आधुनिक काल की समय सीमा

  1. हिन्दी साहित्य का इतिहास
  2. आधुनिकता
  3. भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का PVTGs के कार्यक्रम में सम्बोधन1068
  4. भारतेंदु युग की विशेषताएं
  5. वीरगाथाकाल का समय और विशेषताएँ: आदिकाल की पृष्ठभूमि और परिस्थितियाँ
  6. वीरगाथाकाल का समय और विशेषताएँ: आदिकाल की पृष्ठभूमि और परिस्थितियाँ
  7. भारतेंदु युग की विशेषताएं
  8. भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का PVTGs के कार्यक्रम में सम्बोधन1068
  9. हिन्दी साहित्य का इतिहास
  10. आधुनिकता


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हिन्दी साहित्य का इतिहास

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आधुनिकता

आधुनिकता शब्द आमतौर पर उत्तर-पारम्परिक, उत्तर-मध्ययुगीन ऐतिहासिक अवधि को सन्दर्भित करता है, जो सामन्तवाद (भू-वितरणवाद) से यह बहुत ही सही कहा गया हैं कि "आधुनिकीकरण पुरानी प्रक्रिया के लिए चालू शब्द है। यह सामाजिक परिवर्तन की वह प्रक्रिया हैं, जिससे कम विकसित समाज विकसित समाजों की सामान्य विशेषेताओं को प्राप्त करते हैं।" अनुक्रम • 1 सम्बन्धित शब्द • 2 आधुनिकता के चरण • 3 आधुनिकता की परिभाषा • 3.1 राजनीतिक दृष्टि से • 3.2 सामाजिक दृष्टि से • 3.3 वैज्ञानिक दृष्टि से • 3.4 कलात्मक दृष्टि से • 4 परिभाषित आधुनिकता • 5 इन्हें भी देखें • 6 सन्दर्भ • 7 आगे पढ़ें • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कडियां सम्बन्धित शब्द [ ] अंग्रेजी शब्द "मॉडर्न" (आधुनिक) ( मोडो से बना लैटिन मोडर्नस, "बस अभी") का प्रयोग 5 वीं शताब्दी से मिलता है, जो मूल रूप से ईसाई युग को बुतपरस्त युग से अलग करने के सन्दर्भ में है, इसके बावजूद इस शब्द का सामान्य उपयोग 17 वीं शताब्दी में ही होना शुरू हुआ जो कि क्वारल ऑफ़ दी एनशिएण्ट एण्ड दी मॉडर्न्स से व्युत्पन्न हुआ था - जिसमे यह बहस की गयी थी कि: "क्या आधुनिक संस्कृति शास्त्रीय (यूनानी-रोमन) संस्कृति से बेहतर है?" - और यह बहस 1690 के दशक के आरम्भ में अकादमी फ्रान्कैस के बीच साहित्यिक और इन प्रयोगों के अनुसार, "आधुनिकता" का तात्पर्य था हाल के अतीत का त्याग करना, एक नई शुरुआत का पक्ष लेना और ऐतिहासिक मूल की पुनर्व्याख्या करना। इसके अलावा, "आधुनिकता" और "आधुनिक" के बीच अन्तर 19 वीं सदी (2007 देलाण्टी) तक नहीं उभरा था। आधुनिकता के चरण [ ] मार्शल बर्मन की एक पुस्तक (बर्मन 1983) के अनुसार आधुनिकता को तीन पारम्परिक चरणों में वर्गीकृत किया गया है (जिसे पीटर ओसबोर्न द्वारा क्रमशः...

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का PVTGs के कार्यक्रम में सम्बोधन1068

