आर्यभट्ट की फोटो

  1. आर्यभट्ट के उड़ान की कहानी, भारत ने कितनी दुश्वारियों के बाद रखा था अंतरिक्ष में कदम?
  2. Aryabhatta Information In Marathi
  3. Aryabhatta Information In Marathi
  4. आर्यभट्ट के उड़ान की कहानी, भारत ने कितनी दुश्वारियों के बाद रखा था अंतरिक्ष में कदम?
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आर्यभट्ट के उड़ान की कहानी, भारत ने कितनी दुश्वारियों के बाद रखा था अंतरिक्ष में कदम?

नई दिल्लीः आज 19 अप्रैल है और आज का दिन भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि का दिन है. देश ने इस दिन अंतरिक्ष में सफल उड़ान भरी थी. देश का पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट (India’s first satellite Aryabhata)आज ही के दिन लॉन्च हुआ था. य़ह दुनिया के विकसित देशों से कदमताल करने की दिशा में उठाया गया हिंदुस्तान का अहम कदम था. लेकिन आसमान की यह उड़ान बहुत आसान नहीं थी. इस सफलता को हासिल करने में भारत को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. दरअसल साठ के दशक में जब अमेरिका और सोवियत रूस ने अंतरिक्ष में अपने कदम बढ़ा दिये तभी से भारत में भी स्पेस में कुछ बड़ा लक्ष्य हासिल करने का सपना देखा जाने लगा था. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मुल्क को विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में सक्षम और कामयाब बनाने में जुटे थे. इसके लिए सबसे पहले इसरो (ISRO) शुरू किया. विक्रम साराभाई का मिशन वास्तव में यह मिशन महान भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) के विजन का हिस्सा था. इसके लिए उन्होंने अपना जीवन लगा दिया. स्पेस रिसर्च की फील्ड में भारत को दुनिया के बड़े देशों के सामने ला खड़ा किया. वैज्ञानिक साराभाई साठ के दशक में अमेरिका और रूस का दौरा कर चुके थे जब और उनके अंतरिक्ष कार्यक्रम को करीब से समझ लिया था. भारत आने के बाद उन्होंने अपने करीबी शिष्य यूआर राव को उपग्रह अभियान का टीम लीडर बना दिया. सालों तक रिसर्च कार्यक्रम चला. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सहमति हो चुकी थी और 1971 में रूस भी सहयोग करने को तैयार हो गया. जब सबसे बड़े मिशन को लगा झटका भारत के इस सबसे बड़े स्पेस मिशन को बड़ा झटका तब लगा जब वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की हर्ट अटैक से अचानक मृत्यु हो गई. जोकि इसके कर्ताधर्ता थे. चारों तरफ ...

Aryabhatta Information In Marathi

Aryabhatta Information In Marathi: आर्यभट्ट हे भारतातील पहिले महान गणितज्ञ आणि खगोलशास्त्रज्ञ होते. आजपासून सुमारे 1600 वर्षांपूर्वी त्यांचा जन्म झाला होता. त्यावेळी भारत देश स्वतंत्र झाला नव्हता. तेव्हा राजांची राजवट असायची. आर्यभट्ट यांनी आपल्या मेहनतीने गणित आणि खगोलशास्त्राची अनेक तत्त्वे मांडली. उलथापालथ, युद्धे आणि राजांच्या अनिश्चित राजवटीचा त्यांच्यावर परिणाम झाला नाही आणि त्यांनी आपले कार्य चालू ठेवले. त्यांच्यासारखा महान शास्त्रज्ञ प्राचीन भारतात नव्हता. १२व्या शतकात जन्मलेल्या भास्कराचार्यांनी आपल्या बुद्धिमत्तेने आर्यभट्टासारखे संशोधन केले, त्यामुळे त्यांचे नाव महान वैज्ञानिकांमध्येही प्रसिद्ध झाले. Aryabhatta Information In Marathi नाव आर्यभट्ट जन्म 476 AD, पाटलीपुत्र (सध्याचे पाटणा, भारत) आई अज्ञात वडील अज्ञात शोध कार्य शून्य, pi चे मूल्य, ग्रहांची गती आणि ग्रहण, बीजगणित, अनिश्चित समीकरणांचे निराकरण, अंकगणित आणि इतर कार्य क्षेत्र गणित आणि खगोलशास्त्र काळ गुप्त काळ वय 74 वर्षे मृत्यू 550 AD, प्राचीन भारत आर्यभट्ट यांचा जन्म पाटलीपुत्र (सध्याचे पाटणा, बिहार) येथे इसवी सन 476 मध्ये झाला. त्याने आर्यभटीय हा ग्रंथ रचला ज्यामध्ये त्याने आपण पाटलीपुत्र येथील रहिवासी असल्याचे सांगितले आहे. आणि जेव्हा ते 23 वर्षांचे होते, तेव्हा कलियुगाची 3600 वर्षे उलटून गेली होती, यावरून असे दिसून येते की त्यांनी तो ग्रंथ रचला तो काळ इसवी सन 449 होता. त्यांचा जन्म 23 वर्षांपूर्वी म्हणजेच 476 मध्ये झाला होता. त्यांनी तारेग्ना (सध्याच्या पाटण्याजवळ) मंदिरात एक वेधशाळा देखील स्थापन केली जिथून ते ग्रह आणि खगोलीय नक्षत्रांची माहिती मिळवत असत. आर्यभटाची कामे (Aryabhatta’s Cre ations) आर्य...

