Vyanjan ki sankhya kitni hoti hai

  1. Ras ke kitne ang hote hain, Sthayi bhav ki paribhasha, Vibhav, Anubhav and Sanchari bhav ki sankhya
  2. VARNAMALA (वर्णमाला) Alphabets
  3. व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं
  4. व्यंजन किसे कहते हैं
  5. हिंदी वर्णमाला ( स्वर और व्यंजन ) संपूर्ण जानकारी
  6. हिंदी वर्णमाला में स्वर कितने हैं
  7. व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं
  8. व्यंजन किसे कहते हैं
  9. Ras ke kitne ang hote hain, Sthayi bhav ki paribhasha, Vibhav, Anubhav and Sanchari bhav ki sankhya
  10. VARNAMALA (वर्णमाला) Alphabets


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Ras ke kitne ang hote hain, Sthayi bhav ki paribhasha, Vibhav, Anubhav and Sanchari bhav ki sankhya

रस के अंग | परिभाषा | भेद | उदाहरण – Ras ke kitne ang hote hain, Sthayi Bhav ki paribhasha, Vibhav, Anubhav and Sanchari bhav ki sankhya : Jaisa ki aap jante hai ye Ras wala topic sabhi exam ke point of view se bahut hi important hai. Ras ke ang wale topic se competitive exams me hamesha questions puchhe jate hai. Aaj hum is post me janenge ki ras ke ang kitne hote hain or ras ki paribhasha in Hindi kya hai. Ras ke kitne ang hote hain Sabse pahle hum jante hai ki Ras ke kitne ang hote hain ? Ras ki paribhasha kya hoti hai ? Ras kitne prakar ke hote hai ? Ras ke ang and prakar par jane se pahle hum iski paribhasha ke bare me jaan lete hai. Free download Hindi grammar Study material – Hindi Vyakaran Books PDF Ras ki paribhasha in hindi : Ek prakar se dekha jaye to ras ko kisi bhi kavya ki atma mana jata hai. To hum kah sakte hai ki kisi bhi kavya ko padne ya sunne me jo annand ki anubhuti or anubhav hota hai use hi hum ras kahte hai. Ras ki sankhya vishvnath ji ke anushar 9 mani gyi hai jabki pahle acharya bharat ne raso ki sankhya ko 8 mana tha. Abhi yadi vatsalya or bhakti ras ko mane to ek rarah se raso ki sankhya 11 ho jati hai. • श्रव्य काव्य के पठन या दृश्य काव्य के दर्शन और श्रवन में जो अलौकिक आनंद का अनुभव होता हैं. उसे ही रस कहा जाता हैं. रस, छन्द, और अलंकार काव्य रचना के महत्वपूर्ण भाग हैं. • पाठक के मन में स्थित स्थायी भाव ही विभावादी में सयुक्त होकर रस के रूप में परिवर्तित होते हैं. • रस को काव्य की आत्माया प्राण तत्वकहा जाता हैं. Ras ke kitne ang hote hain ? Muk...

VARNAMALA (वर्णमाला) Alphabets

स्वर (Vowels) स्वर तीन प्रकार के होते हैं। (i) ह्स्व स्वर (लघु स्वर) (ii) दीर्घ स्वर (iii) प्लुत स्वर (i) ह्स्व स्वर - लघु स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में कम समय लगता है उनको ह्स्व स्वर (Hsv Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती हैं। अ, इ, उ, ऋ (ii) दीर्घ स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में अधिक समय लगता है उनको दीर्घ स्वर (Dirgh Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 7 होती है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ (iii) प्लुत स्वर व्यंजन (Consonants) जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं। (ii) अन्तस्थ व्यंजन (iii) उष्म व्यंजन (i) स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan) क से लेकर म तक होते हैं। इनकी संख्या 25 होती हैं। प्रत्येक वर्ग में पांच अक्षर होते हैं। क वर्ग : क ख ग घ ङ च वर्ग : च छ ज झ ञ ट वर्ग : ट ठ ड ढ ण त वर्ग : त थ द ध न प वर्ग : प फ ब भ म (ii) अन्तस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan) इनकी संख्या 4 होती है। य, र, ल, व (iii) उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan) इनकी संख्या भी 4 होती है। श, ष, स, ह अल्पप्राण व्यंजन एवं महाप्राण व्यंजन उच्चारण के अनुसार व्यंजनों को दो भागों में बांटा गया हैं। (ii) महाप्राण व्यंजन (i) अल्पप्राण व्यंजन ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन (Alppran) कहते हैं। इनकी संख्या 20 होती है। क ग ङ च ज ञ ट ड ण ड़ त द न प ब म य र ल व इसमें क वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर च वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर ट वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर त वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर प वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर चारों अन्तस्थ व्यंजन - य र ल व एक उच्छिप्त व्यंजन - ङ Hint : वर्ग का 1,...

