Thought in sanskrit with hindi meaning

  1. 100+ Sanskrit Shloks with meaning
  2. 25 संस्कृत के सुविचार हिंदी अनुवाद के साथ ( sanskrit quotes )
  3. शांति पाठ अर्थ सहित
  4. Dhi (Hindu thought)
  5. भगवत गीता के प्रसिद्ध श्लोक हिंदी अर्थ सहित
  6. Sanskrit Shlok on life with hindi meaning
  7. thoughts meaning in Sanskrit


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100+ Sanskrit Shloks with meaning

विषयसूची / Table of Contents • • • • • • • • • • Sanskrit Shlokas • आज हम आपके लिए संस्कृत श्लोक हिंदी और इंग्लिश अर्थ के साथ लाये है। जीने हमने अलग अलग भागो में बटा हुआ है। जिसे आप ऊपर दिए गए विषयसूची / Table of Contents में देख सकते है :- Sanskrit Shlok on Father पितृ देवों भवः॥ Hindi Translation:- पितृ देवता के समान है।। English Translation:- father is like a deity. पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः। पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥ \ पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च। तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥ \ सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता। मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥ \ मातरं पितरंश्चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्। प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तदीपा वसुन्धरा॥ Hindi Translation:- पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। English Translation:- My Father is my heaven, my father is my dharma, he is the ultimate penance of my life. If he is happy, all deities are pleased.Whose service and virtues keep father and mother satisfied, That son gets the blessings of bathing in the Ganges every day. Mother is omniscient and father is the form of all deities. That is why parents shoul...

25 संस्कृत के सुविचार हिंदी अनुवाद के साथ ( sanskrit quotes )

जो व्यक्ति एक बार संस्कृत पढ़ लेता है उसे फिर संस्कृत से दूर करना बहुत मुश्किल होता है। यह भाषा है ही इतनी मधुर और इतनी प्यारी। इस भाषा में अनमोल वचन एवं सुविचार पढ़ना मतलब है एक तरीके से वेद पढ़ना। आज हम इस प्रकार के सुविचार लेकर आए हैं संस्कृत भाषा में जिसे पढ़कर आप अपने आप को सौभाग्यशाली मानेंगे। 1. नास्ति विद्यासमं चक्षुः नास्ति सत्यसमं तपः। नास्ति रागसमं दुःखं नास्ति त्यागसमं सुखम्॥ विद्या के समान कोई चक्षु (आँख) नहीं है, सत्य के समान कोई तप नहीं है, राग (वासना, कामना) के समान कोई दुःख नहीं है और त्याग के समान कोई सुख नहीं है। 2. त्यजन्ति मित्राणि धनैर्विहीनं पुत्राश्च दाराश्च सुहृज्जनाश्च। तमर्शवन्तं पुराश्रयन्ति अर्थो हि लोके मनुषस्य बन्धुः॥ मनुष्य के धनहीन हो जाने पर पत्नी, पुत्र, मित्र, निकट सम्बन्धी आदि सभी उसका त्याग कर देते हैं और उसके धनवान बन जाने पर वे सभी पुनः उसके आश्रय में आ जाते हैं। इस लोक में धन ही मनुष्य का बन्धु है। 3. कुसुमं वर्णसंपन्नं गन्धहीनं न शोभते। न शोभते क्रियाहीनं मधुरं वचनं तथा॥ जिस प्रकार से गन्धहीन होने पर सुन्दर रंगों से सम्पन्न पुष्प शोभा नहीं देता, उसी प्रकार से अकर्मण्य होने पर मधुरभाषी व्यक्ति भी शोभा नहीं देता। 4. उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्। सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥ जिस व्यक्ति के भीतर उत्साह होता है वह बहुत बलवान होता है। उत्साह से बढ़कर कोई अन्य बल नहीं है, उत्साह ही परम् बल है। उत्साही व्यक्ति के लिए इस संसार में कुछ भी वस्तु दुर्लभ नहीं है। Table of Contents • • • • • • • Beautiful collection of sanskrit quotes with hindi meaning 5. माता मित्रं पिता चेति स्वभावात् त्रितयं हितम्। कार्यकारणतश्चान्ये...

