11वी समाजशास्त्र स्वाध्याय

  1. एनसीईआरटी कक्षा 11 समाज शास्त्र की किताब (NCERT Book Class 11 Sociology) – हिंदी मे पुस्तक का PDF डाउनलोड करे
  2. Class 11th Sociology trimasik exam paper full solutions 2022
  3. स्वाध्याय उपक्रम pdf
  4. स्वाध्याय का महत्त्व और लाभ
  5. शब्द स्वाध्याय
  6. अध्याय 37
  7. समाजशास्त्र क्या है


Download: 11वी समाजशास्त्र स्वाध्याय
Size: 78.45 MB

एनसीईआरटी कक्षा 11 समाज शास्त्र की किताब (NCERT Book Class 11 Sociology) – हिंदी मे पुस्तक का PDF डाउनलोड करे

एनसीईआरटी कक्षा 11 समाज शास्त्र की किताब को आप यहा aglasem पे पढ़ सकते है। साथ ही, NCERT Book Class 11 Sociology हिंदी मे पुस्तक का PDF भी डाउनलोड कर सकते है। समाज शास्त्र विषय के अध्ययन के लिए समाज शास्त्र परिचय 1, समाज का बोध। हर पाठ को पढ़ने के बाद उनके प्रश्न उत्तर जरूर करे और जरूरत पढ़ने पर समाज शास्त्र के एनसीईआरटी कक्षा 11 समाज शास्त्र की किताब परिषद मे समाज शास्त्र के विशेषज्ञों ने मिलकर यह • • • • • कक्षा 11 की एनसीईआरटी पुस्तकें जैसे की आप यहा एनसीईआरटी बुक क्लास 11 सोशियोलॉजी डाउनलोड कर प रहे है। वैसे ही इस • • • • • • • • • • • • • • • • एनसीईआरटी पुस्तकें वैसे ही आप हर कक्षा के लिए एनसीईआरटी बुक्स ( एनसीईआरटी कक्षा 11 समाज शास्त्र की किताब का pdf चाहे आप इलेवेंथ क्लास के छात्र या अध्यापक हो, या कोई परीक्षा की तैयारी करने वाले पाठक, आप सबके लिए एनसीईआरटी समाज शास्त्र की किताब कक्षा 11 pdf हिन्दी मे बहुमूल्य है। इसके बारे मे कुछ बातें बता दे : • एनसीईआरटी की पुस्तकें कक्षा 11 समाज शास्त्र के लिए पीडीएफ़ हिन्दी मे ncert.nic.in पे भी मिल जाएगी। • तथा एनसीईआरटी गणित की पुस्तक हिन्दी मे भी वही पाठ है जो अंग्रेज़ी माध्यम की पुस्तकों मे है। • बस फरक यह है की यह कक्षा 11 की समाज शास्त्र की किताब हिन्दी माध्यम के लिए बनाया गया है। • एवं इसके समाधान आपको एनसीईआरटी संधान कक्षा 11 समाज शास्त्र हिन्दी माध्यम मे मिलेंगे। एनसीईआरटी समाधान कक्षा 11 समाज शास्त्र कक्षा 11 समाज शास्त्र के एनसीईआरटी समाधान, यानि की NCERT Solutions for Class 11 Sociology एक काफी लोकप्रिय अध्ययन सामग्री है। इसके बारे मे जरूरी बातें यह है: • कक्षा 11 समाज शास्त्र एनसीईआरटी समाधान का मतलब है समाज शास्त्र प...