व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं

व्यंजन की परिभाषा (vyanjan in hindi) वे अ’ स्वर मिला होता है । व्यंजनों का उच्चारण करते समय मुख से निकलने वाली वायु के मार्ग में रुकावट होती है। जैसे – क, च, ट इत्यादि। प्रत्येक व्यंजन अ से मिलकर पूर्णता उच्चरित होता है , उसमे से अ को निकल देने से उसका रूप हलन्त के साथ हो जाता है. जैसे- क्, ख्, ग्, घ् आदि। चलिए समझते हैं कि हिंदी में व्यंजन कितने होते हैं? स्पर्श व्यंजन (sparsh vyanjan) जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतर विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन क से लेकर म तक संख्या में 25 हैं, जिन्हें 5 वर्गों में बांटा गया है । • क वर्ग- क ख ग घ ङ • च वर्ग- च छ ज झ ञ • ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण • त वर्ग- त थ द ध न • प वर्ग- प फ ब भ म इनका उच्चारण क्रमशः कन्ठ, तालु, मूर्द्धा, दंत्य, ओष्ठ इत्यादि के जीभ के अग्र भाग के स्पर्श से होता है। अन्तस्थ व्यंजन (antastha vyanjan) जिन वर्णों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतरी भागों को मामूली सा स्पर्श करता है अर्थात जिनका उच्चारण स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित हो, उसे अंतस्थ व्यंजन कहते हैं । इनकी संख्या 4 होती है- य, र, ल, व । इन चार वर्णों में से य तथा व को अर्ध स्वर या संघर्ष हीन वर्ण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह स्वरों की भांति उच्चरित किए जाते हैं । उत्क्षिप्त व्यंजन (utkshipt vyanjan) वे वर्ण जिनका उच्चारण जीभ के अग्र भाग के द्वारा झटके से होता है, उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं। इनकी संख्या दो होती है – ड़ और ढ़। इन्हें द्विगुण व्यंजन भी कहते हैं ।यह व्यंजन उच्चारण की सुविधा के लिए ड, ढ के नीचे बिंदी (़) लगाकर बनाए जाते हैं । यह हिंदी के द्वारा विकसित किए गए व्यंजन है। अयोगव...

व्यंजन किसे कहते हैं

आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे की, व्यंजन किसे कहते हैं? (Vyanjan Kise Kahate Hain), जैसे की आप जानते ही होंगे कि दुनिया के किसी भी भाषा को समझने, बोलने एवं पढ़ने के लिए सबसे ज्यादा ये ज़रूरी है, कि उस भाषा के वर्णमाला को अच्छा से समझ लिया जाएँ। वो सभी वर्णों के उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती हो, उनको व्यंजन वर्ण कहते हैं। हर एक व्यंजन वर्ण के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी होती है। बिना इनके व्यंजन का उच्चारण संभव ही नहीं है। जैसे क्+अ = ‘क’, ज्+अ = ‘ज’। जिस व्यंजन के साथ स्वर नहीं रहता है, उनके उच्चारण में कठिनाई होती है क्यूंकि बिना स्वर के व्यंजनों का उच्चारण करना सम्भव नहीं हैं। व्यंजन ध्वनि के उच्चारण में भीतर से आने वाली हवा, मुंह में कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में रुकती है। हम आपको बता दे की, हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं, जिनको दो भागों में प्रथम “स्वर”एवं दूसरा “व्यंजन” में बाँटा गया है। तो आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से वर्णमाला के दुसरे भाग यानि के व्यंजन किसे कहते हैं? “संयुक्त व्यंजन”, “Vyanjan Kitne Prakar Ke Hote Hain?”, “व्यंजन के कितने भेद होते हैं?”, “व्यंजन कितने प्रकार होते हैं?”, “Vyanjan Kitne Hote Hain”, “Vyanjan Kise Kahate Hain”, “Vyanjan Ke Kitne Bhed Hote Hain”, “और व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं”, के बारे में एकदम विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे। आज हम इस पोस्ट में आपको सिर्फ व्यंजन (Consonants) के बारे में पूरी जानकारी बताएंगे साथ ही इसके परिभाषा और प्रकार के बारे में भी। हिंदी व्यंजन वर्ण को अंग्रेजी में Consonent कहा जाता हैं। हिंदी भाषा में व्यंजन की कुल संख्या 33 की होती है। किन्तु 2 द्विगुण और 4 संयुक्त व्यंजन के जोड़न...

