12 ज्योतिलिंग

  1. भारत का सबसे प्राचीन शहर कौन सा है
  2. नेपाल स्थित महादेव के पशुपति नाथ मंदिर के ऐसे रहस्य जानें जो अब तक अनसुलझे हैं: Ek Number News Pashupatinath Mandir Nepal History & Mystery Story Hindi
  3. Sawan 2022 Rashi Anusar Puja 12 ज्योतिर्लिंग हैं भारत में जानिए भगवान शिव की कैसे करें पूजा यह है मंत्र
  4. 12 Jyotirlinga की सम्पूर्ण जानकारी [2021]
  5. गरियाबंद में महाशिवरात्रि पर्व:गौरीशंकर मंदिर में लगा भक्तों का तांता, जलाभिषेक करने उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
  6. केदारनाथ यात्रा 2023 की तैयारी कैसे करें
  7. 12 Jyotirling in India
  8. बारह ज्योर्लिंगम मंदिर
  9. 12 Jyotirlinga की सम्पूर्ण जानकारी [2021]
  10. भारत का सबसे प्राचीन शहर कौन सा है


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भारत का सबसे प्राचीन शहर कौन सा है

भारतीय की सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यताओ में से एक है। हमारा भारत देश कई हज़ारो सालो से बसा हुआ है। भारत के हर शहर की अपनी एक खासियत है। भारत के पुरे इतिहास में कई राजवंशो और साम्राज्यों का प्रभुत्व रहा है। भारत में 4000 शहर है लकिन क्या आप जानते है भारत देश का सबसे पुराना शहर कौनसा है, यदि नहीं, तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बतायेगे कि भारत का सबसे प्राचीन शहर कौन सा है | Oldest City in India और जानेगे भारत के प्राचीन शहर से जुडी कुछ रोचक जानकारियाँ। भारत देश के पुराने शहरों के जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े। Varanasi भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की गंगा नदी के तट पर बसा वाराणसी शहर भारत देश का सबसे पुराना शहर है। वाराणसी को बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है। इसको एशिया का सर्वाधिक पुराना शहर भी कहा जाता है। विश्व के सबसे पुराने ग्रन्थ ऋग्वेद में भी वाराणसी का जिक्र मिलता है। यहा लोगो के निवास के प्रमाण 3000 सालो से भी अधिक पुराना है, कुछ विद्वानों के अनुसार वाराणसी 4000-5000 वर्ष पुराना है। हिन्दू धर्म के पवित्र नगरों में से एक वाराणसी भी है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, विंध्याचल मंदिर, चौरासी घाट, केशव मंदिर और बहुत से प्राचीन मंदिर है। बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी अपने मंदिरो और घाटों के लिए विख्यात है। अधिक संख्या में श्रद्धालु काशी दर्शन के लिए जाते रहते है। काशी का सबसे विख्यात मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत वाराणसी में ही जन्मा और वहा से ही विकसित हुआ। यहा 84 घाट है जिनका उपयोग स्नान करने और दाह संस्कार करने के लिए किया जाता है। बनारस की साड़ी और पान भी बहुत फेमस है। माना जाता है कि यह भगवान शिव का निवास स्थान...

नेपाल स्थित महादेव के पशुपति नाथ मंदिर के ऐसे रहस्य जानें जो अब तक अनसुलझे हैं: Ek Number News Pashupatinath Mandir Nepal History & Mystery Story Hindi

