2022 में दीपावली कब की है

  1. दीपावली कब है , 2022 में दीपावली कब है ।
  2. Dev Diwali 2022 Shubh Yoga Significance Vrat Puja Muhurat On Kartik Purnima
  3. Diwali 2022: साल 2022 में दिवाली कब है? नोट करें लें तिथि, लक्ष्मी पूजन का टाइम और पूजन विधि
  4. 2022 में दिवाली कब है New Delhi, India में
  5. दीपावली की प्रचलित कहानियां
  6. दिवाली 2022: कब है दीपावली? जानिए तिथि, तिथि और महत्व
  7. 2022 diwali date: दीवाली कब है जानें तारीख, शुभ मुहूर्त,पंचांग एवं महत्व »


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दीपावली कब है , 2022 में दीपावली कब है ।

दीपावली कब है , 2022 में दीपावली कब है। दीपावली 2022 में 24 अक्टूबर दिन सोमवार को है। धनतेरस 2022 में 23 अक्टूबर दिन रविवार को है। नरक चतुर्दशी 2022 में 24 अक्टूबर दिन सोमवार को है। भाई दूज 2022 में 26 अक्टूबर दिन बुधवार को है। दीपावली दीपावलीभारत का एक प्रमुख पर्व है जो की भारत वासी सनातन काल से ही मानते चले आ रहे है क्योंकि इस दिन श्री राम ने 14 वर्ष का वनवास पूरा करके और रावण का वध करके अपने राज्य अयोध्या अपने भाई लश्मण और अपनी पत्नी सीता को ले कर पुनः लौटे थे इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने भी उनके स्वागत में घी के दीपक जलाए थे और तभी से हम हर वर्ष दीपावलीकार्तिक मास की अमावस्या को मनाते चले आ रहे है। दीपावलीके दिन लोग अपने घर, दुकान ,खेत जैसे कई सारे जगहों पर दीए जलाते हैं क्योंकि इस दिन सत्य की असत्य पर विजय प्राप्त हुई थीं। इस दिन लोग गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा करते है कहा जाता है कि दीपावलीके दिन दीपक जलाने से हमारे आस पास से नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाती है। दीपावलीके बारे में हर धर्म की अलग अलग मान्यताएं हैं, दीपावली चार धर्म के लोगो द्वारा मनाया जाता है हिंदू, जैन्स, सिख, और कुछ बुद्ध धर्म को मानने वाले लोग द्वारा। दीपावलीभरता में मनाए जाने वाला सबसे लंबे त्योहार में से एक है क्योंकि ये पांच दिनो का त्योहार है जिसमे धनतेरस, छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, और भाई दूज भी सामिल है। इस पांच दिनो के लंबे त्योहार को मनाने के लिए लोग अपने घरों, दुकानों की साफ सफाई एक हफ्ते पहले से ही शुरू कर देते हैं और सभी लाइट लगा कर अपने घरों दुकानों को सजा देते है। दीपावलीमनाने और घर के कामों में हाथ बटाने के लिए लोग अपने काम से छट्टी मिल जाने के बाद अपने घर एक हफ्ते पहले ही आने की क...

Dev Diwali 2022 Shubh Yoga Significance Vrat Puja Muhurat On Kartik Purnima

Dev diwali 2022, Kartik Purnima: दीपों का त्योहार देव दिवाली कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है. इस दिन गुरू नानक जयंती भी होती है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार दो दिन मनाया जाएगा. प्रदोषकाल में दीपदान किया जाता इसलिए इस साल देव दिवाली 7 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी, क्योंकि इस दिन पूर्णिमा तिथि शाम को शाम 4.15 मिनट से शुरू हो जाती है. वहीं पूर्णिमा का स्नान 8 नवंबर 2022 को किया जाएगा. व्रत-पूजन भी इसी दिन होगा. इस साल कार्तिक पूर्णिमा पर कई शुभ योग का संयोग बन रहा है जिससे इस दिन देवताओं की पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी. आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिणा का मुहूर्त, शुभ योग. देव दिवाली 2022 मुहूर्त (Dev diwali 2022 Muhurat) कार्तिक पूर्णिमा तिथि शुरू - 07 नवंबर 2022, शाम 04.15 कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 08 नवंबर 2022, शाम 04.31 प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:14 - शाम 07:49 (7 नवंबर 2022) देव दिवाली के दिन सूर्यास्त के बाद नदी-तालब या कुंड में आटे के दीपक बनाकर दीप जलाए जाते हैं. इससे अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सुख-समृद्धि का वास होता है. कार्तिक पूर्णिमा 2022 मुहूर्त (Kartik Purnima 2022 Muhurat) कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से जीवन के तमाम पाप कर्म का दोष मिट जाता है लेकिन यह स्नान सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए. • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:57 - सुबह 05:49 • अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:48 - दोपहर 12:32 देव दिवाली 2022 शुभ योग (Dev diwali 2022 shubh yoga) इस साल देव • सिद्धि योग - 06 नवंबर 2022, रात 11.50 - 07 नवंबर 2022, 10.37 • सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 12.04 - सुबह 06.41 (07 नवंबर 2022) • रवि योग - 7 नवंबर 2022, ...

