Om ke niyam mein achar rashi kya hai

  1. Ohm Ka Niyam
  2. अपनी राशि कैसे जाने: Name, Date of Birth, Time से राशिफल पता करे
  3. जानिए राशि अनुसार (नाम के पहले अक्षर से) जातक की ख़ास 15 बातें
  4. Rashi Name
  5. नाम से राशि जाने
  6. आचार संहिता का अर्थ
  7. ओम का नियम क्या है? Ohm ka niyam – Electric Jankari
  8. Manglik Dosh
  9. ओम का नियम क्या है


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Ohm Ka Niyam

Table of Contents • • • • • • • OHM Ka Niyam– ओम का नियम क्या है? यदि भौतिक अवस्थायें जैसे की ताप, लंबाई इत्यादि स्थिर हो, तब किसी यदि लगाया गया विभवान्तर V मान लेते है और बहने वाली धारा I मान लेते है तब ओम के नियम से दोनों में सम्बन्ध- V ∝ I V=RI यहाँ पर R एक Constant है जिसेResistance यानि प्रतिरोधकहते है इसΩ से दर्शाते है| R=V/I वोल्टेज या विभवांतर v का मान बढ़ाने पर धारा का मान भी बढ़ता है ओम के नियम का सूत्र – om ke niyam ka sutra kya hai: ओम के नियम का सूत्र V=IR या, V=I×R इस सूत्र(Formula) के द्वारा आप वोल्टेज, धारा और प्रतिरोध का मान निकाल सकते हैं। यहाँ पर – V= विभान्तर(Voltage), इकाई Volt(V) हैं I= धारा(Current), इकाई Ampere(A) हैं R= प्रतिरोध(Resistance), इकाई Ohm(Ω) हैं इसे भी पढ़े: • • • यदि आपको विभान्तर यानि Voltage का मान पता करना है तो V=I×R यदि आपको धारा यानि Current का मान पता करना है तो I=V/R यदि आपको प्रतिरोध यानि Resistance का मान पता करना है तो R=V/I ओम के नियम का सत्यापन – Verification of Ohm’s Law in Hindi इस सिद्धांत से यह पता चलता है कि किसी कंडक्टर का रेजिस्टेंस स्थिर (कांस्टेंट) रहता है। यानी यदि वोल्टेज को दुगुना कर दिया जाए, तो कंडक्टर से करंट भी दुगुना हो जाएगा। परंतु रेजिस्टेंस वही रहेगा। ध्यान रहे कि यह सारी बातें तभी तक वैध हैं, जब तक कंडक्टर का तापमान स्थिर है। यदि तापमान बढ़ा, तो रेजिस्टेंस भी बढ़ जाएगा। इसे भी पढ़े: ओम के नियम का त्रिकोण – Ohm’s Law Triangle in Hindi सिद्धांत का सूत्र (formula) यदि याद ना रहे, तो एक त्रिकोण का प्रयोग किया जा सकता है। इस त्रिकोण को ओहम के सिद्धांत का त्रिकोण भी कहते हैं। जो भी अज्ञात वस्तु का मूल्य जानना ...

अपनी राशि कैसे जाने: Name, Date of Birth, Time से राशिफल पता करे

भारत में लाखो ऐसे लोग है जो रोजाना अपनी राशिफल देखते हैं और उसमे अटूट विश्वाश रखते हैं। विशेषकर हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र का एक अहम स्थान हैं। हिन्दू धर्म में शादी होने से पहले भी लड़का लड़की की राशि और कुंडली मिलाई जाती हैं। इंग्लिश में राशि को horoscope कहते हैं। चलिए जानते हैं राशि कितने प्रकार की होती हैं और अपनी राशि कैसे जाने: Rashi by Name and Date of Birth in Hindi. हिन्दू धर्म में बहुत से लोग ख़ास काम की शुरुआत से पहले शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं और उसी के अनुसार फिर उस कार्य की शुरुआत करते हैं। और शादी के दिन के लिए भी एक ख़ास तिथि पंडित द्वारा निर्धारित की जाती हैं। कुछ इस तरह ही बहुत से लोगो का यकीन राशिफल पर होता हैं। अगर आप भी उन्ही में से है जो अपने दिन की शुरुआत अपना राशिफल देखकर करते हैं तो ये लेख हमने आपके लिए ही लिखा हैं आप अपनी राशि 2 प्रकार से जान सकते हैं। पहला अपने नाम के पहले अक्सर के आधार पर और दूसरा अपनी जन्मतिथि (Date of Birth) के आधार पर। ये अपना अपना विश्वाश होता हैं की वो किस तरह से अपनी राशि देखने में विश्वाश रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र कहता हैं बच्चे के जन्म के समय चन्द्रमा और सूर्य की क्या स्थिति होती हैं उसके आधार पर उसकी राशि बनती हैं। जो लोग ज्योतिष में यकीन रखते हैं वो अपने बच्चे के जन्म के बाद ज्योतिषी से उसका नाम पूछते हैं और ज्योतिष उस समय चन्द्रमा की स्थिति के हिसाब से उसकी राशी का चुनाव करता हैं और फिर राशि के अनुसार ही उसके नाम के पहले अक्षर को चुनता हैं। और उस अक्षर से शुरू होने वाला कोई नाम उस बच्चे को दिया जाता हैं। जो लोग हिन्दू धर्म से है और उनका ज्योतिष, कुंडली में विश्वाश हैं वो लोग बिना पंडित से पूछे अपने बच्चे का नाम नहीं रख...