Pashupatinath Mandir Nepal History & Mystery Story in Hindi Pashupatinath mandir nepal history and mystery story in hindi. Story of Pashupatinath mandir nepal. Lord Pashupatinath, Story about Pashupatinath temple, Importance. Mysteries of Pashupatinath Temple Nepal. Nepal biggest Hindu temple history and facts Kathmandu/Nepal: नेपाल की पावन भूमि आध्यात्मिक की सुगंध से सराबोर है ये जगह पूरी तरह आध्यात्म के पहलू से जुड़ी है। नेपाल का पशुपति नाथ मंदिर ऐसा ही एक स्थान है। जिसके विषय मे ये मना जाता है कि आज भी इसमें भगवान शिव की मौजूदगी है दोस्तो आज हम आपको नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर से जुड़ी आश्चय जनक तथ्यों ऒर पुरानी मान्यताओ को बताएंगे जिसे जानकर आप भी बेहद प्राचीन पशुपति नाथ के मंदिर के दर्शन करना जरूर चाहेंगे। पशुपति नाथ मंदिर को 12 ज्योतिलिंग में से एक केदारनाथ मंदिर का आधा भाग माना जाता है ।पशुपति नाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से 3 किलोमीटर उत्तर पश्चिम से बागमती के किनारे देवपाटन गांव में स्थित हिन्दू मन्दिर है। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को कुछ मायनो में से तमाम मंदिरो में से सबसे प्रमुख्य माना जाता है। पशुपति का अर्थ है पशु मतलब जीबन, पति मतलब स्वामी या मालिक याने जीवन का मालिक या जीवन का देवता पशुपति नाथ दरसल चार चहरो वाला लिंग है पूर्व दिशा की ओर मुख बाले को तत्व पुरुष और पश्चिम की ओर बाले मुख्य को सिध्य ज्योत कहते है, उत्तर दिशा की ओर देख रहा मुख वाम देव है , तो दक्षिण दिशा वाले मुख को आघोर कहते है ये चारों चहरे तंत्र विद्या के चार वुनियादी सिद्धान्त है। कुछ बुद्धि जीवी यह भी मानते है कि चारो देवो के वुनियादी सिद्धांत भी यही से निकले थे, माना जाता है की यह...

Sawan 2022 Rashi Anusar Puja 12 ज्योतिर्लिंग हैं भारत में जानिए भगवान शिव की कैसे करें पूजा यह है मंत्र

Sawan 2022 Rashi Anusar Puja: 12 ज्योतिर्लिंग हैं भारत में, जानिए... भगवान शिव की कैसे करें पूजा, यह है मंत्र Sawan 2022 Rashi Anusar Puja भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं। राशि के अनुसार भगवान शिव की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। मनचाहा वरदान मिलता है। आइए हम आपको बताएं हैं किसी राशि के जागत को कैसे पूजा करनी चाहिए। डा. राजीव रंजन ठाकुर, भागलपुर। Sawan 2022 Rashi Anusar Puja: शास्त्रों में देवाधिदेव भगवान शिव को शर्व नाम से पुकारा गया है। जिसका अर्थ है शिव सारे कष्टों का नाश करने वाले हैं। भगवान शिव की उपासना भौतिक जीवन की कामनाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है। इसीलिए जीवन में आने वाली किसी भी तरह की परेशानियों को दूर करने व कामना पूर्ति के लिए शिव उपासना की विशेष तिथि, दिवस या घड़ियों में विशेष मंत्र से शिव पूजा बहुत शुभ माना गया है। शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अनेक ऐसी चीजें पूजा में अर्पित की जाती है जो किसी देवता को नहीं चढ़ाई जाती है। भगवान शिव के 12 ज्योतिलिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं जिसे साक्षात शिव स्वरूप माना जाता है। लिंग पुराण के अनुसार हर दिन भगवान शिव 24 घंटे में एक बार शिवलिंग में स्थित होते हैं। इसलिए अपनी राशि के मुताबिक ज्योतिलिंग का ध्यान करते हुए शिव आराधना करने से विशेष लाभ मिलता है। उक्त बातें पूर्णिया के पंडित प्रभाकर चंद्र झा ने कही। वहीं परमानंदपुर के पंडित महेश चंद्र झा ने बताया कि कर्क राशि : घी से अभिषेक करें। चावल, कच्चा दूध , सफेद आक व शंखपुष्पी फूल से उनकी पूजा करें और ऊं जूं स: मंत्र का जाप करें। सिंह राशि : गुड़ के जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। गुड़ व चावल से बनी खीर का भोग लागाएं। मंदार के फूल से पूजा करें और म...

