51 शक्ति पीठ लिस्ट

  1. 51 शक्तिपीठ के नाम और स्थान व जानकारी
  2. 51 Shakti Peeth: देवी माँ सती के प्रमुख 51 शक्ति पीठ तथा अंगो के नाम जानें
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  4. हिंदू धर्म में अस्तित्व को जाने, 51 शक्ति पीठ को जाने...।।
  5. 51 शक्ति पीठ
  6. चिंतपूर्णी


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51 शक्तिपीठ के नाम और स्थान व जानकारी

51 शक्तिपीठ के नाम और स्थान व जानकारी | 51 Shakti Peeth Ke Naam Aur Sthan भारतीय देवों की भूमी रही है। यहां पर हर 100 किमी के दूरी पर एक प्राचीन मंदिर और उसकी विशेषता देखने को मिल जाएगी। आज हम पोस्ट के जरिए आपको धरती पर मौजूद 51 शक्तिपीठ के नाम और स्थान के बारे में संक्षिप्त रूप से बताने वाले हैं। यह पौराणिक शक्तिपीठ भारत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर माता सती के 51 अंगों के गिरने से निर्मित हुए हैं। आज इस पोस्ट में में हम उन्ही 51 शक्तिपीठों की सूची पर चर्चा करेंगे। साथ ही जानेंगे कि, वर्तमान यह कौन-कौन से जगहों पर स्थित हैं। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • 51 शक्तिपीठ के नाम और स्थान व जानकारी | 51 Shakti Peeth Ke Naam Aur Sthan हिंदू धर्म में 51 शक्तिपीठों की महत्वता का बखान सुनने को मिलता है। जिनमें से 18 को मध्यकालीन हिंदू ग्रंथों में महा (प्रमुख) के रूप में दर्शाया गया है। इन शक्तिपीठों के पीछे देवी सती के आत्मदाह की पौराणिक कथा प्रचलित है। शक्तिपीठ की कथा के अनुसार देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष के द्वारा भगवान शिव के अपमान किये जाने पर अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए थे। भगवान महादेव ने देवी सती के मृत्यु के शोक में रूद्र तांडव किया जिसमें देवी सती का शरीर 51 हिस्सों में बिखर कर पृथ्वी पर गिर गया और इसी से दुनिया के 51 दर्शनीय स्थल बनकर उभरे। 51 Shakti Peeth Ke Naam Aur Sthan कथा में उल्लेखित बातों के अनुसार भगवान शिव के तांडव से पृथ्वी पर प्रलय की स्थिति उत्पन्न होने लगी. पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देखकर भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र के द्वारा माता सती शरीर को 51 हिस्सों में काटना पड़ा था जो धरती पर 51 अलग-अलग...

51 Shakti Peeth: देवी माँ सती के प्रमुख 51 शक्ति पीठ तथा अंगो के नाम जानें

हिन्दू धर्म में पौराणिक कथाओं और उनसे जुडी जगहों का बेहद ही खास महत्व रहा है। और जब बात शक्तिपीठ की आती है तो करोडों भारतीयों में इन शक्तिपीठों में अगाध श्रद्वा और भक्ति की भावना देखी जाती है। इस लेख में हम आपको भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित 51 शक्तिपीठों (51 Shakti Peeth) की जानकारी उनके नाम और अन्य सभी विवरणों के साथ देने जा रहे हैं। शक्तिपीठ के बारे में अधिक जानकारी के लिये इस लेख को पूरा अवश्य पढें। 51 Shakti Peeth | देवी माँ सती के प्रमुख 51 शक्ति पीठ अंगो के नाम सहित जानकारी शक्तिपीठों का पौराणिक महत्व और कथा हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार माता सती के शरीर के विभिन्न हिस्सों से इन शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था। पौराणिक कथा का विवरण इस प्रकार है कि – माता सती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। माता सती के पिता दक्ष प्रजापति थे। दक्ष प्रजापति ब्रहमा जी के मानस पुत्र और सभी प्रजापतियों में प्रमुख थे। इन्हें देवताओं के द्वारा सम्मान प्राप्त था। एक बार भववान शंकर दक्ष प्रजापति के आगमन पर उनके सम्मान में खडे नहीं हुये। दक्ष प्रजापति को यह देखकर अहंकारवश बडा क्रोध आया। वे मन ही मन भगवान शिव से द्वेष रखने लगे। इसके बाद दक्ष प्रजापति ने एक बहुत बडे यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ का नाम बृहस्पति सर्व था। अपने इस विराट और विशाल यज्ञ में दक्ष ने सभी देवी देवताओं, ब्रहमा, विष्णु आदि समस्त लोकों के देवताओं को आमंत्रित किया था। किन्तु अपने दामाद भगवान शंकर को द्वेष के कारण दक्ष ने जान बूझकर यज्ञ का निमंत्रण नहीं दिया। जब माता सती को इस बात का पता चला तो वे अपने मायके दक्ष प्रजापति के यहां जाने को तैयार हुयी। भगवान शिव के मना करने पर भी माता सती ने कनखल की ओर प्रस्थान किया, जहां कि प्रजा...

