1857 ki kranti

  1. 1857 की क्रान्ति
  2. MP me 1857 ki kranti
  3. Rajasthan Me 1857 Ki Kranti / 1857 Revolution In Rajasthan
  4. 1857 की क्रांति
  5. [PDF] 1857 की क्रांति
  6. 1857 ki kranti notes


Download: 1857 ki kranti
Size: 25.1 MB

1857 की क्रान्ति

1857 की क्रान्ति (1857 Ki Kranti -Revolution in Hindi – 1st War of Independence ) भारत में आजादी भले ही 1947 में मिली परंतु इसके लिए संघर्ष लगभग सौ वर्ष पूर्व ही आरंभ हो चुका था. वास्तव में इस 1857 की क्रान्ति का स्वर्णिम इतिहास ही कालान्तर में कई स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणादायी बना. ये क्रान्ति तब हुई थी जब नेटवर्क की ज्यादा विकसित सुविधाए नहीं थी, केंद्र में अंग्रेजों की सत्ता को हिलाने के लिए कोई नेतृत्व भी नहीं था और नाही कोई संगठित समूह या निर्धारित योजना थी,जिससे क्रान्ति को सफल बनाया जा सके. लेकिन सैन्य वर्ग से लेकर आम-जनों में अंग्रेजों के खिलाफ फैले आक्रोश को अपना लक्ष्य दिखने लगा था. उस समय ही शासक वर्ग से लेकर सैनिकों,मजदूरों, किसानों यहाँ तक कि कुछ जन-जातियों को भी स्वतंत्रता और स्वायत्ता का महत्व समझ आया. ये क्रान्ति असफल जरुर रही लेकिन इसने देश के लिए एक सुनहरे भविष्य की नीव रख दी थी. ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे भगवान बिरसा मुंडा। 1857 की क्रान्ति शुरुआत कहाँ हुई थी?? ( 1857 revolution begin date and place) 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में मंगल पांडे के नेतृत्व में ये क्रान्ति शुरू हुयी थी. इतिहास में क्रांति की शुरुआत 10 मई 1857 से मानी जाती हैं जब मेरठ के सिपाहियों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ बगावत कर दी थी. इस तरह बैरकपुर और मेरठ से शुरू हुयी ये क्रान्ति जल्द ही दिल्ली, कानपूर, अलीगढ, लखनऊ, झांसी, अल्लाहबाद, अवध और देश कई अन्य हिस्सों तक पहुँच गयी थी. 1887 की क्रान्ति के कारण (causes of the 1857 Revolution) 1857 की क्रांति एक दिन में हुईं सामान्य सी विद्रोह की क्रान्ति नहीं थी,इस क्रान्ति को पनपने और देश भर में फैलने में काफी समय लगा था. उस समय अंग्रेज...

MP me 1857 ki kranti

• 1824 में चंद्रपुर (सागर) के जवाहरसिंह बुंदेला ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी। • सागर , दमोह , नरसिंहपुर , जबलपुर , मण्डला , होशंगाबाद के क्षेत्रों में भी विद्रोह होने लगे। • तात्या टोपे और नानासाहब पेशवा के संदेशवाहकों ने ग्वालियर , महू , नीमच , मंदसौर , जबलपुर , सागर , दमोह , भोपाल और विन्ध्य क्षेत्र में घूम-घूम कर राष्ट्रीय भावना का प्रसार किया। • सैनिकों , किसानों और ग्रामीणों के मध्य संदेश ‘ रोटी और कमल ‘ के फूल के माध्यम से पहुँचाया जाने लगा। • 3 जून 1857 को नीमच छावनी में विद्रोह भड़का। मंदसौर में भी विद्रोह हुआ। • 14 जून 1857 को ग्वालियर छावनी में सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। शिवपुरी , गुना में भी विद्रोह भड़का। • शेख रमजान के नेतृत्व में सागर छावनी में विद्रोह हुआ। • महाराजा सयाजीराव सिंधिया ने भागकर आगरा में अंग्रेजों के यहाँ शरण ली। • 1 जुलाई 1857 को सदाअत खाँके नेतृत्व में होलकर नरेश की सेना ने महू छावनी में विद्रोह कर दिया। इस समय इन्दौर में मौजूद अंग्रेज अधिकारी कर्नल डयूरेंट , स्टुअर्ट आदि सीहोर भाग गये।भोपाल की बेगम ने अंग्रेजों को संरक्षण दिया। • अमझेरा के राव बख्तावसिंह ने विद्रोह किया। धार , भोपाल आदि क्षेत्र विद्रोहियों के कब्जे में आ गये। • मण्डलेश्वर , सेंधवा , बड़वानी में भीमा नायक ने नेतृत्व संभाला। • मण्डला में रामगढ़ रियासत की रानी अवंतीबाई ने नेतृत्व किया। • गढ़मण्डला के शंकरशाह , रघुनाथ शाह और राधवगढ़ के राजा सूरजप्रसाद ने महाकौशल क्षेत्र में विद्रोह किया। • 1857 की क्रांति के फलस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हुआ और भारत ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत आ गया। • मध्यभारत की रियासतों , भोपाल नवाब और विन्ध्यन की रियासतों के साथ अंग्रेजों न...

