64 काम कलाएं pdf

  1. श्री कृष्णम वंदे जगदगुरु : 14 विद्या और 64 कलाओं से परिपूर्ण श्री श्रीकृष्ण ही हैं सच्चे गुरु
  2. Bhardwaj Study Centre: 64 कलाएं
  3. What is the 64 kalayen of kama sutra of vatsyayana if you know it never be failed in any field
  4. कामसूत्र: की वो 64 कलाएं कौन सी हैं, जिन्हें जानने वाला कभी भी कहीं असफल नहीं होगा
  5. श्री कृष्णम वंदे जगदगुरु : 14 विद्या और 64 कलाओं से परिपूर्ण श्री श्रीकृष्ण ही हैं सच्चे गुरु
  6. कामसूत्र: की वो 64 कलाएं कौन सी हैं, जिन्हें जानने वाला कभी भी कहीं असफल नहीं होगा
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श्री कृष्णम वंदे जगदगुरु : 14 विद्या और 64 कलाओं से परिपूर्ण श्री श्रीकृष्ण ही हैं सच्चे गुरु

1. श्रीकृष्‍ण के गुरु मानते थे उन्हें अपना गुरु : भगवान श्रीकृष्ण के सबसे पहले गुरु सांदीपनी थे। उनका आश्रम अवंतिका (उज्जैन) में था। देवताओं के ऋषि को सांदीपनि कहा जाता है। वे भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा के गुरु थे। उन्हीं के आश्रम में श्रीकृष्ण ने वेद और योग की शिक्षा और दीक्षा के साथ ही 64 कलाओं की शिक्षा ली थी। गुरु ने श्रीकृष्ण से दक्षिणा के रूप में अपने पुत्र को मांगा, जो शंखासुर राक्षस के कब्जे में था। भगवान ने उसे मुक्त कराकर गुरु को दक्षिणा भेंट की। इसके अलावा श्रीकृष्‍ण के गुरु नेमिनाथ, वेदव्यास, घोर अंगिरस, गर्ग मुनि और परशुराम भी थे। परंतु ये सभी श्रीकृष्‍ण को ही अपना गुरु मानते थे। भीष्म पितामह और गुरु द्रोणाचार्य भी उनकी पूजा करते थे। 4. क्यों माना जाता पूर्णावतार : 16 कलाओं से युक्त व्यक्ति ईश्‍वरतुल्य होता है या कहें कि स्वयं ईश्वर ही होता है। पत्‍थर और पेड़ 1 से 2 कला के प्राणी हैं। पशु और पक्षी में 2 से 4 कलाएं होती हैं। साधारण मानव में 5 कला और स्कृति युक्त समाज वाले मानव में 6 कला होती है। इसी प्रकार विशिष्ठ पुरुष में 7 और ऋषियों या महापुरुषों में 8 कला होती है। 9 कलाओं से युक्त सप्तर्षिगण, मनु, देवता, प्रजापति, लोकपाल आदि होते हैं। इसके बाद 10 और 10 से अधिक कलाओं की अभिव्यक्ति केवल भगवान के अवतारों में ही अभिव्यक्त होती है। जैसे वराह, नृसिंह, कूर्म, मत्स्य और वामन अवतार। उनको आवेशावतार भी कहते हैं। उनमें प्राय: 10 से 11 कलाओं का आविर्भाव होता है। परशुराम को भी भगवान का आवेशावतार कहा गया है। भगवान राम 12 कलाओं से तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं से युक्त हैं। यह चेतना का सर्वोच्च स्तर होता है। इसीलिए प्रभु श्रीकृष्‍ण जग के नाथ जगन्नाथ और जग के गुरु जगदगु...