जानिए राशि अनुसार (नाम के पहले अक्षर से) जातक की ख़ास 15 बातें

Know The Nature Of Any Person According To Rashi, Zodiac : नाम के पहले अक्षर का काफी अधिक महत्व बताया गया है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में होता है, उसी राशि के अनुसार नाम का पहला अक्षर निर्धारित किया जाता है। चंद्र की स्थिति के अनुसार ही हमारी नाम राशि मानी जाती है। सभी 12 राशियों के लिए अलग-अलग अक्षर बताए गए हैं।नाम के पहले अक्षर से राशि मालूम होती है और उस राशि के अनुसार व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कई जानकारी प्राप्त की जा सकती है। 1. राशि चक्र की सबसे प्रथम राशि मेष है। जिसके स्वामी मंगल है। धातु संज्ञक यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है। राशि का प्रतीक मेढ़ा संघर्ष का परिचायक है। 2. मेष राशि वाले आकर्षक होते हैं। इनका स्वभाव कुछ रुखा हो सकता है। दिखने में सुंदर होते है। यह लोग किसी के दबाव में कार्य करना पसंद नहीं करते। इनका चरित्र साफ -सुथरा एवं आदर्शवादी होता है। 12. अपनी मर्जी के अनुसार ही दूसरों को चलाना चाहते हैं। इससे आपके कई दुश्मन खड़े हो जाते हैं। 13. एक ही कार्य को बार-बार करना इस राशि के लोगों को पसंद नहीं होता। 14. एक ही जगह ज्यादा दिनों तक रहना भी अच्छा नहीं लगता। नेतृत्व छमता अधिक होती है। 15. कम बोलना, हठी, अभिमानी, क्रोधी, प्रेम संबंधों से दु:खी, बुरे कर्मों से बचने वाले, नौकरों एवं महिलाओं से त्रस्त, कर्मठ, प्रतिभाशाली, यांत्रिक कार्यों में सफल होते हैं। 2. बैल के समान स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। 3. इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं। 4. इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, जातक का मन ...

Rashi Name

Find your Rashi (sign) from your name Find out your Rashi Name through the first letter of your name. We know that many people are unaware of their date of birth. If you are one of them and want to know what your Rashi is, then AstroSage has got you covered! The Rashi Name Calculator by AstroSage will help you get a peep into the future by identifying your Name Rashi as per the first letter of your name. If you know your date of birth, please use " In Indian Astrology, Rashi has been given importance in a person's life. It holds great significance in a native's Kundali as well. There could be numerous reasons for not knowing your date of birth, one of them is forgetting to register it at the time of birth. So, when one needs astrological support later in life, the Rashi Name Calculator comes in handy. Using your Rashi Name, various aspects of life can be revealed, including career, job, love life, family life, financial life, marriage, etc. What All Can Your Rashi Name Predict For You? It has often been found that the name of a person is deeply associated with their personality. It is believed that a person is named not by their own will but by the will of the almighty. Your Rashi Name can uncover the immediate gains or losses for you beforehand because of the changes in planetary positions from one zodiac sign to another. It can give you an idea of the upcoming events like the time of marriage, childbirth, jobs, etc. It predicts the major events in your life using Indian ...

नाम से राशि जाने

खगोलशास्त्र में क्रांतिवृत्त अर्थात सूर्यपथ में स्थित तारामण्डलों के समूह को राशि चक्र कहते हैं। इस राशि चक्र को बारह बराबर भागों में बाँटा गया है। इन भागों को राशि के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक राशि एक चिह्न के साथ जुड़ी होती है। यह बारह राशियाँ मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। हिन्दु संस्कृति में नाम का पहला अक्षर जन्म के समय राशि या नक्षत्र के अनुसार तय होता है। इसलिए अधिकांश लोगों का नाम सीधे राशि से जुड़ा होता है। अगर आपका जन्म नाम राशि और नक्षत्र से नहीं लिया गया है, तो भी आप अपने नाम के अनुसार अपना राशि चुन सकते हैं। यदि आप अपना जन्म समय और तिथि जानते हैं तो कृपया अपनी राशि जानने के लिए सामान्यतः चन्द्र राशि को ही राशि के नाम से सम्बोधित किया जाता है। जन्म के समय चन्द्रमा जिस राशि में स्थित हो, वही राशि चन्द्र राशि अथवा जन्म राशि कहलाती हैं। वैदिक ज्योतिष में सूर्य राशि से अधिक महत्ता चन्द्र राशि को दी गयी है। इसीलिए वैदिक ज्योतिष में राशिफल चन्द्र राशि पर आधारित है।

