नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे pdf

  1. Namaste Sada Vatsale
  2. The story of Hiranyakashipu and Prahlada
  3. Unspoken, Unheard & Unseen !
  4. RSS Prarthana PDF Download (संघ प्रार्थना)
  5. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
  6. Namaste Sada Vatsale Matruṛbhume
  7. नमस्ते सदा वत्सले (संघ प्रार्थना)


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Namaste Sada Vatsale

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे। त्वया हिन्दु-भूमे सुखम् वर्धितोऽहम्।। महामंगले पुण्य-भूमे त्वदर्थे। पतत्वेष कायो नमऽस्ते नमऽस्ते।1। हे वत्सला (अपने बच्चों को प्रेम करने वाली) मातृभूमि! तुम्हे सदा नमस्कार है, तुम पावन हिन्दू भूमि मेरे सुख को बढाती हो, हे महामंगल मयी पुण्य भूमि तुम्हारी रक्षा के लिए मैं अपनी इस काया (शरीर) को अर्पण करता हूँ, तुम्हें बार-बार नमस्कार करता हूँ।। प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्रा ङ्गभूता। इमे सादरम् त्वाम् नमामो वयं।। त्वदीयाय कार्याय् बद्धा कटीयं। शुभामाशिषम् देहि तत्पूर्तये।। हे सर्व शक्तिमान प्रभु (ईश्वर), हम इस हिन्दू राष्ट्र के अंग (हिस्सा, घटक) के रूप में आपको सादर नमस्कार करते हैं। आपके कार्य के लिए ही हम कटिबद्ध (committed, prepared) हुए हैं, हमें इस कार्य की पूर्ति के लिए शुभाशीष (आशीर्वाद) दीजिये। अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम्। सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्।। श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गम्। स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्।2। हे ईश्वर! हमें शक्ति दीजिये जिससे आगे विश्व में कोई न ठहर सके, हमें ऐसी विनम्रता दीजिये जिससे संसार हमारे शील (modesty) के आगे झुके। हमें ऐसा ज्ञान (श्रुति) दीजिये जिससे हमारे द्वारा चुना गया यह काँटों से भरा मार्ग सुगम हो जाए।। समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैक मुग्रं। परम् साधनं नाम वीरव्रतम्।। तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा। हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्।। वीरव्रती (वीरतापूर्वक अपने संकल्प का पालन करने) की भावना जो आध्यात्मिक सुख और समृद्धि प्राप्त करने का साधन है, वह हमारे अन्दर सदा जलती रहे। अक्षय (अखंड) ध्येयनिष्ठा हमारे ह्रदय में तीव्रता से जलती रहे।। विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्। विधायास्य ...

The story of Hiranyakashipu and Prahlada

Many year ago, To save earth from the captivity of Hiranyaksha, Lord Vishnu had arrived in the avatar (incarnation) Varaha (boar) form and killed him. Hiranyakashipu, Elder brother of Hiranyaksha wanted to take revenge on the devotees and in particular on Lord Vishnu. He wanted to become the master of all the three worlds -Heaven, Earth & Pathala. Narshimha According to a story from Bhagavata Purana, Hiranyakashipu and Hiranyaksha are Vishnu's gatekeepers Jaya and Vijaya, born on earth as the result of a curse from the Four Kumaras. In Satya Yuga, Hiranyakashipu and Hiranyaksha - together called the Hiranyas - were born to Diti, daughter of Daksha Prajapathi , and sage Kashyapa. He went to the Himalayas and began to perform severe penance for many years. Lord Brahma was pleased by his penance and asked him for a boon. He asked for a boon that would make him as good as immortal. He asked that let death do not come to me either by man or beast, nor devil, nor god shall cause my death by day or by night with steel or stone or wood, indoors or outdoors, or earth or in sky. Grant me undisputed lordship over the world. With Boon, he became very domineering and egoistic. In this state of mind he ordered that only he should be worshipped as God in his kingdom. Now considered himself invincible and started a reign of terror, hurting and killing everyone on earth and conquest of the three lokas. Whilst Hiranyakashipu had been performing the penance to be granted this boon, his home ...

Unspoken, Unheard & Unseen !

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्। महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।।१।। ( Forever I bow to thee, O Loving Motherland! O Motherland of us Hindus, Thou hast brought me up in happiness. May my life, O great and blessed Holy Land, be laid down in Thy Cause. I bow to Thee again and again. ) ( हे परम वत्सला मातृभूमि! तुझको प्रणाम शत कोटि बार। हे महा मंगला पुण्यभूमि! तुझ पर न्योछावर तन हजार।। )

RSS Prarthana PDF Download (संघ प्रार्थना)