भारत-माता की इंद्रधनुषी संस्कृति में केवल सात रंग नहीं हैं। हजारों रंग हैं। सभी रंग बेहद खूबसूरत हैं। सभी रंगों का महत्व एक समान है। उनमें से 75 रंगों की सुंदरता आज यहां दिखाई दे रही है। हम सबने बहुत अच्छा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा। मैं सभी कलाकारों को बधाई देती हूं। समय की सीमा के कारण कुछ ही समूहों द्वारा प्रस्तुतियां की गईं। मैं जानती हूं कि सभी जनजातीय भाई-बहनों के जीवन में नृत्य और संगीत सहज रूप से रचा-बसा है। मैं विभिन्न राज्यों की अपनी यात्राओं के दौरान PVTG समुदाय के लोगों, विशेषकर बहनों, से मिलने का प्रयास अवश्य करती हूं। उनसे बातचीत करती हूं। उनके मुद्दों को समझती हूं। आज मुझे यह देखकर विशेष प्रसन्नता हो रही है कि सभी 75 Particularly Vulnerable Tribal Groups के भाई-बहन यहां एक साथ आए हैं। यह इस प्रकार का पहला सम्मेलन है। इस सम्मेलन के आयोजन तथा सभी PVTG समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मैं केंद्र सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी और उनके मंत्रालय की पूरी टीम की सराहना करती हूं। मुझे बताया गया है कि Liaison Officers ने बहुत परिश्रम किया है। मैं उनकी सराहना करती हूं। साथ ही, सम्बद्ध राज्य सरकारों की भी उनके योगदान के लिए मैं प्रशंसा करती हूं। मुझे बताया गया है कि केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रत्येक PVTG के लिए एक Dedicated Nodal Officer की तैनाती की गयी है जो उनके क्षेत्रों में जाकर उनसे जुड़े विशेष मुद्दों को समझने और उनका समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह पहल बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है। PVTG शब्द का प्रयोग तो केवल 50 वर्ष पूर्व शुरू किया गया, लेकिन, ये समुदाय प्राचीन काल से अस्तित्व में रहे हैं। मैं यह...

भारतेंदु युग की विशेषताएं

भारतेंदु काल नवजागरण काल -- (1869 से 1900) हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के संक्रांति काल के दो पक्ष हैं।इस समय के दरमियान एक और प्राचीन परिपाटी में कब रचना होती रही और दूसरी ओर सामाजिक राजनीतिक क्षेत्रों में जो सक्रियता बढ़ गई थी और परिस्थितियों के बदलाव के कारण जिन नए विचारों का प्रसार हो रहा था उनका भी धीरे-धीरे साहित्य पर प्रभाव पड़ने लगा था। प्रारंभ के 25 वर्षों (1843 से 1869 ) तक साहित्य पर यह प्रभाव बहुत कम पड़ा किंतु सन के बाद नवजागरण के लक्षण अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे थे। भारतेंदु युग की आधुनिक कालीन साहित्य रूपी विशाल भवन की आधारशिला है विद्वानों में भारत भारतेंदु युग की समय सीमा सन 1857 से 1900 ताकि स्वीकार की है, भाव, भाषा और शैली आदि सभी देशों से इस युग में हिंदी साहित्य की उन्नति हुई। हिंदी साहित्य के आधुनिक कालीन भारतेंदु युग प्रवर्तक के रूप में भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाम लिया जाता है। यह राष्ट्रीय जागरण के अग्रदूत थे। एनी के युग में रीतिकालीन परिपाटी की कविता का अवसान राष्ट्रीय एवं समाज सुधार भावना की कविता का उदय हुआ। इन्होंने कवियों का एक ऐसा मंडल तैयार किया, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से नवयुग की चेतना को अभिव्यक्ति प्रदान की। भारतेंदु युगीन साहित्य की विशेषताएं निम्नलिखित हैं - इन्हें भी पढ़ें 👉👉 महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर इन्हें भी पढ़े 👉👉 • राष्ट्रप्रेम का भाव • जनवादी विचारधारा • हास्य व्यंग की प्रधानता • प्राकृतिक वर्णन • छंद विधान की नवीनता • भारतीय संस्कृति का गौरव गान • गद्य एवं उनकी अन्य विधाओं का विकास हिंदी शायरी योजना से जुड़े -- विचारों में इन परिवर्तन का श्रेय भारतेंदु हरिश्चंद्र को है इसलिए इस युग को भारतेंदु युग भी कहते हैं।...

