- Holi Kab Hai 2024 (होली कब है 2024), 25 मार्च 2024, होलिका दहन का मुहूर्त
- 2030 में होलिका दहन कब है New Delhi, India में
- होली 2023: इस तारीख से लग रहे हैं होलाष्टक, हो जाएं सावधान, ये काम करना पड़ेगा जीवन पर भारी
- About Holi in Hindi
- होली कितने तारीख को है 2022, 2023, 2024, 2025
- होली कब और क्यों मनाई जाती है? होली का इतिहास और महत्व क्या है।
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Holi Kab Hai 2024 (होली कब है 2024), 25 मार्च 2024, होलिका दहन का मुहूर्त
होली को ‘ रंगों का त्योहार’ या ‘प्यार का त्यौहार’ भी कहा जाता है। यह आनंदित कर देने वाला हिंदुओं का धार्मिक त्योहार है जो अच्छाई की (भगवान विष्णु ) बुराई (दानवी होलिका) पर जीत के रूप में पूरे भारत में मनाया जाती है। 2024 में होली मार्च में 25 को पड़ेगी और जश्न 24 से शुरू होंगे । 24 मार्च को पूर्ण रूप से चांदनी रात है जब लगभग सभी धार्मिक रस्मों रिवाज होंगे। जैसे होलिका दहन - आग लगाने की रस्म| 25 मार्च का दिन रंगों के खेल का दिन होगा जिसे मनाने के लिए पूरा देश सड़कों पर उतर आएगा। • होलिका दहन का मुहूर्त 24 मार्च को 19:19 से 21:38 तक ज्यादातर भारतीय लोग राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश का आनंद 25 मार्च को उठायेंगे जो कि होली का मुख्य दिन है । होली कब तक रहती है लगभग सारे भारत में होली 2 दिन तक मनाई जाती है। पहले दिन को छोटी होली कहा जाता है या होलिका दहन( होलिका की मृत्यु) । ये तब होती है जब होलिका दहन की धार्मिक रस्म पूरी की जाती है । दूसरे दिन को दुलेंडी, रंगों का त्योहार कहा जाता है और रंग वाली होली कहा जाता है जब रंगों का खेल शुरू होता है। भारत के कुछ भागों में इस त्यौहार को 2 दिनों से ज्यादा समय तक मनाया जाता है। मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि के नाम पर प्रसिद्ध है। (भगवान विष्णु का अवतार ) जोकि होली में सम्मानित सर्व प्रथम के भगवान हैं। मथुरा और उसके निकट वृंदावन में 1 सप्ताह से ज्यादा समय तक यह त्यौहार मनाया जाता है। जिसमें विभिन्न रंगों से खेलना और धार्मिक रस्में शामिल होती हैं 24 मार्च 2024 - छोटी होली / होलिका दहन होली से एक दिन पूर्व, शाम को बड़ी-बड़ी लकड़ियों में आग लगाई जाती है और दानवी होलिका का पुतला उस आग में जला दिया जाता है जो अच्छाई की बुराई पर विजय को दर्शाता है।...
2030 में होलिका दहन कब है New Delhi, India में
आइए जानते हैं कि 2030 में होलिका दहन कब है व होलिका दहन 2030 की तारीख व मुहूर्त। होलिका दहन, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए - 1. पहला, उस दिन “भद्रा” न हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है। 2. दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए। होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है। होलिका दहन की पौराणिक कथा पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए; क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत -- होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं। होलिका दहन का इतिहास होली का वर्णन बहुत...
होली 2023: इस तारीख से लग रहे हैं होलाष्टक, हो जाएं सावधान, ये काम करना पड़ेगा जीवन पर भारी
Holashtak 2023 start and end date: हिंदू धर्म में होली का त्योहार प्रमुख पर्वों में से एक है. नया साल शुरू होने के बाद फाल्गुन महीने में पड़ने वाले इस त्योहार का इंतजार शुरू हो जाता है. साथ ही यह पर्व दिल से बुराई को खत्म करके फिर से गले मिलने और खुशी मनाने का पर्व है. साल 2023 में 7 मार्च 2023 को होलिका दहन किया जाएगा, वहीं रंगों वाली होली 8 मार्च को खेली जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च 2023 की शाम 04:17 बजे से प्रारंभ होकर 07 मार्च 2023 की शाम 06:09 बजे तक रहेगी. वहीं होलिका दहन 07 मार्च 2023 को किया जाएगा और रंगो वाली होली अगले दिन 8 मार्च 2023 को खेली जाएगी. 8 मार्च को ही अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जाता है. होलाष्टक में न करें ये काम होलिका दहन से पहले 8 दिन के होलाष्टक लगते हैं. होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन होने तक रहते हैं. ज्योतिष के अनुसार इन 8 दिन के होलाष्टक में सूर्य, चंद्रमा, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु ग्रह उग्र रहते हैं. इन उग्र ग्रहों का नकारात्मक असर मांगलिक कामों पर पड़ता है इसलिए होलाष्टक के दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है. आइए जानते हैं कि होलाष्ट में कौनसे काम नहीं करना चाहिए. – होलाष्टक में विवाह, मुंडन, नामकरण, सगाई समेत सभी शुभ काम नहीं करना चाहिए. – फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा के दौरान होलाष्टक में ना तो नए घर में प्रवेश करना चाहिए, ना ही घर का निर्माण शुरू करना चाहिए. - होलाष्टक के दौरान नया घर, गाड़ी, जमीन आदि भी नहीं खरीदना चाहिए, ना ही बुकिंग करनी चाहिए. - होलाष्टक में यज्ञ, हवन जैसे धार्मिक अनुष्...
About Holi in Hindi
होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार को केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है। रंगों का त्योहार होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। देश के कई हिस्सों में होली की शुरुआत वसंत ऋतु के आते ही हो जाती है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव, बरसाने और राजस्थान के पुष्कर की होली ( होली मनाने का कारण) बहुत ही मशहूर है। और बरसाने की लठमार होली ( information about holi in hindi) का तो आनंद ही अलग होता है। आप भी अपने परिजनों को इन मैसेज के जरिए होली की हार्दिक शुभकामनाएं दे सकते हैं। Table of Contents • • • • • होली कब है – Holi kab Hai हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली (holi kab h) का त्योहार मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हर साल मार्च के महीने में ये त्योहार मनाया जाता है। इस साल होली का त्योहार 17 और 18 मार्च को मनाया जाएगा। 17 मार्च को होलिका दहन और 18 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। रंगोत्सव के पर्व में आप अपने जानने वालों के साथ होली शायरी शेयर करें और होली की बधाइयाँ दें। होली (holi festival in hindi) मनाए जाने के पीछे वैसे तो कई सारी पौराणिक कथाएं हैं लेकिन एक कथा बहुत ही प्रचलित है। यह कथा राजा हिरण्यकश्यप की है। प्राचीन काल में राजा हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा की तपस्या करके उनसे एक वरदान प्राप्त कर लिया था, जिसके मुताबिक संसार का कोई भी जीव-जंतु, देवी-देवता, राक्षस या फिर मनुष्य उसे मार नहीं सकता था। ना ही वो रात में, दिन में, पृथ्वी पर और ना ही आकाश में, ना घर में और ना घर के बार कहीं नहीं मर सकता था। यहां तक कि किसी भी प्रकार का शस्त्र उसे नहीं मार सकता था। इस तरह का वरदान पान...