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51 Shakti Peeth List :हिंदू धर्म में 51 शक्तिपीठ ( 51 Shakti Peeth ) को बेहद ही आस्था से देखा जाता हैं। सनातन धर्म की आस्था ओर श्रद्धा का केंद्र अगर कोई हैं तो यह 51 शक्ति पीठ ही हैं। शक्ति पीठ यानी आदि शक्ति परम तत्व, परमेश्वरी आद्या शक्ति का वह स्थान जहां पर माँ आदि शक्ति सती के अंग गिरे थे। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग की तरह ही शक्ति पीठ का महत्व हैं। इन 51 पीठ ( 51 Shakti Peeth ) में माँ सती के विभिन्न अंग ओर आभूषण गिरे ओर प्रत्येक स्थान पर देवी सती के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती हैं। इस लेख में हम आपको 51 शक्तिपीठ से जुड़े पौराणिक तथ्य ओर इन शक्तिपीठ की रचना कैसे हुई साथ ही यह 51 शक्तिपीठ कहां ( 51 Shakti Peeth List ) हैं ? इस विषय पर विस्तार से जानकारी देंगे। कृपया अंत तक इस लेख को पढ़े ओर अपने सनातन धर्म के ज्ञान को और अधिक विस्तार दें। 4.1 निष्कर्ष : 51 शक्ति पीठ क्या हैं ( what is 51 Shakti Peeth ) शक्ति पीठ सनातन संस्कृति के आस्था का केंद्र हैं। इस स्थान पर आदि शक्ति देवी सती के विभिन्न अंग गिरे थे, जहां – जहां माता सती के अंग गिरे उस स्थान को शक्ति पीठ कहा गया हैं। शक्ति पीठ पर स्थापित मंदिर देश भर में दूसरे मंदिरो की तुलना में बेहद चमत्कारि ओर प्रभाव शाली होते हैं। आदि-शक्ति ने भ्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की तपस्या से खुश होकर उनके यहां जन्म लिया। लेकिन, दक्ष प्रजापति भगवान शिव को अपना परम् शत्रु मानता था। हालांकि, आदि-शक्ति दक्ष प्रजापति के यहां अवतरीत तो हुई लेकिन प्रजापति दक्ष ने उन्हें सदैव शिव ओर शिव के गणों से अनभिज्ञ ( अनजान ) ही रखा। समय बीतता चला गया ओर प्रभु शिव के अस्तित्व के बारे में देवी सती को ज्ञात हुआ ओर दक्षायणी ( दक्ष पुत्री – देवी सती )...