हिंदी वर्णमाला ( स्वर और व्यंजन ) संपूर्ण जानकारी

हिंदी वर्णमाला, स्वर और व्यंजन पूरी की जानकारी पाने के लिए यह पोस्ट पूरा अंत तक जरूर पढ़िए. मानव द्वारा प्रकट की गई सार्थक ध्वनियों को भाषा कहा जाता है। भाषा का मूल रूप मनुष्य के मस्तिक में बोधन और अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास करता है। भाषा विज्ञान के अनुसार मनुष्य के द्वारा प्रकट की गई ध्वनियों को शब्द चिन्ह के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है जिन्हें ‘ वर्ण ‘ कहा जाता है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • हिंदी वर्णमाला की परिभाषा और भेद हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं। इनमें 10 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं। Hindi varnamala swar aur vyanjan image हिंदी वर्णमाला के भेद उदाहरण सहित वर्ण क्या है ? भाषा की लघुतम इकाई ध्वनि है। ध्वनि को लिखित रूप में वर्ण द्वारा प्रकट किया जाता है , वर्ण शब्दों का प्रयोग ध्वनि और ध्वनि चिन्ह के लिए किया जाता है। इस प्रकार वर्ण भाषा के मौखिक और लिखित दोनों रूपों के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया जाता है , इसे अक्षर भी कहा जाता है। “वर्ण या अक्षर वह छोटी से छोटी ध्वनि है जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते।” देवनागरी लिपि के अनुसार वर्णमाला – स्वर स्वर मात्रा संकेत सहित – अ , आ ( ा ) , इ ( ि ) , ई ( ी ) , उ (ु ) , ऊ (ू ) , ऋ (ृ ) , ए (े ) , ऐ (ै ) , ओ (ो ) , औ (ौ ) अनुस्वर – अं विसर्ग – अः (ाः ) व्यंजन क वर्ग – क , ख , ग , घ , डं च वर्ग – च , छ , ज , झ , ञ ट वर्ग – ट , ठ , ड , ढ , ण , ड़ , ढ़ त वर्ग – त , थ , द , ध , न प वर्ग – प , फ , ब , भ , म अंतः स्थल वर्ग – य , र , ल , व उष्म वर्ग – श , ष , स , ह संयुक्त वर्ग – क्ष , त्र , ज्ञ , श्र , गृहीत ...

हिंदी वर्णमाला में स्वर कितने हैं

क्या हिंदी वर्णमाला में 13 स्वर हैं? आपको जानकर बेहद हैरानी होगी कि प्राचीन समय में हिंदी भाषा के वर्णमाला में कुल स्वरों की संख्या 14 हुआ करता था. हिंदी वर्णमाला के 14 स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ, लृ और लृृृृ ॡ . निम्न कक्षा के पुस्तकों में हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 13 लिखा गया है. हिंदी वर्णमाला के 13 स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, – अं , अः। केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण केंद्र भारत सरकार का एक संस्था है, जो हिंदी से संबंधित विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण देता है और इस वेबसाइट की मान्यता भी है। अगर आप से किसी प्रतियोगिता परीक्षा में पूछा जाए कि हिंदी में कुल कितने स्वर होते हैं? तो आपका उत्तर अधिकारिक तौर पर 13 होना चाहिए। 4 Conclusion Points क्या आधुनिक हिंदी वर्णमाला में स्वर की संख्या 11 है? जी हां मित्रों, आप किसी भी निम्न कोटि या छोटे बच्चों के व्याकरण के पुस्तक को देखेंगे तो वहां पर आपको स्वरों की संख्या 11 मिलेगी। हिंदी वर्णमाला के 11 स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ. स्वर की परिभाषा: जिन वर्णों के उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है उसे स्वर कहते हैं. या जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से बोला या पुकारा जा सके उसे स्वर कह सकते हैं. हिंदी वर्णमाला के वर्णों का उच्चारण कैसे करें? सिद्धांत रूप से देखा जाए तो हिंदी भाषा के वर्णमाला के 13 स्वरों का उच्चारण करना बहुत ही कठिन माना जाता है। किंतु आप निम्नलिखित उदाहरण के शब्दों के प्रयोग से इसे आसान बना सकते हैं! 1) अ स्वर से शब्द • अखात • अकाली • अगम. 2) आ स्वर से शब्द • आसपास • आसमान • आसवानी. 3) इ स्वर से शब्द • इमली • इटावा • इकठ्ठा. 4) ई स्वर से शब्द • ईख • ईशा...

