ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी

  1. दिल्ली से केदारनाथ की दूरी
  2. दिल्ली से केदारनाथ की दूरी और यात्रा
  3. ऋषिकेश
  4. ऋषिकेश, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की आपस में दूरी एक यादगार सफ़र में से एक हैं
  5. मोरबी से केदारनाथ की दूरी और यात्रा
  6. केदारनाथ की धार्मिक यात्रा कैसे करें


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दिल्ली से केदारनाथ की दूरी

इस लेख में, हम आपकी मदद करेंगे कि कैसे दिल्ली से केदारनाथ तक सबसे अच्छे तरीके से पहुंचा जा सकता है। मान लीजिए अगर आप दिल्ली से केदारनाथ की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो सबसे पहले आप हरिद्वार पहुंचें। हरिद्वार से, हरिद्वार से केदारनाथ की यात्रा शुरू करने के लिए कई परिवहन विकल्प हैं। रुकिए, हम आपको विस्तार से बताएंगे कि दिल्ली से केदारनाथ कैसे पहुंचे? हेलीकॉप्टर से कैसे पहुंचे केदारनाथ मंदिर? दिल्ली से केदारनाथ की दूरी। हरिद्वार से केदारनाथ कैसे पहुंचे? दिल्ली से केदारनाथ की दूरी (Delhi to Kedarnath Distance) नोट: यह दूरी रुद्रप्रयाग में गौरीकुंड के बाद आने वाले केदारनाथ ट्रेक सहित केदारनाथ मंदिर से सीधे है। • Delhi से Kedarnath की दूरी 466 kilometer है • चंडीगढ़ से केदारनाथ (524km) • मुंबई से केदारनाथ (1912km) • कोलकाता से केदारनाथ (1699km) • हरिद्वार से केदारनाथ (252km) • देहरादून से केदारनाथ (267km) • ऋषिकेश से केदारनाथ (229km) दिल्ली से केदारनाथ कैसे पहुंचे? अगर आप दिल्ली से केदारनाथ की यात्रा की योजना बना रहे हैं। फिर, सबसे पहले, आपको अपने परिवहन के साधन के बारे में फैसला करना होगा। क्‍योंकि आपके हाथ में तीन विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। • पहला हवाई मार्ग से केदारनाथ, • दूसरा ट्रेन से केदारनाथ और • तीसरा सड़क मार्ग से केदारनाथ। दिल्ली से केदारनाथ की दूरी (Distance) 466 किलोमीटर है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप ट्रेन, हवाई या सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, हरिद्वार और ऋषिकेश मुख्य बिंदु हैं जहाँ से आपको पहाड़ी क्षेत्र की अपनी यात्रा शुरू करनी है। यह भी पढ़ें: केदारनाथ का इतिहास (यहां पढ़ें) दिल्ली से केदारनाथ का रास्ता (Rout) आपकी पवित्र यात्रा के लिए ये कुछ आवश्यक स्थान है...