वीरगाथाकाल का समय और विशेषताएँ: आदिकाल की पृष्ठभूमि और परिस्थितियाँ

वीरगाथाकालकोआदिकालयासिद्ध-सामंतकालभीकहाजाताहै।इसकालकासमयसं. 1000 से 1375 या 943 ई. से 1318 ई. मानागयाहै।औरआजहमवीरगाथाकालकासमय, पृष्ठभूमि, परिस्थितियाँऔरविशेषताओंकेबारेमेंबातकरनेवालेहैं। भारतीयइतिहासकायहयुगराजनीतिकदृष्टिसेगृह-कलह, पराजयएवंअव्यवस्थाकाकालथा।ऐसीसाम्प्रदायिक, धार्मिक, राजनीतिकएवंआर्थिकविषमताकेयुगमेंसाहित्य-निर्माणकादायित्वविशेषतःचारणों, भाटोंएवंपेशेवरकवियोंपरआपड़ा।राजाओंमेंवीरताकाभावजागृतकरनेकेलिएएकओरवीर-काव्योंकीरचनाएँहुईंतोदूसरीओरशांतिकेसमयमेंशृंगारपरकरचनाएँ। वीरगाथाकालकीपृष्ठभूमि हिंदीसाहित्यकाजन्मऐसेसमयमेंहुआथाजबभारतवर्षपरउत्तर-पश्चिमकीओरसेनिरंतरमुसलमानोंकेआक्रमणहोरहेथे।राजाऔरराजाश्रितकविछोटे-छोटेराजयोंकोहीराष्ट्रसमझबैठेथे।राजपूतराजाओंकोअपनेव्यक्तिगतगौरवकीरक्षाकाअधिकध्यानथा, देशकाकम। राज्यएवंप्रभाववृद्धिकीभावनासेयेलोगपरस्परयुद्धकरतेथे।कभी-कभीउनकाउद्देश्यकेवलशौर्यप्रदर्शनमात्राहोताथायाकिसीसुंदरीकाअपहरण। राजपूतोंमेंशक्ति, पराक्रमएवंसाहसकीकमीनथी, परंतुयहसमस्तकोशपारस्परिकप्रतिद्वंदियोंमेंसमाप्तकियाजारहाथा।अतःराजपूतशत्रुओंकासामनाकरनेमेंएकसूत्रबद्धसामूहिकशक्तिकापरिचयनदेसके।मुहम्मदगौरीकेभयानकआक्रमणोंनेराजपूतराजाओंकोजर्जरकरदिया। आदिकालकीपरिस्थितियाँ वीरगाथाकालयुद्धकायुगथा।उससमयकेसाहित्यकारचारणयाभाटथे, जोअपनेआश्रयदाताराजाकेपराक्रम, विजयऔरशत्रु-कन्याहरणआदिकाअतिशयोक्तिपूर्णवर्णनकरतेअथवायुद्ध-भूमिमेंवीरोंकेहृदयमेंउत्साहकीउमंगेभरकरसम्मानप्राप्तकरते।साहित्यसमाजकाप्रतिबिम्ब, प्रतिरूपऔरप्रतिच्छायाहोताहै, इसनियमकेअनुसारतत्कालीनसाहित्यमेंवीरताकीभावनाआनाअवश्यम्भावीथा।इसकालमेंदोप्रकारके- अपभ्रंशतथादेशभाषाकाव्योंकानिर्माणहुआ। जैनाचार्यहेमचंद, सौमप्रभसूरि, जैनाचार्यमेरुतुँग, विद...

वीरगाथाकाल का समय और विशेषताएँ: आदिकाल की पृष्ठभूमि और परिस्थितियाँ

वीरगाथाकालकोआदिकालयासिद्ध-सामंतकालभीकहाजाताहै।इसकालकासमयसं. 1000 से 1375 या 943 ई. से 1318 ई. मानागयाहै।औरआजहमवीरगाथाकालकासमय, पृष्ठभूमि, परिस्थितियाँऔरविशेषताओंकेबारेमेंबातकरनेवालेहैं। भारतीयइतिहासकायहयुगराजनीतिकदृष्टिसेगृह-कलह, पराजयएवंअव्यवस्थाकाकालथा।ऐसीसाम्प्रदायिक, धार्मिक, राजनीतिकएवंआर्थिकविषमताकेयुगमेंसाहित्य-निर्माणकादायित्वविशेषतःचारणों, भाटोंएवंपेशेवरकवियोंपरआपड़ा।राजाओंमेंवीरताकाभावजागृतकरनेकेलिएएकओरवीर-काव्योंकीरचनाएँहुईंतोदूसरीओरशांतिकेसमयमेंशृंगारपरकरचनाएँ। वीरगाथाकालकीपृष्ठभूमि हिंदीसाहित्यकाजन्मऐसेसमयमेंहुआथाजबभारतवर्षपरउत्तर-पश्चिमकीओरसेनिरंतरमुसलमानोंकेआक्रमणहोरहेथे।राजाऔरराजाश्रितकविछोटे-छोटेराजयोंकोहीराष्ट्रसमझबैठेथे।राजपूतराजाओंकोअपनेव्यक्तिगतगौरवकीरक्षाकाअधिकध्यानथा, देशकाकम। राज्यएवंप्रभाववृद्धिकीभावनासेयेलोगपरस्परयुद्धकरतेथे।कभी-कभीउनकाउद्देश्यकेवलशौर्यप्रदर्शनमात्राहोताथायाकिसीसुंदरीकाअपहरण। राजपूतोंमेंशक्ति, पराक्रमएवंसाहसकीकमीनथी, परंतुयहसमस्तकोशपारस्परिकप्रतिद्वंदियोंमेंसमाप्तकियाजारहाथा।अतःराजपूतशत्रुओंकासामनाकरनेमेंएकसूत्रबद्धसामूहिकशक्तिकापरिचयनदेसके।मुहम्मदगौरीकेभयानकआक्रमणोंनेराजपूतराजाओंकोजर्जरकरदिया। आदिकालकीपरिस्थितियाँ वीरगाथाकालयुद्धकायुगथा।उससमयकेसाहित्यकारचारणयाभाटथे, जोअपनेआश्रयदाताराजाकेपराक्रम, विजयऔरशत्रु-कन्याहरणआदिकाअतिशयोक्तिपूर्णवर्णनकरतेअथवायुद्ध-भूमिमेंवीरोंकेहृदयमेंउत्साहकीउमंगेभरकरसम्मानप्राप्तकरते।साहित्यसमाजकाप्रतिबिम्ब, प्रतिरूपऔरप्रतिच्छायाहोताहै, इसनियमकेअनुसारतत्कालीनसाहित्यमेंवीरताकीभावनाआनाअवश्यम्भावीथा।इसकालमेंदोप्रकारके- अपभ्रंशतथादेशभाषाकाव्योंकानिर्माणहुआ। जैनाचार्यहेमचंद, सौमप्रभसूरि, जैनाचार्यमेरुतुँग, विद...

