गोदान कहानी इन हिंदी pdf

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बेस्ट 20 कहानी और कहानियां हिंदी में बच्चों के लिए Hindikahane.in

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हस्ताक्षर, Hindi Writers, Poet's biography, Writer Interviews

Munshi Premchand Jayanti: आज हिंदी के कथा-सम्राट प्रेमचंद की जयंती है. प्रेमचंद ने अपने जीवन में तीन सौ से अधिक कहानियां और एक दर्जन उपन्यास लिखे, जिन्होंने उन्हें हिंदी कथा-साहित्य की अमर विभूति बना दिया. यूं तो प्रेमचंद के प्रत्येक उपन्यास का अपना महत्व है, लेकिन उन्हें सबसे अधिक ख्याति उनके अंतिम पूर्ण उपन्यास ‘गोदान’ (Godan) से मिली. आज हम उनकी इसी कृति पर बात करेंगे. ‘गोदान’ (Godan Kahani) की सफलता यह है कि अपने रचनाकाल (1935-36) से लेकर आज साढ़े आठ दशक बीत जाने के बाद भी उसकी प्रासंगिकता बनी हुई है. गोदान की वर्तमान प्रासंगिकता को लेकर विद्वानों के लंबे-लंबे आलेख व व्याख्यान मिलते रहते हैं. प्रायः इन सबके केंद्र में गोदान की ‘किसान कथा’ ही होती है. पाठ्यक्रम की पुस्तकों में भी इस उपन्यास की व्याख्या किसान जीवन, जाति व्यवस्था जैसे बिन्दुओं के आधार पर ही मिलती है. वस्तुतः परतंत्र भारत के होरी की दुरवस्था का साम्य स्वतंत्र भारत के किसान से येन-केन प्रकारेण बिठाकर इस कृति के समकालीन महत्व व प्रासंगिकता की आलोचकीय सिद्धि कर ली जाती है. इसमें तो कोई संदेह नहीं कि गोदान आज भी प्रासंगिक है. परन्तु, क्या उक्त रूप में उसकी प्रासंगिकता का निरूपण भारतीय समाज के व्यापक फलक को समेटी हुई इस कृति के साथ न्याय है? क्या ब्रिटिश हुकूमत और जमींदारी व्यवस्था के शोषण द्वारा रचित परतंत्र भारत के किसान की दशा का आज विभिन्न प्रकार से शासन द्वारा सहयोग व सहूलियत पाकर आगे बढ़ रहे किसान से कोई तर्कसंगत साम्य हो सकता है? यह भी पढ़ें- किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) जैसी सुविधा और जब-तब होने वाली किसानों की कर्जमाफी (Farm Loan) के इस किसान-समर्थक युग की तुलना उस दौर की शोषण आधारित महाजनी व्...

Godan ( गोदान ) Hindi PDF

Godan was published in 1936, one major works of Munshi Premchand. Godan, which means “the gift of a cow”, is a novel that takes you through a beautiful love-hate relationship. The story revolves around several characters representing various sections of the Indian community. The main character is Hari. Like many other poor farmers, Hari also wants to own a cow in the hope of elevating her socioeconomic stature to some higher altitude of self-reliance. In stark contrast to his circumstances, he bought a cow at a loan of 80 rupees. However, when he tries to cheat his younger brother Heera with 10 rupees, things grow from his control. This harm leads to a big fight between Dhani (Hari’s wife) and Heera’s wife. Heera poisoned the cow and the police escaped to avoid being caught. To settle the case of Cow’s death, Hari takes some loan from a mystic and bribes the police. On the other hand, Gobar (Hari’s son) has a relationship with Jhunia, a widow. When Jhunia is pregnant with her child, the villagers move to Gobar town to escape the wrath of the villagers. But then Zhuya is taken under the care of Hari and his family. Due to the issue of Jhunia, the gram panchayat ordered Hari to pay the fine amount for his son’s deeds. Thus, Hari again takes a loan from the borrowers as the debt rises on his head, Hari saves his ancestral village from being auctioned by funds only by making a Rs. 200 deal with his daughter Rupa. Hari works beyond his capacity to stop work and eventually dies ...

