दंगल

  1. Dangal (2016)
  2. दंगल (फ़िल्म)
  3. Dangal (film)
  4. Movie Review of Hindi Film Dangal


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Dangal (2016)

Former wrestler Mahavir Singh Phogat and his two wrestler daughters struggle towards glory at the Commonwealth Games in the face of societal oppression. Former wrestler Mahavir Singh Phogat and his two wrestler daughters struggle towards glory at the Commonwealth Games in the face of societal oppression. Former wrestler Mahavir Singh Phogat and his two wrestler daughters struggle towards glory at the Commonwealth Games in the face of societal oppression.

दंगल (फ़िल्म)

कहानी महावीर उन दोनों को कुश्ती सिखाने लगता है। उसके द्वारा कठोर तरीकों से सीखना, बाल छोटे-छोटे कटवाना, सुबह सुबह कसरत करना आदि से शुरू में उन लड़कियों को अपने पिता के ऊपर बहुत क्रोध आते रहता है, पर जल्द ही उन्हें यह एहसास हो जाता है कि उनके पिता उन्हें केवल गृहणियों के रूप में जीवन बिताने के लिए नहीं बल्कि देश के लिए कुछ कर दिखाने के लिए यह सब कर रहे हैं। इसके बाद वो दोनों खुशी से महावीर से कुश्ती के दांव-पेंच सीखते हैं। महावीर उनको प्रतियोगिता में भी ले जाता है, जिसमें गीता और बबीता मिल कर कई लड़कों को हरा देते हैं। प्रतियोगिताओं को जीतते हुए गीता को पटियाला में प्रशिक्षण लेने का मौका मिलता है। जिसके बाद वह कॉमनवैल्थ खेलों में हिस्सा ले सकेगी। गीता उस संस्थान में जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ मिल कर अनुशासन की उपेक्षा करने लगती है। वह हर समय टीवी देखती, सड़क पर मिलने वाले खाने खाती और लंबे बाल रखती थी। उस संस्थान के शिक्षक का तकनीक उसके पिता के तकनीक से थोड़ा अलग था, और गीता को लगता था कि उसके शिक्षक का तकनीक उसके पिता के तकनीक से बहुत अच्छा है जबकि उसके पिता की तकनीक पुरानी हो चुकी है। वह घर लौट आती है तो वह उसके पिता के सिखाये तकनीक के स्थान पर संस्थान में सिखाये तकनीक से मुक्केबाज़ी करती है। इसके बाद महावीर और गीता में मुक्केबाजी होती है और अपने बढ़ती उम्र के कारण महावीर उससे हार जाता है। बबीता अपने बहन गीता से कहती है कि वह अभी जिस स्थान पर है, वह उसके पिता के तकनीक के कारण है और उसे अपने पिता के तकनीक को नहीं भूलना चाहिए। गीता की तरह बबीता भी उस संस्थान में चले जाती है। गीता लगातार हर मैच हारते रहती है, क्योंकि वह अपने पिता द्वारा सिखाये गए तकनीक या कुश्ती में पूर...

Dangal (film)

Running time 161 minutes Country India Language Hindi Budget ₹70 Box office ₹1,968−2,200 crore Development on the film began in early 2013 when Tiwari began writing the script. Khan had interviewed the Phogat sisters in 2014 on his talk show After a North American premiere on 21 December 2016, Dangal was released worldwide on 23 December and received positive reviews from critics, with praise centered on the film's "honest" depiction of a real-life story and Khan's performance, including the emotional weight. It was also screened at the Dangal won the inaugural Best Asian Film award at Australia's Dangal was a commercial success, setting several records at the box office including ₹70 ₹1,968−2,200 crore $216.2 million in China, million times on Chinese streaming platforms, as of November 2018 Contents • 1 Plot • 2 Cast • 3 Production • 3.1 Development • 3.2 Casting • 3.3 Filming • 4 Music • 5 Release • 6 Critical reception • 7 Box office • 7.1 India • 7.2 Overseas • 7.2.1 Taiwan • 7.2.2 China • 7.2.3 Turkey and Hong Kong • 7.2.4 Japan and South Korea • 7.3 Commercial analysis • 7.3.1 India • 7.3.2 China • 8 Awards and nominations • 9 Home media • 10 Impact • 11 Controversies • 11.1 Political controversies • 11.2 Award controversies • 12 See also • 13 Notes • 14 References • 15 External links Plot His methods seem harsh, including grueling early morning workouts and short forced haircuts. Despite facing Once there, Geeta makes friends and begins to disregard the discipline ...

Movie Review of Hindi Film Dangal

दंगल को सिर्फ स्पोर्ट्स फिल्म कहना गलत होगा। इस फिल्म में कई रंग हैं। लड़कियों के प्रति समाज की सोच, रूढि़वादी परंपराएं, एक व्यक्ति का सपना और जुनून, लड़के की चाह, अखाड़े और अखाड़े से बाहर के दांवपेंच, देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना, चैम्पियन बनने के लिए जरूरी अनुशासन और समर्पण जैसी तमाम बातें इस दंगल में समेटी गई हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट कमाल की है और पूरी फिल्म बहती हुई एक मनोरंजन की नदी के समान है जिसमें दर्शक डुबकी लगाते रहते हैं। महावीर ने सोचा कि अपने बेटों के जरिये वह अपने सपने को पूरा करेगा, लेकिन चार लड़कियां होने पर उसने अपने सपने को पेटी में यह सोच कर बंद कर दिया कि लड़कियों का जन्म तो चूल्हे-चौके और झाडूू-पोछे के लिए होता है। एक दिन उसकी बेटियां गीता और बबीता लड़कों की पिटाई करती है और यही से महावीर को महसूस होता है- म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के? छोटे से गांव में छोरियों को छोरों से कम ही माना जाता है। जिसके घर सिर्फ लड़कियां पैदा होती हैं उसे लोग तुच्छ नजरों से देखते हैं। जिस गांव में लड़कियां बाल कटा कर ही ग्रामीणों के लिए चर्चा का विषय बन जाती हों वहां पर महावीर, गीता और बबीता को पहलवानी सिखाने का साहसिक फैसला लेता है और उन्हें चैम्पियन बना कर ही दम लेता है। एक अखबार में महावीर सिंह फोगाट के बारे में लेख पढ़ कर इस पर फिल्म बनाने का आइडिया पैदा हुआ था, जिसे निर्देशक नितेश तिवारी ने फिल्म के रूप में बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है। फोगाट की कहानी बहुत ही दमदार और प्रेरणादायी है। यह दर्शाती है कि कुछ पाने की चाह के आगे साधनहीन होने की बात बौनी साबित हो जाती है। फिल्म इंटरवल तक इतनी तेज गति से भागती है कि दर्शकों की सांसें थम जाती है। फिल्म का पहला सीन...