16 जून 2013 केदारनाथ की घटना

  1. glacier breakdown dhauliganga river rani village alert 2013 kedarnath disaster pcup
  2. केदारनाथ त्रासदी:एक तस्वीर ने यूं बताई थी केदारघाटी की विभीषिका
  3. Kedarnath Floods 2013: केदारनाथ त्रासदी के 9 साल पूरे, आज भी रोंगटे खड़े कर देती है इसकी यादें
  4. Rudraprayag kedarnath taragedy 8th anniversary kedarnath disaster eight years completed pcup


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glacier breakdown dhauliganga river rani village alert 2013 kedarnath disaster pcup

glacier breakdown dhauliganga river rani village alert 2013 kedarnath disaster pcup | उत्तराखंड में फिर ताजा हुईं 2013 केदारनाथ त्रासदी की यादें, चमोली में ग्लेशियर टूटा, विकराल हुई अलकनंदा | Hindi News, यूपी एवं उत्‍तराखंड उत्तराखंड में फिर ताजा हुईं 2013 केदारनाथ त्रासदी की यादें, चमोली में ग्लेशियर टूटा, विकराल हुई अलकनंदा नई दिल्ली: रविवार को उत्तराखंड (Uttarakhand) में भयानक आपदा टूट पड़ी. चमोली जिले (Chamoli District) में ग्लेशियर टूट गया. ग्लेशियर (Glacier) टूटने की वजह से पानी भरभराकर उफान पर आ गया. इससे बड़ी मात्रा में पानी बहकर नीचे आ रहा है. पानी के इस बहाव की वजह से भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है. ये ग्लेशियर सुबह 9 बजे के आसपास टूटा है. इलाके में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. इसमें कई मजदूरों के बहने की आशंका जताई जा रही है. यहां 24 मेगावाट का प्रोजेक्‍ट निर्माणाधीन था. आज के इस दृश्य को देखकर साल 2013 का वो मंजर याद आ जाता है जिसने भयानक तबाही मचाई थी. चमोली में ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्‍ट का बांध टूटा, बाढ़ जैसे हालात, हाई अलर्ट पर प्रशासन प्रशासन ने जारी किया हाई अलर्ट, यूपी भी सतर्क रैनी गांव के पास ऋषि गंगा तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूटा है. हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान की सूचना मिली है. जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर रवाना हो गई. एसडीआरएफ भी घटनास्थल के लिए रवाना हो गई. प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करके ज़िला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने की आदेश दे दिए हैं. यूपी में भी गंगा किनारे अलर्ट जारी किया गया है. इस घटना में जान-माल का बड़ी संख्या में...

केदारनाथ त्रासदी:एक तस्वीर ने यूं बताई थी केदारघाटी की विभीषिका

केदारनाथ त्रासदी: एक तस्वीर ने यूं बताई थी केदारघाटी की विभीषिका विस्तार कौन भूल सकता है 16 जून 2013 की उस खौफनाक याद को, जब उत्तराखंड के चारों धाम पर एक साथ प्रकृति ने अपना कहर बरपाया था। मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी, यमुना सभी नदियां अपने रौद्र रूप में थी। हजारों लोगों की मौत का गवाह बना था उत्तराखंड। अपनों से बिछड़ने का दर्द क्या होता है ये उन लोगों से बेहतर कोई समझ नहीं सकता जो आज दस साल बाद भी अपनों का इंतजार कर रहे हैं। किसी ने इस दृष्य की नहीं की थी कल्पना खबरें तो 17 जून से ही थोड़ी बहुत मिलनी शुरू हो चुकी थी, पर खबर इतनी दर्दनाक होगी किसी ने कल्पना नहीं की थी। मुझे आज भी याद है 18 जून की वह शाम जब देहरादून में अखबार के न्यूज रूम में सहयोगियों के साथ बैठा था। बेहद खराब मौसम और विषम परिस्थितियों के कारण केदारघाटी से आपदा की सही खबर नहीं मिल रही थी। या यूं कहें कि पुष्टि नहीं हो रही थी। सरकार के अधिकारी से लेकर मंत्री तक कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे। वह तो भला हो सेना के उस टोही हेलिकॉप्टर का, जिसने बेहद खतरनाक हो चुके मौसम के बावजूद केदारघाटी का जायजा लेने का साहस दिखाया था। सेना के हेलिकॉप्टर में सवार वह जांबाज आज भी गुमनाम है, जिसने एक ऐसी तस्वीर खींची जिसके बाद पूरा देश रो पड़ा। यही वह तस्वीर थी जो तबाही के 48 घंटे बाद पहली बार 18 जून की शाम देहरादून की मीडिया तक पहुंची थी। तस्वीर को लेकर थी उलझन उत्तराखंड सरकार के ही एक अधिकारी ने मेल से तस्वीर भेजी और मैसेज किया देखिए और अनुमान लगा लीजिए तबाही का। सच में हैरान करने वाली तस्वीर थी। फोटो डाउनलोड करते ही आह निकल गई। क्या सच में इतनी बड़ी तबाही है? यह तस्वीर सच्ची है या इसमें छेड़छाड़ हुई है? अपने सहयोगियों से इस पर...