आचार संहिता का अर्थ

ADVERTISEMENT विज्ञापन ये भी पढ़े: आचार संहिता का अर्थ राज्यों में चुनाव की तिथियों की घोषणा के पश्चात वहाँ चुनाव आचार संहिता भी लागू हो जाती हैं । चुनाव आचार संहिता के लागू होते ही प्रदेश सरकार और प्रशासन पर कई अंकुश लग जाते है । सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते है । वह आयोग द्वारा दिए गये दिशा-निर्देश पर कार्य करते हैं । आचार संहिता लागू होते ही मुख्यमंत्री या मंत्री किसी प्रकार की घोषणा, शिलान्यास, लोकार्पण या भूमि पूजन नहीं कर सकते । ADVERTISEMENT विज्ञापन ये भी पढ़े: चुनाव आचार संहिता के नियम चुनाव आचार संहिता के नियम इस प्रकार है- 1.चुनाव आचार संहिता के आम नियम • किसी भी दल द्वारा कोई ऐसा कार्य नही किया जाना चाहिए जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के मध्य मतभेद उत्पन्न हो • धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए • राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम व नीतियों तक सीमित हो, न ही व्यक्तिगत • • किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार, भूमि का उपयोग न करें • किसी दल की सभा या जुलूस में बाधा न डालें • राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील जारी नहीं करेंगे, जिससे किसी की धार्मिक या जातीय भावनाएं आहत होती हो ये भी पढ़े: 2.राजनीतिक सभाओं से सम्बंधित नियम • सभाओ के आयोजन के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को दी जाए • दल या अभ्यर्थी पहले ही सुनिश्चित कर ले, कि जिस स्थान का चुनाव उनके द्वारा किया गया है, वहॉं निषेधाज्ञा लागू न हो • सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति पूर्व सर प्राप्त करें • सभा के आयोजक विध्न डालने वालों से निपटने के लिए पुलिस की सहायता करें ये भी पढ़े: 3.रैली से सम्बंधित न...

ओम का नियम क्या है? Ohm ka niyam – Electric Jankari

Electricity से जुड़े बहुत से नियम हैं जो हमें पता होना जरूरी है और अगर आप ओम का नियम, नियमों को केवल रटकर याद करने से कुछ फायदा नही होता, हमें इसके मतलब के बारे मे भी पता होना चाहिए कि किस नियम का क्या अर्थ है? किस जगह उपयोग होता है आदि। आज मैं आपको 10 and 12th board physics के महत्वपूर्ण ओम के नियम (Ohm Law in hindi) के बारे में पूरी जानकारी दूंगा इस पोस्ट को पढ़कर आप ओह्म के नियम को आसानी समझ लेगे और इसका उपयोग जान पाएंगे । आप इसकी pdf फाइल भी डाउनलोड कर सकते हैं । पोस्ट में ये जानकारी है - • • • • • • Om ka niyam ओम का नियम का सूत्र – V = IR ओम के नियम का मूल अर्थ यही है इसी सूत्र से आप नियम की परिभाषा बना सकते हैं यहां V = विभान्तर (Voltage), Volts में I = धारा, करंट एम्पियर में R = प्रतिरोध ओह्म में (Resistance) परिभाषा समान ताप व स्थिति में किसी बन्द डीसी परिपथ में प्रतिरोध के सिरों पर लगने वाला वोल्टेज उस प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली धारा के मान के समानुपाती होता है। अर्थात् V∝ I सरल भाषा किसी बंद डीसी परिपथ में वोल्टेज का मान उस परिपथ में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा और प्रतिरोध के मान के गुणनफल के बराबर होता है । नोट: यह सरल भाषा में अनुवाद केवल नियम को अच्छी तरह समझने के लिए दिया गया है। अगर आपको एग्जाम में लिखना हो तो इससे पहले बताई गयी वास्तविक परिभाषा का ही उपयोग करें। यहां बंद डीसी परिपथ (Close DC Circuit) यानी की ऐसा डीसी सर्किट जिसमें स्विच ऑन हो और परिपथ चालू हो । इसमें वोल्टेज (V) = धारा (I) × प्रतिरोध (R) इसी फार्मूले का उपयोग करके आप वोल्टेज, धारा और जैसे: V = IR R = V/I I = V/R • जिन युक्तियों में धारा का प्रवाह एकतरफा होता है अर्थात केवल एक ही द...