व्यंजन कितने प्रकार के होते हैं

व्यंजन की परिभाषा (vyanjan in hindi) वे अ’ स्वर मिला होता है । व्यंजनों का उच्चारण करते समय मुख से निकलने वाली वायु के मार्ग में रुकावट होती है। जैसे – क, च, ट इत्यादि। प्रत्येक व्यंजन अ से मिलकर पूर्णता उच्चरित होता है , उसमे से अ को निकल देने से उसका रूप हलन्त के साथ हो जाता है. जैसे- क्, ख्, ग्, घ् आदि। चलिए समझते हैं कि हिंदी में व्यंजन कितने होते हैं? स्पर्श व्यंजन (sparsh vyanjan) जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतर विभिन्न स्थानों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन क से लेकर म तक संख्या में 25 हैं, जिन्हें 5 वर्गों में बांटा गया है । • क वर्ग- क ख ग घ ङ • च वर्ग- च छ ज झ ञ • ट वर्ग- ट ठ ड ढ ण • त वर्ग- त थ द ध न • प वर्ग- प फ ब भ म इनका उच्चारण क्रमशः कन्ठ, तालु, मूर्द्धा, दंत्य, ओष्ठ इत्यादि के जीभ के अग्र भाग के स्पर्श से होता है। अन्तस्थ व्यंजन (antastha vyanjan) जिन वर्णों का उच्चारण करते समय जीभ मुख के भीतरी भागों को मामूली सा स्पर्श करता है अर्थात जिनका उच्चारण स्वरों व व्यंजनों के बीच स्थित हो, उसे अंतस्थ व्यंजन कहते हैं । इनकी संख्या 4 होती है- य, र, ल, व । इन चार वर्णों में से य तथा व को अर्ध स्वर या संघर्ष हीन वर्ण के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह स्वरों की भांति उच्चरित किए जाते हैं । उत्क्षिप्त व्यंजन (utkshipt vyanjan) वे वर्ण जिनका उच्चारण जीभ के अग्र भाग के द्वारा झटके से होता है, उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं। इनकी संख्या दो होती है – ड़ और ढ़। इन्हें द्विगुण व्यंजन भी कहते हैं ।यह व्यंजन उच्चारण की सुविधा के लिए ड, ढ के नीचे बिंदी (़) लगाकर बनाए जाते हैं । यह हिंदी के द्वारा विकसित किए गए व्यंजन है। अयोगव...

व्यंजन किसे कहते हैं

आज हम इस पोस्ट में आपको बताएंगे की, व्यंजन किसे कहते हैं? (Vyanjan Kise Kahate Hain), जैसे की आप जानते ही होंगे कि दुनिया के किसी भी भाषा को समझने, बोलने एवं पढ़ने के लिए सबसे ज्यादा ये ज़रूरी है, कि उस भाषा के वर्णमाला को अच्छा से समझ लिया जाएँ। वो सभी वर्णों के उच्चारण में स्वर वर्णों की सहायता ली जाती हो, उनको व्यंजन वर्ण कहते हैं। हर एक व्यंजन वर्ण के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी होती है। बिना इनके व्यंजन का उच्चारण संभव ही नहीं है। जैसे क्+अ = ‘क’, ज्+अ = ‘ज’। जिस व्यंजन के साथ स्वर नहीं रहता है, उनके उच्चारण में कठिनाई होती है क्यूंकि बिना स्वर के व्यंजनों का उच्चारण करना सम्भव नहीं हैं। व्यंजन ध्वनि के उच्चारण में भीतर से आने वाली हवा, मुंह में कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में रुकती है। हम आपको बता दे की, हिन्दी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते हैं, जिनको दो भागों में प्रथम “स्वर”एवं दूसरा “व्यंजन” में बाँटा गया है। तो आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से वर्णमाला के दुसरे भाग यानि के व्यंजन किसे कहते हैं? “संयुक्त व्यंजन”, “Vyanjan Kitne Prakar Ke Hote Hain?”, “व्यंजन के कितने भेद होते हैं?”, “व्यंजन कितने प्रकार होते हैं?”, “Vyanjan Kitne Hote Hain”, “Vyanjan Kise Kahate Hain”, “Vyanjan Ke Kitne Bhed Hote Hain”, “और व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं”, के बारे में एकदम विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे। आज हम इस पोस्ट में आपको सिर्फ व्यंजन (Consonants) के बारे में पूरी जानकारी बताएंगे साथ ही इसके परिभाषा और प्रकार के बारे में भी। हिंदी व्यंजन वर्ण को अंग्रेजी में Consonent कहा जाता हैं। हिंदी भाषा में व्यंजन की कुल संख्या 33 की होती है। किन्तु 2 द्विगुण और 4 संयुक्त व्यंजन के जोड़न...

