आजीवन कारावास की अवधि 2022

  1. MP News: मध्यप्रदेश में बनने जा रहा है नया कानून बलात्कारियों को आखिरी सांस तक रहना होगा जेल में
  2. अंधविश्वास में आकर हत्या करने वाले तीन आरोपियों को आजीवन कारावास
  3. Court cannot decide the term of life imprisonment
  4. मप्र: दुष्कर्मियों
  5. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा
  6. बलात्कार दोषियों को अब रहना पड़ सकता है आखिरी सांस तक जेल में – ThePrint Hindi
  7. उत्तराखंड मंत्रिमंडल: विस सत्र में 4867 करोड़ का आएगा अनुपूरक बजट
  8. MP में जघन्य अपराधों पर अब होगी आजीवन कारावास की सजा: दोषियों को अंतिम सांस तक रहना होगा जेल में, नहीं मिलेगी छूट


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MP News: मध्यप्रदेश में बनने जा रहा है नया कानून बलात्कारियों को आखिरी सांस तक रहना होगा जेल में

link MP News: New law is going to be made in Madhya Pradesh, rapists will have to stay in jail till their last breath MP News: आजीवन कारावास की अवधि के निर्धारण के लिए मध्यप्रदेश सरकार की प्रस्तावित नीति में नाबालिग के साथ बलात्कार एवं समूहिक बलात्कार, आतंक और नशीले पदार्थों के अवैध व्यवसाय में आजीवन […] MP News: New law is going to be made in Madhya Pradesh, rapists will have to stay in jail till their last breath MP News: आजीवन कारावास की अवधि के निर्धारण के लिए मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को मंत्रालय में विभिन्न अधिनियमों में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई की अवधि की प्रस्तावित नीति 2022 पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश में वर्ष 2012 की नीति लागू है। वर्तमान में प्रदेश के 131 जेलों में 12,000 से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजीवन कारावास की सजा प्राप्त बंदियों के संबंध में जो नई नीति तैयार की गई है, उसमें जघन्य अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी। आतंकी गतिविधियों और नाबालिगों से बलात्कार के अपराधियों का कारावास 14 वर्ष में समाप्त नहीं होगा। मध्यप्रदेश में ऐसे अपराधियों को अंतिम सांस तक कारावास में ही रहने का प्रावधान किया गया है। Photo By Google 10 राज्यों की नीतियों पर हुई स्टडी सीएम चौहान ने कहा कि कारावास में रिहाई का अर्थ सिर्फ सद् व्यवहार और आगे अपराध मुक्त जीवन का संकेत देने वाले अपराधियों पर ही लागू हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार इस तरह का गंभीर अपराध करने वाले आगे ऐसा अपराध नहीं करेंगे, इसकी गारंटी कौन ले सकता है। चौहान ने कहा कि...

