माँ कात्यायनी मंत्र

  1. माँ कात्यायनी की आरती , मंत्र , पूजा विधि , और कथा
  2. Maa Katyayani Ki Upasana
  3. Navratri 6th Day maa katyayani Mantra in hindi
  4. माँ कात्यायनी मंत्र
  5. कात्यायनी मंत्र
  6. ‘जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ…’ नवरात्रि के छठे दिन इस आरती, मंत्र और कथा को पढ़कर मां को करें प्रसन्न
  7. कात्यायनी मंत्र जप संख्या
  8. माँ कात्यायनी, माता के षष्ठ स्वरूप कात्यायनी का महत्व और शक्तियां


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माँ कात्यायनी की आरती , मंत्र , पूजा विधि , और कथा

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की आरती (Maa Katyayani Ki Aarti) जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ। उपमा रहित भवानी, दूँ किसकी उपमा॥ मैया जय कात्यायनि.... गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ। वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ॥ मैया जय कात्यायनि.... कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी। शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी॥ मैया जय कात्यायनि.... त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह । महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥ मैया जय कात्यायनि.... सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित । जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥ मैया जय कात्यायनि.... अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि। पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि॥ मैया जय कात्यायनि.... अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा। नाम पड़ा रणचण्डी, मरणलोक न्यारा॥ मैया जय कात्यायनि.... दूजे कल्प संहारा, रूप भद्रकाली। तीजे कल्प में दुर्गा, मारा बलशाली॥ मैया जय कात्यायनि.... दीन्हौं पद पार्षद निज, जगतजननि माया। देवी सँग महिषासुर, रूप बहुत भाया॥ मैया जय कात्यायनि.... उमा रमा ब्रह्माणी, सीता श्रीराधा। तुम सुर-मुनि मन-मोहनि, हरिये भव-बाधा॥ मैया जय कात्यायनि.... जयति मङ्गला काली, आद्या भवमोचनि। सत्यानन्दस्वरूपणि, महिषासुर-मर्दनि॥ मैया जय कात्यायनि.... जय-जय अग्निज्वाला, साध्वी भवप्रीता। करो हरण दुःख मेरे, भव्या सुपुनीता॥ मैया जय कात्यायनि.... अघहारिणि भवतारिणि, चरण-शरण दीजै। हृदय-निवासिनि दुर्गा, कृपा-दृष्टि कीजै॥ मैया जय कात्यायनि.... ब्रह्मा अक्षर शिवजी, तुमको नित ध्यावै। करत ...

Maa Katyayani Ki Upasana

Navratri Ke Sixth Day Kare Maa Katyayani Ki Upasana नवरात्रि के छठे दिन करें माँ कात्यायनी की उपासना नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की उपासना किये जाने का विधान हैं। यह माँ शक्ति का छ्ठा स्वरूप हैं। महिषासुर नाम के असुर से देवताओं और तीनों की रक्षा के लिये माँ पार्वती ने माता कात्यायनी का रूप धारण किया था। महिषासुर का वध करने के कारण माँ को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी पुकारा जाता हैं। युद्ध की देवी के रूप में माँ कात्यायनी को पूजा जाता हैं। असुरों के संहार के लिये धारण किया यह रूप बहुत हिंसक और भय उत्पन्न करने वाला माना जाता हैं। Maa Katyayani Ka Swaroop माता कात्यायनी का स्वरूप • माँ कात्यायनी के चार हाथों में से एक हाथ में कमल का पुष्प शोभायमान हैं, माँ ने दूसरे हाथ में तलवार धारण की है, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में हैं और चौथा हाथ वर मुद्रा में अपने भक्तों को आशीर्वाद देता हैं। • माँ कात्यायनी का वाहन शेर हैं। • माँ कात्यायनी को लाल रंग बहुत प्रिय हैं। माँ ने भी लाल वस्त्र धारण किये हैं। • माँ कात्यायनी स्वर्ण के समान कांति वाली हैं। उनका तेज अद्भुत हैं। Maa Katyayani Ki Katha माँ कात्यायनी की पौराणिक कथा वामन पुराण की एक कथानुसार जब महिषासुर नाम के असुर ने पूरी धरती एवं आकाश को अपने अत्याचारों से त्रस्त कर दिया था। तब उसके पाप और अत्याचार को समाप्त करने के लिये ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ सभी देवता ऋषि कात्यायन के आश्रम में उपस्थित हुये और ऋषि कात्यायन ने एक अनुष्ठान किया जिसमें उन्होने माँ शक्ति का आह्वाह्न करके एक शक्ति पुंज प्रकट किया। उसको ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ सभी देवताओ ने अपनी शक्तियाँ दी। ऋषि कात्यायन की कामना थी कि माँ शक्ति उनकी पुत्री बने। तब ऋषि का...