दिल्ली से केदारनाथ की दूरी और यात्रा

दिल्ली से केदारनाथ की दूरी और यात्रा – कम्पलीट गाइड यात्रा और दूरी – केदारनाथ भारत के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। मंदिर 3,583 मीटर ( 11,755 फीट) की ऊंचाई पर है, और दिल्ली से केदारनाथ यात्रा 470 किमी ( 292 मील) है। लगभग 1200 साल पुराना और शिव को समर्पित, केदारनाथ तीर्थ एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर गढ़वाल हिमालय श्रृंखला में मंदाकिनी नदी के करीब भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। मई से सितंबर तक केदारनाथ बड़ी संख्या में यात्रियों को आमंत्रित करता है क्योंकि हर कोई भगवान शिव का आशीर्वाद चाहता है और केदारनाथ के बर्फीले ट्रेक का अनुभव करना चाहता है। दिल्ली से केदारनाथ यात्रा – दिल्ली से केदारनाथ की यात्रा सड़क मार्ग से लगभग 470 किमी है, और बिना किसी रोक-टोक के वहाँ पहुँचने में लगभग 10 घंटे 50 मिनट लगते हैं। इस मार्ग पर आपको NH334 और NH 7 का पालन करना होगा जो आपको गौरीकुंड तक ले जाएगा। दिल्ली से केदारनाथ की यात्रा कार से – दिल्ली से केदारनाथ मार्ग की जानकारी दिल्ली से केदारनाथ यात्रा के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड मे हरिद्वार या ऋषिकेश पहुंचना होगा। दिल्ली से केदारनाथ की आपकी यात्रा पर और आपका अंतिम पड़ाव सोनप्रयाग होगा उसके बाद आप अपनी कार से यात्रा नहीं कर सकते हैं, आपको गौरीकुंड तक पहुँचने के लिए एक स्थानीय टैक्सी किराए पर लेनी होगी। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की 16 किमी की यात्रा शुरू होती है, जिसमें घोड़े द्वारा लगभग 6 घंटे और आपके स्वास्थ्य के आधार पर 10 घंटे की पैदल यात्रा में अधिक समय लग सकता है। तो, यहां आपको दिल्ली से केदारनाथ की दूरी और मार्ग के साथ यात्रा और उस तक कैसे पहुंचा जाए, से संबंधित सभी जानकारी मिल जाएगी। दिल्ली से केदारनाथ यात्रा बस के माध्यम से...

ऋषिकेश

हृषीकेश (भारत) मानचित्र दिखाएँ भारत निर्देशांक: 30°06′30″N 78°17′50″E / 30.10833°N 78.29722°E / 30.10833; 78.29722 30°06′30″N 78°17′50″E / 30.10833°N 78.29722°E / 30.10833; 78.29722 नगरपालिका १९५२ नाम स्रोत शासन •प्रणाली मेयर-काउन्सिल •सभा • अनीता ममगाईं ( क्षेत्रफल •कुल ११.५किमी 2 (4.4वर्गमील) ऊँचाई ३७२मी (1,220फीट) जनसंख्या ( •कुल १०२,१३८ (महानगरीय क्षेत्र) •दर्जा •घनत्व ८,८५१किमी 2 (22,920वर्गमील) •पुरुष ५४,४४६ •महिलाएं ४७,६७२ भाषाएँ •आधिकारिक •अन्य २४९२०१ टेलीफोन कोड +९१-१३५ यूके-१४ ८६.८६% • पुरुष ९२.२१% • महिला ८०.७८% • रैंक ८७५ हृषीकेश ( इसे " सितम्बर 2015 में, भारतीय अनुक्रम • 1 शब्दोत्पत्ती • 2 आकर्षण • 2.1 लक्ष्मण झूला • 2.2 त्रिवेणी घाट • 2.3 स्वर्ग आश्रम • 2.4 नीलकण्ठ महादेव मन्दिर • 2.5 भरत मन्दिर • 2.6 कैलाश निकेतन मन्दिर • 2.7 वशिष्ठ गुफा • 2.8 गीता भवन • 2.9 मोहनचट्टी • 2.10 एम्स/AIIMS • 3 कैसे जाएँ • 3.1 वायुमार्ग • 3.2 रेलमार्ग • 3.3 सड़क मार्ग • 4 खरीददारी • 5 सन्दर्भ शब्दोत्पत्ती [ ] हृषीकेश नगर का नाम भगवान विष्णु के नाम से लिया गया है, जो हृषीक अर्थात् 'इन्द्रियों' और ईश अर्थात् 'ईश्वर' की कुब्जाम्रक के रूप में जाना जाता है, क्योंकि भगवान विष्णु एक आम्र वृक्ष के नीचे प्रकट हुए थे। आकर्षण [ ] लक्ष्मण झूला [ ] गंगा नदी के एक किनार को दूसर किनार से जोड़ता यह झूला नगर की विशिष्ट की पहचान है। इसे विकतमसंवत 1996 में बनवाया गया था। कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था। झूले के बीच में पहुँचने पर वह हिलता हुआ प्रतीत होता है। 450 फीट लम्बे इस झूले के समीप ही लक्ष्मण और रघुनाथ मन्दिर हैं। झूले पर खड़े होकर आसपास...