12 Jyotirlinga की सम्पूर्ण जानकारी [2021]

हिन्दू मान्यता (Hindu Bleifs) औरपुराणोंके अनुसार शिवजीजहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग कहते है। इनकी कुल संख्या 12 है। शिवपुराण के सातवें स्कंध ‘कोटि रुद्र संहिता’में द्वादश ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlinga) और उनकी उत्पत्ति का विस्तृत वर्णन कर उनके दर्शन पूजन का माहात्म्य बताया गया है। और पढ़ें: द्वाराश ज्योतिर्लिंग स्रोत सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम्॥१॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्। सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥२॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥३॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥४॥ ज्योतिर्लिंग का महात्म्य बताते हुए कहा गया है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात: काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का पाप दूर हो जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग निम्नलिखित हैं- Contents • • • • • • • • • • • • • • शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग (Shiva 12 Jyotirlinga Hindi) ज्योतिर्लिग प्राकट्य स्थल वर्तमान स्थिति राज्य सोमनाथ वेरावल जूनागढ़ से 50 किमी गुजरात महाकालेश्वर अवंतिका उज्जैन मध्यप्रदेश केदारनाथ रुद्रप्रयाग रुद्रप्रयाग उतरखण्ड भीमशंकर डाकिनी पूना से 160 किमी महाराष्ट्र विश्वेशर काशी वाराणसी उत्तरप्रदेश रामेश्वर सेतुबन्ध रामेश्वरम तमिलनाडु घुश्मेश्वर वेरुल औरंगाबाद से 27 किमी महाराष्ट्र नागेश्वर दारुकावने औरंगाबाद से 210 किमी महाराष्ट्र त्रियंबकेश्वर ब्रह्मगिरि नासिक से 39 किमी महाराष्ट्र वैद्यनाथ संथाल परगना जसीडीह झांरखण्ड परमेश्वर नर्मदा तट इंदौर से 80 किमी ...

गरियाबंद में महाशिवरात्रि पर्व:गौरीशंकर मंदिर में लगा भक्तों का तांता, जलाभिषेक करने उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

गरियाबंद में महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवालयों में भक्तों का सुबह से ही तांता लग गया। सिविल लाइन स्थित गौरीशंकर मंदिर में हजारों की संख्या में दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे हैं। कहते हैं कि महाशिवरात्रि में किसी भी प्रहर अगर भोले बाबा की आराधना की जाए, तो मां पार्वती और भोले त्रिपुरारी दिल खोलकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। महाशिवरात्रि पर पूरे मन से शिव की आराधना करने से मनोकामना पूरी होती है। महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जा रहा है। सुबह से ही शिवालयों में पूजा-अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने को सुबह से ही तांता लगा हुआ है। इसके अलावा बेलपत्र, धतुरा, भांग, बेल, फल-फूल आदि अर्पित कर पूजा की जा रही है। इस दौरान हर-हर महादेव, बोल बम आदि जयघोष गुंजायमान हो रहा हैं। शिवभक्त भक्ति के रंग में सराबोर देखे जा रहे हैं। गौरीशंकर मंदिर में काफी संख्या में महिला श्रद्धालुओं पूजा कार्यक्रम में भाग ले रही हैं। दादा जी की याद में बनाई गई 12 ज्योतिलिंग स्थापित गौरीशंकर मंदिर में लगा भक्तों का तांता गरियाबंद शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के शिवालयों में मंगलवार की सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है।पिता तिजुराम देवागन की स्मृति में बनाई गई गौरीशंकर मंदिर स्थापित १२ ज्योतिलिंग मूर्तिया देखते ही आपका ध्यान आकर्षित करेगी भभूति और रुद्राक्ष पा कर भक्तगण हुए अभिभूत अपने दादा की याद में बनाई गई गौरी शंकर मंदिर में भभूति और रुद्राक्ष वितरण करते हुए उनके पोते सौरभ द...

केदारनाथ यात्रा 2023 की तैयारी कैसे करें

केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) भारत के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। केदारनाथ मंदिर भारत के Kedarnath Yatra 2023 Fast Facts • Kedarnath Yatra 2023 Opening Date: 26th April 2023 • Best Time to Visit: May, June, October • Location: Rudraprayad, Garhwal, Uttarakhand • Kedarnath Yatra Distance (Walking/trek distance from Gaurikund): 16 km • Ideal duration: 1 day • Kedarnath Temple Darshan Timings: 06:00 AM to 01:00 PM & 05:00 PM to 7:30 PM • Nearest Railway Station: Rishikesh (228 kilometers) • Nearest Airport: Jolly Grant Airport, Dehradun • Nearest Helipad: Phata • Famous for: 12 Jyotirlinga, Chardham yatra, trekking, Panch Kedar, pilgrimage • Kedarnath Yatra 2023 Registration (ePass): You need to register online from the official website • Explore Kedarnath Yatra Packages to Plan your Trip केदारनाथ मंदिर खुलने की तिथि 2023 – Kedarnath Opening Date 2023 यदि आप केवल अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। हर साल इसी दिन के आधार पर केदारनाथ मंदिर के पुजारी केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा करते हैं। इस साल 2023 में केदारनाथ मंदिर 26 अप्रैल को खुलेगा। इसी दिन से चारधाम यात्रा अगले 6 महीने तक चलेगी। केदारनाथ यात्रा 2023 की योजना कैसे बनाएं – How to Prepare for Kedarnath Yatra उत्तराखंड में तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। या तो ट्रेक करें (यदि आप सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा कर रहे हैं तो आप पोनी/पालकी भी बुक कर सकते हैं) या फाटा हेलीपैड से उपलब्ध हेलीकॉप्टर सेवा का विकल्प चुनें। सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा 2023 – Kedarnath Yatr...

