Mangal pandey in hindi

  1. मंगल पांडे
  2. 10 Lines on Mangal Pandey in Hindi । मंगल पांडेय पर 10 लाइन निबंध
  3. मंगल पांडे की जीवनी
  4. Mangal Pandey Ka Parichay (Hindi Biography)
  5. महान क्रांतिकारी मंगल पांडे की जीवनी
  6. Mangal Pandey
  7. मंगल पांडे पर निबंध Essay on Mangal Pandey in Hindi


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मंगल पांडे

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 1857 का विद्रोह • 3 विद्रोह का परिणाम • 4 सन्दर्भ • 5 बाहरी कड़ियाँ जीवन परिचय मंगल पाण्डेय का जन्म 1857 का विद्रोह विद्रोह का प्रारम्भ एक बंदूक की वजह से हुआ। सिपाहियों को पैटऱ्न १८५३ एनफ़ील्ड बंदूक दी गयीं जो कि ०.५७७ कैलीबर की बंदूक थी तथा पुरानी और कई दशकों से उपयोग में लायी जा रही ब्राउन बैस के मुकाबले में शक्तिशाली और अचूक थी। नयी बंदूक में गोली दागने की आधुनिक प्रणाली (प्रिकशन कैप) का प्रयोग किया गया था परन्तु बंदूक में गोली भरने की प्रक्रिया पुरानी थी। नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारुद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस को डालना पड़ता था। कारतूस का बाहरी आवरण में चर्बी होती थी जो कि उसे पानी की सीलन से बचाती थी। सिपाहियों के बीच अफ़वाह फ़ैल चुकी थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और गाय के मांस से बनायी जाती है। २९ मार्च १८५७ को बैरकपुर परेड मैदान कलकत्ता के निकट मंगल पाण्डेय जो दुगवा रहीमपुर(फैजाबाद) के रहने वाले थे रेजीमेण्ट के अफ़सर लेफ़्टीनेण्ट बाग पर हमला कर के उसे घायल कर दिया। जनरल जान हेएरसेये के अनुसार मंगल पाण्डेय किसी प्रकार के धार्मिक पागलपन में थे जनरल ने जमादार ईश्वरी प्रसाद ने मंगल पांडेय को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया पर ज़मीदार ने मना कर दिया। सिवाय एक सिपाही शेख पलटु को छोड़ कर सारी रेजीमेण्ट ने मंगल पाण्डेय को गिरफ़्तार करने से मना कर दिया। मंगल पाण्डेय ने अपने साथियों को खुलेआम विद्रोह करने के लिये कहा पर किसी के ना मानने पर उन्होने अपनी बंदूक से अपनी प्राण लेने का प्रयास किया। परन्तु वे इस प्रयास में केवल घायल हुये। ६ अप्रैल १८५७ को मंगल पाण्डेय का कोर्ट मार...

10 Lines on Mangal Pandey in Hindi । मंगल पांडेय पर 10 लाइन निबंध

Table of Contents • • • • Mangal Pandey in Hindi मंगल पांडे की ख्याति प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के रूप में है। भारत में बाद में भले ही अनेक स्वतंत्रता सेनानी आए तथा जोरदार तरीके से अंग्रेजों का विरोध भी किया, कुछ हिंसा के पद से तथा कुछ अहिंसा के बल से अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया,पर इस बगावत की चिंगारी को मंगल पांडे ने जलाया जो 90 साल में पूरी तरह से दावानल के रूप में परिवर्तित हो गया तथा जिस आग ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए बाध्य किया। मंगल पांडे का जीवन परिचय मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में नगवा नामक गांव में हुआ था। यह जाति से हिंदू ब्राह्मण थे । वह अपने धर्म में काफी आस्था रखते थे । उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम अभय रानी था ।मंगल पांडे ने 1849 को ईस्ट इंडिया की आर्मी जॉइन की।चुँकि वह परेड बहुत अच्छा करते थे इसीलिए उन्हें पैदल सेना में सिपाही बनाया गया।इन सेना में अधिकतर ब्राह्मण ही भर्ती हुआ करते थे।यह थी 34 वी बंगाल नेटिव इन्फेंट्री।मंगल पांडे स्वभाव से स्वामीभक्त थे। वह अपने कार्य को पूरी लगन व निष्ठा से करते थे।इसके साथ ही वे काफी महत्वाकांक्षी भी थे और कुछ अलग करने, का जज्बा रखते थे। मंगल पांडे जिस सेना में थे उस बंगाल की सेना ने नई राइफल सेना में शामिल किया। यह एनफील्ड 5 में कारतूस भरने के लिए राइफल को मुंह से खोलना पड़ता था। बाद में सेना में यह अफवाह फैली कि राइफल में गाय तथा सूअर के चर्बी का प्रयोग किया जाता है। इस बात ने पूरी सेना में भूचाल मचा दिया। हिंदू तथा मुस्लिम दोनों के लिए ही गाय तथा सूअर का मांस वर्जित था। उन्हें महसूस हुआ कि अंग्रेज जबरन उनका धर्म नष्ट कर रहे हैं। हिंदुओं के लिए गाय मां स...

