आरोग्यवर्धिनी वटी सेवन विधि

  1. कुटजघन वटी: पाचन तंत्र से जुड़े 6 रोगों में प्रभावशाली औषधि — Herbal Arcade
  2. लौकी घनवटीजाने लौकी घनवटी के 7 आश्चर्यजनक फायदे — Herbal Arcade
  3. आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे / Benefits of Arogyavardhini Vati
  4. वैद्य करे आरोग्यवर्द्धिनी वटी का ऐसे उपयोग मिलेंगे अच्छे परिणाम, जाने क्या हैं आरोग्यवर्द्धिनी वटी उपयोग करने का सही तरीका?
  5. पतंजलि आयुर्वेद दवा की जानकारी
  6. दिव्य मुक्ता वटी फ़ायदे, सेवन विधि, मुख्य घटक और कीमत


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कुटजघन वटी: पाचन तंत्र से जुड़े 6 रोगों में प्रभावशाली औषधि — Herbal Arcade

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • कुटजघन वटी क्या हैं? (Kutajghan vati kya hai?) यह आयुर्वेदिक औषधि हैं तथा इसका मुख्य घटक कुटज होता हैं जिसे कूड़ा भी कहा जाता हैं | इस वटी मुख्य रूप से पेट के सभी रोगों को दूर करती हैं | कुटज का पौधा बहुत अधिक कडवा होता हैं जिसके कारण यह पेट के रोगों का समापन करता हैं | कुटजघन वटी के अलावा कुटज से कुटजारिष्ट भी बनाई जाती हैं जो सिरप के रूप में होती हैं | यदि किसी भी व्यक्ति को कुटजारिष्ट लेने में परेशानी हो तो वह कुटजघन वटी का उपयोग भी कर सकते हैं| इसका सेवन करने से पतले दस्त में लाभ मिलता हैं | कोलाईटिस, पेचिश, पेट में संक्रमण और पेट में अल्सर जैसी समस्या इस औषधि के माध्यम से समाप्त की जा सकती हैं | कुटजघन वटी के घटक द्रव्य (Kutajghan vati ke ghatak dravya) • कुटज की ताज़ी छाल • अतीस कुटजघन वटी बनाने की विधि (Kutajghan vati banane ki vidhi) इस औषधि को बनाने के लिए कुटज की छाल को उचित मात्रा में पानी के साथ उबाले | जब इसका आँठवा हिस्सा शेष रह जाए तो इसे नीचे उतार कर ठंडा कर लें | इसके वापस इसे, पहले मध्यम आंच और बाद में धीमी आंच पर पकाएं | जब यह थोडा गाढ़ा हो जाये तो इसे सूर्य की धूप में अच्छे से गाढ़ा कर लें | इसके बाद इसमें अतीस का चूर्ण मिला कर गोलिया बना कर सुखा लें | इसके बाद आप इस औषधि का उपयोग कर सकते हैं | कुटजघन वटी के फायदे (Kutajghan vati ke fayde) दस्त में (for loose motion) अतिसार, ज्वर और ग्रहणी रोग और अन्य कारणों से आने वाले बहुत पतले दस्त में यह औषधि उपयोगी होती हैं | दस्त में व्यक्ति को बार बार मल त्यागने जाना पड़ता हैं| इस स्थिति के कारण व्यक्ति का शरीर दिन दिन कमजोर होता जाता हैं | यह औषधि सभी प्रकार के दस्त को रोकन...

