शावक का संधि विग्रह

  1. GSEB Class 10 Hindi Vyakaran संधि
  2. संधि विच्छेद (Sandhi Viched)
  3. गणेश का संधि विच्छेद
  4. संधि विच्छेद (Sandhi Viched)
  5. गणेश का संधि विच्छेद
  6. GSEB Class 10 Hindi Vyakaran संधि


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GSEB Class 10 Hindi Vyakaran संधि

Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Vyakaran संधि-विच्छेद (विग्रह) संधि के बारे में प्रश्न इस प्रकार होंगे : दिए हए चार पर्यायों में से – • गलत संधि बताना। • उचित संधिविग्रह बताना। भाषा में शब्दों के मेल का बहुत महत्त्व है। इससे भाषा सरस और समर्थ बनती है। शब्दों का मेल प्रायः समास या संधि के रूप में होता है। भाषा में संधि का अर्थ है- दो या दो से अधिक शब्दों का निश्चित नियमों के अनुसार मेल करना। शब्दों का यह मेल उनके अंत्य और आदि वर्ण को मिलाकर किया जाता है। जैसे – सूर्य + अस्त = सूर्यास्त इस उदाहरण में ‘सूर्य’ शब्द का अंत्य वर्ण ‘अ’ (य् + अ) है और ‘अस्त’ शब्द का आदिवर्ण ‘अ’ है। व्याकरण के नियम के अनुसार ‘अ’ और ‘अ’ मिलकर ‘आ’ हो जाता है। इसलिए य (य् + अ) का ‘अ’‘अस्त’ के ‘अ’ से मिलकर ‘आ’ हो गया। इस प्रकार दोनों शब्दों की संधि से ‘सूर्यास्त’ शब्द बना। इति + आदि = इत्यादि यहाँ ‘ति’ (त + इ) के इ तथा ‘आदि’ के आ में संधि हुई है। नियम के अनुसार ‘इ’ और ‘अ’ मिलकर ‘य’ बनता है। यहाँ ‘इ’ और ‘आ’ मिलकर ‘या’ हो गया है। ‘ति’ में से ‘इ’ स्वर निकल जाने पर उसका मूल रूप ‘त्’ बच गया है। ह और या मिलकर त्या बना है। सत् + जन – सज्जन यहाँ ‘त’ तथा ‘ज’ में संधि होने से ‘ज्ज’ रूप बना है। इस प्रकार दो निश्चित अक्षरों के पास-पास आ जाने के कारण उनके मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। संधि-विच्छेद : शब्दों की संधि और उसका विच्छेद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। संधि के विच्छेद (विग्रह) की क्रिया संधि से एकदम उल्टी है। बिच्छेद में संधि के कारण आए हुए विकार हटाकर संधि में जड़े हुए शब्दों को उनके मूल रूप में लिखा जाता है। संधि का संबंध मुख्यतया संस्कृत भाषा के शब्दों अर्थात् तत्सम शब्दों से है। हिन्दी की...

संधि विच्छेद (Sandhi Viched)