Kedarnath Floods 2013: केदारनाथ त्रासदी के 9 साल पूरे, आज भी रोंगटे खड़े कर देती है इसकी यादें

मैंने तत्काल आजतक देहरादून ब्यूरो में अपने दोस्त दलीप सिह राठौड़ जी को फोन किया. मैंने उन्हें बताया कि केदारनाथ में भारी जानमाल की हानि हुई है, लेकिन खबर पुख्ता करने के लिए हमने जिलाधिकारी को फोन किया, तो उन्होंने खुद का केदारनाथ धाम में होना बताया, जबकि वो अपने आवास पर ही थे, क्योंकि हमने उन्हें फोन बेसलाइन पर किया था. केदारनाथ में आई भयानक आपदा को 9 साल हो गए हैं. साल 2013 में 16 और 17 जून को आई इस आपदा में हजारों की तादाद में लोग मारे गए. कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश और फिर चौराबाड़ी झील के फटने से राज्य का ये हिस्सा तहस-नहस हो गया था. हमेशा सौम्य और शांत दिखने वाली मंदाकिनी अपने रौद्र रूप में आ गई थी. इस आपदा में असल में मरने वालों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा थे. 18/19 जून को चमोली जिले के गौचर हेलीपैड पर केदारनाथ से तीर्थयात्रियों को लाया जा रहा था. उसमें एक महिला जो गुजरात के जामनगर से थी. इस आपदा में अपने पति को गंवा चुकी थीं. वह गौचर हेलीपैड पर पहुंची तो अपने घर जाने की जिद्द करने लगी. वह टूटी फूटी हिंदी बोल रही थी, जिसे हम समझ नहीं पा रहे थे. हमारे सामने संकट था कि कैसे उनकी बात को समझें. मैंने कहा आप परेशान न हो, हम इन्हें भेज देंगे. लेकिन अब समस्या यह थी कि हमारे जेब में मुश्किल से दो सौ रूपये से ज्यादा नहीं थे, जबकि भाड़ा ही पांच सौ रूपये तक था. अपने व्यक्तिगत संपर्क से हमने उस महिला को ऋषिकेश भेजा. उस समय लगा कि इस महिला की तरह बहुत से तीर्थयात्री होंगे, जो छोटी सी मदद के मोहताज होंगे. खैर उनके घर पहुंचने पर बड़ी अनुभूति महसूस हुई. मंदिर के ठीक पीछे ऊपर से बहकर आए एक बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को सुरक्षित कर दिया था. आज उस पत्थर को भीम शिला क...

Rudraprayag kedarnath taragedy 8th anniversary kedarnath disaster eight years completed pcup

Rudraprayag kedarnath taragedy 8th anniversary kedarnath disaster eight years completed pcup | केदारनाथ आपदा को 8 साल पूरे: हजारों को बहा ले गई थी मंदाकिनी, आज भी रोंगटे खड़े कर देती हैं यादें | Hindi News, केदारनाथ केदारनाथ आपदा को 8 साल पूरे: हजारों को बहा ले गई थी मंदाकिनी, आज भी रोंगटे खड़े कर देती हैं यादें रूदप्रयाग: आज ही के दिन आठ साल पहले (16 जून 2013) कुदरत ने केदारनाथ समेत राज्य के पर्वतीय जिलों में जो तांडव मचाया था, उसे याद करते हुए आत्मा कांप जाती है. केदारनाथ की जलप्रलय चार हजार से अधिक लोगों को निगल गई. किसी ने सोचा भी नहीं था कि मंदाकिनी नदी इतना विकराल रूप धारण कर लेगी. इस त्रासदी में लापता हुए लोगों के रिश्‍तेदार आज भी अपनों का इंतजार कर रहे हैं. जल प्रलय में 4 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे जून 2013 में आपदा से केदारनाथ धाम को खासा नुकसान हुआ था. यहां मंदिर परिसर को छोड़ शेष पूरा क्षेत्र बाढ़ से तहस-नहस हो गया था. चौराबाड़ी में बनी झील उस दिन करीब 24 घण्टे हुई लगातार बारिश के बाद टूट गई थी. झील का पानी पहाड़ से नीचे आया जिसने मंदाकिनी के साथ मिलकर जबरदस्त तबाही मचाई थी. जल प्रलय में 4400 से ज्यादा लोग मारे गए थे. जान बचाने के लिए केदारघाटी के आसपास के जंगलों में भागे 55 लोगों के नरकंकाल बाद में चले रेस्क्यू कार्य के दौरान मिले थे. कोरोना की थर्ड वेव से बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित, जानें आयुष मंत्रालय की होमकेयर गाइडलाइन बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को किया था सुरक्षित कहा जाता है मंदिर के ठीक पीछे ऊपर से बहकर आए एक बड़े पत्थर ने बाबा के मंदिर को सुरक्षित कर दिया था. आज उस पत्थर को भीम शिला के नाम से जाना जाता है. इस प्रलय में 2241 होटल, धर्मशाला एवं अन्य भवन...