मनेरी से 19 कि.मी. भटवाड़ी होते हुये 31 कि.मी. की दूरी पर गंगनानी नामक स्थान है। यहाँ अत्यधिक गर्म जल के स्त्रोत है। यहाँ का पानी गन्धक युक्त होता है । इस गर्म पानी के स्त्रोत पर महिलाओं और पुरूषों के स्नान के लिये अलग-अलग कुण्ड बनाये गये है। यात्री जब गर्म जल के इस कुण्ड में स्नान करता है तब उसकी यात्रा सम्बन्धी सम्पूर्ण थकान दूर हो जाती है। यात्रियों में स्नान के बाद एक नवीन स्फूर्ति जागृत हो जाती है। यहाँ पर कुण्ड के...