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गणेश का संधि विच्छेद

गणेश का संधि विच्छेद | Sandhi Vichchhed of Ganesh संधि का नाम संधि विच्छेद गणेश गण+ईश Ganesha Gana+Īsha गणेश में कौन-सी संधि है ? गुण संधि Type of Sandhi Guna Sandhi संधि बनाने के नियम संधि-नियम जैसे– अ+अ = आ, अ+आ = आ, आ+अ = आ, इ+इ = ई, इ+ई = ई, ई+इ = ई, ई+ई = ई, उ+उ =ऊ, उ+ऊ = ऊ, ऊ+उ = ऊ। अ+इ = ए, अ+ई = ए, आ+इ = ए, आ+ई = ए, अ+उ = ओ, अ+ऊ = ओ, आ+उ = औ, आ+ऊ = औ, अ+ऋ = अर्, आ+ऋ = अर् इ+अ = य, इ+आ = या, ई+अ = य, इ+उ = यु, इ+ऊ = यू, इ+ए = ये, इ+अं = यं, ई+उ = यु, ई+ऊ = यू, ई+ऐ = यै, ई+ओ = यो, ई+औ = यौ, ई+अं = यं, उ+अ = व, उ+आ = वा, ऋ+अ = र। अ+ए = ऐ, आ+ए = ऐ, अ+ऐ = ऐ, आ+ऐ = ऐ, अ+ओ = औ, अ+औ = औ, आ+ओ = औ, आ+औ = औ। (:) विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ रहे और उसके बाद य, र , ल, व या ह रहे या फिर किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, या पंचम वर्ण आए तो विसर्ग का ‘उ’ हो जाता है फिर यही उ पूर्ववर्ती ‘अ’ से मिलकर गुणसंधि के माध्यम से ”ओ’ हो जाता है| इसे भी जानें ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति(निर्वचन) ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति- सम् उपसर्ग पूर्वक ‘धा’ धातु (डुधाञ् धारणपोषणयोः) में ‘कि’ प्रत्यय लगकर ‘सन्धि’ शब्द निष्पन्न होता है, जिसका तात्पर्य होता है संधानं सन्धिः अर्थात् मेल, जोड़, संयोग आदि। व्याकरण के अनुसार ‘वर्णानां परस्परं विकृतिमत् संधानं सन्धिः’ अर्थात् दो वर्णाक्षरों के मेल से उत्पन्न हुए विकार को ‘सन्धि’ कहते हैं। जैसे- सेवा+अर्थ = सेवार्थ। यहाँ ‘सेवार्थ’ में सेवा और अर्थ ये दो शब्द हैं जिसमें सेवा का अन्तिम अक्षर ‘आ’ है और अर्थ का प्रथम शब्द ‘अ’ है। आ और अ ये दो वर्ण नियमतः आपस में मिलकर ‘आ’ बन जाता है। आ और अ वर्ण मिलकर बना ‘आ’ ही विकार कहलाता है। जैसे रमा+ईश = रमेश। यहाँ रमा का अंतिम वर्ण आ और...

संधि विच्छेद (Sandhi Viched)

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गणेश का संधि विच्छेद

गणेश का संधि विच्छेद | Sandhi Vichchhed of Ganesh संधि का नाम संधि विच्छेद गणेश गण+ईश Ganesha Gana+Īsha गणेश में कौन-सी संधि है ? गुण संधि Type of Sandhi Guna Sandhi संधि बनाने के नियम संधि-नियम जैसे– अ+अ = आ, अ+आ = आ, आ+अ = आ, इ+इ = ई, इ+ई = ई, ई+इ = ई, ई+ई = ई, उ+उ =ऊ, उ+ऊ = ऊ, ऊ+उ = ऊ। अ+इ = ए, अ+ई = ए, आ+इ = ए, आ+ई = ए, अ+उ = ओ, अ+ऊ = ओ, आ+उ = औ, आ+ऊ = औ, अ+ऋ = अर्, आ+ऋ = अर् इ+अ = य, इ+आ = या, ई+अ = य, इ+उ = यु, इ+ऊ = यू, इ+ए = ये, इ+अं = यं, ई+उ = यु, ई+ऊ = यू, ई+ऐ = यै, ई+ओ = यो, ई+औ = यौ, ई+अं = यं, उ+अ = व, उ+आ = वा, ऋ+अ = र। अ+ए = ऐ, आ+ए = ऐ, अ+ऐ = ऐ, आ+ऐ = ऐ, अ+ओ = औ, अ+औ = औ, आ+ओ = औ, आ+औ = औ। (:) विसर्ग के पहले यदि ‘अ’ रहे और उसके बाद य, र , ल, व या ह रहे या फिर किसी भी वर्ग का तृतीय, चतुर्थ, या पंचम वर्ण आए तो विसर्ग का ‘उ’ हो जाता है फिर यही उ पूर्ववर्ती ‘अ’ से मिलकर गुणसंधि के माध्यम से ”ओ’ हो जाता है| इसे भी जानें ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति(निर्वचन) ‘सन्धि’ शब्द की व्युत्पत्ति- सम् उपसर्ग पूर्वक ‘धा’ धातु (डुधाञ् धारणपोषणयोः) में ‘कि’ प्रत्यय लगकर ‘सन्धि’ शब्द निष्पन्न होता है, जिसका तात्पर्य होता है संधानं सन्धिः अर्थात् मेल, जोड़, संयोग आदि। व्याकरण के अनुसार ‘वर्णानां परस्परं विकृतिमत् संधानं सन्धिः’ अर्थात् दो वर्णाक्षरों के मेल से उत्पन्न हुए विकार को ‘सन्धि’ कहते हैं। जैसे- सेवा+अर्थ = सेवार्थ। यहाँ ‘सेवार्थ’ में सेवा और अर्थ ये दो शब्द हैं जिसमें सेवा का अन्तिम अक्षर ‘आ’ है और अर्थ का प्रथम शब्द ‘अ’ है। आ और अ ये दो वर्ण नियमतः आपस में मिलकर ‘आ’ बन जाता है। आ और अ वर्ण मिलकर बना ‘आ’ ही विकार कहलाता है। जैसे रमा+ईश = रमेश। यहाँ रमा का अंतिम वर्ण आ और...