Manglik Dosh

वैदिक ज्योतिष में मंगल को सबसे अधिक क्रूर ग्रह माना जाता है। यह उत्साह और ऊर्जा से भरा होता है। दो लोग केवल एक साथ जीवित रह सकते हैं यदि उनके पास समान ऊर्जा स्तर है, अगर उनमें से एक में बहुत अधिक ऊर्जा है और दूसरा सुस्त है तो उन्हें समन्वय नहीं होगा और समायोजन में परेशानी होगी। इसीलिए अगर एक व्यक्ति मांगलिक है और दूसरा नहीं है, तो वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं। जातक का जीवन मंगल के कारण उतार-चढ़ाव से भरा हो सकता है। मंगल ग्रह विनाशकारी प्रवृत्तियों के लिए भी जाना जाता है, और यह जिस घर में है, उसके लाभकारी प्रभाव को कम करेगा। जिस व्यक्ति की कुंडली मांगलिक दोष (mangal dosha) होता है, वह शासक की तरह व्यवहार करता है और घर में परेशानियों का कारण बनता है। मांगलिक दोष का निर्माण यदि किसी कुंडली में लग्न या चंद्रमा से चौथे, सातवें, आठवें और 12वें भाव में मंगल बैठा हो तो मांगलिक दोष बनता है। प्रथम भाव में मंगल: यदि मंगल लग्न से पहला घर में बैठा है तो मुख्य रूप से व्यक्ति के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए व्यक्ति क्षणिक क्रोधित होने वाला हो सकता है। 4th हाउस मुख्य रूप से व्यक्ति के घर, वाहनों का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए घर और वाहन से जुड़ी समस्याओं की संभावना है। 7 वां घर वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी और साझेदारी में व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए विवाहित जीवन में विघटन की संभावना है। 8 वां घर मुख्य रूप से मृत्यु का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए अचानक दुर्घटना की संभावना है। चौथे भाव में मंगल: यदि कुंडली के 4 वें घर में मंगल को रखा जाता है तो यह 4 वें, 7 वें, 10 वें और 11 वें घर को प्रभावित करेगा। 10 वां घर मुख्य रूप से करियर, पिता, नींद का प्रतिनिधित्व करता है इस...

ओम का नियम क्या है

Table of Contents • • Om Ka Niyam Kya Hai In Hindi ओम का नियम किसे कहते हैं :- सन 1828 में जर्मन वैज्ञानिक जी. एस. ओम ने धारा प्रवाह के लिए एक नियम प्रतिपादित किया। इस नियमानुसार “किसी चालक की भौतिक अवस्थाएं (लंबाई ताप पदार्थ की प्रकृति एवं अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल) नियत रहे तो चालक में प्रवाहित धारा I चालक सिरों के मध्य विभवान्तर V के समानुपाती होता है।” जिसे ओम का नियम कहते हैं (Om Ka Niyam Kya Hai) अतः ओम के नियमानुसार V ∝ I V = RI यहाँ R समानुपाती नियतांक है इसे चालक का प्रतिरोध कहते है। अतः चालक का प्रतिरोध R = V / I प्रतिरोध का S.I. मात्रक ओम है इसे Ω से दर्शाया जाता है। यदि किसी चालक के सिरों पर 1 वोल्ट का विभवान्तर लगाने पर उसमें 1 एंपियर की विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो चालक का प्रतिरोध एक ओम माना जाता है। किसी चालक के सिरों पर आरोपित विभवान्तर की विभिन्न मानो के लिए यदि विद्युत धारा के मान ज्ञात करें उनके मध्य ग्राफ खींचा जाए तो यह सरल रेखा प्राप्त होता है। जब एक परिपथ में विभवान्तर नियत रखा जाता है, तो धारा चालक के प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है। I ∝ 1/R विभवान्तर एवं धारा के मध्य अनुपात नियत रहता है। नियतांक का मान चालक (या प्रतिरोध) के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। V/I = R Ohm Ka Niyam ओम के नियम की व्युत्पत्ति :‌- माना यदि चालक के सिरों पर v विभवान्तर लगाने पर उसमें i धारा बहे तो ओम के नियम से – V/I = नियतांक इस नियतांक को चालक का विद्युत प्रतिरोध कहते है तथा इसे R से व्यक्त करते है। अत: V/i = R इस सूत्र से , V = R.i अथवा V ∝ i या i ∝ V अर्थात किसी चालक में बहने वाली धारा चालक पर लगाये गए विभवान्तर के समानुपाती होती है , यदि चालक की भौतिक अवस्थाएँ न बद...

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