गोदान: मुंशी प्रेमचंद पीडीएफ हिंदी डाउनलोड

Summary of Book / बुक का सारांश कहानी भारतीय समुदाय के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले कई पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है। किसान और ग्रामीण समाज का प्रतिनिधित्व होरी महतो के परिवार और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें धनिया (पत्नी), रूपा और सोना (बेटियाँ), गोबर (बेटा), झुनिया (बहू) शामिल हैं। कहानी उस बिंदु से शुरू होती है जहां होरी को अन्य लाखों गरीब किसानों की तरह एक गाय रखने की गहरी इच्छा होती है। उसने रुपये के कर्ज पर खरीदा। 80, भोला की एक गाय, एक चरवाहा। होरी ने अपने भाइयों को 10 रुपये के लिए धोखा देने की कोशिश की। इसके बदले में उनकी पत्नी और उनके छोटे भाई, हीरा की पत्नी के बीच लड़ाई हुई। होरी से ईर्ष्या उसके छोटे भाई हीरा ने गाय को जहर दे दिया और पुलिस कार्रवाई के डर से भाग गया। जब पुलिस गाय की मौत के बारे में पूछताछ करने आई, तो होरी ने कर्ज लिया और पुलिस को रिश्वत दी, और अपने छोटे भाई के नाम को साफ करने में सक्षम था। भोला की बेटी झुनिया विधवा थी और गोबर से गर्भवती होने के बाद उसके साथ भाग गई थी। ग्रामीणों की कार्रवाई के डर से गोबर भी शहर की ओर भाग गया। होरी और धनिया अपने बेटे के बच्चे को ले जा रही एक लड़की को फेंकने में असमर्थ थे और उसे संरक्षण दिया और उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया। गाँव की पंचायत होरी पर जुर्माना लगाती है क्योंकि उसकी पत्नी झुनिया को आश्रय देने के लिए पंडित के व्यक्तिगत हमले से निपटती है। होरी फिर कर्ज लेने और जुर्माना भरने को मजबूर है। होरी स्थानीय साहूकारों के भारी कर्ज में डूबा हुआ है और अंततः अपनी बेटी रूपा की शादी मात्र 200 रुपये में कर दी, ताकि उसकी पुश्तैनी जमीन को नीलाम होने से बचाया जा सके क्योंकि वह भूमि ...

Godan PDF

प्रेमचंद का उपन्यास गोदान डाउनलोड करें | Download PDF of Godan, a book/novel by Premchand गोदान उसकी गर्दन जिस पैर के नीचे दबी है उसे सहलाता, क्लेश और वेदना को झुठलाता, ‘मरजाद’ की झूठी भावना पर गर्व करता, ऋणग्रस्तता के अभिशाप में पिसता, तिल तिल शूलों भरे पथ पर आगे बढ़ता, भारतीय समाज का मेरुदंड यह किसान कितना शिथिल और जर्जर हो चुका है, यह गोदान में प्रत्यक्ष देखने को मिलता है। नगरों के कोलाहलमय चकाचौंध ने गाँवों की विभूति को कैसे ढँक लिया है, जमींदार, मिल मालिक, पत्रसंपादक, अध्यापक, पेशेवर वकील और डाक्टर, राजनीतिक नेता और राजकर्मचारी जोंक बने कैसे गाँव के इस निरीह किसान का शोषण कर रहे हैं और कैसे गाँव के ही महाजन और पुरोहित उनकी सहायता कर रहे हैं, गोदान में ये सभी तत्व नखदर्पण के समान प्रत्यक्ष हो गए हैं। गोदान वास्तव में २०वीं शताब्दी की तीसरी और चौथी दशाब्दियों के भारत का ऐसा सजीव चित्र है, जैसा हमें अन्यत्र मिलना दुर्लभ है। गोदान में बहुत सी बातें कही गई हैं। जान पड़ता है प्रेमचंद ने अपने संपूर्ण जीवन के व्यंग और विनोद, कसक और वेदना, विद्रोह और वैराग्य, अनुभव और आदर्श् सभी को इसी एक उपन्यास में भर देना चाहा है। कुछ आलोचकों को इसी कारण उसमें अस्तव्यस्तता मिलती है। उसका कथानक शिथिल, अनियंत्रित और स्थान-स्थान पर अति नाटकीय जान पड़ता है। ऊपर से देखने पर है भी ऐसा ही है, परंतु सूक्ष्म रूप से देखने पर गोदान में लेखक का अद्भुत उपन्यास-कौशल दिखाई पड़ेगा क्योंकि उन्होंने जितनी बातें कहीं हैं वे सभी समुचित उत्थान में कहीं गई हैं। प्रेमचंद ने एक स्थान पर लिखा है –‘उपन्यास में आपकी कलम में जितनी शक्ति हो अपना जोर दिखाइए, राजनीति पर तर्क कीजिए, किसी महफिल के वर्णन में १०-२० पृष्ठ लिख...