लौकी घनवटीजाने लौकी घनवटी के 7 आश्चर्यजनक फायदे — Herbal Arcade

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • क्या हैं लौकी घनवटी ?? (Lauki Ghanvati kya hai?) लौकी एक ऐसा शब्द हैं जिससे सामान्यतः सभी व्यक्ति भली भांति परिचित हैं | इसे जानने के साथ ही लगभग सभी लोगो ने इसका सेवन जूस, सब्जी और भी कई रूपों में किया हैं | लौकी से कई विभिन्न चरणों में बनी यह वटी लौकी घनवटी हैं | इसका निर्माण दिव्य फार्मेसी (पतंजलि) द्वारा किया गया हैं | लौकी को और भी कई गुणकारी औषधियों के साथ मिला कर लौकी घनवटी का निर्माण किया जाता हैं | लौकी घनवटी का प्रयोग बदहजमी, कमजोरी और ह्रदय को मजबूत बनाने के लिए किया जाता हैं | इनके अतिरिक्त लीवर की समस्या में, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता हैं| लौकी में भरपूर मात्रा में मिनरल्स, विटामिन b और c, मैग्नीशियम, मेगनीज जैसे और भी कई पोषक तत्व होते हैं | इसका उपयोग वजन घटाने, रक्तचाप की समस्या, त्वचा को चमकदार बनाने के लिए, बाल झड़ने की समस्या में, कोलेस्ट्रोल में, हाथी पाँव, बवासीर, तलवो में जलन जैसी और भी बहुत सारी समस्याओं में काम में ली जाती हैं और फायदेमंद भी साबी होती हैं | इसकी दो गोलियां एक गिलास लौकी के जूस के बराबर होता हैं | यदि किसी समस्या के कारण आप लौकी का जूस बना कर पीने में असमर्थ हैं तो आपको निश्चित रूप से ही लौकी घनवटी का प्रयोग शुरू करना चाहिए | लौकी घनवटी का घटक (Lauki Ghanvati ke ghatak) घनवटी का मुख्य घटक लौकी (GOURD) होती हैं | LAUKI GHANVATI CONTENTS HERBAL ARCADE लौकी घनवटी के फायदे (Lauki Ghanvati ke fayde) लौकी घनवटी के फायदे herbal arcade बदहजमी में (for indigestion) आमाशय या पेट में भोजन को पचाने वाला रस जब पेट की सुरक्षात्मक जगहों पर फ़ैल कर उन्हें नुक्सान पहुंचाता हैं ...

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे / Benefits of Arogyavardhini Vati

आरोग्यवर्धिनी वटी संपूर्ण प्रकार के कुष्ट ( Skin Diseases) तथा वात , पित्त और कफोद्भूत विविध ज्वरों (बुखारो)का नाश करती है। यह गुटिका पाचन , दीपन , पथ्यकारक , ह्रद्य (ह्रदय को ताकत देने वाली) , मेदोहर (मोटापे का नाश करने वाली) , मलशुद्धिकर (कब्ज का नाश करने वाली) , अत्यंत क्षुधावर्धक (भूख बढ़ाने वाली) और सामान्य सब रोगो में हितकारक है। श्री नागार्जुन योगी ने सब रोगों के प्रशमन के लिये यह तैयार की है। इसका मुख्य उपयोग कुष्ट रोगों में होता है। 7 महाकुष्ट और 11 क्षुद्र कुष्ट , सब बृहद अंत्र ( Large Intestine) की विकृति होने पर होते है। बृहद अंत्र का कार्य ठीक न होने से उसमे मलावरोध उपस्थित होता है। फिर बृहद अंत्र और लघु अंत्र मे वायु दुष्ट होता है। इस तरह पचनार्थ आवश्यक पित्त विकृत होता है। बृहद अंत्र मे पुरःसरण (मल को आगे धकेलने की क्रिया) व्यवस्थित होने में सहायक कफ द्रव्य दूषित हो जाता है। फिर मल के आगे सरने में देरी होती है। परिणाम में सेंद्रिय विष ( Toxin) की उत्पत्ति होकर वह अंतस्त्वचा और रक्त-मांस आदि धातुओ में शोषण हो जाता है , या सूक्षम परमाणुओ मे शोषित होकर धातुओ को दुष्ट बनाता है। फिर उस स्थान मे वात-विकृति होती है , वह धीरे-धीरे समस्त शरीर में व्याप्त हो जाती है ; और वह प्रकुपित दोष कुष्ट को उत्पन्न करता है। लघु अंत्र और बृहदन्त्र , ये वायु (Gas) के प्रमुख स्थान है। आरोग्यवर्धिनी वटी की रचना सामान्यतः लघु अंत्र (Small Intestine) और बृहदन्त्र (Large Intestine) की विकृति को नष्ट करनेवाली है। इस हेतु से आरोग्यवर्धिनी वटी कुष्ट रोग (Skin Diseases) में लाभ पहुंचाती है। बिलकुल प्रथमावस्था में इसकी योजना करने से अति जल्दी और निश्चित सफलता मिल जाती है। यह वटी देने पर रोगी ...