अंधविश्वास में आकर हत्या करने वाले तीन आरोपियों को आजीवन कारावास

अंधविश्वास के चलते हत्या करने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी केएम कनाश ने बताया घटना 15 अगस्त 2022 को ग्राम डोबलाझिरी खोडीबोर फलिया की है। फरियादी अमदा पिता नूरू वास्कले, पिता नूरू व मां केकडीबाई तीनों मोटरसाइकिल से बाजार करने आलीराजपुर गए थे। बाजार कर तीनों घर आ रहे थे कि दोपहर करीब एक बजे ग्राम अरठी ताड़ फलिया रास्ते पर ताड के पेड़ की आड़ से अचानक आरोपी सामने आए। आरोपी किसनिया हाथ में लोहे का फालिया, आरोपी भिसनिया के हाथ में पत्थर, आरोपी उछम के हाथ में लट्ठ व आरोपी भलु हाथ में तीर-कामटी लेकर आया और मोटरसाइकिल के सामने आकर रास्ता रोक लिया। उन्होंने नूरू से कहा कि तू जानकार है, तूने हमारी भतीजी बेबी को कुछ कर दिया है, जिससे हमारी भतीजी ने गुजरात में जहर खा लिया जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद नूरू को भिसनिया व भलु ने पकड़ लिया और किसनिया फालिया लेकर अमदा व उसकी मां को मारने दौड़े। उन्होंने भागकर अपनी जान बचाई। इसके बाद आरोपियों ने फालिया व पत्थर से हमला कर नूरू की हत्या कर दी। यह देख अमदा व उसकी मां ने शोर मचाया तो सभी आरोपी भाग गए। आरोपियों के विरुद्ध थाना चांदपुर में अपराध पंजीबद्ध किया। अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र आलीराजपुर न्यायालय में पेश किया गया। प्रकरण गंभीर प्रकृति का होने से सनसनीखेज चिह्नित श्रेणी में लिया गया। विचारण दौरान प्राप्त साक्ष्य के आधार पर आरोपी भलु के फरार होने से न्यायालय आलीराजपुर द्वारा आरोपी किसनिया, भिसनिया, उछम को दोष सिद्ध पाते हुए 10 जून को आजीवन कारावास की सजा व 10-10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। शासन की ओर से प्रकरण का संचालन सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी केएम कनाश ने किया।

Court cannot decide the term of life imprisonment

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि उम्रकैद की सजा अभियुक्त के जीवन (अंतिम सांस) तक के लिए है। उम्रकैद की सजा किसी सीमित अवधि या वर्षों की संख्या में सीमित नहीं की जा सकती। यह निर्णय न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने महोबा के वर्ष 1997 के एक मामले में अदालत द्वारा हत्या के पांच दोषियों को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए दिया है। खंडपीठ के समक्ष कहा दिया गया कि दोषियों में से एक कल्लू पहले ही लगभग 20-21 साल की सजा काट चुका है। उसकी सज़ा की अवधि को देखते हुए उसकी उम्रकैद की सज़ा कम करके उसे रिहा किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह उचित नहीं है। न्यायालय के लिए आजीवन कारावास की अवधि को कुछ वर्षों के लिए निर्धारित करने के लिए कानूनी स्थिति यह है कि आजीवन कारावास की अवधि किसी व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन (अंतिम सांस) तक होती है। मामले के पांच अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उनमें से योगेंद्र की अपील के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई थी, इसलिए उसकी अपील समाप्त कर दी गई। सभी पांच अभियुक्तों कल्लू, फूल सिंह, जोगेंद्र (अब मृतक), हरि और चरण को जय सिंह की 12 बोर की पिस्टल व राइफल से हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 302 अदालत को या तो आजीवन कारावास या मृत्युदंड देने का अधिकार देती है। हत्या के अपराध के लिए न्यूनतम सजा आजीवन कारावास और अधिकतम मृत्यु दंड है। अदालत क़ानून द्वारा अधिकृत न्यूनतम सजा को कम नहीं कर सकती। जहां तक सजा में छूट देने का प्रश्न है, यह राज्य सरकार के विवेकाधिकार पर निर्भर है कि वह जेल में कम से कम 14 साल की सजा काटने के बाद आजीवन कारावास...