Ras ke kitne ang hote hain, Sthayi bhav ki paribhasha, Vibhav, Anubhav and Sanchari bhav ki sankhya

रस के अंग | परिभाषा | भेद | उदाहरण – Ras ke kitne ang hote hain, Sthayi Bhav ki paribhasha, Vibhav, Anubhav and Sanchari bhav ki sankhya : Jaisa ki aap jante hai ye Ras wala topic sabhi exam ke point of view se bahut hi important hai. Ras ke ang wale topic se competitive exams me hamesha questions puchhe jate hai. Aaj hum is post me janenge ki ras ke ang kitne hote hain or ras ki paribhasha in Hindi kya hai. Ras ke kitne ang hote hain Sabse pahle hum jante hai ki Ras ke kitne ang hote hain ? Ras ki paribhasha kya hoti hai ? Ras kitne prakar ke hote hai ? Ras ke ang and prakar par jane se pahle hum iski paribhasha ke bare me jaan lete hai. Free download Hindi grammar Study material – Hindi Vyakaran Books PDF Ras ki paribhasha in hindi : Ek prakar se dekha jaye to ras ko kisi bhi kavya ki atma mana jata hai. To hum kah sakte hai ki kisi bhi kavya ko padne ya sunne me jo annand ki anubhuti or anubhav hota hai use hi hum ras kahte hai. Ras ki sankhya vishvnath ji ke anushar 9 mani gyi hai jabki pahle acharya bharat ne raso ki sankhya ko 8 mana tha. Abhi yadi vatsalya or bhakti ras ko mane to ek rarah se raso ki sankhya 11 ho jati hai. • श्रव्य काव्य के पठन या दृश्य काव्य के दर्शन और श्रवन में जो अलौकिक आनंद का अनुभव होता हैं. उसे ही रस कहा जाता हैं. रस, छन्द, और अलंकार काव्य रचना के महत्वपूर्ण भाग हैं. • पाठक के मन में स्थित स्थायी भाव ही विभावादी में सयुक्त होकर रस के रूप में परिवर्तित होते हैं. • रस को काव्य की आत्माया प्राण तत्वकहा जाता हैं. Ras ke kitne ang hote hain ? Muk...

VARNAMALA (वर्णमाला) Alphabets

स्वर (Vowels) स्वर तीन प्रकार के होते हैं। (i) ह्स्व स्वर (लघु स्वर) (ii) दीर्घ स्वर (iii) प्लुत स्वर (i) ह्स्व स्वर - लघु स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में कम समय लगता है उनको ह्स्व स्वर (Hsv Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 4 होती हैं। अ, इ, उ, ऋ (ii) दीर्घ स्वर ऐसे स्वर जिनको बोलने में अधिक समय लगता है उनको दीर्घ स्वर (Dirgh Swar) कहते हैं। इनकी संख्या 7 होती है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ (iii) प्लुत स्वर व्यंजन (Consonants) जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं। (ii) अन्तस्थ व्यंजन (iii) उष्म व्यंजन (i) स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan) क से लेकर म तक होते हैं। इनकी संख्या 25 होती हैं। प्रत्येक वर्ग में पांच अक्षर होते हैं। क वर्ग : क ख ग घ ङ च वर्ग : च छ ज झ ञ ट वर्ग : ट ठ ड ढ ण त वर्ग : त थ द ध न प वर्ग : प फ ब भ म (ii) अन्तस्थ व्यंजन (Antasth Vyanjan) इनकी संख्या 4 होती है। य, र, ल, व (iii) उष्म व्यंजन (Ushm Vyanjan) इनकी संख्या भी 4 होती है। श, ष, स, ह अल्पप्राण व्यंजन एवं महाप्राण व्यंजन उच्चारण के अनुसार व्यंजनों को दो भागों में बांटा गया हैं। (ii) महाप्राण व्यंजन (i) अल्पप्राण व्यंजन ऐसे व्यंजन जिनको बोलने में कम समय लगता है और बोलते समय मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन (Alppran) कहते हैं। इनकी संख्या 20 होती है। क ग ङ च ज ञ ट ड ण ड़ त द न प ब म य र ल व इसमें क वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर च वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर ट वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर त वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर प वर्ग का पहला, तीसरा, पाँचवा अक्षर चारों अन्तस्थ व्यंजन - य र ल व एक उच्छिप्त व्यंजन - ङ Hint : वर्ग का 1,...