वैद्य करे आरोग्यवर्द्धिनी वटी का ऐसे उपयोग मिलेंगे अच्छे परिणाम, जाने क्या हैं आरोग्यवर्द्धिनी वटी उपयोग करने का सही तरीका?

औषध मात्रा शुद्ध पारा 1 तोला शुद्ध गन्धक 1 तोला लौह भस्म 1 तोला अभ्रक भस्म 1 तोला ताम्र भस्म 1 तोला हरें, बहेड़ा, आँवला प्रत्येक 2-2 तोला शुद्ध शिलाजीत 3 तोला शुद्ध गुग्गुलु 4 तोला चित्रकमूल छाल 4 तोला कुटकी 22 तोला आरोग्यवर्द्धिनी वटी बनाने की विधि - प्रथम पारद गन्धक की कज्जली बना उसमें अन्य भस्मों तथा शुद्ध शिलाजीत और शेष द्रव्यों का कपड़छन चूर्ण मिलावे पीछे गुग्गुलु को नीम की खजी पक्षी के रस में दो दिन तक भिगो हाथ से मसल, कपड़े से छान, उसमें अन्य दवा मिलाकर मर्दन करें। नीम की ताजी पत्ती के रस में मर्दन कर 22 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। आरोग्यवर्द्धिनी वटी का मात्रा और अनुपान (र. र. स.) 2 से 4 गोली रोगानुसार जल, दूध पुनर्नवादि क्वाथ या केवल पुनर्नवा का क्वाथ, दशमूल- क्वाथ के साथ दें। आरोग्यवर्द्धिनी वटी के गुण और उपयोग यह रसायन उत्तम पाचन, दीपन, शरीर के स्रोतों का शोधन करनेवाला, हृदय को बल देनेवाला, मेद को कम करनेवाला और मलों की शुद्धि करने वाला है। यकृत (Liver) प्लीहा (Spleen), बस्ति (bladder), वृक्क (Kidney), गर्भाशय (Uterus), अन्त्र (intestine), हृदय आदि शरीर के किसी भी अन्तरावयव के शोथ में, जीर्ण ज्वर, जलोदर और पाण्डु रोग में इस औषध से अधिक लाभ होता है पाण्डुरोग में यदि दस्त पतले और अधिक होते हों, तो इसका प्रयोग न कर पर्पटी के योगों का प्रयोग करना चाहिए। सर्वाङ्ग शोथ और जलोदर में रोगी को केवल गाय के दूध के पथ्य पर रख कर इसका प्रयोग करना चाहिए।(alert-warning) यकृत् की वृद्धि के कारण शोथहो, तो पुनर्नवाष्टक क्वाथ में रोहेड़ा की छाल और शरपुंखामूल 1-1 भाग अधिक मिलाकर उसके अनुपान से इसका प्रयोग करें। यदि हृद्रोगजन्य शोथ हो तो आरोग्यवर्धिनी के साथ "डिजिटेसिस पत्र"...

पतंजलि आयुर्वेद दवा की जानकारी

patanjali ayurvedic medicine in hindi नोट :- सभी वटियों की सामान्य सेवन विधि व मात्रा : 1 से 2 गोली दिन में 2 बार जल के साथ भोजन के उपरान्त सेवन करें अथवा रोगी की आवश्यकता को अनुसार या चिकित्सकीय परामर्शानुसार अन्य औषध को साथ सेवन करें। पतंजलि दिव्य आरोग्यवर्धिनी वटी के लाभ • मुख्य गुण-धर्म : त्वचा विकारों, यकृत् विकारों, मोटापा एवं जीर्ण ज्वर में लाभप्रद। • सेवनविधि व मात्रा : 1 से 2 गोली दिन में 2 बार जल के साथ भोजन के उपरान्त सेवन करें अथवा रोगी की आवश्यकता को अनुसार या चिकित्सकीय परामर्शानुसार अन्य औषध को साथ सेवन करें। पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी के लाभ • मुख्य गुण-धर्म : गले की खराश, खाँसी, मुंह के छाले तथा मुख दुर्गन्ध आदि विकारों में लाभप्रद। • सेवनविधि व मात्रा : 1 से 2 गोली दिन में 2 बार मुंह में रखकर चूसें अथवा रोगी की आवश्यकता के अनुसार या चिकित्सकीय परामर्शानुसार अन्य औषध के साथ सेवन करें। पतंजलि दिव्य चन्द्रप्रभा वटी के लाभ • मुख्य गुण-धर्म : यह मूत्रेन्द्रिय व गर्भाशयगत दोष और वीर्य-विकारों की सुप्रसिद्ध औषध है। • चन्द्रप्रभा वटी मूत्रकृच्छु, मूत्राघात, जोडों का दर्द, गठिया, सर्वाइकल स्पोण्डलाइटिस, सियाटिका, कमजोरी,पथरी, सर्वप्रमेह, भगन्दर, अण्डवृद्धि, पोलिया, कामला, अर्श, कटिशूल आदि विकारों को नष्ट करके शरीर का पोषण करती है। • यह बलवर्धक, पोषक तथा कान्तिवर्धक है। प्रमेह और उससे पैदा हुए उपद्रवों पर इसका धीरे-धीरे परन्तु स्थायी प्रभाव होता है। सुजाक आदि के कारण वीर्य में जो विकार उत्पन्न होते हैं, उन्हें यह नष्ट कर देती है। अधिक शुक्रक्षरण या रज:स्राव हो जाने से पुरुष-स्त्री दोनों की शारीरिक कान्ति नष्ट हो जाती है। शरीर कमजोर होना, शरीर का रंग पीला पड़ जाना, मं...

दिव्य मुक्ता वटी फ़ायदे, सेवन विधि, मुख्य घटक और कीमत

पतंजलि की बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाएं मार्केट में उपलब्ध हैं। जिनमे से एक हैं दिव्य मुक्ता वटी mukta vati uses in hindi जिसका उपयोग मुख्य रूप से उक्त रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिए बनाईं गई हैं आज की इस पोस्ट में हम बताएंगे patanjali की mukta tablet uses in hindi के फ़ायदे, नुकसान, सेवन विधि, मुख्य घटक, कीमत आदि के बारे में , दिव्य मुक्ता वटी से सम्बंधित सभी सवालों के जवाब इस पोस्ट के माध्यम से क्लियर हो जाएंगे। Table of Contents • • • • • • • दिव्य मुक्ता वटी के बारे में mukta vati extra power उच्च रक्तचाप से पीड़ित लाखों रोगियों पर सफल प्रयोग करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि योगाभ्यास के साथ मुक्तावटी के निरन्तर प्रयोग से उच्च रक्तचाप पूर्ण रूप से सामान्य हो जाता है। मुक्तावटी पूर्णरूप से दुष्प्रभाव रहित है। उच्च रक्तचाप चाहे गुर्दों (किडनी) के विकार या हृदय रोग के कारण से हो अथवा कोलेस्ट्राल, चिन्ता, तनाव या वंशानुगत आदि किसी भी अन्य कारण से हो तो भी इससे दूर हो जाता है। बी.पी. के साथ यदि अनिद्रा, घबराहट, छाती व सिर में दर्द भी हो तो मात्र इस एक ही दवा के प्रयोग से इन सब समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। उक्त रक्तचाप को नियंत्रित रखने में : अगर आप उक्त रक्तचाप की समस्या से परेशान रहते हैं तो आप इस दवा का सेवन अवश्य करे। नियमित सेवन से आपका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा। यह अकसर अधिक तनाव लेने से, धूम्रपान से और फास्ट फूड के सेवन से होता है। अनिद्रा की समस्या से : देर रात तक मोबाइल चलना , कंप्यूटर पर काम करना या फिर अधिक तनाव लेने से अनिद्रा की समस्या बनती हैं , यह दावा अनिद्रा में भी अच्छा काम करती है। कोलेस्ट्रॉल में : लीवर से जुड़ी समस्या कोलेस्ट्रॉल की वजह स...