Diwali 2022: साल 2022 में दिवाली कब है? नोट करें लें तिथि, लक्ष्मी पूजन का टाइम और पूजन विधि

Diwali 2022 Lakshmi Pujan Time: हिंदू धर्म में दिवाली का त्योहार का इंतजार सभी को बेसर्बी से होता है. हर कोई जानना चाहता है कि इस साल 2022 में दिवाली किस दिन की है. ये पांच दिवसीय त्योहार सालभर के बड़े त्योहारों में से एक है. देशभर में इसे बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. दिवाली की तैयारियां कई महीने पहले से शुरू हो जाती हैं. सिंह लग्न -00:39 से 02:56, 24 अक्टूबर लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 24 अक्टूबर को 06:03 बजे अमावस्या तिथि समाप्त – 24 अक्टूबर 2022 को 02:44 बजे लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :18:54:52 से 20:16:07 तक अवधि :1 घंटे 21 मिनट प्रदोष काल :17:43:11 से 20:16:07 तक वृषभ काल :18:54:52 से 20:50:43 तक दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त- प्रातःकाल मुहूर्त्त (शुभ):06:34:53 से 07:57:17 तक प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत):10:42:06 से 14:49:20 तक सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल):16:11:45 से 20:49:31 तक रात्रि मुहूर्त्त (लाभ):24:04:53 से 25:42:34 तक ये भी पढ़ें- Ravivar Upay: कर्ज से मुक्ति पाने के लिए रविवार का दिन खास, इन उपायों से ठप बिजनेस भी लगेगा दौड़ने लक्ष्मी पूजन की विधि- दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त के मुताबिक की लक्ष्मी जी का पूजन विधिपूर्वक किया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि शुभ मुहूर्त में ही मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करना शुभ होता है. इस दिन स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें. पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से मां लक्ष्मी का पूजन करें. पूजा के बाद मां की आरती और मंत्रों का जाप भी अवश्य करें. दिवाली के दिन दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्...

2022 में दिवाली कब है New Delhi, India में

आइए जानते हैं कि 2022 में दिवाली कब है व दिवाली 2022 की तारीख व मुहूर्त। दिवाली या दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है। धनतेरस से भाई दूज तक करीब 5 दिनों तक चलने वाला दिवाली का त्यौहार भारत और नेपाल समेत दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। दीपावली को दीप उत्सव भी कहा जाता है। क्योंकि दीपावली का मतलब होता है दीपों की अवली यानि पंक्ति। दिवाली का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध, जैन और सिख धर्म के अनुयायी भी दिवाली मनाते हैं। जैन धर्म में दिवाली को भगवान महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है। वहीं सिख समुदाय में इसे बंदी छोड़ दिवस के तौर पर मनाते हैं। दिवाली कब मनाई जाती है? 1.कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) मनाने का विधान है। यदि दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल का स्पर्श न करे तो दूसरे दिन दिवाली मनाने का विधान है। यह मत सबसे ज्यादा प्रचलित और मान्य है। 2.वहीं, एक अन्य मत के अनुसार, अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि, प्रदोष काल में नहीं आती है, तो ऐसी स्थिति में पहले दिन दिवाली मनाई जानी चाहिए। 3.इसके अलावा यदि अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए, यानी कि अगर अमावस्या तिथि ही न पड़े और चतुर्दशी के बाद सीधे प्रतिपदा आरम्भ हो जाए, तो ऐसे में पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दिवाली मनाने का विधान है। दिवाली पर कब करें लक्ष्मी पूजा? मुहूर्त का नाम समय विशेषता महत्व प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय स्थिर लग्न होने से पूजा का विशेष महत्व महानिशीथ काल मध्य रात्रि के समय आने वाला मुहूर्त माता काली के पूजन का विधा...

