तुम मुझे खून दो नारा

  1. 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' और 'करो या मरो' जैसे नारों से एकजुट हुए थे लोग, जानिए स्वतंत्रता संग्राम के इन नारों का इतिहास
  2. प्रमुख वचन एवं नारे
  3. जब नेताजी ने आगरा की धरती से कहा
  4. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा किसने दिया?


Download: तुम मुझे खून दो नारा
Size: 78.37 MB

'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' और 'करो या मरो' जैसे नारों से एकजुट हुए थे लोग, जानिए स्वतंत्रता संग्राम के इन नारों का इतिहास

'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' और 'करो या मरो' जैसे नारों से एकजुट हुए थे लोग, जानिए स्वतंत्रता संग्राम के इन नारों का इतिहास 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' और 'करो या मरो' जैसे नारों से एकजुट हुए थे लोग, जानिए स्वतंत्रता संग्राम के इन नारों का इतिहास By August 11, 2022 11:57 AM 2022-08-11T11:57:53+5:30 2022-08-11T11:58:23+5:30 भारत की आजादी के लिए लोगों को एकजुट करने में कई जोशीले नारों ने भी बड़ी अहम भूमिका निभाई। जय हिंद, करो या मरो या तुम मुझे खून दो..मैं तुम्हें आजादी दूंगा जैसे नारों के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। Highlights नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के अभिवादन के लिए जय हिंद का इस्तेमाल किया था। 'वंदे मातरम' नारे को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के गीत ले लिया गया, बाद में ये गीत राष्ट्रीय गीत बनाया गया। 8 अगस्त 1942 में महात्मा गाधी ने मुंबई में लोगों को संबोधित करते हुए करो या मरो का मंत्र दिया। अंग्रेजों से आजादी के लिए भारत में कई आंदोलन हुए। इन आंदोलनों में जोश से भर देने वाले नारों का भी इस्तेमाल हुआ। चाहे 'जय हिंद' की बात कर ली जाए या 'वंदे मातरम'....ये नारे न सिर्फ आम जनता को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एकजुट करने का जरिया बने बल्कि इन्ही नारों ने भारत की राजनीति भी बदल कर रख दी। इनमें से कई नारों का इस्तेमाल तो पिछले कुछ सालों में भी खूब हुआ है। इन नारों का इतिहास क्या है इन्हें किसने बनाया और कब-कब इनका इस्तेमाल हुआ, जानिए इंडियन एक्स्प्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में 2014 की किताब 'लेन्जेनडोट्स ऑफ हैदराबाद' का हवाला देते हुए बताया है कि सिविल सेवा में रहे नरेंद्र लूथर के अनुसार यह नारा हैदराबाद के एक कलेक्टर के ब...

प्रमुख वचन एवं नारे

Vachan Evam Nare भारत के वचन एवं नारे # प्रसिद्ध वचन एवं नारे किसने कहा? 1. स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। बाल गंगाधर तिलक 2. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। राम प्रसाद बिस्मिल 3. भारतवर्ष को तलवार के बल पर जीता गया था और तलवार के बल पर ही उसे ब्रिटानी कब्जे में रखा जायेगा। लार्ड एल्गिन द्वितीय 4. सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा। इकबाल 5. वन्दे मातरम्। बंकिम चन्द्र चटर्जी 6. हे राम महात्मा गाँधी 7. जन-गण-मन अधिनायक जय हे। रवीन्द्रनाथ टैगोर 8. हू लिन्स इफ इण्डिया डाइज। जवाहर लाल नेहरू 9. इन्कलाब जिन्दाबाद। भगत सिंह 10. दिल्ली चलो। सुभाष चन्द्र बोस 11. करो या मरो। महात्मा गाँधी 12. जय हिन्द सुभाष चन्द्र बोस 13. पूर्ण स्वराज जवाहर लाल नेहरू 14. हिन्दी, हिन्दू, हिन्दोस्तान भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 15. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। सुभाष चन्द्र बोस 16. वेदों की ओर लौटो। दयानन्द सरस्वती 17. आराम हराम है। जवाहर लाल नेहरू 18. भारत छोड़ो। महात्मा गाँधी 19. विजयी विश्व तिरंगा प्यारा। श्याम लाल गुप्ता 20. समूचा भारत एक विशाल बन्दीगृह है। सी. आर. दास 21. मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के कफन में कील सिद्ध होगी। लाला लाजपत राय 22. यह एक ऐसा चेक है, जिसका बैंक पहले ही नष्ट हो जाने वाला था। महात्मा गाँधी 23. हमने घुटने टेक कर रोटी माँगी, किन्तु उत्तर में हमें पत्थर मिले। महात्मा गाँधी उपर्युक्त सूची में • • • • • • • • • • • • •