GSEB Class 10 Hindi Vyakaran संधि

Gujarat Board GSEB Std 10 Hindi Vyakaran संधि-विच्छेद (विग्रह) संधि के बारे में प्रश्न इस प्रकार होंगे : दिए हए चार पर्यायों में से – • गलत संधि बताना। • उचित संधिविग्रह बताना। भाषा में शब्दों के मेल का बहुत महत्त्व है। इससे भाषा सरस और समर्थ बनती है। शब्दों का मेल प्रायः समास या संधि के रूप में होता है। भाषा में संधि का अर्थ है- दो या दो से अधिक शब्दों का निश्चित नियमों के अनुसार मेल करना। शब्दों का यह मेल उनके अंत्य और आदि वर्ण को मिलाकर किया जाता है। जैसे – सूर्य + अस्त = सूर्यास्त इस उदाहरण में ‘सूर्य’ शब्द का अंत्य वर्ण ‘अ’ (य् + अ) है और ‘अस्त’ शब्द का आदिवर्ण ‘अ’ है। व्याकरण के नियम के अनुसार ‘अ’ और ‘अ’ मिलकर ‘आ’ हो जाता है। इसलिए य (य् + अ) का ‘अ’‘अस्त’ के ‘अ’ से मिलकर ‘आ’ हो गया। इस प्रकार दोनों शब्दों की संधि से ‘सूर्यास्त’ शब्द बना। इति + आदि = इत्यादि यहाँ ‘ति’ (त + इ) के इ तथा ‘आदि’ के आ में संधि हुई है। नियम के अनुसार ‘इ’ और ‘अ’ मिलकर ‘य’ बनता है। यहाँ ‘इ’ और ‘आ’ मिलकर ‘या’ हो गया है। ‘ति’ में से ‘इ’ स्वर निकल जाने पर उसका मूल रूप ‘त्’ बच गया है। ह और या मिलकर त्या बना है। सत् + जन – सज्जन यहाँ ‘त’ तथा ‘ज’ में संधि होने से ‘ज्ज’ रूप बना है। इस प्रकार दो निश्चित अक्षरों के पास-पास आ जाने के कारण उनके मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। संधि-विच्छेद : शब्दों की संधि और उसका विच्छेद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। संधि के विच्छेद (विग्रह) की क्रिया संधि से एकदम उल्टी है। बिच्छेद में संधि के कारण आए हुए विकार हटाकर संधि में जड़े हुए शब्दों को उनके मूल रूप में लिखा जाता है। संधि का संबंध मुख्यतया संस्कृत भाषा के शब्दों अर्थात् तत्सम शब्दों से है। हिन्दी की...