Class 11th Sociology trimasik exam paper full solutions 2022

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेब साइट subhansh classes.com पर यदि आप गूगल पर सर्च कर रहे class 11 sociology trimasik exam paper full solutions 2022 तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए हैं हम आपको अपनी इस पोस्ट में त्रिमासिक परीक्षा पेपर 2022 कक्षा 11 समाज शास्त्र के पेपर का सम्पूर्ण हल बताने वाले है इसलिए आप पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें, यदि आपको हमारी पोस्ट पसन्द आए तो अपने दोस्तो को भी शेयर करें यदि आप इस पोस्ट को youtube chennal पर देखना चाहते हैं तो आप YouTube channel पर सर्च करे subhansh classes वहा पर आपको हमारा यूटयूब चैनल मिल जायेगा त्रैमासिक पेपर 2022-23 कक्षा– 11 विषय – समाजशास्त्र समय 2.30 घंटे पूर्णाक 80 निर्देश: सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है 1 अंक के कुल प्रश्न 5 (प्रत्येक पर एक अंक) 32 2 अंक के कुल प्रश्न 10 (प्रत्येक पर 2 अंक ) 20 3 अंक के कुल प्रश्न 04 (प्रत्येक पर 3 अंक ) 16 4 अंक के कुल प्रश्न 04 (प्रत्येक पर 04 अंक ) 16 आवश्यकता के अनुसार स्वच्छ व नामांकित चित्र प्रश्न 1- निम्नलिखित कथनों के सही विकल्प चुनकर लिखिए (अ)समाजशास्त्र के जनक है • अगस्त काम्टे • दुर्खीम (c) वेबर (d) मैकाइवर उत्तर (a)-समाजशास्त्र के जनक अगस्त काम्टे हैं। (ब) हिस्ट्री ऑफ ह्यूमन मेल पुस्तक के लेखक का नाम है (a) मजूमदार (b)देसाई (c)वेस्टमार्क (d)डेविस उत्तर (c)-वेस्टमार्क (स)- इतिहास को अतीत का समाजशास्त्र किसने कहा है (a) मैकाइबल (b) वेसेंन (c) जॉन हावर्ड (d)गिलिन उत्तर (a) मैकाइवर (द)प्रजाति किस प्रकार की अवधारणा है (a)जैविकीय अवधारणा (b)सांस्कृतिक अवधारणा (c)सामाजिक अवधारणा (d)मानवीय अवधारणा उत्तर (a)जैविकीय अवधारणा (य)प्रतिस्पर्धा किस प्रकार की प्रक्रिया है (a)सहयोगी (b)चेतन (c)अ...

स्वाध्याय उपक्रम pdf

WhatsApp Swadhyay upkram Offline PDF - week 11th स्वाध्याय उपक्रम ऑफलाईन pdf - अकरावा आठवडा... स्वाध्याय उपक्रम सोडवा ऑफलाईन PDF द्वारे WhatsApp स्वाध्याय उपक्रमात ऑफलाईन द्वारे सहभागी होण्यासाठी PDF आम्ही उपलब्ध करुन देत आहोत. सदर PDF ग्रामीण भागातील मुलांसाठी जेथे नेटवर्कची समस्या आहे अशा मुलांसाठी उपयुक्त ठरतील. Swadhyay Upkram PDF स्वाध्याय उपक्रम PDF स्वाध्याय क्र. इयत्ता स्वाध्याय 10वा मागील स्वाध्याय 11वा स्वाध्याय 11 Ans. Key स्वाध्याय 12वा पुढील या ब्लॉग वरील PDF आमच्या परवाणगीशिवाय कोणीही आपल्या ब्लॉग वर अपलोड करु नयेत. लिंक शेअर करु शकता. इ.१ली इ.२री इ.३री इ.४थी इ.५वी इ.६वी इ.७वी इ.८वी इ.९वी इ.१०वी Wait for updating week 11th swadhyay upkram PDF and answer key. PDF will be updating soon... Wait for full update.

