2022 में करवा चौथ कब है

  1. करवा चौथ कब है 2022 में
  2. करवा चौथ व्रत कथा
  3. 2022 में करवा चौथ कब है जानें शुभ मुहूर्त,पूजा विधि
  4. Karwa Chauth Vrat 2022 Date And Puja Vidhi karwa chauth kab hai stmp
  5. karwa chauth 2022 date 13 october kab hai karwa chauth time pujan vidhi significance
  6. 2022 में करवा चौथ कब है New Delhi, India में


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करवा चौथ कब है 2022 में

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है जो सभी भारतीय महिलाएं पति की लम्बी आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं और यह व्रत रखती है। करवा चौथ को निर्जला व्रत भी कहते है ,इस व्रत को बिना जल और अन्न के पूर्ण होता है। करवा चौथ को कारक चतुर्थी (Karak Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के बर्तन को कहा जाता है जिसके माध्यम से चंद्रमा को अर्घ (Argh) दिया जाता है। करवा चौथ के चार दिनों के बाद, संतानों की भलाई के लिए 6 करवा चौथ की कथा या पाठ (Karwa Chauth Ki Katha) करवा चौथ कब है 2022 में (When is Karwa Chauth in 2022) हिंदू कलैंडर के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ (Karwa Chauth) मनाया जाता है . इस बार करवा चौथ 13 अक्टूबर 2022 दिन गुरूवार को मनाया जायेगा। • करवा चौथ 2021: 24 अक्टूबर 2021 • करवा चौथ 2022: 13 अक्टूबर 2022 • करवा चौथ 2023: 01नवंबर 2023 • करवा चौथ 2024: 20 अक्टूबर 2021 इन्हें भी पढ़ें: • • • करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth Puja Ka Shubh Muhurat) करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 5 बजकर 54 मिनट से शाम के 7 बजकर 09 मिनट तक है। वहीँ करवा चौथ व्रत रखने का समय सुबह के 6 बजकर 20 मिनट से रात के 8 बजकर 9 मिनट तक है। हालाँकि महिलायें अपना व्रत तभी खत्म करती हैं जब चाँद दिख जाये। चाँद भी शाम के 7 से 8 बजे के बीच दिख जाता है। करवा चौथ व्रत पूजा सामग्री लिस्ट (Karwa Chauth Vrat Puja Samagri List) हर तरह की पूजा और व्रत का एक महत्व होता है। और उस पूजा और व्रत को करने के लिये कुछ पूजा सामग्री चाहिये होती है। इसी तरत करवा चौथ की पूजा के लिये भी कुछ पूजा सामग्री जरूरी है। जोकि इस प्...

करवा चौथ व्रत कथा

करवा चौथ व्रत कथा कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। यह स्त्रियों का मुख्य त्याहौर है। सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं। करवा चौथ विधान एक पट्टे पर जल से भरा लोटा एवं एक करवे में गेहूं भर कर रखते हैं। दीवार पर या कागज पर चन्द्रमा बनाकर उसके नीचे शिव तथा कार्तिकेय की चित्रावली बना कर पूजा की जाती है। इस दिन निर्जल व्रत किया जाता है। चन्द्रमा को देख कर अर्घ्य देते हैं फिर भोजन करते हैं। करवा चौथ की कथा एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने उत्तर दिया- भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्य दे कर भोजन करूंगी। बहन की बात सुन कर भाइयों ने क्या काम किया कि नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जा कर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्होंने बहन से कहा- बहन! चांद निकल आया है, अर्घ्य दे कर भोजन कर लो। यह सुन उसने अपनी भाभियों से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दे लो, परन्तु वे इस काण्ड को जानती थीं उन्होंने कहा बहन जी ! अभी चांद नहीं निकला, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं। भाभियों की बात सुन कर भी उसने कुछ ध्यान न दिया और भाइयों द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्घ्य दे कर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रसन्न हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया। जब उसे अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया। गणेश जी की प्रार्थना करते हुए विधि वि...

2022 में करवा चौथ कब है जानें शुभ मुहूर्त,पूजा विधि

karwa chauth 2022: हमारे करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्र...