मंगल पांडे की जीवनी

जन्म: 30 जनवरी 1831, नगवा गांव, बलिया जिला निधन: 8 अप्रैल 1857, बैरकपुर, पश्चिम बंगाल कार्य: सन् 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। उनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज़ शासन बुरी तरह हिल गया। हालाँकि अंग्रेजों ने इस क्रांति को दबा दिया पर मंगल पांडे की शहादत ने देश में जो क्रांति के बीज बोए उसने अंग्रेजी हुकुमत को 100 साल के अन्दर ही भारत से उखाड़ फेका। मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में एक सिपाही थे। सन 1857 की क्रांति के दौरान मंगल पाण्डेय ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो जंगल में आग की तरह सम्पूर्ण उत्तर भारत और देश के दूसरे भागों में भी फ़ैल गया। यह भले ही भारत के स्वाधीनता का प्रथम संग्राम न रहा हो पर यह क्रांति निरंतर आगे बढ़ती गयी। अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गद्दार और विद्रोही की संज्ञा दी पर मंगल पांडे प्रत्येक भारतीय के लिए एक महानायक हैं। प्रारंभिक जीवन मंगल पाण्डेय का जन्म 30 जनवरी 1831 को संयुक प्रांत के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण युवावस्था में उन्हें रोजी-रोटी की मजबूरी में अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने पर मजबूर कर दिया। वो सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे। ईस्ट इंडिया कंपनी की रियासत व राज हड़प और फिर इशाई मिस्नरियों द्वारा धर्मान्तर आदि की नीति ने लोगों के मन में अंग्र...

Mangal Pandey Ka Parichay (Hindi Biography)

Mangal Pandey Ka Parichay (Hindi Biography) – मंगल पांडे का सम्पूर्ण जीवन परिचय व क्रांतिकारी मंगल पाण्डेय का जीवन परिचय व इतिहास Mangal Pandey biography History in hindi Mangal Pandey Ka Parichay – मंगल पांडे भारत के एक महान क्रांतिकारी सैनिक, स्वतन्त्रा सेनानी थे, इनका जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था, तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। मंगल पांडेय पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना के 1446 नंबर के सैनिक थे। इनके बारे में कहा जाता है कि यह भारत के प्रथम क्रांतिकारी के रूप में विख्यात थे। महज 30 साल की उम्र में इन्होने अपने जीवन को देश के नाम कुर्बान कर दिया था। मंगल पाण्डेय का संछिप्त परिचय – वास्तविक नाम – मंगल पाण्डेय जन्म – 19 जुलाई 1827 जन्म स्थान – नगवा, बल्लिया, उत्तर प्रदेश पिता का नाम – दिवाकर पांडे माता का नाम – श्रीमती अभय रानी म्रत्यु- 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटकाए गए प्रसिद्धि मिली थी – प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक थे। अंग्रेजों के बढ़ते जुल्म को देख कर इन्होने आजादी के सपने देखे थे। मंगल पाण्डेय और ब्रिटिश अफसर के बीच लड़ाई – उस ज़माने की बात है जब मंगल पाण्डेय जवान हो रहे थे, उस समय भारत पर अंग्रेजों का काफी जुल्म बढ़ रहा था ऐसे में मंगल पांडेय ने देश को आजादी दिलाने की सपने देखने शुरू कर दिए थे, उसके बाद इन्होने “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में भर्ती होने का फैसला किया और यह भर्ती भी हो गए इनको 1446 नंबर के सिपाही के रूप में भर्ती मिली। उसी समय बंगाल की अं...