स्वाध्याय का महत्त्व और लाभ

स्वाध्याय का सीधा मतलब है – स्वयं का स्वयं के द्वारा अध्ययन । सामान्यतया हमारे साथ ऐसा होता है कि हम अपना अधिकांश समय दुसरे मनुष्यों तथा वस्तुओं का अध्ययन करने में निकाल देते है । परिणामस्वरूप हमारे पास स्वयं का अध्ययन करने के लिए समय ही नहीं बचता है । जब हम स्वयं को समय नहीं दे पाते है तो आस – पास के वातावरण का रंग हमारे ऊपर चढने लगता है । जो हमें दिन – प्रतिदिन कुविचारों के कीचड़ से मैला करता रहता है । यदि हम प्रतिदिन के अपने सभी साफ – सफाई के क्रियाकलापों को बंद कर दे, तो क्या हम स्वच्छ और स्वस्थ रह पाएंगे ? कभी नहीं ! यदि हमने घर में झाड़ू लगाना बंद कर दिया तो कुछ ही दिनों में सब जगह धुल और मिट्टी ही नजर आएगी । यदि हम एक दिन के लिए भी ना नहाये तो शरीर बदबू मारने लगता है । इसीलिए हम प्रतिदिन अपनी भौतिक साफ सफाई का ध्यान बखूबी रखते है । किन्तु क्या हम अपने मन की भी साफ – सफाई का ऐसा ही खयाल रखते है ? शायद नहीं ! क्यों ? शायद इसलिए कि हमें उसकी गन्दगी दिखती नहीं । किन्तु यदि गहराई से विचार किया जाये तो काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, कपट, पैशुनता, हिंसा, असत्य, स्तेय, अब्रह्मचर्य, अशौच, ईश्वर में अश्रृद्धा और अविश्वास, परिग्रह और भय आदि इसी वातावरण के कीचड़ की गन्दगी है जो हमारे विचारों तथा संस्कारों को प्रदूषित करती रहती है । जब कोई ध्यान नहीं दिया जाता तो यही कुविचार हमारे मन की गहराइयों में जमने लगते है जिन्हें संस्कार कहा जाता है । आपने तो सुना होगा – मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः । बन्धाय विषयासक्तं मुक्त्यै निर्विषयं स्मृतम् ॥ मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है, जो मन विषयों में आसक्त हो तो बंधन का कारण बनता है और निर्विषय अर्थात वीतराग हो जात...

शब्द स्वाध्याय

कवींच्या जीवनात असेही प्रसंग आले जे झेलणे कठीण होते. त्यांना काहीच मार्ग या कठीण प्रसंगातून बाहेर पडण्यासाठी सापडत नव्हता. समस्यांनी गांजून गेलेल्या कवींच्या डोळ्यांसमोर अंधारून येत होते तेव्हा शब्दांनीच मार्गदर्शन केले. समस्यांमधून बाहेर पडण्यासाठी जणू या शब्दांनीच अंधारात वीज दाखवण्याचे कार्य केले. माणसाच्या आयुष्यात अशा काही आठवणी असतात ज्यांनी खोलवर मनावर जखम केलेली असते. त्या आठवणी कायम मनात आग ओकत असतात. तेव्हा या आठवणींना, भावनांना शब्दांतून मोकळे करण्याचा मार्ग असतो. शब्दांमधूनही मनातील आग व्यक्त करता येते. ज्यामुळे काही प्रमाणात तरी आठवणींचा दाह कमी होण्यास मदत होते. आपले दुःख, मनातील तडफड कोणाशी तरी व्यक्त केल्यावर मनाला शांती मिळते हीच भावना वरील ओळीतून व्यक्त होते. कवींसाठी‘शब्द’ हे सर्वस्व आहे. शब्दांशिवाय ते जगूच शकत नाहीत. त्यांनी शब्दांना आपलेसे केले; म्हणजेच ते शब्दांत शिरले. त्यांनी त्यामळेच जीवनात येणाऱ्या अनेक समस्यांना, अडथळ्यांना दर्लक्षित करून ते आपले लिखाण करीत ष्टिीमधन मनाने बाहेर पडण्याचा मार्ग त्यांना सापडला. त्यांनी स्वत:ला वाचवले. जेव्हा त्यांना जळजळीत मनातील भाव व्यक्त करावे असे वाटले तेव्हाही त्यांनी ते व्यक्त केले. आयुष्यातील अन्यायाची चीड मी व्यक्त केली. शब्दांद्वारे माझे सर्व भाव हे शाब्दिक होते म्हणून शब्दांनी जहर पचवले. आयुष्य हे सुखदुःखाने भरलेले आहे. जीवनात चम-उतार हे असतातच, जीवनातील समस्या, वाटेला आलेले दुःख म्हणजेच जीवनातील नकार होत. कवी भोवतालच्या जगातील विषमता, संधिसाधुपणा इत्यादी गोष्टींनी त्रासलेले आहेत. आयुष्यात वाट्याला आलेले आकान्त, अंधारनिष्ठ आयुष्य, चीड यावी असे प्रसंग, काही वाईट आठवणी, आप्तेष्टांनी, समाजाने फिरवलेली पाठ या...

