Vidyut chumbkiya preran se aap kya samajhte hain

  1. विद्युत चुंबकीय तरंगें क्या है
  2. vidyut dhara ke chumbakiye prabhav
  3. संप्रेषण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, मॉडल एवं प्रक्रिया


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विद्युत चुंबकीय तरंगें क्या है

हेलो स्टूडेंट आज हम इस पोस्ट में विद्युत चुंबकीय तरंगें क्या है पढ़ेंगे। वे तरंगें जिन्हें संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है उन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंग कहते है | अर्थात विद्युत चुंबकीय तरंगें निर्वात में भी संचरित हो जाती है। चूँकि इन तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए अन्तरिक्ष में संचार के लिए अर्थात वार्ता के लिए इन्ही तरंगों का उपयोग किया जाता है। विद्युत चुम्बकीय तरंगें प्रकाश के वेग से गति करती है , तथा ये तरंग फोटोन से मिलकर बनी होती है। जब कोई चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ परिवर्तित हो रहा हो तो इसके कारण विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है और ठीक इसके विपरीत अर्थात एक परिवर्तनशील विद्युत क्षेत्र , चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करता है। विद्युत चुम्बकीय तरंगों के संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती तथा ये तरंगें निर्वात (space) में भी संचरित हो सकती हैं। ये तरंगें चुम्बकीय एवं विद्युत क्षेत्रों के दोलन से उत्पन्न होने वाली अनुप्रस्थ तरंगें हैं। प्रकाश तरंगें, ऊष्मीय विकिरण, एक्स किरणें, रेडियो तरंगें आदि विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के उदाहरण हैं। इन तरंगों का तरंग दैध्र्य परास (wave length) काफी विस्तृत होता है। इनका परास 10 -14मी. से लेकर 10 4 मी. तक होता है। Table of Contents • • • विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुण: • इन तरंगों पर कोई आवेश विद्यमान नहीं रहता है अर्थात ये उदासीन तरंगें है। • इन तरंगों में विद्युत क्षेत्र , चुम्बकीय क्षेत्र और संचरण सदिश , सभी एक दुसरे के लम्बवत स्थित रहते है। • ये अनुप्रस्थ तरंगें होती है अर्थात इसमें इन तरंगों का दोलन , संचरण की दिशा के लम्बवत होता है। • विद्युतचुम्बकीय तरंगें प्रकाश के वेग...

vidyut dhara ke chumbakiye prabhav

2 . चुम्बक के उत्तर ध्रुव और दक्षिण ध्रुव से आप क्या समझते है ? उत्तर – चुम्बक का वह ध्रुव जो उत्तर दिशा की ओर संकेत करता है | उसे चुम्बक का उत्तर ध्रुव कहते है | चुम्बक का वह ध्रुव जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है | उसे चुम्बक का दक्षिण ध्रुव कहते है | 3 . चुम्बकीय पदार्थ और अचुम्बकिय पदार्थ क्या है ? क. चुम्बकीय पदार्थ :- वैसे पदार्थ जिन्हें चुम्बक आकर्षित करता है | आथावा जिनसे कृत्रिम चुम्बक बनाए जा सकते है | उसे चुम्बकीय पदार्थ कहते है | जैसे – लोहा, कोबाल्ट , निकेल आदि ख. अचुम्बकिय पदार्थ :- वैसे पदार्थ जिन्हें चुम्बक आकर्षित नहीं करता है | उसे अचुम्ब्किये पदार्थ कहते है | जैसे – कांच , कागज 4 . विधुत – धारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है’’ कैसे ? उत्तर – 1820 ई. में ओस्ट्रेड नामक वैज्ञानिक ने या पता लगाया की जब किसी चालक से विधुत धारा प्रवाहित की जाती है | तब चालक के चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है | विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव Class 10 Notes 5 . चुम्बक क्षेत्र रेखाओं के गुणों को लिखे ? उत्तर – चुम्बक क्षेत्र रेखाओं के गुण निम्नलिखित है – क. किसी चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र – रेखाए एक संतत वक्र बंद है | और वे चुम्बक के उतरी ध्रुव से निकलकर दक्षिण ध्रुव में प्रवेश करती है | और पुनः चुम्बक के भीतर होती हुई उत्तरी ध्रुव पर वापस आ जाती है | ख. ध्रुवो के समीप क्षेत्र – रेखाएँ घनी होती है | परन्तु ज्यो उनकी दुरी ध्रुवो से बढती जाती है | उनका घनत्व घटता जाता है | ग. क्षेत्र रेखा के किसी बिंदु पर खिंची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर उस क्षेत्र की दिशा बताती है | घ. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक दुसरे को नहीं काटती है | 6 . मैक्सवेल के दक्षिण हस्त के नियम ...

संप्रेषण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, मॉडल एवं प्रक्रिया

संप्रेषण के लिए अंग्रेजी भाषा में 'Communication' शब्द का प्रयोग किया जाता है जिसकी उत्पत्ति लेटिन भाषा के 'Communis' शब्द से हुई है। 'Communis' शब्द का अर्थ है‘जानना या समझना। 'Communis' शब्द को 'Common' शब्द से लिया गया है संप्रेषणका अर्थ है किसी विचार या तथ्य को कुछ व्यक्तियों में सामान्तया 'Common' बना देना इस प्रकार एडविन बी0 फिलप्पों के शब्दों में संदेश संप्रेषण या संचार अन्य व्यक्तियों को इस तरह प्रोत्साहित करने का कार्य है, जिससे वह किसी विचार का उसी रूप में अनुवाद करे जैसा कि लिखने या बोलने वाले ने चाहा है।” अत: संप्रेषण एक ऐसी कला है जिसके अन्र्तगत विचारों, सूचनाओं, सन्देशों एवं सुझावों का आदान प्रदान चलता है। संप्रेषण की विशेषताएँ • संप्रेषण द्विमार्गी प्रक्रिया है जिसमें विचारों का आदान प्रदान होता है। • संप्रेषण का लक्ष्य सम्बन्धित पक्षकारों तक सूचनाओं को सही अर्थ में सम्प्रेषित करना होता है। • संप्रेषण द्वारा विभिन्न सूचनाएँ प्रदान कर पक्षकारों के ज्ञान में अभिवृद्धि की जाती है। • संप्रेषण का आधार व्यक्तिगत समझ और मनोदशा होती है। • संप्रेषण में दो या अधिक अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं। • संप्रेषण वैयक्तिक और अवैयक्तिक दोनों प्रकार से किया जा सकता है। • संप्रेषण निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। • संप्रेषण एक चक्रिय-प्रक्रिया है जो प्रेषक से प्रारम्भ होकर प्रतिपुष्टि प्राप्ति के बाद प्रेषक पर ही समाप्त होती है। • संप्रेषण में संकेत, शब्द व चिन्हों का प्रयोग होता है। संप्रेषण क्रियाओं का वह व्यवस्थित क्रम व स्वरूप जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को, एक समूह दूसरे समूह को एक विभाग दूसरे विभाग को एक संगठन बाहरी पक्षकारों को विचारों सूचनाओं, भावनाओं व द...