महान क्रांतिकारी मंगल पांडे की जीवनी

मंगलपांडेकाजीवनपरिचय– Mangal Pandey in Hindi मंगलपांडेकीजीवनीएकनजरमें– Mangal Pandey Information in Hindi पूरानाम (Name) मंगलपांडे जन्म (Birthday) 19 जुलाई 1827, नगवा, बलिया, उत्तरप्रदेश, भारत पिता (Father Name) दिवाकरपांडेय माता (Mother Name) अभयरानीपांडेय कार्य (Work) सन् 1857 केप्रथमभारतीयस्वतन्त्रतासंग्रामकेअग्रदूत मंगलपांडेपरबनीफिल्मकानाम (Movie) मंगलपांडे: दिराइजिंग मृत्यु (Death) 8 अप्रैल 1857 (29 वर्ष), बैरकपुर, पश्चिमबंगाल, भारत मंगलपांडेकाजन्मऔरपरिवार– Mangal Pandey History in Hindi आजादीकीपहलीलड़ाईमेंअपनीमहत्वपूर्णभूमिकानिभाचुकेमंगलपांडेकाजन्म 19 जुलाई, 1827 में उनकेपिताकानामदिवाकरपांडेथाऔरउनकीमांकानामआभयरानीपांडेथा।परिवारकीमालीयहालतठीकनहींहोनेकीवजहसेगुजर-बसरकरनेऔरअपनीजीविकाचलानेकेलिएमंगलपांडेकरीब 22 सालकीउम्रमेंसाल 1849 मेंब्रिटिश इसकेबादउनकीप्रतिभासेप्रभावितहोकरउन्हेंब्रिटिशआर्मीके 34वींबंगालनैटिवइन्फेंट्रीमेंशामिलकियागयाथा। ब्रिटिशआर्मीमेंमंगलपांडेऔरब्रटिशअफसरसेमतभेद– Mangal Pandey Story साल 1949 मेंजबभारतीयस्वाधीनतासंग्रामकेअग्रणीयोद्धामंगलपांडेनेब्रिटिशआर्मीज्वाइनकीथी।उसवक्तभारतीयजनताकोब्रिटिशईस्टइंडियाकंपनीकेअत्याचारसहनकरनेपड़ेथे। अंग्रेजोंकीगुलामीकररहीभारतीयजनताउनकेजुल्मसेत्रस्तहोचुकीथी।इसदौरानतकसभीभारतीयोंकेमनमेंअंग्रेजोंकीगुलामीसेआजादीपानेकीप्रबलइच्छाजागृतहोचुकीथी। वहींउसदौरानमंगलपांडेजिससेनामेंथे, उससेनामेंएकनईराइफल“एनफिल्ड P.53”लॉन्चहुईथी।इसनईराइफलमेंकारतूसभरनेकेलिएराइफलकोमुंहसेखोलनापड़ताथा, औरउसीदौरानभारतीयसैनिकोंकेबीचयहअफवाहफैलगईथीकीराइफलमेंगायऔरसूअरकीचर्बीकाइस्तेमालकियागयाहै। जिससेभारतीयसैनिकोंकीभावनाकाफीआहतहुईऔरउन्हेंलगनेलगाकीअंग्रेजोंनेअपनेनापाकइ...

Mangal Pandey

Mangal Pandey was arrested and sentenced to death after he attacked British officers in Mangal Pandey, (born July 19, 1827, Akbarpur, India—died April 8, 1857, Barrackpore), Indian soldier whose attack on British officers on March 29, 1857, was the first major incident of what came to be known as the Pandey was born in a town near Pandey’s career ambitions, however, came into conflict with his religious beliefs. While he was posted at the garrison in There have been various accounts of the events of March 29, 1857. However, the general agreement is that Pandey attempted to

मंगल पांडे पर निबंध Essay on Mangal Pandey in Hindi

मंगल पांडे पर निबंध Essay on Mangal Pandey in Hindi भारत के इतिहास में मंगल पांडे का नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है। मंगल पांडे एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वह पहले ऐसे स्वतंत्रता क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश कानून का विरोध किया था। मंगल पांडे पर निबंध Essay on Mangal Pandey in Hindi मंगल पांडे को प्रथम स्वाधीनता संग्राम का जनक भी कहा जाता है। इनके द्वारा लगाई गई विरोध की चिंगारी ने देखते ही देखते एक भयंकर रूप ले लिया और ब्रिटिश सरकार के तख़्तों ताज को हिला कर रख दिया। हालाँकि भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था लेकिन भारत की जनता में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह की भावना भड़क उठी थी। भारत के स्वाधीनता संग्राम में मंगल पांडे जी की महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान में सन् 1984 में एक डाक टिकट जारी किया गया। मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई सन् 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। हालांकि कुछ इतिहासकार इनका जन्म स्थान फैजाबाद(अयोध्या) जिले के सुरहूरपुर गांव मानते हैं। उनके पिताजी का नाम दिवाकर पांडे था। मंगल पांडे एक गरीब परिवार के थे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। उन दिनों अंग्रेज केवल ब्राह्मण और मुसलमानों को ही सेना में भर्ती किया करते थे। मंगल पांडे सन् 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए। कहा जाता है कि किसी ब्रिगेडियर द्वारा उन्हें 34वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में एक सिपाही के रूप में शामिल किया गया था। सन् 1850 बैरकपुर ने तैनात किया गया। उसी समय भारत में अंग्रेजों ने अपनी सेना के लिए एक नई राइफल का निर्माण किया था, जिसके संदर्भ में यह अफवाह फैली थी क...