आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे और नुकसान

  1. Rasayan Vati Benefits In Hindi
  2. डाबर चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान
  3. आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे और नुकसान Arogyavardhini Vati in Hindi
  4. आरोग्यवर्धिनी वटी: जाने वे 16 रोग जिन्हें इस औषधि के सेवन से खत्म किया जा सकता हैं


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Rasayan Vati Benefits In Hindi

दोस्तों अगर आपको आयुर्वेद के बारे में थोड़ी भी जानकारी है तो आप रसायन वटी से अवश्य ही परिचित होंगे। इसका आयुर्वेदिक औषधि विज्ञान में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके सेवन के मानव शरीर से अत्यधिक फायदे जुड़े हैं । आयुर्वेद के जानकार तो इससे भली भांति परिचित होंगे, लेकिन अगर आप इससे परिचित नहीं भी हैं, तो चिंता मत कीजिए। क्योंकि यहाँ हम आपको रसायन वटी के बारे में पूरी जानकारी देंगे। इस लेख के माध्यम से हम जान पाएंगे की रसायन वटी क्या है, रसायन वटी के फायदे (rasayan vati benefits in hindi), उपयोग, नुकसान, आदि। आइए शुरू करते हैं “रसायन वटी के फायदे (rasayan vati benefits in hindi)” पर हमारा यह लेख । रसायन वटी क्या है (Rasayan Vati Kya Hai) रसायन वटी एक चमत्कारिक रूप से फायदा करने वाली दिव्य आयुर्वेदिक औषधि है। इसके सेवन से कई तरह के लाभ होते हैं। विशेषकर यह पुरुषों के लिए फायदेमंद और स्वास्थ्यवर्धक साबित होती है। यह पुरुषों की शारीरिक, मानसिक, और यौन सम्बन्धी समस्याओं को दूर करके उन्हें शक्ति प्रदान करती है। इससे शरीर की इम्युनिटी सिस्टम भी मज़बूत होती है। रसायन वटी के फायदे (rasayan vati benefits in hindi) की लिस्ट बहुत लंबी है । इस लेख में हम इससे होने वाले एक-एक लाभ को समझेंगे । रसायन वटी को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे राजवैद्य रसायन वटी, दिव्य शिलाजीत रसायन वटी, आदि। इस दवा का निर्माण विशेष तरह की जड़ी-बूटियों के संयोजन से किया जाता है। जिन जड़ी-बूटियों या घटकों का उपयोग इस वटी को बनाने के लिए किया जाता है, वो कुछ इस प्रकार हैं: घटक वैज्ञानिक नाम मात्रा स्वर्ण वांगा (Swarna Vanga) – – कपिकाचु (Kapikachhu) म्यूक्यूना पुरिएंस (Mucuna Puriens) 90 ग्राम मुसाली (Musali) क्लोरोफाइ...

डाबर चंद्रप्रभा वटी के फायदे और नुकसान

डाबर चंद्रप्रभा वटी की जानकारी - Dabur Chandraprabha Vati Information in Hindi डाबर चंद्रप्रभा वटी एक प्राकृतिक कामोद्दीपक (aphrodisiac) और एंटी एजिंग (anti ageing) आयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग उपयोग डाबर चंद्रप्रभा वटी के घटक तत्व - Dabur Chandraprabha Vati Ingredients in Hindi डाबर चंद्रप्रभा वटी में प्रयुक्त जड़ी-बूटियाँ/घटक हैं - • चंद्रप्रभा • वाचा • मुस्तः • भुनिंबा • अमृता • देवधारू • हरिद्रा • अतिविषा • दारुहरिद्र: • पिप्पली का अनुवाद • चित्रक • धन्यक • • छाव्या • विदांग • त्रिकटु • स्वर्णमक्षिका भस्म: • यवक्षरा (पोतेश नमक) • सरज्या अक्षर: • सैंदव लवना (सेंधा नमक) • सौवरचा लवना ( काला नमक ) • विदा लवना (अनियमित सामान्य) • त्रिवृत • डेंटि • तमाला पत्र • तवाकी • इलाह • वामसालोचना • लोहा भस्म (लौह का भस्मीकृत रूप) • सीता • सिलाजातु (खनिज चिचिट) • यह भी पढ़े ► डाबर चंद्रप्रभा वटी के फायदे - Dabur Chandraprabha Vati Benefits in Hindi • डाबर चंद्रप्रभा टैबलेट प्राकृतिक अवयवों से बने होते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। आइए इसके फ़ायदों के बारे में जानते हैं - • मूत्र संक्रमण में उपयोगी - यह मूत्र मार्ग में संक्रमण के साथ-साथ पेशाब करने में कठिनाई के इलाज में सहायक है। यह सभी प्रकार के मूत्र विकारों का इलाज करती हैं। • मूत्र पथरी - यह मूत्र पथरी के उपचार में मदद करता है • अपच - अपच के उपचार में प्रयोग किया जाता है और शरीर की शक्ति को बढ़ाता है • शरीर की ताकत और स्वास्थ्य का निर्माण करती हैं। • गोलियों में एंटी-एजिंग और कामोद्दीपक गुण होते हैं। यह उम्र बढ़ने को धीमा करती हैं और यौन शक्ति में सुधार करती हैं। • गोलियां पेशाब करते समय दर्द में मदद करती हैं और पेशाब करते ...

