सितंबर में पूर्णिमा कब है 2022

  1. Purnima 2022 List In Hindi: नए साल 2022 में कब
  2. bhadrapada purnima 2022 know exact date auspicious time and method of shradh pind daan rdy
  3. Sharad Purnima 2022: अगले महीने इस तारीख को है शरद पूर्णिमा, कहते हैं रात में होती है अमृत वर्षा
  4. सितंबर के महीने की पूर्णिमा कब है?


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Purnima 2022 List In Hindi: नए साल 2022 में कब

Purnima 2022 List In Hindi: नया साल 2022 (New Year 2022) का शुभारंभ हो चुका है. साल 2021 की आखिरी पूर्णिमा (Last Purnima of year 2021) 18 दिसंबर को थी, जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima) थी. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद अगली पूर्णिमा अंग्रेजी कैलेंडर के नए साल 2022 के जनवरी माह में आ रही है. उस समय हिन्दी कैलेंडर का पौष माह का शुक्ल पक्ष है, उस पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. नए साल 2022 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 07 दिसंबर दिन मंगलवार को होगी. मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 को ध्यान में रखकर आपको नए साल 2022 के पूर्णिमा तिथि एवं व्रत के बारे में जानकारी दी जा रही है. यहां पर आप सबसे पहले 2022 के पूर्णिमा तिथियों को जान सकते हैं. आइए जानते हैं कि नए साल 2022 में पूर्णिमा कब-कब है और व्रत कब रखा जाएगा? नए साल 2022 की पूर्णिमा व्रत तिथियां 17 जनवरी, दिन: सोमवार: पौष पूर्णिमा 16 फरवरी, दिन: बुधवार: माघ पूर्णिमा 17 मार्च, दिन: गुरुवार: फाल्गुन पूर्णिमा 16 अप्रैल, दिन: शनिवार: चैत्र पूर्णिमा 15 मई, दिन: रविवार: वैशाख पूर्णिमा 14 जून, दिन: मंगलवार: ज्येष्ठ पूर्णिमा 13 जुलाई, दिन: बुधवार: आषाढ़ पूर्णिमा 11 अगस्त, दिन: गुरुवार: श्रावण पूर्णिमा 10 सितंबर, दिन: शनिवार: भाद्रपद पूर्णिमा 09 अक्टूबर, दिन: रविवार: आश्विन पूर्णिमा 08 नवंबर, दिन: मंगलवार: कार्तिक पूर्णिमा 07 दिसंबर, दिन: बुधवार: मार्गशीर्ष पूर्णिमा यह भी पढ़ें: नए साल 2022 के प्रमुख पूर्णिमा व्रत धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो सभी पू​र्णिमा तिथियां व्रत एवं स्नान-दान के लिए महत्वपूर्ण होती हैं. पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी, भगवान शिव, चंद्रमा और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. चंद्र दोष को दूर करने के लिए भी ज्...

bhadrapada purnima 2022 know exact date auspicious time and method of shradh pind daan rdy

• भाद्रपद मास की पूर्णिमा 10 सितंबर दिन शनिवार को है. • भाद्रपद पूर्णिमा का शुभ समय- 10 सितंबर दिन शनिवार को 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 43 मिनट तक • विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 23 मिनट से दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक • अमृत काल- रात 12 बजकर 34 मिनट से देर रात 02 बजकर 03 मिनट तक • भाद्रपद पूर्णिमा का चंद्रोदय का समय- 10 सितंबर को चंद्रमा का उदय शाम 06 बजकर 49 मिनट से होगा सर्वप्रथम दक्षिण दिशा की और मुंह करके दाहिना घुटना जमीन पर लगाकर, जनेऊ अंगौछा को बाये कंधे पर रखे गायत्री मंत्र से शिखा बांध ले. तिलक लगाये. दोनों हाथ की अनामिका अंगुली में कुशो का पवित्री (पैती) धारण करें. फिर तर्पण करे. दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें. अपने पितरों का नाम लेते हुए आप कहें कृपया यहां आकर मेरे दिए जल को आप ग्रहण करें. जल पृथ्वी पर डाले. तत्पश्चात उन कुशों को द्विगुण भुग्न करके उनका मूल और अग्रभाग दक्षिण की ओर किये हुए ही उन्हें अंगूठे और तर्जनी के बीच में रखे, और स्वयं दक्षिणाभिमुख हो बायें घुटने को पृथ्वी पर रखकर अपलव्यभाव से जनेऊ को दायें कंधेपर रखकर पूर्वोक्त पात्रस्थ जल में काला तिल मिलाकर पितृतीर्थ से अंगृठा और तर्जनी के मध्यभाग से दिव्य पितरों के लिये निम्नाङ्किन मन्त्र को पढते हुए तीन-तीन अञ्जलि जल दें.

