अंत ही आरंभ है quotes

  1. महाकाली
  2. अंत ही आरंभ है
  3. क्या शिव ही स्रष्टि का आरंभ और अंत है ?
  4. अंत ही आरंभ


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महाकाली

महाकाली - अंत ही आरंभ है शैली सर्जक लेखक विनोद शर्मा सृजनात्मक निर्देशक नितिन मथुरा गुप्ता सितारे निर्माण का देश भारत मूल भाषा(एं) हिन्दी सत्र संख्या 1 प्रकरणों की संख्या 95 निर्माण निर्माता गायत्री गिल तिवारी राहुल कुमार तिवारी संपादक परेश शाह मदन मिश्रा छायांकन कैमरा सेटअप प्रसारण अवधि प्रति एपिसोड 45 मिनट (लगभग)। निर्माण कंपनी वितरक प्रसारण मूल चैनल मूल प्रसारण 22 जुलाई 2017 ( 2017-07-22) – 5अगस्त2018 ( 2018-08-05) महाकाली - अंत ही आरंभ है (अंग्रेजी: महाकाली - अंत की शुरुआत एक भारतीय (हिंदी भाषा) टेलीविजन श्रृंखला है जिसका प्रीमियर 22 जुलाई 2017 को अनुक्रम • 1 सारांश • 2 कलाकार • 2.1 मुख्य • 2.2 अन्य • 3 संदर्भ • 4 बाहरी कड़ियां सारांश [ ] शो का कथानक भगवान शिव (भगवान विष्णु की बहन) की पत्नी देवी कलाकार [ ] मुख्य [ ] • • • कानन मल्होत्रा • • देवी • • • कृष चौहान • अन्य [ ] • • • देव-राज • • • देवी • देवान्तक के रूप में हिमांशु बामज़ई • आकाश कुमार • रोहित खुराना • • कृतिका के रूप में • • • • चांदनी भगवानानी बेहुला के रूप में • रेशमी घोष • अमृता प्रकाश / दिव्यांगना जैन मोहिनी के रूप में • • • आभास मेहता • • • • स्नेहा नमनंदी दारुका के रूप में • • संदर्भ [ ]

अंत ही आरंभ है

जीवन हो या जंग हो कोई,अंत ही आरंभ है इनका। लेता है जब कोई जनम,उसकी मृत्यु सुनिश्चित है, हो जनम या मृत्यु किसी की,अंत ही आरंभ है इनका। उगता है सूरज सुबह जब, रात होना सुनिश्चित है, हो प्रकाश या अंधकार हो,अंत ही आरंभ है इनका। आना-जाना सुख-दु:खों का,पहले से ही सुनिश्चित है, जीत हो य हार कोई ,अंत ही आरंभ है इनका। ©Vandana Namdev हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए विशेष • Kavya Cafe: Rachit Dixit Poetry- ब्रेक अप के बाद लड़के • Hindi Kavita: नवीन सागर की कविता 'अपना अभिनय इतना अच्छा करता हूँ' • Urdu Poetry: नसीर तुराबी की ग़ज़ल 'दिया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ' • Parveen Shakir Poetry: वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आया • अल्हड़ बीकानेरी की हास्य कविता- समय का फेर • Social Media Shayari: ढक कर चलता हूं, ज़ख्मों को आजकल

क्या शिव ही स्रष्टि का आरंभ और अंत है ?

लेख सारिणी • • • • • • क्या शिव ही स्रष्टि का आरंभ और अंत है ? प्रलय शब्द का वर्णन लगभग हर धर्म के ग्रंथों में मिलता है। करीब 250 साल पहले महान भविष्यवक्ता नास्त्रेस्देमस ने भी प्रलय को लेकर घोषणा की है हालांकि इसमें उसके समय को लेकर कोई घोषणा नहीं है। महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का वर्णन है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी। संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सबकुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी| शिव का जीवात्मा रूप रुद्र कहलाता है। सृष्टि के आरंभ और विनाश के समय रुद्र ही शेष रहते हैं। सृष्टि और प्रलय, प्रलय और सृष्टि के मध्य नृत्य करते हैं। जब सूर्य डूब जाता है, प्रकाश समाप्त हो जाता है, छाया मिट जाती है और जल नीरव हो जाता है उस समय यह नृत्य आरंभ होता है। तब अंधकार समाप्त हो जाता है और ऐसा माना जाता है कि उस नृत्य से जो आनंद उत्पन्न होता है वही ईश्वरीय आनंद है। शिव,महेश्वर, रुद्र, पितामह, विष्णु, संसार वैद्य, सर्वज्ञ और परमात्मा उनके मुख्य आठ नाम हैं। तेईस तत्वों से बाहर प्रकृति,प्रकृति से बाहर पुरुष और पुरुष से बाहर होने से वह महेश्वर हैं। प्रकृति और पुरुष शिव के वशीभूत हैं। दु:ख तथा दु:ख के कारणों को दूर करने के कारण वह रुद्र कहलाते हैं। जगत के मूर्तिमान पितर होने के कारण वह पितामह, सर्वव्यापी होने के कारण विष्णु, मानव के भव रोग दूर करने के कारण संसार वैद्य और संसार के समस्त कार्य जानने के कारण सर्वज्ञ हैं। अ...

अंत ही आरंभ

अंत ही आरंभ है नए सृजन का प्रारम्भ है अंत में बर्बादी है बर्बादी ही आबादी का प्रारम्भ है अंत में सूर्यास्त है सूर्यास्त ही सूर्योदय का प्रारम्भ है अंत शांति श्वेताम्बर है श्वेताम्बर में ही इन्द्रधनुषिय रंगों का प्रारंभ है अंत प्रिय से बिछोह है बिछोह ही प्रिय मिलन का प्रारंभ है अंत तो कभी होता ही नहीं अंत एक अध्याय है नए अध्याय के प्रारंभ की मात्र औपचारिकता है अंत एक सीमा है नए विस्तार का प्रारंभ है अंत को समझो आरंभ नये उल्लास का नए गीत का नए मार्ग का नई ख़ुशी का सत्य का धर्म का शांति का हर अंत में छुपा संदेश है।