Navratri 6th Day maa katyayani Mantra in hindi

नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अंत्यत भव्य और चमकीला है। मां की चार भुजाएं हैं और मां का वाहन सिंह है। मां को प्रसन्न करने के लिए मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र जप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी के मंत्र- • मां कात्यायनी का मंत्र ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥ • मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥ Rashifal : नवरात्रि के छठे दिन सूर्य की तरह चमकेगा इन राशियों का भाग्य, पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का राशिफल • मां कात्यायनीस्तुति मंत्र या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ • मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥ स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्। वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥ पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥ प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्। कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥ • मां कात्यायनी स्त्रोत कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥ पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्। सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥ परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा। परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥ विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्री...

माँ कात्यायनी मंत्र

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कात्यायनी मंत्र

हिंदू संस्कृति सभ्यता के अनुसार विवाह जीवन की एक अहम संस्कार है। ये सोलह संस्कारों में से एक अनोखा संस्कार है। हरेक सामान्य मनुष्य इस संस्कार से होकर गुजरता है लेकिन हरेक के वैवाहिक जीवन में चाहे अनचाहे में कभी न कभी कुछ न कुछ परेशानियाँ आ ही जाती है। इस तरह की आई हुई परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए माता कात्यायनी के मंत्र (Katyayani Mantra Lyrics in Hindi) का जाप करना होता है। कात्यायनी मंत्र | Katyayani Mantra Lyrics in Hindi कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा कात्यायनी मंत्र का अर्थ: हे माता कात्यायनी आप महामाया है, आप महायोगी है, आप अंतर्यामी है, आप ही हमारे न्याय कर्त्ता है। हे माँ कात्यायनी आपको हमारा नमस्कार है, आप हम पर दया करें, आप हमारे जीवन में सुख प्रदान करें। माता कात्यायनी के मंत्र का जाप प्रातः काल में सूर्योदय के बाद करना होता है। इस मंत्र का जाप माता कात्यायनी की तस्वीर या मूर्ति के सामने करना होता है। इस मंत्र जाप करते समय लाल रंग का वस्त्र धारण करना होता है। इस मंत्र का जाप करते समय माता के चरणों में लाल फूल अर्पण करना होता है। - Advertisement - इसे भी पढ़े: माता कात्यायनी के मंत्र के जाप के दौरान माता के सामने घी के दीये जलते रहने चाहिए। इस मंत्र का जाप बारह बार करना होता है। माता कात्यायनी के इस मंत्र का जाप सामान्यतः शुक्रवार को करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से जीवनसाथी प्राप्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। माता कात्यायनी के मंत्र के जाप के प्रभाव से वैवाहिक जीवन सफल बन जाता है, रिश्तों के बीच आई हुई सारी दरारें भर जाती है।

‘जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ…’ नवरात्रि के छठे दिन इस आरती, मंत्र और कथा को पढ़कर मां को करें प्रसन्न

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। माता के इस स्वरूप की उपासना करने से अविवाहित लोगों के विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती है। इनकी चार भुजाएं हैं, इनका वाहन सिंह है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की थी। अगर कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो तो मां कात्यायनी की उपासना करनी चाहिए। जानिए इनकी पूजा की विधि, मंत्र, आरती, कथा और महत्व… अक्टूबर महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की लिस्ट मिलेगी यहां गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ । वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ ॥ मैया जय कात्यायनि…. कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी । शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी ॥ मैया जय कात्यायनि…. त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह । महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥ मैया जय कात्यायनि…. सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित । जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥ मैया जय कात्यायनि…. अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि । पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि ॥ मैया जय कात्यायनि…. अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा । नाम पड़ा रणचण्डी, मरणलोक न्यारा ॥ मैया जय कात्यायनि…. दूजे कल्प संहारा, रूप भद्रकाली । तीजे कल्प में दुर्गा, मारा बलशाली ॥ मैया जय कात्यायनि…. दीन्हौं पद पार्षद निज, जगतजननि माया । देवी सँग महिषासुर, रूप बहुत भाया ॥ मैया जय कात्यायनि…. उमा रमा ब्रह्माणी, सीता श्रीराधा । तुम सुर-मुनि मन-मोहनि, हरिये भव-बाधा ॥ मैया जय कात्यायनि…. जयति मङ्गला काली, आद्या भवमोचनि । सत्यानन्दस्वरूपणि, महिषासुर-मर्दनि ॥ मैया जय कात्यायनि…. जय-जय अग्निज्वाला, स...