Sharad Purnima 2022: अगले महीने इस तारीख को है शरद पूर्णिमा, कहते हैं रात में होती है अमृत वर्षा

डीएनए हिंदी:Sharad Purnima 2022 Date,Timings, and Significance: हिंदू पंचांग के मुताबिक एक वर्ष में 12 पूर्णिमा आती हैं, जिसमें शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022) का विशेष महत्व है. माना जाता है कि सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. शरद पूर्णिमा अगले महीने 9 अक्टूबर 2022 (Sharad Purnima 2022 date) को है. कहा जाता है इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में अमृत घुला हुआ होता है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन से जुड़ी तमाम मुश्किलें दूर होती हैं. शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2022 Date and Timings) शरद पूर्णिमा अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर 2022 को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू होगा जो कि अगले दिन 10 अक्टूबर 2022 सुबह 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा. (शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम 05 बजकर 58 मिनट पर होगा ) यह भी पढ़ें- यह है महत्व (Sharad Purnima 2022 Significance) इस दिन चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है इसलिए चारों दिशाओं में चन्द्रमा की रोशनी फैली हुई होती है. कहा जाता है कि इस दौरान माता लक्ष्मी भ्रमण के लिए निकलती हैं, इस वजह से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार धन व वैभव काआशीर्वाद मिलता है. मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है इसलिए लोग रात में खुले आसमान के नीचे खीर बना कर रखते हैं. साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाया जाता है. यह भी पढ़ें- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणें औषधीय ...

सितंबर के महीने की पूर्णिमा कब है?

Bhadrapada Purnima 2022: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है. जिनमें भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का और ही अत्यधिक महत्व होता है. इस दिन स्नान-दान का अधिक महत्व है. इस पूर्णिमा तिथि से ही श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाता है. पंचांग के अनुसार, भादो पूर्णिमा के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना शुभ माना जाता है. इस दिन गयाजी में बड़ी संख्या में लोग पिंडदान करते है. आइए जानते है भादो पूर्णिमा कब है...? विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • भाद्रपद पूर्णिमा 2022 तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 सितंबर को शाम 06 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन यानि 10 सितंबर दिन शनिवार को दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर होगा. इसलिए इस साल भाद्रपद पूर्णिमा 10 सितंबर को होगी. इस दिन से श्राद्ध कार्य भी शुरू हो जाएंगे. जानें शुभ मुहूर्त • भाद्रपद मास की पूर्णिमा 10 सितंबर दिन शनिवार को है. • भाद्रपद पूर्णिमा का शुभ समय- 10 सितंबर दिन शनिवार को 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 43 मिनट तक • विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 23 मिनट से दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक • अमृत काल- रात 12 बजकर 34 मिनट से देर रात 02 बजकर 03 मिनट तक • भाद्रपद पूर्णिमा का चंद्रोदय का समय- 10 सितंबर को चंद्रमा का उदय शाम 06 बजकर 49 मिनट से होगा Pitru Paksh 2022: पितृ दोष से बर्बाद हो जाता है वैवाहिक जीवन और छात्रों का करियर, जानें इसका सटीक उपाय तर्पण के प्रकार • 1- पितृतर्पण • 2- मनुष्यतर्पण • 3- देवतर्पण • 4- भीष्मतर्पण • 5- मनुष्यपितृतर्पण • 6- यमतर्पण श्राद्ध विधि सर्वप्रथम दक्षिण दिशा की और मुंह करके दाहिना घुटना जमीन पर लगाकर, जनेऊ अंगौछा को बाये कंधे पर रखे गायत्...