Rajasthan Me 1857 Ki Kranti / 1857 Revolution In Rajasthan

Rajasthan Me 1857 Ki Kranti का आगाज 28 मई 1857 को नसीराबाद छावनी में 15 वीं नेटिव इन्फेंट्री ( NI ) के सैनिको द्वारा किया गया। यह क्रान्ति शीघ्र ही नीमच ,देवली ,एरिनपुरा छावनियों में भी फेल गई। कोटा में वहां की जनता द्वारा जबरदस्त विद्रोह किया गया और यहां का शासन लगभग छह महिने तक विद्रोहियों के हाथ में रहा। विनायक दामोदर सावरकर ने अपनी पुस्तक ” वार ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेन्डेंस “ में 1857 की क्रान्ति को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम बताया है। 1857 की क्रान्ति के कारण सम्पूर्ण भारत वर्ष में 1857 की क्रान्ति की पृष्ठभूमि में जो कारण विध्यमान थे कमोबेश वही Rajasthan Me 1857 Ki Kranti के भी थे। इन कारणों को हम अध्ययन की दृष्टि से सामाजिक , आर्थिक ,राजनैतिक – प्रशासनिक ,धार्मिक ,सैनिक तथा तात्कालिक कारणों में विभाजित कर सकते है। राजनैतिक व प्रशासनिक कारण • लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि की नीति के तहत कम्पनी ने देशी राज्यों को अपना अधीनस्थ बना लिया। • लार्ड डलहौजी ने व्यपगत सिद्धान्त के तहत झाँसी ,सतारा ,नागपुर ,उदयपुर ,निजाम ,मैसूर आदि राज्यों को हड़प लिया। • कुशासन का आरोप लगाकर अवध को हड़प लिया गया। • मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर से कम्पनी द्वारा अपमानजनक व्यवहार से मुस्लिम जनता नाराज थी। • अंग्रेजो की न्याय व्यवस्था पक्षपाती तथा छल-कपट पूर्ण थी। • अंग्रेज कर्मचारियों की लूटखसोट व भ्र्ष्टाचार से जनता त्रस्त थी। • प्रशासन में उच्च पद केवल अंग्रेजो के लिए आरक्षित थे। आर्थिक कारण • अंग्रेजी शासन का मुख्य उद्देश्य था, आर्थिक शोषण। • आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नष्ट-भ्र्ष्ठ क्र दिया गया। • दोषपूर्ण भू-राजस्व पद्धतियाँ जैसे -महलवाड़ी ,रैयतवाड़ी। • राजस्व वसूली में सेना का प्रयोग तथा उ...

1857 की क्रांति

1857 की क्रांति – दोस्तों, आज हम भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान हुई 1857 की क्रांति के बारे में जानेंगे, इससे पहले हमने हमारे पिछले आर्टिकल्स में जाना की कैसे भारत में बहुत सारी यूरोपीय कंपनियां भारत में व्यापार की दृष्टि से आती है। इन यूरोपीय कंपनियों में से अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में धीरे-धीरे अपना प्रभुत्व बढ़ाती है और भारत के अलग-अलग क्षेत्रों पर कब्ज़ा भी करने लग जाती है। इस क्रम में अंग्रेजी कंपनी प्लासी का युद्ध, बक्सर का युद्ध, कर्नाटक युद्ध, आंग्ल मैसूर युद्ध, आंग्ल सिख युद्ध, आंग्ल मराठा युद्ध में अपनी कूटनीतियों का परिचय देते हुए भारत के अधिकांश भू-भाग पर अपना कब्ज़ा कर लेती है और इसके बारे में हमने पिछले आर्टिकल्स में जाना था। अंग्रेजी कंपनी के द्वारा भारत की आर्थिक बुनियाद को खोखला करना और उनकी नीतियों से धीरे-धीरे भारतीयों में विद्रोह की भावना पैदा होने लग गई थी और एक समय के बाद कुछ ऐसी परिस्थितियां बनी जिससे भारतीयों में विद्रोह जाग उठा और इसे ही हम “ 1857 की क्रांति” के नाम से जानते हैं। 1857 की क्रांति को भारत के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी जाती है और इसके साथ-साथ इसे भारत का सैनिक विद्रोह और इसे राष्ट्रीय आंदोलन भी कुछ लोगों द्वारा कहा जाता है। 9.6 1857 की क्रांति के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री कौन था? 1857 की क्रांति का स्वरूप 1857 की क्रांति को वास्तव में कोई स्थायी स्वरूप नहीं मिला है और इसके स्वरूप से यह तात्पर्य है की इस घटना को अलग-अलग इतिहासकारों द्वारा अलग-अलग नाम दिए गए है और एक तरह से इतिहासकारों में इस घटना के स्वरूप को लेकर मतभेद दिखाई देते है। भारतीय इतिहासकार इस घटना को एक राष्ट्रीय आंदोलन, बड़ी क्रांति, और एक ...

