नाटक किसे कहते हैं class 12

  1. HBSE 12th Class Hindi कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण – Haryana Board Solutions
  2. CBSE Class 12 Hindi Elective रचना नाटक लिखने का व्याकरण
  3. नाटक और एकांकी में अंतर
  4. Playwriting Grammar (नाटक लिखने का व्याकरण) NCERT Solutions
  5. +2 Hindi रेडियो नाटक
  6. नाटक किसे कहते हैं Class 12
  7. NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 5 नाटक लिखने का व्याकरण


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HBSE 12th Class Hindi कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण – Haryana Board Solutions

Haryana State Board Haryana Board 12th Class Hindi कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण प्रश्न 1. कहानी और नाटक में क्या अंतर हैं? उत्तर: कहानी और नाटक दो अलग-अलग विधाएँ हैं। इनमें यदि कुछ समानताएँ हैं तो कुछ भिन्नताएँ भी हैं। कहानी की परिभाषा देते हुए हिंदी साहित्यकोश लिखता है-“कहानी गद्य-साहित्य का एक छोटा, अत्यंत सुसंगठित और अपने-आप में पूर्ण कथारूप है।” परंतु नाटक जीवन की अनुकृति है। नाटक को सजीव पात्रों द्वारा एक चलते-फिरते सप्राण रूप में अंकित किया जाता है। अन्य शब्दों में, हम कह सकते हैं कि कहानी का संबंध केवल लेखक तथा पाठक से होता है, परंतु नाटक का संबंध लेखक के अतिरिक्त निर्देशकों, पात्रों, दर्शकों तथा श्रोताओं से होता है। दृश्य होने के कारण नाटक अधिक प्रभावशाली विधा है। नाटक को मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। उसमें मंच सज्जा, संगीत, प्रकाश व्यवस्था इत्यादि को भी स्थान दिया जाता है, परंतु कहानी केवल कही जाती है या पढ़ी जाती है। कहानी को पढ़ते समय हम उसे बीच में भी छोड़ सकते हैं और बाद में समय मिलने पर कभी भी पढ़ सकते हैं, परंतु नाटक को एक ही समय तथा स्थान पर दर्शकों के सामने अभिनीत किया जाता है। संक्षेप में, हम कहते हैं कि कहानी पढ़ने या सुनने की विधा है, नाटक रंगमंच पर अभिनीत करने की विधा है। प्रश्न 2. कहानी को नाटक में किस प्रकार रूपांतरित किया जा सकता है? स्पष्ट करें। उत्तर: कहानी को नाटक में रूपांतरित करना कोई सहज कार्य नहीं है, ऐसा करते समय कहानी को अनेक सोपानों से गुज़रना पड़ता है। सर्वप्रथम कहानी के विस्तृत कथानक को समय और स्थान के आधार पर विभाजित किया जाता है। तत्पश्चात् हम कहानी की विभिन्न घटनाओं को आधार बनाकर दृश्य बनाते हैं। उदाहरण के रूप में, यदि कहानी की क...

CBSE Class 12 Hindi Elective रचना नाटक लिखने का व्याकरण

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नाटक और एकांकी में अंतर

नाटक :- नाटक एक अभिनय परक एवं दृश्य काव्य विधा है जिसमें संपूर्ण मानव जीवन का रोचक एवं कुतूहलपूर्ण वर्णन होता है। नाटक के विकास क्रम को निम्न रूप में स्वीकार किया गया है - भारतेंदु काल - 1837 ई. से 1904 ई. तक सन्धि काल - 1904 ई. से 1915 ई. तक प्रसाद काल - 1915 ई. से 1933 ई. तक वर्तमान युग - 1933 ई. से आज तक नाटक के तत्व :- 1. कथावस्तु - कथावस्तु का अर्थ है नाटक में प्रस्तुत घटना चक्र अर्थात जो घटनाएं नाटक में घटित हो रही हैं। यह घटना चक्र विस्तृत होता है और इसकी सीमा में नाटक की स्थूल घटनाओं के साथ पात्रों के आचार विचारों का भी समावेश है। 2. पात्र या चरित्र चित्रण - वैसे तो और नाटक में पात्रों की संख्या बहुत अधिक होती है, किंतु सामान्यतः एक-दो पात्र एसी मुख्य होते हैं। किसी विषय नाटक एक प्रधान पुरुष पात्र होता है जिसे हम 'नायक' कहते हैं और इसके अलावा प्रधान या मुख्य स्त्री पात्र को हम 'नायिका' कहते हैं। किसी भी चरित्र प्रधान नाटक में नाटक की कथावस्तु एक ही पात्र के चारों ओर घूमती रहती है। 3. देशकाल या परिवेश - परिवेश का अर्थ होता है देश काल। किसी भी नाटक में उल्लेखित घटनाओं का संबंध किसी ना किसी स्थान एवं काल से होता है। नाटक में यथार्थता, सजीवता एवं स्वाभाविकता लाने के लिए यह आवश्यक है कि नाटककार घटनाओं का यथार्थ रूप से चित्रण करें। 4. संवाद और भाषा - नाटक के भिन्न-भिन्न पात्र आपस में एक दूसरे से जो वार्तालाप करते हैं, उसे संवाद कहते हैं। इन संवादों के द्वारा नाटक की कथा आगे बढ़ती है, नाटक के चरित्र पर प्रकाश पड़ता है। नाटक में स्वगत कथन भी होते हैं। स्वगत कथन में पात्र स्वयं से ही बात करता है। इनके द्वारा नाटककार पत्रों की मानसिक स्थिति का चित्रण करता है। 5. शैली - रंगमं...