भारतेंदु युग की विशेषताएं

भारतेंदु काल नवजागरण काल -- (1869 से 1900) हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के संक्रांति काल के दो पक्ष हैं।इस समय के दरमियान एक और प्राचीन परिपाटी में कब रचना होती रही और दूसरी ओर सामाजिक राजनीतिक क्षेत्रों में जो सक्रियता बढ़ गई थी और परिस्थितियों के बदलाव के कारण जिन नए विचारों का प्रसार हो रहा था उनका भी धीरे-धीरे साहित्य पर प्रभाव पड़ने लगा था। प्रारंभ के 25 वर्षों (1843 से 1869 ) तक साहित्य पर यह प्रभाव बहुत कम पड़ा किंतु सन के बाद नवजागरण के लक्षण अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे थे। भारतेंदु युग की आधुनिक कालीन साहित्य रूपी विशाल भवन की आधारशिला है विद्वानों में भारत भारतेंदु युग की समय सीमा सन 1857 से 1900 ताकि स्वीकार की है, भाव, भाषा और शैली आदि सभी देशों से इस युग में हिंदी साहित्य की उन्नति हुई। हिंदी साहित्य के आधुनिक कालीन भारतेंदु युग प्रवर्तक के रूप में भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाम लिया जाता है। यह राष्ट्रीय जागरण के अग्रदूत थे। एनी के युग में रीतिकालीन परिपाटी की कविता का अवसान राष्ट्रीय एवं समाज सुधार भावना की कविता का उदय हुआ। इन्होंने कवियों का एक ऐसा मंडल तैयार किया, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से नवयुग की चेतना को अभिव्यक्ति प्रदान की। भारतेंदु युगीन साहित्य की विशेषताएं निम्नलिखित हैं - इन्हें भी पढ़ें 👉👉 महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर इन्हें भी पढ़े 👉👉 • राष्ट्रप्रेम का भाव • जनवादी विचारधारा • हास्य व्यंग की प्रधानता • प्राकृतिक वर्णन • छंद विधान की नवीनता • भारतीय संस्कृति का गौरव गान • गद्य एवं उनकी अन्य विधाओं का विकास हिंदी शायरी योजना से जुड़े -- विचारों में इन परिवर्तन का श्रेय भारतेंदु हरिश्चंद्र को है इसलिए इस युग को भारतेंदु युग भी कहते हैं।...

