आज भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण, जब हम g20 की अध्यक्षता सम्भालने जा रहे हैं. सभी भारतवासियों के लिए गर्व का अवसर, जब विश्व की निगाहें भारत पर होंगी.

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  2. G20 में अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत को ‘अफ्रीकी’ नुमाइंदगी बढ़ाने का समर्थन क्यों करना चाहिए?
  3. Droupadi Murmu Hope Your Tenure Will Take You To New Heights From PM Modi To Amit Shah Congratulated President Draupadi Murmu
  4. #G20 Presidency: भारत की अध्यक्षता के दौरान G20 में सुरक्षा का मुद्दा तय करेगा अर्थव्यवस्था की राह!


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G20 में अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत को ‘अफ्रीकी’ नुमाइंदगी बढ़ाने का समर्थन क्यों करना चाहिए?

तमाम ऐतिहासिक क़िस्सों, आज़ादी के साझा संघर्षों, प्रवासियों के संपर्कों और विकासशील देशों की आवाज़ को विश्व मंचों पर प्राथमिकता देने जैसे समान आपसी मुद्दों के बावजूद, भारत और अफ्रीका की साझेदारी का एक अहम इम्तिहान होने जा रहा है. अब जब भारत, 1 दिसंबर 2022 से इंडोनेशिया से G20 की अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है, जो उसके पास 30 नवंबर 2023 तक रहेगी तो भारत को ये सुनिश्चित करने की कोशिशें करनी चाहिए कि G20 में अफ्रीकी संघ (AU)- जो 54 विविधता भरी, संप्रभु और नई पहल करने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं- को एक स्थायी और पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल कराना चाहिए, जिससे G20 को G21 बनाया जा सके. अब जब भारत, 1 दिसंबर 2022 से इंडोनेशिया से G20 की अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है, जो उसके पास 30 नवंबर 2023 तक रहेगी तो भारत को ये सुनिश्चित करने की कोशिशें करनी चाहिए कि G20 में अफ्रीकी संघ (AU)- जो 54 विविधता भरी, संप्रभु और नई पहल करने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं- को एक स्थायी और पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल कराना चाहिए, जिससे G20 को G21 बनाया जा सके. भारत और अफ्रीका को लेकर होने वाली चर्चाएं अक्सर दोनों के बीच ऐतिहासिक रिश्तों की मिसालें देने के जाल में फंस जाती हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि इतिहास की अपनी अहमियत है. लेकिन, भविष्य की ओर देखना और आपस में तालमेल के व्यवहारिक तौर-तरीक़े तलाशना भी उतना ही ज़रूरी है. G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के पास बिल्कुल यही मौक़ा होगा. वो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के एक ऐसे मंच पर अफ्रीका की नुमाइंदगी बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है, जो तमाम अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मसलों पर दुनिया को राह दिखाने वाले संगठन के रूप में प्रशासनिक ढांचे को आकार देता है. अपनी आगे आ...

Droupadi Murmu Hope Your Tenure Will Take You To New Heights From PM Modi To Amit Shah Congratulated President Draupadi Murmu

Amit Shah Congratulates Droupadi Murmu: देश को 15वें राष्ट्रपति के तौर पर पहली महिला आदिवासी द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने शपथ ले ली है. चीफ जस्टिस एनवी रमण (N. V. Ramana) ने उन्हें इस पद की शपथ दिलाई. इस दौरान संसद भवन में प्रधानमंत्री द्रौपदी मुर्मू के शपथ लेने के बाद से तमाम राजनेताओं का उन्हें बधाई देने का दौर शुरू हो गया है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी. उन्होंने कहा, "देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद को संभालना भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है, खासकर गरीबों, वंचितों और कमजोर वर्गों के लिए. मोदी ने एक के बाद एक किए गए ट्वीट में कहा कि शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत की उपलब्धियों पर जोर दिया और आगे के रास्ते को लेकर एक भविष्यवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा, ‘‘पूरे देश ने आज गर्व से द्रौपदी मुर्मू को भारत के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेते देखा. उनका पदभार ग्रहण करना भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, खासकर गरीबों, वंचितों और कमजोर वर्गों के लिए. मैं उन्हें उपयोगी राष्ट्रपति कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देता हूं.’’ The entire nation watched with pride as Smt. Droupadi Murmu Ji took oath as the President of India. Her assuming the Presidency is a watershed moment for India especially for the poor, marginalised and downtrodden. I wish her the very best for a fruitful Presidential tenure. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने पर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को बहुत बहुत बधाई. मुझे विश्वास है कि आपका कार्यकाल देश के गौरव को नई ऊंचाइयों पर ले जायेगा. आ...

#G20 Presidency: भारत की अध्यक्षता के दौरान G20 में सुरक्षा का मुद्दा तय करेगा अर्थव्यवस्था की राह!

20 देशों के समूह (G20) के बाली शिखर सम्मेलन (Bali Summit) का नतीजा एक साहसिक और भरोसा दिलाने वाले बयान के रूप में सामने आया. साहसिक इसलिए क्योंकि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो (Indonesian President Joko Widodo) ने पश्चिमी देशों के दबाव में आकर रूस को G20 से बाहर निकालने से इनकार कर दिया, और भरोसेमंद इसलिए, क्योंकि अभियान चलाने वालों के दबाव में तमाम मुद्दों को उठाने के बाद भी, इंडोनेशिया ने अपने नेतृत्व में G20 का ध्यान दोबारा उसके मुख्य मक़सद, यानी विश्व की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था (Economy) को दुरुस्त करने की ओर मोड़ा. 17 पन्नों, 52 पैराग्राफ और 9651 शब्दों वाली इस घोषणा में ‘रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने की कड़े शब्दों में निंदा’ वाली बात तो उम्मीद के मुताबिक़ सामान्य तौर पर शामिल थी और ये ये बयान अपने आप में अक़्लमंदी वाली बात है. मगर साथ साथ ये हक़ीक़त स्वीकार करना भी अहम है कि, दुनिया की सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा का मंच संयुक्त राष्ट्र और ख़ास तौर से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद (UNSC) है. बदक़िस्मती से सुरक्षा परिषद पर इसके पांच स्थायी सदस्यों (P5) के दबदबे और इसके चलते वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर परिषद की नाकामी एक ऐसा ख़ूनी धब्बा है, जिसका दायरा इराक़ से लेकर लीबिया, सीरिया और अब यूक्रेन तक बढ़ता ही जा रहा है. जो देश संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य हैं, दुनियावी मसलों में उनकी हैसियत महज़ एक तमाशबीन बनने की रह गई है, जो किसी भी चुनौती के आगे बस ये सोचते हुए हाथ मलते रह जाते हैं कि अगर ‘ G20 का मूल्यांकन लेकिन, G20 वैश्विक मुद्दे उठाने में कितना भी कुशल क्यों न हो. जिस तरह इसके मंच पर द्विपक्षीय वार्ताएं होती हैं और दुनिया के 19 बड़ी अर्थव्यवस्था...