ऋषिकेश, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की आपस में दूरी एक यादगार सफ़र में से एक हैं

भारत में ऐसे कई स्थान हैं, जहाँ पर जाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प सड़क मार्ग हैं या हम आपसे यह कहे कि भारत में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहाँ केवल सिर्फ केवल सड़क मार्ग के द्वारा ही पहुँचा जा सकता हैं। अगर आप कुछ रोड ट्रिप को एन्जॉय करना चाहते हो या फिर आपको घूमने- फिरने के लिए कही जाने का मन करे तो मेरे इस लेख को जरूर एक बार पढ़े " वैसे तो आप सभी हमेशा ही कोई न कोई रोड ट्रिप या सड़क मार्ग से घूमने या दर्शन करने के लिए जाते ही होंगे। उसी में मेरा एक फेवरेट सड़क मार्ग का ट्रिप हैं, जो जीवन भर आपको याद रहेगा और सफ़र भी यादगार बना देगा। जी हाँ, दोस्तों, आपका सोलो साथी सूर्य प्रकाश आज आपको एक त्रिकोणीय रोड ट्रिप के बारे में बताने जा रहा हूँ, जो सबसे ही सुहाना और बिना भूलने वाली यात्रा बन जाती हैं। क्योंकि ऐसी यात्रायें जीवन में विरले ही मिलती हैं जिसमें घूमने के साथ ही दर्शन करने कभी सौभाग्य मिलता हैं। यह एक त्रिकोणीय रोड ट्रिप हैं इस यादगार सफ़र को त्रिकोणीय रोड ट्रिप इसलिए कहा कि इसमें हम सभी कुल तीन यात्रायें करते हैं और वह भी ब्रेक जर्नी के माध्यम से, जिसमें कुछ लोग अपना बेस पॉइंट यानी आधार बिंदु देवभूमि उत्तराखंड के ये तीनों रेलवे स्टेशन हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश भारत के प्रमुख नगरों से जुड़े हुये हैं। नज़दीकी एयरपोर्ट की बात करें तो जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून में स्थित हैं। आप रेल, सड़क या हवाई मार्ग में से कोई भी मार्ग अपने बजट के अनुसार सेलेक्ट कर के अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं। आप अपनी यात्रा उत्तराखंड सरकारी बस, टैक्सी या निजी साधन से शुरू कर सकते हैं। यदि आप सभी स्थानों का अच्छे ढंग से दर्शन करना और घूमना चाहते हैं, तो मेरी राय में टैक्सी बुक करके या निजी साधन के द्वारा ही यात...