Bhardwaj Study Centre: 64 कलाएं

जरूरपढ़ेज़िन्दगीकोबदलनेवालीयेपुस्तकें 64 कलाओंमेंमहारतथेश्रीकृष्ण (64 Kalas of Lord Shri Krishna) AUGUST 12, 2014BY 64 Kalas of Lord Shri Krishna: श्रीकृष्णअपनीशिक्षाग्रहणकरनेआवंतिपुर (उज्जैन) गुरुसांदीपनिकेआश्रममेंगएथेजहाँवोमात्र 64 दिनरहथे।वहांपरउन्होंनेनेमात्र 64 दिनोंमेंहीअपनेगुरुसे 64 कलाओंकीशिक्षाहासिलकरलीथी।हालांकिश्रीकृष्णभगवानकेअवतारथेऔरयहकलाएंउनकोपहलेसेहीआतीथी।परचुकीउनकाजन्मएकसाधारणमनुष्यकेरूपमेंहुआथाइसलिएउन्होंनेगुरुकेपासजाकरयहपुनःसीखी। निम्न 64 कलाओंमेंपारंगतथेश्रीकृष्ण 1- नृत्य–नाचना 2- वाद्य- तरह-तरहकेबाजेबजाना 3- गायनविद्या–गायकी। 4- नाट्य–तरह-तरहकेहाव-भाववअभिनय 5- इंद्रजाल- जादूगरी 6- नाटकआख्यायिकाआदिकीरचनाकरना 7- सुगंधितचीजें- इत्र, तेलआदिबनाना 8- फूलोंकेआभूषणोंसेश्रृंगारकरना 9- बेतालआदिकोवशमेंरखनेकीविद्या 10- बच्चोंकेखेल 11- विजयप्राप्तकरानेवालीविद्या 12- मन्त्रविद्या 13- शकुन-अपशकुनजानना, प्रश्नोंउत्तरमेंशुभाशुभबतलाना 14- रत्नोंकोअलग-अलगप्रकारकेआकारोंमेंकाटना 15- कईप्रकारकेमातृकायन्त्रबनाना 16- सांकेतिकभाषाबनाना 17- जलकोबांधना। 18- बेल-बूटेबनाना 19- चावलऔरफूलोंसेपूजाकेउपहारकीरचनाकरना। (देवपूजनयाअन्यशुभमौकोंपरकईरंगोंसेरंगेचावल, जौआदिचीजोंऔरफूलोंकोतरह-तरहसेसजाना) 20- फूलोंकीसेजबनाना। 21- तोता-मैनाआदिकीबोलियांबोलना–इसकलाकेजरिएतोता-मैनाकीतरहबोलनायाउनकोबोलसिखाएजातेहैं। 22- वृक्षोंकीचिकित्सा 23- भेड़, मुर्गा, बटेरआदिकोलड़ानेकीरीति 24- उच्चाटनकीविधि 25- घरआदिबनानेकीकारीगरी 26- गलीचे, दरीआदिबनाना 27- बढ़ईकीकारीगरी 28- पट्टी, बेंत, बाणआदिबनानायानीआसन, कुर्सी, पलंगआदिकोबेंतआदिचीजोंसेबनाना। 29- तरह-तरहखानेकीचीजेंबनानायानीकईतरहसब्जी, रस, मीठेपकवान, कड़ीआदिबनानेकीकला। ...

What is the 64 kalayen of kama sutra of vatsyayana if you know it never be failed in any field

कामसूत्र ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकर अर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है जिसमें उन्होंने जीवन जीने का सलीका बताया है ये 64 कलाएं ऐसी भी हैं जो तमाम क्षेत्रों में आपको पारंगत बनाती हैं और पैसा कमाना भी सिखाती हैं महर्षि वात्स्यायन ऋषि ने जब चौथी शताब्दी के आसपास दुनियाभर में सबसे ज्यादा बिकने वाला ग्रंथ कामसूत्र लिखा तो तहलका मच गया. जब पहली बार करीब 200 साल पहले सर रिचर्ड एफ बर्टन ने इसका अनुवाद किया तो ये इसे खरीदने की होड़ लग गई. इसकी एक-एक प्रति 100 से 150 पौंड (8000 रुपए से 12000 रुपए) तक में बिकी. वात्सायायन ने अपने इस ग्रंथ में 64 कलाओं का जिक्र किया है. जिन्हें जानने वाला जीवन के किसी क्षेत्र में मात नहीं खा सकता. दरअसल जब भी काम सूत्र की बात होती है तो लगता है कि ये ऐसी किताब है, जो केवल यौन आसनों और सेक्स पर आधारित है, लेकिन ऐसा है नहीं. ये केवल कामसूत्र का एक हिस्सा है. यौन-मिलन से सम्बन्धित भाग ‘संप्रयोगिकम्’ एक अध्याय के तौर पर है, ये संपूर्ण ग्रंथ का 20 फीसदी ही है. इस ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकर है. माना जाता है कि अर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है. क्या हैं 64 कलाएं वात्स्यायन ने कामसूत्न में जिन 64 कलाओं का जिक्र किया है, वो दरअसल जीवन में काम आने वाली विधाएं हैं. वो आज भी प्रासंगिक हैं. हां कुछ कलाएं ऐसी जरूर हैं, जो समय के साथ अप्रासंगिक हो चुकी हैं तो कुछ अब भी बहुत उपयोगी हैं. हालांकि माना जाता है कि वात्स्यायन ये कलाएं स्त्रियों को ध्यान में रखकर लिख...