हिंदू धर्म में अस्तित्व को जाने, 51 शक्ति पीठ को जाने...।।

51 शक्तिपीठ के बारे में जाने जय माता दी शक्तिपीठ से जुड़ी कहानी यह माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने देवी आदि शक्ति और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ किया था। देवी आदि शक्ति प्रकट हुई,जो शिव से अलग होकर ब्रह्मा को ब्रह्मांड के निर्माण में मदद की। ब्रह्मा बेहद खुश थे और शिव को देवी आदि शक्ति वापस देने का फैसला करते हैं। इसलिए उनके पुत्र दक्ष ने माता सती को अपनी बेटी के रूप में प्राप्त करने के लिए कई यज्ञ किया था। भगवान शिव से शादी करने के इरादे से माता सती को इस ब्रह्मांड में लाया गया था, और दक्ष का यह यज्ञ सफल रहा। भगवान शिव के अभिशाप में भगवान ब्रह्मा ने अपने पांचवें सिर को शिव के सामने अपने झूठ के कारण खो दिया था। दक्ष को इसी वजह से भगवान शिव से द्वेष था और भगवान शिव और माता माता सती की शादी नहीं कराने का निर्णय लिया था। हालांकि, माता सती शिव की ओर आकर्षित हो गई और माता सती ने कठोर तपस्या की और अंत में एक दिन शिव और माता सती का विवाह हुआ। भगवान शिव पर प्रतिशोध लेने की इच्छा के साथ दक्ष ने यज्ञ किया। दक्ष ने भगवान शिव और अपनी पुत्री माता सती को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया। माता सती ने यज्ञ में उपस्थित होने की अपनी इच्छा शिव के सामने व्यक्त की, जिन्होंने उसे रोकने के लिए अपनी पूरी कोशिश की परंतु माता सती यज्ञ में चली गई। यज्ञ के पहुंचने के पश्चात माता सती का स्वागत नहीं किया गया। इसके अलावा, दक्ष ने शिव का अपमान किया। माता सती अपने पिता द्वारा अपमान को झेलने में असमर्थ थी, इसलिए उन्होंने अपने शरीर का बलिदान दे दिया। अपमान और चोट से क्रोधित भगवान शिव ने तांडव किया और शिव के वीरभद्र अवतार में दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया और उसका सिर काट दिया। सभी मौजूद देवताओं ...

51 शक्ति पीठ

भगवान शंकर के आदेश पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया और अन्य देवताओं को शिव निंदा सुनने की भी सज़ा दी और उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता और ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। तब भगवान शिव ने सती के वियोग में यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए सम्पूर्ण भूमण्डल पर भ्रमण करने लगे।

चिंतपूर्णी

हिमाचल प्रदेश में स्थान 31°48′31″N 76°06′10″E / 31.808620°N 76.102870°E / 31.808620; 76.102870 31°48′31″N 76°06′10″E / 31.808620°N 76.102870°E / 31.808620; 76.102870 वास्तु विवरण प्रकार हिन्दू निर्माता माई दास निर्माण पूर्ण अज्ञात अवस्थिति ऊँचाई 977.87मी॰ (3,208फीट) वेबसाइट छिन्नमस्ता आत्म बलिदान और अंतर्विरोध की देवी Member of दस महाविद्या माँ चिंतपूर्णी संबंध जया और विजया निवासस्थान मणिद्वीप अस्त्र खड्ग, खप्पर जीवनसाथी सवारी कमल के आसन पर योन क्रिया करते कामदेव और रति चिंतपूर्णी धाम (Chintpurni) अनुक्रम • 1 देवी की उत्पत्ति की कथा • 1.1 पौराणिक कथा • 2 पर्व • 3 मंदिर और देवी दर्शन • 4 नौ देवी यात्रा • 5 मौसम • 6 विश्रामालय • 7 आवागमन • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ • 10 सन्दर्भ देवी की उत्पत्ति की कथा [ ] दूर्गा सप्‍तशती और देवी महात्यमय के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच में सौ वर्षों तक युद्ध चला था जिसमें असुरो की विजय हुई। असुरो का राजा इस देवी को सभी देवी-देवताओं ने कुछ न कुछ भेट स्वरूप प्रदान किया। भगवान शंकर ने सिंह, भगवान विष्णु ने कमल, इंद्र ने घंटा, समुंद्र ने कभी न मैली होने वाली माला प्रदान की। इसके बाद सभी देवताओं ने देवी की आराधना की ताकि देवी प्रसन्न हो और उनके कष्टो का निवारण हो सके। और हुआ भी ऐसा ही। देवी ने प्रसन्न होकर देवताओं को वरदान दे दिया और कहा मैं तुम्हारी रक्षा अवश्य करूंगी। इसी के फलस्वरूप देवी ने महिषासुर के साथ युद्ध प्रारंभ कर दिया। जिसमें देवी की विजय हुई और तभी से देवी का नाम महिषासुर मर्दनी पड़ गया। पौराणिक कथा [ ] चिंतपूर्णी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों में से एक है। पूरे भारतवर्ष में कुल 51 शक्तिपीठ है। इन सभी की उत्पत्ती कथा एक ही है...