मप्र: दुष्कर्मियों

- प्रदेश में 12 हजार से अधिक बंदी काट रहे आजीवन कारावास की सजा - बंदियों के आजीवन कारावास की अवधि के निर्धारण के लिए प्रस्तावित नीति पर हुआ विचार-विमर्श भोपाल, 1 सितंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को मंत्रालय में विभिन्न अधिनियमों में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई की अवधि की प्रस्तावित नीति -2022 पर चर्चा हुई। वर्तमान में प्रदेश में वर्ष 2012 की नीति लागू है। वर्तमान में प्रदेश के 131 जेलों में 12 हजार से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। आजीवन कारावास की सजा प्राप्त बंदियों के संबंध में जो नई नीति तैयार की गई है, उसमें जघन्य अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी। आतंकी गतिविधियों और नाबालिगों से बलात्कार के अपराधियों का कारावास 14 वर्ष में समाप्त नहीं होगा। मध्यप्रदेश में ऐसे अपराधियों को अंतिम साँस तक कारावास में ही रहने की नीति बनाई गई है। ऐसे अपराधियों में विभिन्न अधिनियम में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए गए दोषी, नाबालिग से बलात्कार के दोषी, गैंगरेप के दोषियों, जहरीली शराब बनाने, विदेशी मुद्रा से जुड़े अपराधों, दो या दो से अधिक प्रकरण में हत्या के दोषी को अब अंतिम साँस तक जेल में रहना होगा। शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या का अपराध करने वाले दोषी भी शामिल होंगे। इसी तरह राज्य के विरुद्ध अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित अपराध घटित करने वाले अपराधी भी किसी रियायत का लाभ नहीं ले सकेंगे। इन सभी के लिए नई नीति लागू नहीं होगी। इन अपराधों में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को अब जेल में ही अंतिम सांस तक रहना होगा। आजीवन कारावास से दंडित धारा 376 के दोषी बंदी भी 20 वर्ष का वास्तविक कारावास और परिहार सहित 25 वर...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि आजीवन कारावास की सजा यानी अभियुक्त के प्राकृतिक जीवन ( अंतिम सांस) तक है। हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतों को आजीवन कारावास की सजा किसी सीमित अवधि तक या उसे वर्षों की संख्या में सीमित नहीं किया जा सकता। जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने वर्ष 1997 के एक मामले में महोबा के निचली अदालत द्वारा हत्या के पांच दोषियों को दी गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया। आजीवन कारावास की सजा को कम करके रिहा नहीं किया जा सकता अदालत के समक्ष जब यह तर्क दिया गया कि दोषियों में से एक कल्लू, जो पहले ही लगभग 20-21 साल जेल में काट चुका है, उसकी सज़ा की अवधि को देखते हुए उसकी उम्र कैद की सज़ा कम करके उसे रिहा किया जा सकता है। इस पर अदालत ने स्पष्ट किया कि यह उचित नहीं है। न्यायालय के लिए आजीवन कारावास की अवधि को कुछ वर्षों के लिए निर्धारित करने के लिए, कानूनी स्थिति यह है कि आजीवन कारावास की अवधि किसी व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन ( अंतिम सांस) तक होती है। पांचों आरोपियों को पाया गया था हत्या का दोषी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच हत्या के आरोपियों द्वारा दायर तीन अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। चूंकि उनमें से एक योगेंद्र की अपील के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई थी, इसलिए उसकी ओर से अपील समाप्त कर दी गई। सभी पांच आरोपियों , कल्लू, फूल सिंह, जोगेंद्र (अब मृत), हरि और चरण को जय सिंह की 12 बोर की बंदूकों और राइफलों से हत्या करने का दोषी ठहराया गया था । हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के दोषसिद्धि के फैसले में कोई कमी नहीं पाई गई। जब अदालत के सामने सजा की छूट के लिए प्रार्थना...