कामसूत्र: की वो 64 कलाएं कौन सी हैं, जिन्हें जानने वाला कभी भी कहीं असफल नहीं होगा

कामसूत्र: ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकरअर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है जिसमें उन्होंने जीवन जीने का सलीका बताया हैये 64 कलाएं ऐसी भी हैं जो तमाम क्षेत्रों में आपको पारंगत बनाती हैं और पैसा कमाना भी सिखाती हैंमहर्षि वात्स्यायन ऋषि ने जब चौथी शताब्दी के आसपास दुनियाभर में सबसे ज्यादा बिकने वाला ग्रंथ कामसूत्र लिखा तो तहलका मच गया. जब पहली बार करीब 200 साल पहले सर रिचर्ड एफ बर्टन ने इसका अनुवाद किया तो ये इसे खरीदने की होड़ लग गई. इसकी एक-एक प्रति 100 से 150 पौंड (8000 रुपए से 12000 रुपए) तक में बिकी. वात्सायायन ने अपने इस ग्रंथ में 64 कलाओं का जिक्र किया है. जिन्हें जानने वाला जीवन के किसी क्षेत्र में मात नहीं खा सकता. दरअसल जब भी काम सूत्र की बात होती है तो लगता है कि ये ऐसी किताब है, जो केवल यौन आसनों और सेक्स पर आधारित है, लेकिन ऐसा है नहीं. ये केवल कामसूत्र का एक हिस्सा है. यौन-मिलन से सम्बन्धित भाग ‘संप्रयोगिकम्’ एक अध्याय के तौर पर है, ये संपूर्ण ग्रंथ का 20 फीसदी ही है. इस ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकर है. माना जाता है कि अर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है. कामसूत्र: क्या हैं 64 कलाएं वात्स्यायन ने कामसूत्न में जिन 64 कलाओं का जिक्र किया है, वो दरअसल जीवन में काम आने वाली विधाएं हैं. वो आज भी प्रासंगिक हैं. हां कुछ कलाएं ऐसी जरूर हैं, जो समय के साथ अप्रासंगिक हो चुकी हैं तो कुछ अब भी बहुत उपयोगी हैं. हालांकि माना जाता है कि वात्स्यायन ये कलाएं स्त्रियों को ध्यान में ...

श्री कृष्णम वंदे जगदगुरु : 14 विद्या और 64 कलाओं से परिपूर्ण श्री श्रीकृष्ण ही हैं सच्चे गुरु

1. श्रीकृष्‍ण के गुरु मानते थे उन्हें अपना गुरु : भगवान श्रीकृष्ण के सबसे पहले गुरु सांदीपनी थे। उनका आश्रम अवंतिका (उज्जैन) में था। देवताओं के ऋषि को सांदीपनि कहा जाता है। वे भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा के गुरु थे। उन्हीं के आश्रम में श्रीकृष्ण ने वेद और योग की शिक्षा और दीक्षा के साथ ही 64 कलाओं की शिक्षा ली थी। गुरु ने श्रीकृष्ण से दक्षिणा के रूप में अपने पुत्र को मांगा, जो शंखासुर राक्षस के कब्जे में था। भगवान ने उसे मुक्त कराकर गुरु को दक्षिणा भेंट की। इसके अलावा श्रीकृष्‍ण के गुरु नेमिनाथ, वेदव्यास, घोर अंगिरस, गर्ग मुनि और परशुराम भी थे। परंतु ये सभी श्रीकृष्‍ण को ही अपना गुरु मानते थे। भीष्म पितामह और गुरु द्रोणाचार्य भी उनकी पूजा करते थे। 4. क्यों माना जाता पूर्णावतार : 16 कलाओं से युक्त व्यक्ति ईश्‍वरतुल्य होता है या कहें कि स्वयं ईश्वर ही होता है। पत्‍थर और पेड़ 1 से 2 कला के प्राणी हैं। पशु और पक्षी में 2 से 4 कलाएं होती हैं। साधारण मानव में 5 कला और स्कृति युक्त समाज वाले मानव में 6 कला होती है। इसी प्रकार विशिष्ठ पुरुष में 7 और ऋषियों या महापुरुषों में 8 कला होती है। 9 कलाओं से युक्त सप्तर्षिगण, मनु, देवता, प्रजापति, लोकपाल आदि होते हैं। इसके बाद 10 और 10 से अधिक कलाओं की अभिव्यक्ति केवल भगवान के अवतारों में ही अभिव्यक्त होती है। जैसे वराह, नृसिंह, कूर्म, मत्स्य और वामन अवतार। उनको आवेशावतार भी कहते हैं। उनमें प्राय: 10 से 11 कलाओं का आविर्भाव होता है। परशुराम को भी भगवान का आवेशावतार कहा गया है। भगवान राम 12 कलाओं से तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं से युक्त हैं। यह चेतना का सर्वोच्च स्तर होता है। इसीलिए प्रभु श्रीकृष्‍ण जग के नाथ जगन्नाथ और जग के गुरु जगदगु...