[PDF] 1857 की क्रांति

1857 Ki Kranti in Hindi PDF, 1857 की क्रांति पीडीऍफ़, 1857 के विद्रोह के कारण PDF, आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ 1857 ईस्वी के क्रांति का संपूर्ण नोट्स का PDF शेयर करेंगे| अगर आप प्रतियोगो परीक्षा का तैयारी करते है तो आपको मालूम ही होगा कि इतिहास का यह टॉपिक कितना महत्वपूर्ण है| लगभग प्रत्येक परीक्षा इस टॉपिक के एक न एक सवाल आते ही है| अगर आप भी सरकारी नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षा जैसे SSC, Railway, Bank, BPSC, UPSC..आदि के लिए तैयारी करते है तो आज के पोस्ट में शेयर किया गया नोट्स आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है| 1857 Ki Kranti in Hindi PDF PDF Name 1857 की क्रांति PDF Language हिंदी No. of Pages 14 PDF Size 1 MB Credit Category Social Science 1857 Ki Kranti in Hindi PDF आधुनिक भारत के इतिहास में 1857 ईस्वी की क्रांति एक बहुत ही विवादपूर्ण विषय बन गया है क्युकि इसने संधर्व में विभिन्न इतिहासकार का अलग अलग मत है| लेकिन इस क्रांति के पीछे कई कारण थे जिसमे सामाजिक सांस्कृतिक, आर्थिक और तात्कालिक कारण जिम्मेदार थे| यह क्रांति भारतीय रियासत और अंग्केरेजो बीच का एक विद्रोह था, जिसका तात्कालिक कारण चर्बी वाले कारतूस को मन जाता है| भारत में 1856 ईस्वी के अंक से ही राइफलो का प्रयोग शुरू हो गया था और in राइफलो में जो कारतूस का उपयोग किया जाता था उसमे चर्बी होने के बात का पता चलने से ही भारत के सैनिकों ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह का शुरुआत कर दिया जो आगे चलकर एक विशाल विद्रोह का रूप ले लिया| 1857 की क्रांति की नोट्स का महत्व इस नोट्स को खासकर वैसे विद्यार्थी के लिए तैयार किया गया है, जो सरकारी नौकरी पाने की तलाश में है. क्योंकि किसी भी भर्ती परीक्षा में इतिह...

1857 ki kranti notes

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम | 1857 का स्वतंत्रता संग्राम • 1857 का विद्रोह कम्पनी के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था • 29 मार्च 1857 को चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग के विरुद्ध मंगल पांडे ने आवाज़ उठाई और अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर हमला कर दिया था। • इसके बाद विद्रोह 10 मई 1857 को मेरठ से प्रारंभ हुआ • 11 मई को विद्रोही सैनिक दिल्ली पहुँचे और अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर-II को भारत का सम्राट घोषित कर दिया गया। वास्तविक सैनिक नेतृत्व जनरल बख्त खाँ के हाथों था • 11 से 30 मई 1857 की अवधि में दिल्ली, फीरोजपुर, बम्बई, अलीगढ़, एटावा, बरेली, मुरादाबाद एवं उत्तर प्रदेश के कई नगरों में विद्रोह का प्रसार हुआ। • जून, 1857 में ग्वालियर, भरतपुर, झांसी, इलाहाबाद, फैजाबाद, सुल्तानपुर एवं लखनऊ आदि में विद्रोह फैल गया। • अगस्त, 1857 ई० तक जगदीशपुर (बिहार), इंदौर, सागर तथा नर्मदा घाटी में विद्रोह का प्रसार हुआ। • सितंबर, 1857 ई० में दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया, परंतु मध्य-भारत में विद्रोह हो गया। • मई, 1858 ई० तक अंग्रेजों का कानपुर, लखनऊ, झांसी आदि पर अधिकार हो गया। • जुलाई-दिसंबर, 1858 ई० तक संपूर्ण भारत में विद्रोह को दबा दिया गया एवं अंग्रेजी राज की पुनर्स्थापना कर दी गई। • रानी लक्ष्मीबाई को अंतिम युद्ध में सामना करना पड़ा- ह्यूरोज का • महारानी लक्ष्मी बाई की समाधि स्थित है- ग्वालियर में • 1857 ई.का विद्रोह लखनऊ में जिसके नेतृत्व में आगे बढ़ा, वह थी- बेगम आफ अवध • इलाहाबाद में 1857 के संग्राम के नेता थे – मौलवी लियाकत अली • 1857 के संघर्ष में भाग लेने वाले सिपाहियों के सर्वाधिक संख्या थी- अवध से • नाना साहब के ” कमांडर इन चीफ” थे – तात्या टोपे • अजीमुल्ला खा सलाहकार थे- नाना साहब ...