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे और नुकसान Arogyavardhini Vati in Hindi

Table of Contents • • • • • • • • • • आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है? – (What is Arogyavardhini Vati in Hindi?) आरोग्यवर्धिनी वटी को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे: • आरोग्यवर्धिनी गुटिका • आरोग्यवर्धिनी रस • सर्वरोगहर वटी • आरोग्यवर्धिनी टैबलेट • सर्वरोग प्रशमणि • आरोग्यवर्धिनी गुटिका रस यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग हृदय, दांत, मसूड़े, त्वचा, पित्ताशय, यकृत (लीवर), आंत और पेट से संबंधित असंख्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। “आरोग्यवर्धिनी” का शाब्दिक अर्थ ‘अच्छे स्वास्थ्य में सुधार लाने वाला’ है, जिसमें आरोग्य का अर्थ ‘अच्छा स्वास्थ्य’ है और वर्धनी का अर्थ ‘सुधारने वाला’ है, अर्थात यह औषधि अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने या सुधारने के लिए प्रभावी है। इसे सर्वरोग प्रशमनी के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है ‘सभी प्रकार के रोगों का शमन करने वाली’। इस औषधि के 13 घटक द्रव्य होते हैं, जिनमें प्रसंस्कृत (processed) धातुएं और खनिज, पौधों के अर्क आदि शामिल हैं। इन घटक द्रव्यों (सामग्रियों) में एंटीऑक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। आरोग्यवर्धिनी वटी का इस आयुर्वेदिक औषधि को बनाने का श्रेय आचार्य नागार्जुन को जाता है। हालांकि, आपको आरोग्यवर्धिनी गुटिका लेने से पहले हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए और चिकित्सक द्वारा बताई गई खुराक का ही सेवन करना चाहिए। इस वटी के निर्माण में पारा, सीसा आदि का घटक द्रव्य के रूप में उपयोग होने के कारण इसे बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए। संवेदनशील जनसंख्या समूह (sensitive population groups) जैसे बच्चे, गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताएं और गंभीर स्वास्थ्य स्थिति वाले...

आरोग्यवर्धिनी वटी: जाने वे 16 रोग जिन्हें इस औषधि के सेवन से खत्म किया जा सकता हैं

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • आरोग्यवर्धिनी वटी क्या हैं ? (Arogyavardhini vati kya hain?) इस वटी को आरोग्यवर्धिनी गुटिका और आरोग्यवर्धिनी रस के नाम से भी जाना जाता हैं | इस वटी का कार्य व्यक्ति के जीवन में रोगों का अभाव या कमी करना हैं और व्यक्ति के जीवन के स्वास्थ्य को सुचारू रूप से चलाना हैं| यह वटी शरीर के कई रोगों को समाप्त करने में व्यक्ति की बहुत अच्छी सहायता करती हैं | आरोग्यवर्धिनी वटी वात, पित्त और कफ का संतुलन करती हैं | आयुर्वेद के अनुसार कई रोगों की उत्पत्ति इन तीनो दोषों का असंतुलन से मानी जाती हैं | इसका सेवन कुष्ठ रोग, शरीर के किसी भी अंग की सूजन, मोटापा, पाचन तंत्र के विकार, जीर्ण ज्वर, आंतो और गर्भाशय की शुद्धी करने में किया जाता हैं | वैसे तो यह औषधि अकेले ही कई रोगों को समाप्त करने की क्षमता रखती हैं परन्तु कुछ विशेष औषधियों के साथ इसका सेवन और भी प्रभावशाली हो जाता हैं | आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक (Arogyavardhini vati ke ghatak) • शुद्ध पारा • शुद्ध गंधक • लौह भस्म • अभ्रक भस्म • ताम्र भस्म • हरड • आंवला • बहेड़ा • शुद्ध शिलाजीत • शुद्ध गुग्गुल • चित्रकमूल छाल • कुटकी • नीम की पत्तियों का रस आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक herbal arcade आरोग्यवर्धिनी वटी बनाने की विधि (Arogyavardhini vati banane ki vidhi) इसको बनाने के लिए सबसे पहले पारे और गंधक की कज्जली बना लें | अब इसमें अन्य भस्मों, शिलाजीत और बची हुई औषधियों का चूर्ण बना कर मिला लें | गुग्गुल को नीम की पत्ती के रस में दो दिन तक भिगो कर, हाथ से मसल कर अन्य औषधियां मिला कर मर्दन करे | अब इनकी गोलियां बना कर सुखा दें | आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे (Arogyavardhini vati ke fayde) Arogyavardhini vat...