12 Jyotirling in India

हिन्दू धर्म में पुराणों के मुताबिक शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रकट हुए उन बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है, जिनकी संख्या12 है। 12 ज्योतिर्लिंग को द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की जो भी व्यक्ति इन 12 ज्योतिलिंगो का नाम प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय लेता है तो उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। पुराणों के मुताबिक इन सभी 12 Jyotirling in India का दर्शन हर कोई नहीं कर सकता। माना जाता है की केवल किस्मत वाले लोग ही देश भर में स्थित इन ज्योतिर्लिंगों का दर्शन प्राप्त कर पाते हैं। जानते है ये शिव लिंग कहाँ कहाँ पर स्थित है। 12 Jyotirling in India: जानिये भगवान शंकर के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों के बारे में सोमनाथ • सोमनाथ पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। • पुराणों के अनुसार जब दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को क्षय रोग होने का श्राप दिया था तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप करके श्राप से छुटकारा पाया था। • इसके अतिरिक्त यह भी कहा जाता है की स्वयं चंद्रदेव ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। • विदेशी आक्रमणों के वजह से यह 17 बार नष्ट हो चुका है। लेकिन हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है। • स्कंद पुराण के प्रभासखंड में ज़िक्र किया गया है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम हर नए सृष्टि के साथ में बदल जाता है। • इस क्रम में जब वर्तमान सृष्टि का समाप्ति हो जाएगी और ब्रह्मा जी नई सृष्टि करेंगे तब सोमनाथ का नाम ‘प्राणनाथ’ होगा। • प्रलय के बाद जब नई सृष्टि का निर्माण होगा तब सोमनाथ प्राणनाथ कहलाएंगे। मल्लिकार्जुन (Mallikarjun Jyotirling) ...

बारह ज्योर्लिंगम मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी • Did you know : Originally known as 64 Jyothirling in India, 12 Jyotirlingam is considered to be very auspicious and sacred. • हिन्दूओं में ज्योतिलिंग का एक अपना प्रमुख महत्व है तथा ज्योतिर्लिंगम का उल्लेख हिन्दूओं के वेद व पुराणों में मिलता है। ज्योतिर्लिंग या ज्योर्लिंग एक ईश्वरीय शक्ति को प्रदर्शित करते है। जो सवौच्च भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करते है। ज्योति का अर्थ है ‘चमक’ या ‘प्रकाश का स्त्रोत’। र्लिंगम जो भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है जो बताता है शिव ही सर्वशक्तिमान व दिव्य है। भारत में 12 ज्योतिर्लिंगम मंदिर है ये भारत के अलग अलग राज्यों में स्थित है। मूल रूप से भारत में 64 ज्योर्लिंगम माने जाते है, जिनमें 12 ज्योतिर्लिंगम को ही बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है। बारह ज्योर्लिंगम मंदिर में अलग-अगल अभिव्यक्ति व शक्ति रूप भगवान का नाम लेते है परन्तु प्रत्येक नाम व शक्ति भगवान शिव का ही एक आंशिक रूप है। 12 ज्योतिलिंग में भगवान शिव ने किसी ने किसी कारण से प्रकट हुए, जहां शिव प्रकाश की एक ज्वलंत स्तंभ के रूप में दिखाई देते हैं। इसलिए इन्हे ज्योतिर्लिंगम व ज्योतिलिंग कहा जाता है। संस्कृत के एक श्लोक में ज्योतिलिंगम के बारे बताया गया हैः- सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्।। परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने।। वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये।। एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातरू पठेन्नर। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति।। इसका अर्थ है: सौराथ में सौनाथ और श्री शेलम में मल्लिकार्जुनम। उज्जैन में महाकाल, ओमकेरेश्...

