ईरान की राजधानी

  1. मौर्य साम्राज्य में ईरान तक था भारत, फिर कैसे बिखरता गया
  2. इस्लामी क्रांति से पहले स्कर्ट पहनती थीं, अब हिजाब पहनने को मजबूर, तस्वीरों में देखिए बदलाव
  3. ईरान (Iran) की राजधानी का नाम क्या है?
  4. Iran Hijab Protest: Why Iran Women Protesting, What is Iran Hijab Row and morality police. ईरान में हिजाब का क्यों विरोध हो रहा है. इससे जुड़े इतिहास में कौनसे मामले हैं.
  5. ईरान का इतिहास


Download: ईरान की राजधानी
Size: 50.22 MB

मौर्य साम्राज्य में ईरान तक था भारत, फिर कैसे बिखरता गया

इस नक्शे पर बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान ने नाराजगी जाहिर की है। पाकिस्तान ने कहा कि भारत का यह कदम विस्तारवादी सोच को दर्शाता है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस नक्शे पर भारत से स्पष्टीकरण मांग लिया। नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने इसके विरोध में अपने ऑफिस में ग्रेटर नेपाल का मैप लगाया है। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे भारत ने नई संसद में क्यों लगाया ऐसा नक्शा; क्या है अखंड भारत और इसके बनने से टूटने तक की कहानी... रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को दिन में पत्रकारों को बताया कि ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की जड़ में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और सिग्नल सिस्टम में समस्या सामने आई है। जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि रेलवे में इंटरलॉकिंग सिस्टम होता क्या है, ये काम कैसे करता है और ओडिशा हादसे में किसी साजिश की कितनी संभावना है… 2. तेज रफ्तार, गलत सिग्नल, ट्रैक चेंज और डिरेल:ओडिशा में एक जगह कैसे टकराईं दो यात्री ट्रेन और एक मालगाड़ी ओडिशा के बालासोर जिले के बहानगा में शुक्रवार शाम हुए ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट के वीभत्स वीडियो और तस्वीरें तो आपने देख ली होंगी। अब सभी के मन में सवाल है कि एक साथ 3 ट्रेनों की भिड़ंत कैसे हुई? अब तक अधिकारियों, चश्मदीदों और सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मिनट दर मिनट पूरा हादसा और ट्रेन पटरी से उतरने की 4 संभावनाओं को एक्सप्लेन करेंगे…( 3. क्या है कवच, जिससे बच जाती 275 जिंदगियां:11 साल पहले ट्रायल, लेकिन अब तक सिर्फ 65 इंजनों में लगा पाए

इस्लामी क्रांति से पहले स्कर्ट पहनती थीं, अब हिजाब पहनने को मजबूर, तस्वीरों में देखिए बदलाव

13 सितंबर को महसा अमीनी अपने भाई के साथ ईरान की राजधानी तेहरान गई थी। मोरैलिटी पुलिस ने ठीक तरीके से हिजाब न पहनने का आरोप लगाकर उसे हिरासत में ले लिया। ईरानी महिलाओं पर हिजाब पहनने की अनिवार्यता 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद लागू हुई थी। उससे पहले शाह पहलवी के शासन में महिलाओं के कपड़ों के मामले में ईरान काफी आजाद ख्याल था। इधर, भारत में हिजाब पहनने को लेकर मुस्लिम लड़कियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। भास्कर एक्सप्लेनर में हम 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले और बाद के ईरान में महिलाओं की जिंदगी में आए बदलावों के बारे में जानेंगे... पहलवी शाह ने हिजाब पहनने पर ही बैन लगा दिया था 1925 में ईरान में पहलवी वंश का शासन आया। पहले शासक रजा शाह अमेरिका और ब्रिटेन से प्रभावित थे। 1941 में उनके बेटे मोहम्मद रजा शाह भी पश्चिमी देशों के तौर-तरीके और महिलाओं के बराबरी के हक को समझते थे। इन दोनों शासकों ने महिलाओं की हालत सुधारने के लिए कई बड़े फैसले किए... • 8 जनवरी 1936 को रजा शाह ने कश्फ-ए-हिजाब लागू किया। यानी अगर कोई महिला हिजाब पहनेगी तो पुलिस उसे उतार देगी। • 1941 में शाह रजा के बेटे मोहम्मद रजा ने शासन संभाला और कश्फ-ए-हिजाब पर रोक लगा दी। उन्होंने महिलाओं को अपनी पसंद की ड्रेस पहनने की अनुमति दी। • 1963 में मोहम्मद रजा शाह ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया और संसद के लिए महिलाएं भी चुनी जानें लगीं। • 1967 में ईरान के पर्सनल लॉ में भी सुधार किया गया जिसमें महिलाओं को बराबरी के हक मिले। • लड़कियों की शादी की उम्र 13 से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई। साथ ही अबॉर्शन को कानूनी अधिकार बनाया गया। • पढ़ाई में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। 1970 के दशक तक ईरा...

ईरान (Iran) की राजधानी का नाम क्या है?