कात्यायनी मंत्र जप संख्या

अनुक्रम • • • • • माँ कात्यायनी का रूप कैसा होता हैं? माँ कत्यायनी का रूप का वर्णन इस प्रकार से हैं. माँ शेर पर विराजमान होती हैं. और माँ के चार भुजाए हैं. माँ के एक हाथ में कमल का फूल होता हैं. वही दुसरे हाथ में तलवार होती हैं. माँ के तीसरे हाथ में अभय मुद्रा होती हैं. वही माँ अपने चौथे हाथ में वरद मुद्रा लिए विराजमान होती हैं. इसप्रकार माँ कात्यायनी का स्वरुप होता हैं. Ganesh atharvashirsha mantra /stotra in hindi pdf download माँ कात्यायनी की पूजा करने की विधि माँ कात्यायनी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठे और ब्रह्म मुहर्त में स्नान कर ले. इसके पश्चात् निचे दीए गए बिंदु अनुसार पूजा समपन्न करे. • पूजा के समय पीले वस्त्र को धारण करे. • पीले पुष्प और पीले पुष्प की मालाए माँ को चढ़ाए. • माँ के समक्ष एक शुध्द देशी घी का दिया जलाए. • प्रसाद के रूप में माँ को शहद मिटटी के बर्तन में भोग के रूप में चढाए. • प्रेम संबंध में रुकावट की बाधा के लिए माँ को 3 साबुत हल्दी की गाठे चढाए. • इसके पश्चात् शांत अवस्था में बैठ कर निचे दी गए मन्त्र का उच्चारण करे. राम रक्षा स्तोत्र PDF Download करे | लिंक पर क्लिक करे माँ कात्यायनी मन्त्र: मंत्र –‘ॐ ह्रीं नम:।।’ चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। मंत्र – ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ कात्यायनी मंत्र जप संख्या माँ कात्यायनी मन्त्र का कम से कम 51 बार जाप करना अनिवार्य हैं. आप चाहे तो इससे अधिक बार भी इस मन्त्र का जाप कर सकते हैं. और ज्यादा से ज्यादा आप माँ कात्यायनी मन्त्र का 1,25,000 बार जाप कर सकते हैं. 16 Somvar Vrat Katha Vidhi in HINDI PDF Free मन्त्र के जाप के लिए लाल चन्दन की माला का प्रयोग करे. जिस...

माँ कात्यायनी, माता के षष्ठ स्वरूप कात्यायनी का महत्व और शक्तियां

माँ कात्यायनी (Maa Katyayani): माँ कात्यायनी को माता दुर्गा के नौ रूपों में छठवां स्वरूप माना जाता है। इसलिए कात्यायनी को छठवीं दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने, पुत्री के रूप में उनके यहाँ जन्म लिया। इसलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है। कात्यायनी शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘जो प्रबल और घातक दंभ को दूर करने में सक्षम हो’। माँ कात्यायनी (Maa Katyayani), महत्व और शक्तियां Maa Katyayani नवरात्रि का छठवां दिन मां दुर्गा की छठवीं शक्ति का नाम कात्यायनी है। देवी कात्यायनी, सिंह पर विराजमान हैं; उनकी तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। एक हाथ में चंद्रहास नामक तलवार है, एक हाथ में कमल का फूल है और शेष दो भुजाएं अभयमुद्रा और वरदमुद्रा में हैं। मां कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है। जहां तक ​​संभव हो, भक्त को पूजा के समय उसी रंग के कपड़े पहनने चाहिए। छठवें दिन की पूजा में योगी का मन ‘आज्ञा चक्र’ चक्र में प्रविष्ट करता हैं। यह उनकी योग साधना का छठवां दिन होता है। इसके सिद्ध होने से अमोद्य फल, आत्मविश्वास में वृद्धि तथा शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। महत्व माता अपने भक्तों पर दाम्पत्य जीवन को सुखमय बनाने का आशीर्वाद देती हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सद्गृहस्थ में शामिल होने की क्षमता प्राप्त होती है। अर्थात् उसे स्त्री, पुत्र और पौत्र की प्राप्ति के साथ ही धन और समृद्धि भी मिलती है। मां के भक्त चाहे स्त्री हों या पुरुष, उन पर अपार कृपा होती है। सौभाग्याकांक्षी कन्याओं के लिए माता की आराधना विशेष फलदायी होती है। इसलिए मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए मां की पूजा का बहुत महत्व है। भक्तों को वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार विधि-विधान से मां की पूजा कर...