12 Jyotirlinga की सम्पूर्ण जानकारी [2021]

हिन्दू मान्यता (Hindu Bleifs) औरपुराणोंके अनुसार शिवजीजहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग कहते है। इनकी कुल संख्या 12 है। शिवपुराण के सातवें स्कंध ‘कोटि रुद्र संहिता’में द्वादश ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlinga) और उनकी उत्पत्ति का विस्तृत वर्णन कर उनके दर्शन पूजन का माहात्म्य बताया गया है। और पढ़ें: द्वाराश ज्योतिर्लिंग स्रोत सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम्॥१॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्। सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥२॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥३॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥४॥ ज्योतिर्लिंग का महात्म्य बताते हुए कहा गया है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात: काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का पाप दूर हो जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग निम्नलिखित हैं- Contents • • • • • • • • • • • • • • शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग (Shiva 12 Jyotirlinga Hindi) ज्योतिर्लिग प्राकट्य स्थल वर्तमान स्थिति राज्य सोमनाथ वेरावल जूनागढ़ से 50 किमी गुजरात महाकालेश्वर अवंतिका उज्जैन मध्यप्रदेश केदारनाथ रुद्रप्रयाग रुद्रप्रयाग उतरखण्ड भीमशंकर डाकिनी पूना से 160 किमी महाराष्ट्र विश्वेशर काशी वाराणसी उत्तरप्रदेश रामेश्वर सेतुबन्ध रामेश्वरम तमिलनाडु घुश्मेश्वर वेरुल औरंगाबाद से 27 किमी महाराष्ट्र नागेश्वर दारुकावने औरंगाबाद से 210 किमी महाराष्ट्र त्रियंबकेश्वर ब्रह्मगिरि नासिक से 39 किमी महाराष्ट्र वैद्यनाथ संथाल परगना जसीडीह झांरखण्ड परमेश्वर नर्मदा तट इंदौर से 80 किमी ...

भारत का सबसे प्राचीन शहर कौन सा है

भारतीय की सभ्यता सबसे प्राचीन सभ्यताओ में से एक है। हमारा भारत देश कई हज़ारो सालो से बसा हुआ है। भारत के हर शहर की अपनी एक खासियत है। भारत के पुरे इतिहास में कई राजवंशो और साम्राज्यों का प्रभुत्व रहा है। भारत में 4000 शहर है लकिन क्या आप जानते है भारत देश का सबसे पुराना शहर कौनसा है, यदि नहीं, तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बतायेगे कि भारत का सबसे प्राचीन शहर कौन सा है | Oldest City in India और जानेगे भारत के प्राचीन शहर से जुडी कुछ रोचक जानकारियाँ। भारत देश के पुराने शहरों के जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े। Varanasi भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की गंगा नदी के तट पर बसा वाराणसी शहर भारत देश का सबसे पुराना शहर है। वाराणसी को बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है। इसको एशिया का सर्वाधिक पुराना शहर भी कहा जाता है। विश्व के सबसे पुराने ग्रन्थ ऋग्वेद में भी वाराणसी का जिक्र मिलता है। यहा लोगो के निवास के प्रमाण 3000 सालो से भी अधिक पुराना है, कुछ विद्वानों के अनुसार वाराणसी 4000-5000 वर्ष पुराना है। हिन्दू धर्म के पवित्र नगरों में से एक वाराणसी भी है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर, विंध्याचल मंदिर, चौरासी घाट, केशव मंदिर और बहुत से प्राचीन मंदिर है। बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी अपने मंदिरो और घाटों के लिए विख्यात है। अधिक संख्या में श्रद्धालु काशी दर्शन के लिए जाते रहते है। काशी का सबसे विख्यात मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत वाराणसी में ही जन्मा और वहा से ही विकसित हुआ। यहा 84 घाट है जिनका उपयोग स्नान करने और दाह संस्कार करने के लिए किया जाता है। बनारस की साड़ी और पान भी बहुत फेमस है। माना जाता है कि यह भगवान शिव का निवास स्थान...