मोरबी से केदारनाथ की दूरी और यात्रा

मोरबी से केदारनाथ की दूरी कभी कामना की कि आप जीवन में एक बार आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर सकें? यह एक अनूठा तीर्थ है जिसने कई वर्षों से यात्रियों को आकर्षित किया है। हालांकि, आप वहां कैसे पहुंचे? मोरबी से केदारनाथ की यात्रा भारत में सबसे प्रसिद्ध है। विश्लेषण से पता चलता है कि मोरबी से केदारनाथ मंदिर के लिए हर साल 4600 आरक्षण किए जाते हैं। यह ब्लॉग पोस्ट आपको दिशा-निर्देश, दूरी के तथ्य, परिवहन के अनुशंसित तरीके और कोई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर के बारे में संक्षेप में 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ लगभग 1200 वर्षों के इतिहास वाला एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। क्षेत्र के देवता का नाम संस्कृत शब्द “ केदार” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “ क्षेत्र” और “ नाथ”, जिसका अर्थ है “ भगवान”। 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा और देवधामयात्रा के स्थलों में से एक केदारनाथ (चारधाम यात्रा) है। मंदिर मांडक के पास गढ़वाल क्षेत्र में हिमालय श्रृंखला में स्थित है मोरबी ( गुजरात) के बारे में गुजरात, भारत के मोरबी जिले में मोरबी शहर शामिल है, जिसे अक्सर मोरवी के नाम से जाना जाता है। काठियावाड़ के प्रायद्वीप पर स्थित है। 2011 में, शहर की जनसंख्या 194,947 होने का अनुमान लगाया गया था। राजकोट से 60 किलोमीटर और समुद्र से 35 किलोमीटर की दूरी पर, शहर मच्छू नदी पर स्थित है। हर साल 5,000 से अधिक लोग मोरबी से केदारनाथ की यात्रा करते हैं। मोरबी से केदारनाथ की दूरी, यात्रा • सड़क मार्ग से मोरबी से केदारनाथ की दूरी लगभग 1585 किलोमीटर है। • उड़ान हेलीकाप्टर सेवा के माध्यम से मोरबी से केदारनाथ की दूरी लगभग 1201 किलोमीटर है। • ट्रेन से मोरबी स...

केदारनाथ की धार्मिक यात्रा कैसे करें

बचपन में मैंने केदारनाथ की यात्रा और अमरनाथ की यात्रा के बारे में काफी कुछ सुन रखा था कि केदारनाथ धाम में स्वयं शिव विराजते हैं, तो वही दूसरी ओर- अमरनाथ में सावन मास के पवित्र दिनों में बर्फ की शिवलिंग बन कर साक्षात शिव जी दर्शन देते हैं। इसी प्राकृतिक हिमालयी बर्फ से बने होने के कारण भोले नाथ "बाबा बर्फानी" कहलाये। केदारनाथ मंदिर भारत में स्थित अगर देखा जाये तो विश्व के कठिन रास्तों में यही दोनों जगहों की भारत में, मैं जब भी ऐसी कोई भी यात्रा करता हूँ तो इसे मेरा मानना हैं कि किसी भी धार्मिक स्थलों की यात्रा को आप ट्रैकिंग के रूप में नही कह सकते हैं बल्कि वह यात्रा आपके अटूट श्रद्धा और विश्वास पर टिकी होती हैं, इसलिए पवित्रता और धार्मिक महत्व के कारण ऐसी सभी यात्रायें या धार्मिक यात्रायें, धार्मिक ट्रैकिंग के अंतर्गत आती हैं। आज बचपन की वो ख्वाहिश पूरी होने वाली थी, जिसके बारे में या तो सुना था या पढ़ा था या फिर टेलीविजन पर देखा था। आज मैंने पूरे 39वें सावन को देख चुका हूँ, अरे मेरे कहने का मतलब हैं कि मेरी उम्र इस समय 39 वर्ष हो चुकी हैं और मैं अक्सर सोलो ट्रिप ज्यादा करता हूँ, परन्तु आज मैं अपने परिवार के साथ जिसमें मेरे पिता जी, माता जी और छोटा भाई भी हैं, के साथ यात्रा या सच कहें तो तीर्थयात्रा पर निकला हूँ। ट्रेन के शेड्यूल से घण्टा भर पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुग़लसराय जंक्शन) के प्लेटफार्म नम्बर 4 पर पहुँच कर अपनी ट्रेन दून एक्सप्रेस (हावड़ा से योगनगरी ऋषिकेश) का इंतज़ार कर रहा था। निर्धारित समय से केवल 10 मिनट की देरी से जब ट्रेन पहुँची, तो मेरी निगाह केवल अपने सीट को तलाश रही थी कि कब अपने सीट पर बैठ कर रोमांचकारी यात्रा पर निकल जाये। लगभग 20 घण्टे की लगात...