जब नेताजी ने आगरा की धरती से कहा

आगरा. देश आज यानी सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहा है. जंग-ए-आज़ादी में लोगों को एकजुट करने के लिए नेताजी उत्तर प्रदेश के आगरा आये थे. उनका आगरा से गहरा रिश्ता रहा है. वो दो बार आगरा आये थे. स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के द्वारा दिया गया नारा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ आगरा के मोतीगंज के चुंगी मैदान में भी गूंजा था. मोतीगंज स्थित पुरानी चुंगी मैदान में हज़ारो लोगों के सामने नेताजी ने जब यह नारा दिया था तो वहां उपस्थित सभी क्रांतिकारियों ने उनके साथ एक स्वर में इस नारे का आह्वान किया था. यह बात भले ही वर्ष 1940 की है, लेकिन आज भी लोगों के जेहन में यह ताजा है. इतना ही नहीं, यहां के क्रांतिकारियों ने सुभाष चंद्र बोस को अपने खून से ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा लिख कर दिया था. कांग्रेस के पुराने नेता शशि शिरोमणि इस वाकये को भली-भांति याद कर सुनाते हैं. चुंगी मैदान की सीढ़ियों पर खड़े होकर दिया था भाषण उन्होंने बताया कि वैसे तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार आगरा आये थे. वर्ष 1938 में पहली बार यहां आए थे, लेकिन इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. नेताजी के नाम पर आगरा के सुभाष बाजार का नाम रखा गया था. यह जामा मस्जिद के बगल में है. इसके बाद, दोबारा नेताजी वर्ष 1940 में आगरा आए थे. तब उन्होंने मोतीगंज स्थित पुरानी चुंगी मैदान के श्री कन्हीराम बाबूराम हायर सेकेंडरी स्कूल की सीढ़ियों पर खड़े होकर हजारों लोगों की जनसभा को संबोधित किया था और जंग-ए-आजादी का बिगुल फूंका था. जैसे ही सुभाष चंद्र बोस ने अपनी सभा को संबोधित करते हुए ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा दिया वहां उपस्थित सभी क्रांतिकारियों की रगों में ...

तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा किसने दिया?

Explanation : तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा सुभाष चन्द्र बोस ने दिया। वर्ष 1944 में सिंगापुर में सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा'। यह अनमोल वचन रंगून के जुबली हॉल में सुभाषचंद्र बोस द्वारा दिया ऐतिहासिक भाषण था, जिसे आज भी भारत के लोग गर्व से गुनगुनाते हैं। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वक़ील थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल मिलाकर 14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाषचंद्र उनकी नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे। Tags : Explanation : बुलंदीबाग पाटलिपुत्र का प्राचीन स्थान था। बुलंदीबाग नामक प्राचीन स्थल मगध के समीप स्थित पाटलिपुत्र के लिए किया जाता है। यहां पर हुए उत्खनन में कुम्हार एवं बुलंदीाग से पाटलिपुत्र से संबंधित अभिलेखीय साक्ष्य मिले हैं। यहाँ की खुदाई • अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सेना का कमांडर कौन था?