बलात्कार दोषियों को अब रहना पड़ सकता है आखिरी सांस तक जेल में – ThePrint Hindi

भोपाल, दो सितंबर (भाषा) आजीवन कारावास की अवधि के निर्धारण के लिए मध्यप्रदेश सरकार की प्रस्तावित नीति में नाबालिग के साथ बलात्कार एवं समूहिक बलात्कार, आतंक और नशीले पदार्थों के अवैध व्यवसाय में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को अब आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी । मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को मंत्रालय में विभिन्न अधिनियमों में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई की अवधि की प्रस्तावित नीति 2022 पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश में वर्ष 2012 की नीति लागू है। वर्तमान में प्रदेश के 131 जेलों में 12,000 से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजीवन कारावास की सजा प्राप्त बंदियों के संबंध में जो नई नीति तैयार की गई है, उसमें जघन्य अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी। आतंकी गतिविधियों और नाबालिगों से बलात्कार के अपराधियों का कारावास 14 वर्ष में समाप्त नहीं होगा। मध्यप्रदेश में ऐसे अपराधियों को अंतिम सांस तक कारावास में ही रहने का प्रावधान किया गया है । अधिकारी ने बताया, ‘‘ऐसे अपराधियों में विभिन्न अधिनियम में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए गए दोषी, नाबालिग से बलात्कार के दोषी, सामूहिक बलात्कार के दोषियों, जहरीली शराब बनाने, विदेशी मुद्रा से जुड़े अपराधों, दो या दो से अधिक प्रकरण में हत्या के दोषी को अब अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा।’’ उन्होंने कहा कि इसमें शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या का अपराध करने वाले दोषी भी शामिल होंगे। इसी तरह राज्य के विरुद्ध अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित अपराध करने वाले अपराधी भी...

उत्तराखंड मंत्रिमंडल: विस सत्र में 4867 करोड़ का आएगा अनुपूरक बजट

सोमवार शाम सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक हुई। सत्र आहूत होने के चलते मंत्रिमंडल की बीफ्रिंग नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल में लगभग 19 प्रस्ताव लाए गए। इसमें आगामी विधानसभा सत्र के दौरान पेश होने वाले 4867 करोड़ का अनुपूरक बजट का भी प्रस्ताव लाया गया। गृह (कारागार) विभाग की ओर से 2021 के बंदियों के सजा माफी को अतिक्रमित करते हुए स्थाई नीति 2022 को प्रख्यापित किया गया है। इसके तहत अब आजीवन कारावास की अवधि 14 साल कर दी है। पहले महिला को 14 से 16 और पुरुष की 16 से 18 के बीच की अवधि थी। अब महिला और पुरुष की सजा को बराबर कर दिया गया है। पहले 15 अगस्त और 26 जनवरी को सजा माफी होती थी। अब इससे इतर भी भी सरकार अच्छा आचरण को देखते हुए माफ कर सकती है। जल निगम के ढांचे का विस्तार करते हुए एसई के 6 पद बढ़ाए गए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में गैर शहरी क्षेत्रों के लिए बिल्डिंग बायलाज की नीति लाई गई है। देहरादून में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एकीकृत बहु मंजिला हरित भवन का निर्माण किया जाएगा। जिसमे लगभग 70 विभागों के कार्यालय एक जगह पर होंगे। इसकी योजना देहरादून स्मार्ट सिटी के तहत तैयार की जाएगी। राज्य के सभी बस अड्डों की जमीन परिवहन निगम को हस्तांतरित करने का भी निर्णय लिया गया है। लीसा उठान पर स्टाम्प शुल्क को 5 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत किया गया। सहकारिता विभाग में उत्तराखंड सहकारी विभाग के अंतर्गत संशोधन करते हुए सहकारिता में प्रबंध निदेशक के पद विशेषज्ञ के आधार पर नियुक्त की जाएगी। इसके साथ ही आरटीई में प्रति छात्र की प्रतिपूर्ति 1383 से बढ़ाकर 1893 रुपये की गई। मत्स्य विभाग के अंतर्गत उत्तरांचल मत्स्य विभाग में 2003 की धार 4 से लेक...

MP में जघन्य अपराधों पर अब होगी आजीवन कारावास की सजा: दोषियों को अंतिम सांस तक रहना होगा जेल में, नहीं मिलेगी छूट

बता दें कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आज आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई की अवधि की प्रस्तावित नीति पर विचार-विमर्श हुआ। जिसमें यह निर्णय लिया गया। अभी प्रदेश में 2012 की नीति लागू है। वहीं वर्तमान में अभी मध्यप्रदेश की 131 जेलों में 12 हजार से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। Read more- • छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें • उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें • लल्लूराम डॉट कॉम की खबरेंEnglishमें पढ़ने यहां क्लिक करें • खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें • मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक