Swastik ka chinh kaisa hota hai

  1. स्वास्तिक का चिन्ह कहाँ से लिया गया है? » Swastik Ka Chinh Kahan Se Liya Gaya Hai
  2. स्वास्तिक का चिन्ह कैसा होता है?
  3. Kaash Aisa Hota MP3 Song Download
  4. हर शुभ कार्य से पहले क्यों बनाया जाना जाता है स्वास्तिक, जानिए इसका कारण और लाभ
  5. सात्विक भोजन के फायदे, लाभ, गुण


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स्वास्तिक का चिन्ह कहाँ से लिया गया है? » Swastik Ka Chinh Kahan Se Liya Gaya Hai

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स्वास्तिक का चिन्ह कैसा होता है?

Explanation : स्वास्तिष्क में एक दूसरे को काटकती हुई दो सीधी रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती है। इसके बाद भी ये रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती है। इसके बाद भी ये रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ी होती है। स्वास्तिष्क की यह आकृति 02 प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वाष्तिक जिसमें रेखाएं आगे की ओर इंगित करती हुई हमारी दायी ओर मुड़ती है। इसे स्वस्तिक कहते हैं। यही शुभ चिन्ह है जो हमारी प्रगति की ओर संकेत करता है। दूसरी आकृति में रेखाएं पीछे की ओर संकेत करती हुई हमारे बायी ओर मुड़ती है। इसे वामावर्त स्वस्तिक कहते हैं। भारतीय संस्कृति में इसे अशुभ माना जाता है। जर्मनी के तानाशाह हिटलर के ध्वज में यहीं वामावर्त स्वास्तिक अंकित था। ऋग्वेद की ऋचा में स्वस्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है और उसकी 4 भुजाओं को 4 दिशाओं की उपमा दी गई है। सिद्धांत सार ग्रंथ में उसे विश्व ब्रह्राण्ड का प्रतीक चिन्ह माना गया है। उसके मध्य भाग को विष्णु की कमल नाभि और रेखाओं को ब्रह्मा जी के 4 मुख, 4 हाथ और 4 वेदों के रूप में ​निरूपित किया गया है। अन्य ग्रंथों में 4 युग, 4 वर्ण, 4 आश्रम (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) के 4 प्रतिफल प्राप्त करने वाली समाज व्यवस्था को जीवन्त रखने वाले संकेतों को स्वस्तिक का प्रयोग होता है। जातक की कुंडली बनाते समय या कोई मंगल या शुभ कार्य करते समय सर्वप्रथम स्वास्तिष्क को ही अंकित किया जाता है। Tags :

Kaash Aisa Hota MP3 Song Download

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हर शुभ कार्य से पहले क्यों बनाया जाना जाता है स्वास्तिक, जानिए इसका कारण और लाभ

स्वास्तिक को अत्यंत प्राचीन समय से बहुत ही मंगल प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाया जाता है। स्वास्तिक शब्द सु+अस+क शब्दों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा या शुभ, 'अस' का अर्थ 'सत्ता' या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस तरह से स्वास्तिक शब्द का अर्थ मंगल करने वाला माना गया है। स्वास्तिक को भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है। गणेश जी शुभता के देवता है और प्रथम पूजनीय हैं इसलिए भी हर कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाना बहुत ही शुभ रहता है। खासतौर पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा में स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाया जाता है। आइए जानते हैं स्वास्तिक का चिन्ह बनाने का महत्व और इसे बनाने के लाभ। सामान्यतः स्वास्तिक दो रेखाओं द्वारा बनाया जाता है जो एक दूसरे को काटती हुई होती हैं। जो आगे बढ़कर मुड़ जाती हैं और इसकी चार भुजाएं बन जाती हैं। जिस स्वास्तिक में रेखाएं आगे की ओर इंगित करती हुई दायीं ओर मुड़ती हैं वह स्वास्तिक शुभ माना जाता है। यह स्वास्तिक जीवन में शुभता और प्रगति का संकेत होता है। स्वास्तिक बनाते समय बहुत ध्यान रखना चाहिए बायीं ओर जाती हुई रेखाएं शुभ नहीं होती हैं। ऋग्वेद में स्वास्तिक को सूर्य माना गया है और उसकी चारों भुजाओं को चार दिशाओं की उपमा दी गई है। इसके अलावा स्वास्तिक के मध्य भाग को विष्णु की कमल नाभि और रेखाओं को ब्रह्माजी के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों के रूप में भी निरूपित किया जाता है। अन्य ग्रंथो में स्वास्तिक को चार युग, चार आश्रम (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) का प्रतीक भी माना गया है। यह मांगलिक विलक्षण चिन्ह अनादि काल से ही संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त रहा है। भा...

सात्विक भोजन के फायदे, लाभ, गुण

जब भी हम पूजा-पाठ के दौरान ईश्वर को भोग लगाने के लिए कोई भोजन बनाते हैं तो वह पूरी तरह से सात्विक भोजन होता है। आपने कई लोगों को कहते सुना होगा कि सात्विक भोजन ही शरीर के लिए बेस्ट और भारतीय परंपरा में काफी अहम भी माना जाता है। दरअसल, आहार 3 प्रकार का होता है- सात्विक, तामसिक और राजसिक। (और पढ़ें : दरअसल, सात्विक संस्कृत शब्द "सत्व" से लिया गया है। सत्व भारतीय योग दर्शन की एक अवधारणा है जिसका मतलब है शुद्ध, सच्चा, नैतिक, ऊर्जावान, स्वच्छ, मजबूत, बुद्धिमान और जीवित या अति आवश्यक। इस प्रकार, सात्विक आहार में उन खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है जो इसके अर्थ का अनुपालन करते हैं। सात्विक भोजन का अर्थ सिर्फ उसमें शामिल खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका अर्थ खाने की आदतों से भी जुड़ा है जैसे- संयम में रहकर खाने की आदत और अधिक खाने से बचना। आयुर्वेद के मुताबिक, सात्विक भोजन या आहार का सेवन करना इसलिए भी जरूरी है ताकि शरीर और मन के बीच के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने में मदद मिल सके। तो आखिर सात्विक भोजन क्या है और इसे खाने से शरीर को कौन-कौन से फायदे होते हैं इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं। • • • • • • • • • • सात्विक भोजन या सात्विक डायट इन तीनों प्रकार के भोजन में सात्विक भोजन को भी सबसे पौष्टिक और पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है। आयुर्वेद की मानें तो अगर आप शारीरिक मजबूती, मानसिक सेहत और लंबी आयु को बढ़ावा देना चाहते हैं तो सात्विक भोजन का ही सेवन करें। ऐसा इसलिए क्योंकि सात्विक भोजन में ताजी चीजें शामिल होती हैं जैसे- मौसमी फल और सब्जियां (प्याज और लहसुन को छोड़कर), दूध और दूध से बने उत्पाद, अंकुरित साबुत अनाज, ताजे फलों का जूस, दालें, ड्राई फ्रूट्...