1.2 नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे RSS प्रार्थना हिंदी अर्थ के साथ नमस्कार मित्रों अगर आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS Prarthana PDF in Hindi में ढूंढ रहे हैं तो आप सही जगह पर हो क्योंकि दोस्तों आज मैंने इस पोस्ट के माध्यम से उन सभी लोगों के लिए आरएसएस prayer नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे (Namaste Sada Vatsale) हिंदी लिरिक्स के साथ पीडीएफ प्रदान किया है आप सभी इस आर.एस.एस संघ की प्रार्थना को नीचे दिए गए Download Link के माध्यम से प्राप्त कर सकते हो यह संपूर्ण प्रार्थना संस्कृत भाषा में लिखी गई है. नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना है. इस संपूर्ण प्रार्थना को संस्कृत भाषा में लिखा गया है। और इस प्रार्थना को सर्वप्रथम 10 अप्रैल 1950 को पुणे में संघ शिक्षा वर्ग में गाया गया था। तब से लेकर अब तक इस प्रार्थना को संघ की हर शाखा में या फिर अन्य कार्यक्रमों में अनिवार्यता गाया जाता है और साथ ही ध्वज के सम्मुख नमन किया जाता है। RSS Prarthana Namaste Sada Vatsale Lyrics in Hindi नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्। महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते॥१॥ प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयम् शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये। अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम् सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्णमार्गम् स्वयं स्वीकृतं नः सुगंकारयेत्॥२॥ See also 51 Shakti Peeth Name List PDF समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रम् परं साधनं नाम वीरव्रतम् तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम्। विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् पर...

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

Table of Contents • • • • • • • • • • • Namaste Sada Vatsale lyrics in Hindi namaste sada vatsale lyrics in hindi संघ प्रार्थना– नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे नमस्कार (Swayamsevak Sangh) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना बिषय में कहा जाता है आरएसएस की शक्ति संघ की ताकत है संघ की प्रार्थना ( RSS prayer )। यह संघ प्रार्थना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वास्तविक अर्थ छिपी हुई है। मैं यह नहीं आंक सकता कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक ने भी बलिदान किया है, लेकिन मैंने इस प्रार्थना को बड़ी मुश्किल से जोड़ा है। यहां संघ प्रार्थना मातृभूमि के लिए नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमी Namaste Sada Vatsale Matribhume prayer for motherland . मैं प्रार्थना का अर्थ दूंगा, ताकि इसे समझना मुश्किल न हो। आज गायी जाने वाली प्रार्थना 79 साल पहले नागपुर के पास एक बैठक में तय की गई थी संघ प्रार्थना. RSS Prarthana in Hindi | संघ प्रार्थना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रार्थना ।। प्रार्थना ।। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् । महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।। प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये । अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।। समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं परं साधनं नाम वीरव्रतम् तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् । विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् । परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।। भार...

Namaste Sada Vatsale Matruṛbhume

हिन्दी में पढ़ें Namaste Sadaa Vatsale Matru Bhoome Twayaa Hindu Bhoome Sukham Vardhitoham Mahaa Mangale Punya Bhoome Twadarthe Patatwesha Kaayo Namaste Namaste Prabho Shaktiman Hindu Raastraanga Bhoota Ime Saadaram Twaam Namaamo Vayam Twadeeyaaya Kaaryaaya Baddhaa Kateeeyam Shubhaam Aashisham Dehi Tatpoortaye Ajyaan Cha Vishwasya Deheesha Shaktim Susheelam Jagadyena Namram Bhaveth Shrutam Chaiva Yat Kantakaa Keerna Maargam Swayam Sweekritham Na Sukham Kaarayet Samutkarsha Nishreyasasyaika Mugram Param Saadhanam Naama Veeravratam Tadantah Sphuratwakshayaa Dheya Nishtaa Hridantah Prajaa Gartuteevraanisham Vijetri Chana Samhataa Kaarya Shaktir Vidhaayaasya Dharmasya Samrakshanam Param Vaibhavam Netum Etat Swaraashtram Samrthaa Bhavatwaashishaa Tebhrusham ॥ Bharat Mata Ki Jai ॥

नमस्ते सदा वत्सले (संघ प्रार्थना)

नमस्ते सदा वत्सले (संघ प्रार्थना) नरहरि नारायण भिड़े (१९३९) १९३९ नमस्ते सदा वत्सले (संघ प्रार्थना) १९३९ इयं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघस्य प्रार्थना:। अस्य प्रणेता नरहरि नारायण भिड़े आसीत। १९३९ तमे वर्षे फेब्रुअरी मासे रचिता इयं प्रार्थना पुणे संघ शिक्षा वर्गे प्रथम अवसरे प्रस्तुतवान। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे राष्ट्रीय स्वयंसेवकसंघ प्रार्थना - नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे इति त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् । महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।। प्रभो शक्तिमन् हिन्दु राष्ट्राङ्गभूता इमे सादरं त्वां नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बद्धा कटीयं शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये । अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत् श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।। समुत्कर्ष निःश्रेयसस्यैकमुग्रं परं साधनं नाम वीरं व्रतम् तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राऽनिशम् । विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् । परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समर्था भवत्वाशिषाते भृशम् ।।३।। ।। भारत माता की जय ।। © राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