होली कितने तारीख को है 2022, 2023, 2024, 2025
2022 में होली 18 मार्च दिन शुक्रवार को है। इससे एक दिन पूर्व 17 मार्च को होलिका दहन होगा। रंगों का त्यौहार होली (Holi) फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन धुलेंडी या धूलिवंदन में लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। वही, फाल्गुन कृष्ण अष्टमी से होलाष्टक की शुरुआत हो जाएगी। होलाष्टक आठ दिनों को होता है। होलिका दहन भद्रा के बाद ही करना शुभ है। ऐसा माना जाता है कि भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता है। होलिका दहन कब है? होलिका दहन मार्च 17, 2022, बृहस्पतिवार होलिका दहन मार्च 7, 2023, मंगलवार होलिका दहन मार्च 24, 2024, रविवार होलिका दहन मार्च 13, 2025, बृहस्पतिवार होलिका दहन मार्च 3, 2026, मंगलवार होलिका दहन मार्च 21, 2027, रविवार होलिका दहन मार्च 10, 2028, शुक्रवार होलिका दहन फरवरी 28, 2029, बुधवार होलिका दहन मार्च 19, 2030, मंगलवार होलिका दहन मार्च 8, 2031, शनिवार होलिका दहन मार्च 26, 2032, शुक्रवार होली कब है? होली मार्च 18, 2022, शुक्रवार होली मार्च 8, 2023, बुधवार होली मार्च 25, 2024, सोमवार होली मार्च 14, 2025, शुक्रवार होली मार्च 4, 2026, बुधवार होली मार्च 22, 2027, सोमवार होली मार्च 11, 2028, शनिवार होली मार्च 1, 2029, बृहस्पतिवार होली मार्च 20, 2030, बुधवार होली मार्च 9, 2031, रविवार होली मार्च 27, 2032, शनिवार Tags : विश्वकर्मा जयंती 2023 में 17 सितंबर दिन रविवार को है। हर साल माघ महीने में भारत (Vishwakarma Jayanti in India) के उत्तर त...
होली कब और क्यों मनाई जाती है? होली का इतिहास और महत्व क्या है।
हम सब जैसे ही होली पर्व का नाम सुनते है हमारे चेहरे पर हर्ष उल्लास का भाव उत्पन हो जाता है। लोगो की ना जाने कितनी यादें जुडी होती है होली से। भारत को अगर त्योहारो का देश कहें तो शायद ये गलत नहीं होगा। भारत में विभिन्न जाती, धर्म, संप्रदाय के लोग एक साथ अपना जीवन गुजर बसर करते है और पर्वो त्योहारों को काफी भाईचारा और हर उल्लास के साथ मनाते है। भारत में विभिन्न प्रकार का पर्व काफी हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है ऐसे तो भारत में हर एक पर्व एक अपना महत्व है और हर पर्व कही न कहीं पौराणिक इतिहास और कथा से जुड़े हुए होते है। होली इन सभी पर्वो में से एक बहुत ही पवित्र त्योहार है। ये लोगो को आपस में भाईचारा, प्रेम, स्नेह से साथ में रहने की प्रेरणा देती है। होली हिंदुयों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। होली रंगो का त्योहार है। हम सभी लोग तो हर एक साल होली का त्योहार काफी धूम धाम से मनाते है पर बहुत लोगो को होली का इतिहास के बारे में जानकारी नहीं होती है आज आप इस लेख होली कब और क्यों मनाते हैं? (Holi kyu manaya jata hai) के जरिये होली मनाने के पीछे क्या कहानी है इसके बारे में विस्तार से जान पाएंगे। Table of Contents • • • • • • • • • • होली त्योहार क्या है? ( What is Holi in Hindi) holi kyu manaya jata hai होली (Holi) का त्योहार हर एक साल फाल्गुन (मार्च) महीने के पूर्णिमा के दिन मनाता जाता है। होली हिन्दुओं का एक बहुत ही पवित्र और प्रसिद्ध त्योहार है। “होली ” को रंगो का त्योहार भी कहा जाता है। भारत में मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहारों की तरह होली का पर्व भी भी बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के रूप में मनाये जाता है। होली की शुरुआत होलिका दहन से होती है शाम को होलिका ...