ईरान की राजधानी तेहरान (Tehran) है। ईरान एक प्राचीन देश है, जो अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए विख्यात है। ईरान को 1935 तक परसिया या फारस के नाम से जाना जाता था। फारसी भाषा में ईरान का शाब्दिक अर्थ आर्यों की भूमि है। प्रसिद्ध फारसी महाकाव्य शाहनामा की रचना फिरदौसी ने की थी। वर्ष 1979 में इस्लाम के धर्मगुरु अयातुल्ला खुमैनी का ईरान की राजनीति में अभ्युदय हुआ। खुमैनी के बाद अली अकबर हाशमी रफसंजानी राष्ट्रपति बने। ईरान विश्व की कई प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है। यहां के पर्सोपोलिस, शहर-ए-सोख्ता के साथ-साथ कुल 17 स्थलों को यूनेस्कों के विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है। Tags :

Iran Hijab Protest: Why Iran Women Protesting, What is Iran Hijab Row and morality police. ईरान में हिजाब का क्यों विरोध हो रहा है. इससे जुड़े इतिहास में कौनसे मामले हैं.

ईरान (Iran Protest) में इन-दिनों हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरानी महिलाएं अपने हिजाब जला रही हैं. बाल काट रही हैं. हिजाब कानून का विरोध कर रही है. वजह है एक महिला की पुलिस कस्टडी में मौत. बताया जा रहा है कि महसा अमिनी(Mahsa Amini Death) नाम की एक महिला को ईरान की मोरालिटी पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार किया था क्योंकि उन्होंने ठीक से नकाब या हेडस्कार्फ नहीं पहना था. जो ईरान में महिलाओं के लिए तय ड्रेस कोड के खिलाफ है. आरोप है कि पुलिस ने उन्हें टार्चर किया जिसके कारण 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई. हालांकि पुलिस ने इन आरोपों से इंकार किया है. पुलिस के मुताबिक उन्होंने महसा को मेट्रो स्टेशन से गिरफ्तार किया था. जहां से वे उन्हें पुलिस स्टेशन लेकर गए और तबियत बिगड़ी तो अस्पताल ले गए. जहां उनकी मौत हो गई. महसा की मौत के बाद उनके समर्थन में राजधानी तेहरान में प्रदर्शन हो रहे हैं. महसा की मौत कैसे हुई इसको लेकर पुलिस और महसा के परिवार के अलग-अलग वर्जन हैं. लेकिन असल मुद्दा यह नहीं है. असली सवाल ये है कि कोई भी सरकार या पुलिस ये क्यों तय करे कि कोई महिला या नागरिक क्या पहनेगा या खाएगा या पीएगा? मोरल पुलिसिंग की सबसे ज्यादा शिकार बनती हैं महिलाएं और इसीलिए आज भी महिलाएं अपने मूलभूत अधिकारों को नहीं पा सकी हैं. ये ईरान सरकार की बनाई हुई एक धार्मिक पुलिस है. दरअसल 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. ये पुलिस सार्वजनिक जगहों पर मौजूद रहती है और देखती है क्या लोग इस्लामी कानूनों का पालन कर रहे हैं. देखती है कि किस महिला ने ठीक से हिजाब पहना है, किस ने नहीं? महिलाओं के लिए तय ड्रेस कोड के मुताबिक हिजाब पहनना अनिवार्य है. और टाइट ट्राउजर्स, रिप्ड...

ईरान का इतिहास

सुसा में दारुश (दारा) के महल के बाहर बने "अमर सेनानी"। यह उपाधि कुछ चुनिन्दा सैनिकों को दी जाती थी जो महल रक्षा तथा साम्राज्य विस्तार में प्रमुख माने जाते थे। ईरान का पुराना नाम फ़ारस है और इसका इतिहास बहुत ही नाटकीय रहा है जिसमें इसके पड़ोस के क्षेत्र भी शामिल रहे हैं। इरानी इतिहास में साम्राज्यों की कहानी ईसा के ६०० साल पहले के हख़ामनी शासकों से शुरु होती है। इनके द्वारा पश्चिम एशिया तथा मिस्र पर ईसापूर्व 530 के दशक में हुई विजय से लेकर अठारहवीं सदी में नादिरशाह के भारत पर आक्रमण करने के बीच में कई साम्राज्यों ने फ़ारस पर शासन किया। इनमें से कुछ फ़ारसी सांस्कृतिक क्षेत्र के थे तो कुछ बाहरी। फारसी सास्कृतिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में आधुनिक ईरान के अलावा इराक का दक्षिणी भाग, अज़रबैजान, पश्चिमी अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान का दक्षिणी भाग और पूर्वी तुर्की भी शामिल हैं। ये सब वो क्षेत्र हैं जहाँ कभी फारसी सासकों ने राज किया था और जिसके कारण उनपर फारसी संस्कृति का प्रभाव पड़ा था। सातवीं सदी में ईरान में इस्लाम आया। इससे पहले ईरान में जरदोश्त के धर्म के अनुयायी रहते थे। ईरान शिया इस्लाम का केन्द्र माना जाता है। कुछ लोगों ने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया तो उन्हें यातनाएं दी गई। इनमें से कुछ लोग भाग कर भारत के गुजरात तट पर आ गए। ये आज भी भारत में रहते हैं और इन्हें पारसी कहा जाता है। सूफ़ीवाद का जन्म और विकास ईरान और संबंधित क्षेत्रों में ११वीं सदी के आसपास हुआ। ईरान की शिया जनता पर दमिश्क और बग़दाद के सुन्नी ख़लीफ़ाओं का शासन कोई ९०० साल तक रहा जिसका असर आज के अरब-ईरान रिश्तों पर भी देखा जा सकता है। सोलहवीं सदी के आरंभ में सफ़वी वंश के तुर्क मूल लोगों के सत्ता में आने के बाद ही श...