दीपावली की प्रचलित कहानियां

दिवाली/Diwali एक अति सुंदर पर्व है जो अपने साथ ढेरों खुशियां लाता है। रोशनी का त्यौहार होने के कारण इसे ' दीपोत्सव' भी कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की जीत के साथ ही, हमारे जीवन को आनंद से भर देता है। यह पर्व हमारे संबंधों में होने वाले छोटे-छोटे मतभेदों को दूर कर उनमें गर्मजोशी और सौहार्द भरकर संबंधों में मजबूती लाता है। दिवाली सिर्फ हमारे देश में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी मनाई जाती है। इस त्योहार पर राजपत्रित अवकाश घोषित होने के कारण सभी स्कूल, कॉलेज, बैंक और सभी सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। दिवाली का त्यौहार विभिन्न धर्मों के लोग मिल जुल कर मनाते हैं। इस त्यौहार से संबंधित कई दंत कथाएं और मिथक भी हैं जो सभी बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर रोशनी की जीत पर प्रकाश डालते हैं। यह त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान राम पत्नी सीता के साथ, लंका के राजा रावण को हराकर, उसकी कैद से भगवती सीता को छुड़ाकर अयोध्या वापस आए थे। रावण को मारकर राम ने बुराई पर जीत हासिल की थी इसलिए अमावस्या की अंधेरी रात्रि में अयोध्या के लोगों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है। उस दिन से यह महान पर्व दशहरे के त्यौहार के बीस दिन बाद पूरे जोश उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिवाली कब मनाई जाती है?/ When is Diwali celebrated? यह दीपोत्सव/Deepotsavकार्तिक मास की अमावस्या के दिन बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार, यह अक्टूबर या नवंबर मास में मनाया जाता है। दिवाली का महत्व और ऐतिहासिकता/ Importance of Diwali and its History प्राचीन काल से, दीपावली हिंदूओं द्वा...

दिवाली 2022: कब है दीपावली? जानिए तिथि, तिथि और महत्व

चौघड़िया मुहूर्त समय राज्य शाम दोपहर 07:23 से शाम 8:35 बजे तक पुना शाम दोपहर 06:53 से शाम 08:16 बजे तक नई दिल्ली शाम दोपहर 07:06 से शाम 08:13 बजे तक चेन्नई शाम दोपहर 07:02 से शाम 08:23 बजे तक जयपुर शाम 07:06 अपराह्न से 08:17 अपराह्न हैदराबाद शाम दोपहर 06:54 से शाम 08:17 बजे तक गुरुग्राम शाम दोपहर 06:51 से शाम 08:16 बजे तक चंडीगढ़ शाम दोपहर 06:19 से शाम 07:35 बजे तक कोलकाता शाम दोपहर 07:26 से शाम 08:39 बजे तक मुंबई शाम दोपहर 07:16 से शाम 08:23 बजे तक बैंगलोर शाम दोपहर 07:21 से शाम 08:38 बजे तक अहमदाबाद शाम दोपहर 06:52 से शाम 08:15 बजे तक नोएडा आपकी सामग्री को पढ़ने के बाद, मुझे विश्वास है कि यह मेरे ज्ञान का सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें सबसे उपयोगी तथ्य और सिफारिशें शामिल हैं। यह काफी उपयोगी और साझा करने योग्य है। शेयर करना जारी रखें। मैंने बहुत सी साइटें पढ़ी हैं, लेकिन आपकी साइट में बहुत उपयोगी जानकारी है, और मैं इससे पूरी तरह खुश हूं। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह की और जानकारी देखने को मिलेगी।

2022 diwali date: दीवाली कब है जानें तारीख, शुभ मुहूर्त,पंचांग एवं महत्व »

2022 diwali date: दीपावली अथवा दीवाली प्रकाश उत्‍सव का पर्व है, जो सत्‍य की जीत व आध्‍यात्मिक अज्ञान को दूर करने का प्रतीक है। दीपावली मर्यादा, सत्य, कर्म और सदभावना का सन्देश देता है। शब्‍द “दीपावली” का शाब्दिक अर्थ है दीपों (मिट्टी के दीप) की पंक्तियां। यह हिंदू कलेन्‍डर का एक बहुत लोकप्रिय त्‍यौहार है। यह कार्तिक के 15वें दिन (अक्टूबर/नवम्‍बर) में मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस साल दीपावली 24 अक्टूबर को है। हिन्दुओं समेत सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाए जाने के कारण और आपसी प्यार में मिठास घोलने के कारण इस पर्व का सामाजिक महत्व भी बढ़ जाता है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ कथन को सार्थक करती है दीपावली। Table of Contents • • • • • • • • • • दीपावली से जुड़ी पौराणिक कथाएं प्रथम कथा: भगवान राम से जुड़ी प्राचीन कथाओं के अनुसार दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। राजा राम के लौटने पर उनके राज्य में हर्ष की लहर दौड़ उठी थी और उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दिए जलाए थे। तब से आज तक यह दिन भारतीयों के लिए आस्था और रोशनी का त्यौहार बना हुआ है। दूसरी कथा: राजा बली से जुड़ी राजा बली के संबंध में दीवाली उत्‍सव की दक्षिण में एक और कथा है। हिंदू पुराणों के अनुसार, राजा बली एक दयालु दैत्‍यराज था। वह इतना शक्तिशाली था कि वह स्‍वर्ग के देवताओं व उनके राज्‍य के लिए खतरा बन गया। बली की ताकत को मंद करने के लिए विष्‍णु एक बौने भिक्षुक ब्राह्मण के रूप में आए। ब्राह्मण ने चतुराई से राजा से तीन पग के बराबर भूमि मांगी। राजा ने खुश...