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का PVTGs के कार्यक्रम में सम्बोधन1068

भारत-माता की इंद्रधनुषी संस्कृति में केवल सात रंग नहीं हैं। हजारों रंग हैं। सभी रंग बेहद खूबसूरत हैं। सभी रंगों का महत्व एक समान है। उनमें से 75 रंगों की सुंदरता आज यहां दिखाई दे रही है। हम सबने बहुत अच्छा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा। मैं सभी कलाकारों को बधाई देती हूं। समय की सीमा के कारण कुछ ही समूहों द्वारा प्रस्तुतियां की गईं। मैं जानती हूं कि सभी जनजातीय भाई-बहनों के जीवन में नृत्य और संगीत सहज रूप से रचा-बसा है। मैं विभिन्न राज्यों की अपनी यात्राओं के दौरान PVTG समुदाय के लोगों, विशेषकर बहनों, से मिलने का प्रयास अवश्य करती हूं। उनसे बातचीत करती हूं। उनके मुद्दों को समझती हूं। आज मुझे यह देखकर विशेष प्रसन्नता हो रही है कि सभी 75 Particularly Vulnerable Tribal Groups के भाई-बहन यहां एक साथ आए हैं। यह इस प्रकार का पहला सम्मेलन है। इस सम्मेलन के आयोजन तथा सभी PVTG समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मैं केंद्र सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी और उनके मंत्रालय की पूरी टीम की सराहना करती हूं। मुझे बताया गया है कि Liaison Officers ने बहुत परिश्रम किया है। मैं उनकी सराहना करती हूं। साथ ही, सम्बद्ध राज्य सरकारों की भी उनके योगदान के लिए मैं प्रशंसा करती हूं। मुझे बताया गया है कि केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रत्येक PVTG के लिए एक Dedicated Nodal Officer की तैनाती की गयी है जो उनके क्षेत्रों में जाकर उनसे जुड़े विशेष मुद्दों को समझने और उनका समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह पहल बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है। PVTG शब्द का प्रयोग तो केवल 50 वर्ष पूर्व शुरू किया गया, लेकिन, ये समुदाय प्राचीन काल से अस्तित्व में रहे हैं। मैं यह...

हिन्दी साहित्य का इतिहास

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आधुनिकता

आधुनिकता शब्द आमतौर पर उत्तर-पारम्परिक, उत्तर-मध्ययुगीन ऐतिहासिक अवधि को सन्दर्भित करता है, जो सामन्तवाद (भू-वितरणवाद) से यह बहुत ही सही कहा गया हैं कि "आधुनिकीकरण पुरानी प्रक्रिया के लिए चालू शब्द है। यह सामाजिक परिवर्तन की वह प्रक्रिया हैं, जिससे कम विकसित समाज विकसित समाजों की सामान्य विशेषेताओं को प्राप्त करते हैं।" अनुक्रम • 1 सम्बन्धित शब्द • 2 आधुनिकता के चरण • 3 आधुनिकता की परिभाषा • 3.1 राजनीतिक दृष्टि से • 3.2 सामाजिक दृष्टि से • 3.3 वैज्ञानिक दृष्टि से • 3.4 कलात्मक दृष्टि से • 4 परिभाषित आधुनिकता • 5 इन्हें भी देखें • 6 सन्दर्भ • 7 आगे पढ़ें • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कडियां सम्बन्धित शब्द [ ] अंग्रेजी शब्द "मॉडर्न" (आधुनिक) ( मोडो से बना लैटिन मोडर्नस, "बस अभी") का प्रयोग 5 वीं शताब्दी से मिलता है, जो मूल रूप से ईसाई युग को बुतपरस्त युग से अलग करने के सन्दर्भ में है, इसके बावजूद इस शब्द का सामान्य उपयोग 17 वीं शताब्दी में ही होना शुरू हुआ जो कि क्वारल ऑफ़ दी एनशिएण्ट एण्ड दी मॉडर्न्स से व्युत्पन्न हुआ था - जिसमे यह बहस की गयी थी कि: "क्या आधुनिक संस्कृति शास्त्रीय (यूनानी-रोमन) संस्कृति से बेहतर है?" - और यह बहस 1690 के दशक के आरम्भ में अकादमी फ्रान्कैस के बीच साहित्यिक और इन प्रयोगों के अनुसार, "आधुनिकता" का तात्पर्य था हाल के अतीत का त्याग करना, एक नई शुरुआत का पक्ष लेना और ऐतिहासिक मूल की पुनर्व्याख्या करना। इसके अलावा, "आधुनिकता" और "आधुनिक" के बीच अन्तर 19 वीं सदी (2007 देलाण्टी) तक नहीं उभरा था। आधुनिकता के चरण [ ] मार्शल बर्मन की एक पुस्तक (बर्मन 1983) के अनुसार आधुनिकता को तीन पारम्परिक चरणों में वर्गीकृत किया गया है (जिसे पीटर ओसबोर्न द्वारा क्रमशः...