Playwriting Grammar (नाटक लिखने का व्याकरण) NCERT Solutions

अभ्यास प्रश्न प्रश्न 1: नाटक की कहानी बेशक भूतकाल या भविष्य काल से संबंध हो, तब भी उसे वर्तमान काल में ही घटित होना पड़ता है- इस धारणा के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? नाटक को दृश्य काव्य माना जाता है। इसे दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। प्रत्येक नाटक का एक निश्चित समय सीमा में समाप्त होना भी आवश्यक है। साहित्य के अन्य विधाओं जैसे कहानी, उपन्यास, कविता, निबंध को पढ़ने के लिए हम अपनी सुविधा के अनुसार समय निकाल सकते हैं। एक ही कहानी को कई दिनों में थोड़ा थोड़ा पढ़ कर समाप्त कर सकते हैं परंतु नाटक को तो दर्शकों ने एक निश्चित समय सीमा में एक ही स्थान पर देखना होता है। नाटककार अपने नाटक का कथ्य भूतकाल से ले अथवा भविष्य काल से उसे उस नाटक को वर्तमान काल में ही संयोजित करना पड़ता है कैसा भी नाटक हो उसे एक विशेष समय में, एक विशेष स्थान पर और वर्तमान काल में ही घटित होना होता है। कोई भी पौराणिक अथवा ऐतिहासिक कथानक भी नाटक के रूप में हमारे सम्मुख, हमारी आंखों के सामने वर्तमान में ही घटित होता है। इसीलिए नाटक के मंच निर्देश वर्तमान काल में ही लिखे जाते हैं। इन्हीं कारणों से नाटक की कहानी बेशक भूतकाल या भविष्य काल से संबंध हो उसे वर्तमान काल में ही घटित होना पड़ता है। प्रश्न 2: संवाद चाहे कितना भी तत्सम और क्लिष्ट भाषा में क्यों न लिखे गए हो। स्थिति और परिवेश की मांग के अनुसार यदि वे स्वाभाविक जान पड़ते हैं तो उनके दर्शक तक संप्रेषित होने में कोई मुश्किल नहीं है। क्या आप इससे सहमत हैं? पक्ष या विपक्ष में तर्क दीजिए। हम इस कथन से सहमत है कि सागवान चाहे कितने भी तत्सम और क्लिष्ट भाषा में क्यों न लिखे गए हो। स्थिति और परिवेश की मांग के अनुसार यदि वे स्वाभाविक जान पड़ते हैं तो उनके...

+2 Hindi रेडियो नाटक

Page 1 : 3.1 कैसे बनता है रेडियो नाक _____ बनता है रेडियो नाटक, , (जमाना था जब रेडियो में आने वाले नाटक टी०वी० धारावाहिकों और टेलीफ़िल्मों कौ कमी को पूरा करते थे। हिंदी, , के तमाम बड़े नाम रेडियो स्टेशनों के लिए नाटक लिखते थे। उस समय यह सम्मान की बात मानी जाती थी।, , हम प्रकाश डालते हैं कि रेडियो नाटक लिखे कैसे जाते हैं। सिनेमा और रंगमंच की तरह रेडियो नाटक में भी चरित्र, , होते हैं, उन चरित्रों के आपसी संवाद होते हैं। इन्हीं संवादों के माध्यम से कहानी आगे बढ़ती है। इसमें विजुअल दृश्य, , देखने को नहीं मिलते। यही सबसे बड़ा अंतर है- रेडियो नाटक तथा सिनेमा या रंगमंच के माध्यम में। रेडियो नाटक, , का लेखन थोड़ा भिन्‍न है क्योंकि यह पूरी तरह श्रव्य माध्यम है। इसमें सब कुछ संवादों तथा ध्वनि प्रभावों के माध्यम, से संग्रेषित करना होता है। इसमें मंच सजाना, वस्त्र सज्जा एवं अभिनयकर्ता की भाव-भंगिमाओं का अभाव होता है।, , , , , , , , , , , , , , 4. नाटक किसे कहते हैं ?, उत्तर नाटक साहित्य कौ समृद्ध विधा है। इस पढ़ने, सुनने, के साथ-साथ देखा भी जा सकता है। नाटक शब्द, की उत्पत्ति 'नट' धातु से मानी जाती है। 'नट' शब्द, का अर्थ अभिनय है, जो अभिनेता से जुड़ा होता, है। इसे रूपक भी कहा जाता है। भारतीय परंपरा में, , । नाटक को दृश्य काव्य की संज्ञा दी गई है।, , | 2, नाठक के अंग लिखिए।, , उत्तर नाटक के प्रमुख अंग हैं, | () समय का बंधन-नाटक का प्रथम अंग समय का, , |. बंधन है। समय का यह बंधन नाटक की रचना पर, , अपना पूरा असर डालता है इसलिए शुरुआत से लेकर, अंत तक एक निश्चित समय सीमा के भीतर नाटक, पूरा होना होता है।, , । (0) शब्ब-शब्द नाटक का दूसरा महत्वपूर्ण अंग है।, नाटक में शब्द अपना एक नया आवरण ग्रहण...