अध्याय 37

• Everywhere • This Category • This Record • Status Updates • Topics • Images • Albums • Files • Pages • Articles • Records • Records • प्रवचन संग्रह • Records • संस्मरण • Pages • काव्य • Records • Records • संयम कीर्ति स्तम्भ • प्रतियोगिता • Records • प्रवचन • Blog Entries • Events • Videos • Musicbox • Quizzes • Products • Members • चरणानुयोग • • स्वाध्याय को परम तप कहा है, द्वसके कितने भेद हैं तथा स्वाध्याय करने से क्या- क्या लाभ हैं। इसका वर्णन द्वस अध्याय में है। 1. स्वाध्याय किसे कहते हैं ? सत् शास्त्र का पढ़ना, मनन करना या उपदेश देना आदि स्वाध्याय माना जाता है, इसे परम तप कहा है। 2. स्वाध्याय के कितने भेद हैं ? स्वाध्याय के दो भेद हैं - निश्चय स्वाध्याय और व्यवहार स्वाध्याय। 3. निश्चय स्वाध्याय किसे कहते हैं ? ज्ञानभावनालस्यत्यागः स्वाध्यायः- अालस्य त्यागकर ज्ञान की आराधना करना निशश्चय स्वाध्याय है । 4. व्यवहार स्वाध्याय किसे कहते हैं ? • अंग प्रविष्ट और अंग बाह्य आगम की वाचना, पृच्छना, अनुप्रेक्षा, आम्नाय और उपदेश करना व्यवहार स्वाध्याय है। • तत्वज्ञान को पढ़ना, स्मरण करना आदि व्यवहार स्वाध्याय है। 5. व्यवहार स्वाध्याय के कितने भेद हैं ? स्वाध्याय के पाँच भेद हैं • वाचना - निर्दोष ग्रन्थ ( अक्षर) और अर्थ दोनों को प्रदान करना वाचना स्वाध्याय है। • पृच्छना - संशय को दूर करने के लिए अथवा जाने हुए पदार्थ को दृढ़ करने के लिए पूछना सो पृच्छना है। परीक्षा ( पढ़ाने वाले की) के लिए या अपना ज्ञान बताने के लिए पूछना, पृच्छना नहीं है। वह तो पढ़ाने वाले का उपहास करना या अपने को ज्ञानी बतलाना है। • अनुप्रेक्षा - जाने हुए पदार्थ का बारम्बार चिंतन करना सो अनुप्रेक्षा है। जैसा कि क...

समाजशास्त्र क्या है

आज हम आपको समाजशास्त्र के बारे में बताने वाले हैं। समाजशास्त्र को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। तो आज हम यह जानेंगे कि Samajshastra kya hai ? समाजशास्त्र की परिभाषा क्या है ? समाजशास्त्र शब्द का अर्थ क्या होता है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ? (Meaning and Definition of Sociology in Hindi) इसके अलावा समाजशास्त्र की प्रकृति, विशेषताएं एवं महत्व के बारे में भी आपको जानकारी मिलेगी। समाजशास्त्र का अर्थ (Meaning of Sociology) समाजशास्त्र को अंग्रेजी में Sociology कहा जाता है। Sociology शब्द Socius और logos दो शब्दों से मिलकर बना है। Socius लैटिन भाषा का एक शब्द हैं जिसका अर्थ होता है - समाज। Logos एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ होता है - विज्ञान या अध्ययन। इसप्रकार समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ होता है - समाज का विज्ञान या समाज का अध्ययन। समाज का अर्थ सामाजिक सम्बन्धों के ताने-बाने से है जबकि विज्ञान किसी भी विषय के व्यवस्थित एवं क्रमवद्ध ज्ञान को कहते है। समाजशास्त्र को एक नवीन विज्ञान के रूप में स्थापित करने का श्रेय फ्रांस के प्रसिद्ध विद्वान आगस्त कॉम्टे (Auguste Comte) को जाता है। कॉम्टे ने ही 1838 में इस नए विषय को Sociology नाम दिया था। इसलिए आगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक (Father of Sociology) कहा जाता है। आगस्त कॉम्टे को सिर्फ इसलिए Samajshastra का जनक नहीं कहा जाता है क्योंकि उन्होंने समाजशास्त्र नाम दिया बल्कि समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में स्थापित करने में उनके अहम योगदान के कारण उन्हें समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है। चूँकि Sociology दो भाषाओं के शब्दों से मिलकर बना है इसलिए जॉन स्टुअर्ट मिल ने समाजशास्त्र को दो भाषाओं की अवैध संतान...