शांति पाठ अर्थ सहित

शांति पाठ अर्थ सहित शांति पाठ मंत्र के लाभ • शांति पाठ • शांति पाठ मंत्र का जाप करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है • यह पाठ शरीर के रक्तचाप को संतुलन में रखता है • इस पाठ को करने से अनेको बीमारियों से मुक्ति मिलती है और मन शांत रहता है • इस मंत्र का जाप बिलकुल शांत जगह पर करना चाहिए यह भी जरूर पढ़ें:- • • • शांति पाठ मंत्र की विधि • शांति पाठ मंत्र का जाप करने के लिए सुबह नाहा धोकर स्वच्छ जगह पर बैठना चाहिए • इस मंत्र का जाप बिलकुल शांत जगह पर करना चाहिए • स्वच्छ जगह पर आसान बिछाये • इस मंत्र का जाप ऊंचे स्वर में करना चाहिए • ॐ शब्द की धवनि ऊंचे स्वर में ले • शांति मंत्र का जाप पूजा से पहले और पूजा के अंत में भी करना चाहिए FAQ’S • शांति पाठ मंत्र का जाप कब करना चाहिए? शांति पाठ मंत्र का जाप पूजा से पहले और पूजा के अंत में करना चाहिए • घर की सुख शांति बनाये रखने के लिए कौन सा मंत्र या पाठ करना चाहिए? घर की सुख शांति बनाये रखने के लिए शांति पाठ मंत्र करना चाहिए • शांति पाठ मंत्र कितनी बार करना चाहिए? शांति पाठ मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए शांति पाठ मंत्र PDF

Dhi (Hindu thought)

Dhi (Sanskrit: धी) is a Dhi is the voiced Vāc or ' Dhi also means 'to hold' or 'to place', and indicates the activity of the intellect. Overview [ ] The natural meaning of Dhi is ' Dhi and Dhi means 'visionary insight', 'intense thought and reflection', and the word Brahman is derived from the root brh, meaning 'to grow', 'to expand'. Dama ('self-control'), Indriya-nigrah ('control of senses'), Dhi ('reasoning'), Application [ ] Dhi, the prefix of Dhimahi and Dhiyo occurring in the Buddhi means 'reasoning faculty of the mind', which understanding must be transcended to experience the Ultimate Reality. Dhira, meaning 'calm', denotes the seeker whose intellect is saturated in knowledge which word is the combination of Dhi meaning 'intellect' and ra meaning 'fire' or 'wisdom'. Dhi (= buddhi) which reveals the joy ( ananda), the nature of the individual consciousness. citta vritti nirodha (Yoga Sutra I.2), budh and its derivatives appear in the buddhi appears for the first time in Samkhyayana Brahmana Upanishad. Dhi is derived from dhriti and its cognate didhiti, it also refers to flash of intuition which is beyond all purely sensuous perception. manas ('mind') and hrd ('heart'), and the mental faculties are citta ('thought'), dhi ('mental vision') and kratu ('mental power'). Manas is said to perform the processes indicated by the verbal roots ' cit-, dhi- and man-; dhi requires kratu in actualizing visions. Connection with Vāc [ ] Dhi refers to 'vision' or 'inspiration which ...

भगवत गीता के प्रसिद्ध श्लोक हिंदी अर्थ सहित

Geeta Shlok in Sanskrit: श्री कृष्ण भगवान के द्वारा महाभारत युद्ध से पहले जो उपदेश दिए गये, वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जाने जाते हैं। जब महाभारत के समय अर्जुन युद्ध करने से मना कर देते हैं तब भगवान श्री कृष्ण उपदेश देकर धर्म और कर्मे के सच्चे ज्ञान से अवगत करवाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के इन सभी उपदेशों को भगवत गीता ग्रन्थ में संकलित किया हुआ है। गुरूनहत्वा हि महानुभवान श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके। हत्वार्थकामांस्तु गुरुनिहैव भुञ्जीय भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्।। भावार्थ: महाभारत युद्ध के दौरान जब उनके रिश्तेदार और शिक्षक अर्जुन के सामने खड़े थे, तो अर्जुन दुखी हो गए और श्री कृष्ण से कहा कि अपने महान शिक्षक को मारकर जीने की तुलना में भीख मांगकर जीना बेहतर है। भले ही वह लालच से बुराई का समर्थन करता है, लेकिन वह मेरा शिक्षक है, भले ही मैं उसे मारकर कुछ हासिल कर लूं, तो यह सब उसके खून से रंगा होगा। Bhagwat Geeta Shlok in Hindi न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरियो यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु:। यानेव हत्वा न जिजीविषाम- स्तेSवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः।। भावार्थ: अर्जुन कहते हैं कि मैं यह भी नहीं जानता कि क्या सही है और क्या नहीं – हम उन पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं या उनसे जीतना चाहते हैं। धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हम कभी नहीं जीना चाहेंगे, फिर भी वे सभी हमारे सामने युद्ध के मैदान में खड़े हैं। कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्म सम्मूढचेताः। यच्छ्रेयः स्यान्निश्र्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्।। भावार्थ: अर्जुन श्रीकृष्ण से कहते हैं कि मेरी दुर्बलता के कारण मैं अपना धैर्य खो रहा हूं, मैं अपने कर्तव्यों को भूल रहा हूं। अब आप भी मुझे सही बताओ जो ...