कामसूत्र: की वो 64 कलाएं कौन सी हैं, जिन्हें जानने वाला कभी भी कहीं असफल नहीं होगा

कामसूत्र: ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकरअर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है जिसमें उन्होंने जीवन जीने का सलीका बताया हैये 64 कलाएं ऐसी भी हैं जो तमाम क्षेत्रों में आपको पारंगत बनाती हैं और पैसा कमाना भी सिखाती हैंमहर्षि वात्स्यायन ऋषि ने जब चौथी शताब्दी के आसपास दुनियाभर में सबसे ज्यादा बिकने वाला ग्रंथ कामसूत्र लिखा तो तहलका मच गया. जब पहली बार करीब 200 साल पहले सर रिचर्ड एफ बर्टन ने इसका अनुवाद किया तो ये इसे खरीदने की होड़ लग गई. इसकी एक-एक प्रति 100 से 150 पौंड (8000 रुपए से 12000 रुपए) तक में बिकी. वात्सायायन ने अपने इस ग्रंथ में 64 कलाओं का जिक्र किया है. जिन्हें जानने वाला जीवन के किसी क्षेत्र में मात नहीं खा सकता. दरअसल जब भी काम सूत्र की बात होती है तो लगता है कि ये ऐसी किताब है, जो केवल यौन आसनों और सेक्स पर आधारित है, लेकिन ऐसा है नहीं. ये केवल कामसूत्र का एक हिस्सा है. यौन-मिलन से सम्बन्धित भाग ‘संप्रयोगिकम्’ एक अध्याय के तौर पर है, ये संपूर्ण ग्रंथ का 20 फीसदी ही है. इस ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकर है. माना जाता है कि अर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है. कामसूत्र: क्या हैं 64 कलाएं वात्स्यायन ने कामसूत्न में जिन 64 कलाओं का जिक्र किया है, वो दरअसल जीवन में काम आने वाली विधाएं हैं. वो आज भी प्रासंगिक हैं. हां कुछ कलाएं ऐसी जरूर हैं, जो समय के साथ अप्रासंगिक हो चुकी हैं तो कुछ अब भी बहुत उपयोगी हैं. हालांकि माना जाता है कि वात्स्यायन ये कलाएं स्त्रियों को ध्यान में ...