नाटक किसे कहते हैं Class 12

आप सभी ने नाटक ज़रूर देखा होगा। अभिनय के माध्यम से समाज एवं व्यक्ति के चरित्रों का प्रदर्शन ही ‘नाटक’ कहलाता है। यह दृश्य काव्य के अंतर्गत आता है जो रंगमंच का विषय है। इसका उद्देश्य शिक्षण और मनोरंजन के साथ-साथ मानवीय संवेदना, समस्या एवं समाज के यथार्थ का चित्रण करना है। और आज हम इसी के बारे में बात करने वाले हैं कि नाटक किसे कहते हैं? और नाटक के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं? विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • हिंदी में नाटक लिखने की परम्परा भारतेंदु युग से मानी गई है। भारतेंदु हरिश्चंद्र का ‘अँधेर नगरी’, प्रसाद का ‘चंद्रगुप्त’, ‘स्कंदगुप्त‘, ‘ध्रुवस्वामिनी’ आदि की लोकप्रियता उल्लेखनीय है। आज के समय में नाटक रंगमंच तक ही सीमित नहीं है। यह रंगमंच से फ़िल्मों, नुक्कड़ नाटकों, रेडियो-नाटकों और दूरदर्शन पर धारावाहिकों जे रूप में व्याप्त हो गया है। • नाटक किसे कहते हैं? • नाटक के प्रमुख तत्त्व कौन-से हैं? • कथावस्तु किसे कहते हैं? • पात्र और चरित्र-चित्रण क्या होता है? • कथोपकथन किसे कहते हैं? • देशकाल तथा वातावरण चित्रण क्या है? • नाटक का उद्देश्य • शैली: नाटक का प्रमुख तत्त्व • अभिनय तथा रंगमंच क्या होता है? नाटक किसे कहते हैं? नाटक काव्यकला का सर्वश्रेष्ठ अंग है। अभिनय के माध्यम से समाज एवं व्यक्ति के चरित्रों का प्रदर्शन ही नाटक है। इसमें कथा-तत्त्व की प्रधानता होती है। परम्परागत रूप से नाटक कम-से-कम पाँच अंकों का होना चाहिए, जिसमें आरम्भ, विकास, चरम एवं अंत दिखाया जाता है। भारतीय परंपरा में नाटक को ‘पंचमवेद’ कहा गया है। नाटक की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न मत प्रचलित हैं। किंतु विद्वानों ने नाटक के मूल में अनुकरण की प्रवृत्ति को मुख्य माना है। नाटक के मूल में मनुष्य ...

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 5 नाटक लिखने का व्याकरण

नाटक लिखने का व्याकरण Class 12 Hindi NCERT Solutions Check the below NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 5 नाटक लिखने का व्याकरण Pdf free download. were prepared based on the latest exam pattern. We have Provided नाटक लिखने का व्याकरण Class 12 Hindi NCERT Solutions to help students understand the concept very well. Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 5 CBSE NCERT Solutions NCERT Solutions Class12 Hindi Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT) Board: Central Board of Secondary Education (CBSE) Class: 12th Class Subject: Hindi Chapter: 5 Chapters Name: नाटक लिखने का व्याकरण Medium: Hindi नाटक लिखने का व्याकरण Class 12 Hindi NCERT Books Solutions उत्तर- नाटक को दृश्य काव्य माना जाता है। इसे दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। प्रत्येक नाटक का एक निश्चित समय सीमा में समाप्त होना भी आवश्यक है। साहित्य के अन्य विधाओं जैसे कहानी, उपन्यास, कविता, निबंध को पढ़ने के लिए हम अपनी सुविधा के अनुसार समय निकाल सकते हैं। एक ही कहानी को कई दिनों में थोड़ा थोड़ा पढ़ कर समाप्त कर सकते हैं परंतु नाटक को तो दर्शकों ने एक निश्चित समय सीमा में एक ही स्थान पर देखना होता है। नाटककार अपने नाटक का कथ्य भूतकाल से ले अथवा भविष्य काल से उसे उस नाटक को वर्तमान काल में ही संयोजित करना पड़ता है कैसा भी नाटक हो उसे एक विशेष समय में, एक विशेष स्थान पर और वर्तमान काल में ही घटित होना होता है। कोई भी पौराणिक अथवा ऐतिहासिक कथानक भी नाटक के रूप में हमारे सम्मुख, हमारी आंखों के सामने वर्तमान में ही घटित होता है। इसीलिए नाटक के मंच निर्देश वर्तमान काल में ही ...