किसानी जीवन का दस्तावेज : गोदान

किसानी जीवन का दस्तावेज: गोदान पूनम सिंह किसान भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है। किसानों से ही भारत में किस कृषि संस्कृति का निर्माण हुआ है। और भारत किसान भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। कृषक के बिना भारतीय संस्कृति का विश्लेषण अधूरा है। किसान की पहचान उसकी खेती बारी से होती है। किसी जाति या वर्ण से नहीं एक किसान के लिए खेती ही उसकी आजीविका का साधन है किंतु, किसानों की अवस्था अत्यंत दयनीय है। हजारों की संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं, जो किसान अन्न पैदा करता है वही दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गया है।जो किसान दूसरों का पेट भर रहे हैं वहीं भूखे सो रहे हैं। यह कैसी विडंबना है? कहने को तो भारत एक कृषि प्रधान देश है परंतु सच्चाई कुछ और ही है। कृषि प्रधान देश में किसानों की अवस्था अत्यंत दयनीय है। जो दिन रात खेत में हल जोतता है, मेहनत करता है, कष्ट सहता है, उसका संपूर्ण जीवन अभाव, दुःख, पीड़ा, त्रासदी, यातना आदि में बीतता है। कितनी भी गर्मी, ठंढी, बरसात क्यों न हो किसान खेती करते हैं। इतना करने के बावजूद जनता का दृष्टिकोण उनके प्रति अच्छा नहीं है।शहरी व्यक्ति तो उन्हें हेय दृष्टि से देखते है। और वो ये भूल जाते हैं कि इन्हीं के उपजाए अन्न से हम जिंदा हैं। हर कोई अपने फायदे के अनुसार किसानों का उपयोग अपने स्वार्थ एवम सत्ता के लिए करते हैं। अनाज पैदा करने वाले किसान को अपने अन्न का भाव तय करने का अधिकार नहीं है। उस अन्न का भाव सरकार तय करती है जिसे खेती के बारे कुछ नहीं पता। इस कारण किसान और भी कंगाल हो जा रहा है। किसानों की उन्नति के बिना देश की उन्नति नहीं हो सकती है। सम्राट उपन्यासकार प्रेमचन्द का 'गोदान' उपन्यास कृषकों की महागाथा प्रस्तुत करता है। भले ही यह उपन्यास...

गोदान (प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक पीडीएफ

पुस्तक के लेखक पुस्तक की श्रेणी पुस्तक का साइज कुल पृष्ठ मुंशी प्रेमचंद साहित्य, उपन्यास 17 MB 290 पुस्तक से : मुंशी प्रेमचंद की लेखनी का यह चमत्कार था कि समाज में इर्द-गिर्द घटता आप बीता-सा लगने लगे. इसी तादात्म्य साधना ने उन्हें उपन्यास जगत में वह स्थान दिया, जो किसी और को प्राप्त नहीं हैं. उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में जहाँ समाज में व्याप्त कुरीतियों को आड़े हाथों लिया, उन पर करारा प्रहार किया वही भारतीय जन-जीवन की अस्मिता को भी खोजा. 'गोदान' को पढ़ते समय आपको ऐसा लगेगा मानो यह आपकी ही, आपके आस पास की ही कहानी हो. शायद यही कारण रहा कि विश्व की लगभग प्रत्येक भाषा में इसका अनुवाद हुआ. डाउनलोड लिंक :"गोदान (प्रेमचंद) हिन्दी पुस्तक" को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें | To download "Godaan (Premchand) Hindi Book" PDF book in single click for free, simply click on the download button provided below |