Bhardwaj Study Centre: 64 कलाएं

जरूरपढ़ेज़िन्दगीकोबदलनेवालीयेपुस्तकें 64 कलाओंमेंमहारतथेश्रीकृष्ण (64 Kalas of Lord Shri Krishna) AUGUST 12, 2014BY 64 Kalas of Lord Shri Krishna: श्रीकृष्णअपनीशिक्षाग्रहणकरनेआवंतिपुर (उज्जैन) गुरुसांदीपनिकेआश्रममेंगएथेजहाँवोमात्र 64 दिनरहथे।वहांपरउन्होंनेनेमात्र 64 दिनोंमेंहीअपनेगुरुसे 64 कलाओंकीशिक्षाहासिलकरलीथी।हालांकिश्रीकृष्णभगवानकेअवतारथेऔरयहकलाएंउनकोपहलेसेहीआतीथी।परचुकीउनकाजन्मएकसाधारणमनुष्यकेरूपमेंहुआथाइसलिएउन्होंनेगुरुकेपासजाकरयहपुनःसीखी। निम्न 64 कलाओंमेंपारंगतथेश्रीकृष्ण 1- नृत्य–नाचना 2- वाद्य- तरह-तरहकेबाजेबजाना 3- गायनविद्या–गायकी। 4- नाट्य–तरह-तरहकेहाव-भाववअभिनय 5- इंद्रजाल- जादूगरी 6- नाटकआख्यायिकाआदिकीरचनाकरना 7- सुगंधितचीजें- इत्र, तेलआदिबनाना 8- फूलोंकेआभूषणोंसेश्रृंगारकरना 9- बेतालआदिकोवशमेंरखनेकीविद्या 10- बच्चोंकेखेल 11- विजयप्राप्तकरानेवालीविद्या 12- मन्त्रविद्या 13- शकुन-अपशकुनजानना, प्रश्नोंउत्तरमेंशुभाशुभबतलाना 14- रत्नोंकोअलग-अलगप्रकारकेआकारोंमेंकाटना 15- कईप्रकारकेमातृकायन्त्रबनाना 16- सांकेतिकभाषाबनाना 17- जलकोबांधना। 18- बेल-बूटेबनाना 19- चावलऔरफूलोंसेपूजाकेउपहारकीरचनाकरना। (देवपूजनयाअन्यशुभमौकोंपरकईरंगोंसेरंगेचावल, जौआदिचीजोंऔरफूलोंकोतरह-तरहसेसजाना) 20- फूलोंकीसेजबनाना। 21- तोता-मैनाआदिकीबोलियांबोलना–इसकलाकेजरिएतोता-मैनाकीतरहबोलनायाउनकोबोलसिखाएजातेहैं। 22- वृक्षोंकीचिकित्सा 23- भेड़, मुर्गा, बटेरआदिकोलड़ानेकीरीति 24- उच्चाटनकीविधि 25- घरआदिबनानेकीकारीगरी 26- गलीचे, दरीआदिबनाना 27- बढ़ईकीकारीगरी 28- पट्टी, बेंत, बाणआदिबनानायानीआसन, कुर्सी, पलंगआदिकोबेंतआदिचीजोंसेबनाना। 29- तरह-तरहखानेकीचीजेंबनानायानीकईतरहसब्जी, रस, मीठेपकवान, कड़ीआदिबनानेकीकला। ...

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कामसूत्र ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकर अर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है जिसमें उन्होंने जीवन जीने का सलीका बताया है ये 64 कलाएं ऐसी भी हैं जो तमाम क्षेत्रों में आपको पारंगत बनाती हैं और पैसा कमाना भी सिखाती हैं महर्षि वात्स्यायन ऋषि ने जब चौथी शताब्दी के आसपास दुनियाभर में सबसे ज्यादा बिकने वाला ग्रंथ कामसूत्र लिखा तो तहलका मच गया. जब पहली बार करीब 200 साल पहले सर रिचर्ड एफ बर्टन ने इसका अनुवाद किया तो ये इसे खरीदने की होड़ लग गई. इसकी एक-एक प्रति 100 से 150 पौंड (8000 रुपए से 12000 रुपए) तक में बिकी. वात्सायायन ने अपने इस ग्रंथ में 64 कलाओं का जिक्र किया है. जिन्हें जानने वाला जीवन के किसी क्षेत्र में मात नहीं खा सकता. दरअसल जब भी काम सूत्र की बात होती है तो लगता है कि ये ऐसी किताब है, जो केवल यौन आसनों और सेक्स पर आधारित है, लेकिन ऐसा है नहीं. ये केवल कामसूत्र का एक हिस्सा है. यौन-मिलन से सम्बन्धित भाग ‘संप्रयोगिकम्’ एक अध्याय के तौर पर है, ये संपूर्ण ग्रंथ का 20 फीसदी ही है. इस ग्रंथ का अधिकांश हिस्सा स्त्री और पुरुषों के आचार-व्यवहार और काम के प्रति दर्शन को लेकर है. माना जाता है कि अर्थ क्षेत्र में जो स्थान चाणक्य का है, वही काम के क्षेत्र में कामसूत्र का है. क्या हैं 64 कलाएं वात्स्यायन ने कामसूत्न में जिन 64 कलाओं का जिक्र किया है, वो दरअसल जीवन में काम आने वाली विधाएं हैं. वो आज भी प्रासंगिक हैं. हां कुछ कलाएं ऐसी जरूर हैं, जो समय के साथ अप्रासंगिक हो चुकी हैं तो कुछ अब भी बहुत उपयोगी हैं. हालांकि माना जाता है कि वात्स्यायन ये कलाएं स्त्रियों को ध्यान में रखकर लिख...