Sanskrit Shlok on life with hindi meaning

Sanskrit Shlok: जीवन पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित –प्राचीन काल में भारतवर्ष में बोली जाने वाली भाषा संस्कृत है जिसमें अनगिनत श्लोक है जिन का अध्ययन करके व्यक्ति अपने चरित्र को और भी बलवान बना सकता है और जीवन यापन बेहतर बनाने में उसकी यह संस्कृत श्लोक मदद कर सकते हैं। हमने आमतौर पर अपने स्कूल में संस्कृत तो पड़ी है पर उन श्लोक का जीवन में मतलब आज भी पढ़े तो समझ आता है कि यह भाषा कितनी गहराई से बनाई गई है जिसका अगर कोई भी श्लोक पढ़ा जाए तो जीवन को बेहतर बनाने वाला ही होता है अगर यह भाषा हम अपने दैनिक जीवन में थोड़ा थोड़ा सीखने का प्रयास करें तो हमारा जीवन काफी सरल बन जाएगा क्योंकि माना जाता है कि संस्कृत भाषा से बुद्धि का भी प्रबंध विकास होता है। आज हम यहां आपके सामने कुछ संस्कृत श्लोक(S 1. जीवितं क्षणविनाशिशाश्वतं किमपि नात्र। अर्थ: यह क्षणभुंगर जीवन में कुछ भी शाश्वत नहीं है। 2. अविश्रामं वहेत् भारं शीतोष्णं च न विन्दति । ससन्तोष स्तथा नित्यं त्रीणि शिक्षेत गर्दभात् ॥ अर्थ : विश्राम लिए बिना भार वहन करना, ताप-ठंड ना देखना, सदा संतोष रखना यह तीन चीजें हमें गधे से सीखनी चाहिए। 3. मनःशौचं कर्मशौचं कुलशौचं च भारत । देहशौचं च वाक्शौचं शौचं पंञ्चविधं स्मृतम्। अर्थ: मन शौच, कर्म शौच, देश शौच और वाणी शौच यह पांच प्रकार के शौच हैं। 4. जीविताशा बलवती धनाशा दुर्बला मम्।। अर्थ: मेरी जीवन की आशा बलवती है पर धन की आशा दुर्लभ है। 5. जीवचक्रं भ्रमत्येवं मा धैर्यात्प्रच्युतो भव। अर्थ: जीवन का चक्र ऐसे ही चलता है इसीलिए धैर्य ना खोए। 6. नो चेज्जातस्य वैफल्यं कास्य हानिरितिः परा। अर्थ: जीवन की विफलता से बढ़कर क्या हानि होगी। 7. न दाक्षिण्यं न सौशील्यं न कीर्तिःनसेवा नो दया किं जीवनं ते। ...

thoughts meaning in Sanskrit

Definitions and Meaning of thought in English thought noun • the process of using your mind to consider something carefully Synonyms cerebration, intellection, mentation, thinking, thought process अन्तःकरणचेष्टा, अन्तःकरणव्यापारः, अभिध्यानम्, आध्यानम्, चित्तचेष्टा, चित्तव्यापारः, चिन्तनम्, चिन्ता, ध्यानम्, भावना, मनचेष्टा, मननम्, मनोव्यापारः, विचारः, विचारणम्, विचारणा Examples • "she paused for thought" • "thinking always made him frown" • the content of cognition; the main thing you are thinking about Synonyms idea, idea, idea अभिसंस्कारः, ... Premium Examples • "it was not a good idea" • "the thought never entered my mind" • a personal belief or judgment that is not founded on proof or certainty Synonyms opinion, persuasion, sentiment, view, view Examples • "I am not of your persuasion" • "my opinion differs from yours" • "what are your thoughts on Haiti?" • the organized beliefs of a period or group or individual Examples • "19th century thought" • "Darwinian thought" Synonyms of thought • • • In their most common sense, the terms thought and thinking refer to conscious cognitive processes that can happen independently of sensory stimulation. Their most paradigmatic forms are judging, reasoning, concept formation, problem solving, and deliberation. But other mental processes, like considering an idea, memory, or imagination, are also often included. These processes can happen internally independent of the sensory organs, unlike perception. But when understood in the wid...