Karwa Chauth Vrat 2022 Date And Puja Vidhi karwa chauth kab hai stmp

Karwa Chauth Vrat 2022 Date And Puja Vidhi: हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति के लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. ऐसी मान्याता है कि जो महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख कर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा सच्चे मन से करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का फल मिलता है. आइए जानते हैं कब रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत और क्या है इसका महत्व? कब रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत? करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है. इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर की रात्रि 1 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन 14 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि सर्वमान्य तिथि होती है. ऐसे में करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा. करवा चौथ शुभ मुहूर्त करवा चौथ के दिन यानी 13 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. वहीं शाम को 04 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 50 मिनट से 50 मिनट तक अमृत काल मुहूर्त रहेगा. करवा चौथ के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. करवा चौथ पूजा विधि करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें. इसके बाद घर के मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें. शाम के समय पुनः स्नान करें इसके बाद मिट्टी के की वेदी पर शिव परिवार की स्थापना करें. इके बाद आप मां पार्वती को चुनरी चढ़ाकर 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. पूजा के दौरान करवा चौथ व्रत का कथा सुने या सुनाएं. इस दिन घर की सभी महिलाओं को एक साथ पूजा करना चाहिए. च...

karwa chauth 2022 date 13 october kab hai karwa chauth time pujan vidhi significance

Karwa Chauth: शास्त्रों में करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। वहीं अपने सुहाग की रक्षा, दीर्धायु और खुशहाली के लिए महिलाएं सुबह से लेकर रात चांद निकलने तक अन्न, जल का त्याग करती हैं। वहीं मान्यता है कि अगर महिलाएं इस दिन कोई भी इच्छा मांगें, वो पूरी हो जाती है। साथ ही इस दिन शाम चंद्रमा की पूजा- अर्चना करके व्रत खोला जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। आइए जानते हैं पूजन विधि और महत्व… जानिए करवा चौथ तिथि वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर को रात 01 बजकर 58 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन 14 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि को आधार मानते हुए करवा चौथ पूजन विधि इस दिन सुबह जल्दी स्नान करलेंं और फिर साफ- सुथरे कपड़े पहन लें। घर के मंदिर की सफाई कर लें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें। और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। साथ ही व्रत खोलने तक जल भी न पिएं। शाम को जो पूजा स्थल की चौकी है उस पर सभी भगवान को स्थापित करें। इसके बाद मिट्टी का जो करवा है उस को रख लें। पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। चंद्रमा निकलने से करीब एक घंटे पहले पूजा शुरू कर सकते हैं। साथ ही परिवार की सभी महिलाएं साथ पूजा करें। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें। साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। वहीं चंद्रमा के दर्शन के बाद बहू अपनी सास को कुछ चीजें मंशकर दे सकती हैं।

2022 में करवा चौथ कब है New Delhi, India में

आइए जानते हैं कि 2022 में करवा चौथ कब है व करवा चौथ 2022 की तारीख व मुहूर्त। करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है। साथ ही अच्छे वर की कामना से अविवाहिता स्त्रियों के करवा चौथ व्रत रखने की भी परम्परा है। यह पर्व पूरे उत्तर भारत में ज़ोर-शोर से मनाया जाता है। करवा चौथ व्रत के नियम 1. यह व्रत सूर्योदय से पहले से शुरू कर चांद निकलने तक रखना चाहिए और चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात ही इसको खोला जाता है। 2. शाम के समय चंद्रोदय से 1 घंटा पहले सम्पूर्ण शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, नंदी जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की पूजा की जाती है। 3. पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ़ होना चाहिए तथा स्त्री को पूर्व की तरफ़ मुख करके बैठना चाहिए। करवा चौथ कथा करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी। एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया। रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया। उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी। अपनी सुबह से भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गयी। सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला - व्रत तोड़ लो; चांद निकल आया है। बहन को भाई की चतुराई समझ में नहीं आयी और उसने खाने का निवाला खा लिया। निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही। अगले साल कार्तिक कृष्ण चत...