Aryabhatta Information In Marathi

Aryabhatta Information In Marathi: आर्यभट्ट हे भारतातील पहिले महान गणितज्ञ आणि खगोलशास्त्रज्ञ होते. आजपासून सुमारे 1600 वर्षांपूर्वी त्यांचा जन्म झाला होता. त्यावेळी भारत देश स्वतंत्र झाला नव्हता. तेव्हा राजांची राजवट असायची. आर्यभट्ट यांनी आपल्या मेहनतीने गणित आणि खगोलशास्त्राची अनेक तत्त्वे मांडली. उलथापालथ, युद्धे आणि राजांच्या अनिश्चित राजवटीचा त्यांच्यावर परिणाम झाला नाही आणि त्यांनी आपले कार्य चालू ठेवले. त्यांच्यासारखा महान शास्त्रज्ञ प्राचीन भारतात नव्हता. १२व्या शतकात जन्मलेल्या भास्कराचार्यांनी आपल्या बुद्धिमत्तेने आर्यभट्टासारखे संशोधन केले, त्यामुळे त्यांचे नाव महान वैज्ञानिकांमध्येही प्रसिद्ध झाले. Aryabhatta Information In Marathi नाव आर्यभट्ट जन्म 476 AD, पाटलीपुत्र (सध्याचे पाटणा, भारत) आई अज्ञात वडील अज्ञात शोध कार्य शून्य, pi चे मूल्य, ग्रहांची गती आणि ग्रहण, बीजगणित, अनिश्चित समीकरणांचे निराकरण, अंकगणित आणि इतर कार्य क्षेत्र गणित आणि खगोलशास्त्र काळ गुप्त काळ वय 74 वर्षे मृत्यू 550 AD, प्राचीन भारत आर्यभट्ट यांचा जन्म पाटलीपुत्र (सध्याचे पाटणा, बिहार) येथे इसवी सन 476 मध्ये झाला. त्याने आर्यभटीय हा ग्रंथ रचला ज्यामध्ये त्याने आपण पाटलीपुत्र येथील रहिवासी असल्याचे सांगितले आहे. आणि जेव्हा ते 23 वर्षांचे होते, तेव्हा कलियुगाची 3600 वर्षे उलटून गेली होती, यावरून असे दिसून येते की त्यांनी तो ग्रंथ रचला तो काळ इसवी सन 449 होता. त्यांचा जन्म 23 वर्षांपूर्वी म्हणजेच 476 मध्ये झाला होता. त्यांनी तारेग्ना (सध्याच्या पाटण्याजवळ) मंदिरात एक वेधशाळा देखील स्थापन केली जिथून ते ग्रह आणि खगोलीय नक्षत्रांची माहिती मिळवत असत. आर्यभटाची कामे (Aryabhatta’s Cre ations) आर्य...

आर्यभट्ट के उड़ान की कहानी, भारत ने कितनी दुश्वारियों के बाद रखा था अंतरिक्ष में कदम?

नई दिल्लीः आज 19 अप्रैल है और आज का दिन भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि का दिन है. देश ने इस दिन अंतरिक्ष में सफल उड़ान भरी थी. देश का पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट (India’s first satellite Aryabhata)आज ही के दिन लॉन्च हुआ था. य़ह दुनिया के विकसित देशों से कदमताल करने की दिशा में उठाया गया हिंदुस्तान का अहम कदम था. लेकिन आसमान की यह उड़ान बहुत आसान नहीं थी. इस सफलता को हासिल करने में भारत को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. दरअसल साठ के दशक में जब अमेरिका और सोवियत रूस ने अंतरिक्ष में अपने कदम बढ़ा दिये तभी से भारत में भी स्पेस में कुछ बड़ा लक्ष्य हासिल करने का सपना देखा जाने लगा था. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मुल्क को विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में सक्षम और कामयाब बनाने में जुटे थे. इसके लिए सबसे पहले इसरो (ISRO) शुरू किया. विक्रम साराभाई का मिशन वास्तव में यह मिशन महान भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) के विजन का हिस्सा था. इसके लिए उन्होंने अपना जीवन लगा दिया. स्पेस रिसर्च की फील्ड में भारत को दुनिया के बड़े देशों के सामने ला खड़ा किया. वैज्ञानिक साराभाई साठ के दशक में अमेरिका और रूस का दौरा कर चुके थे जब और उनके अंतरिक्ष कार्यक्रम को करीब से समझ लिया था. भारत आने के बाद उन्होंने अपने करीबी शिष्य यूआर राव को उपग्रह अभियान का टीम लीडर बना दिया. सालों तक रिसर्च कार्यक्रम चला. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सहमति हो चुकी थी और 1971 में रूस भी सहयोग करने को तैयार हो गया. जब सबसे बड़े मिशन को लगा झटका भारत के इस सबसे बड़े स्पेस मिशन को बड़ा झटका तब लगा जब वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की हर्ट अटैक से अचानक मृत्यु हो गई. जोकि इसके कर्ताधर्ता थे. चारों तरफ ...

आर्यभट्ट के उड़ान की कहानी, भारत ने कितनी दुश्वारियों के बाद रखा था अंतरिक्ष में कदम?

नई दिल्लीः आज 19 अप्रैल है और आज का दिन भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि का दिन है. देश ने इस दिन अंतरिक्ष में सफल उड़ान भरी थी. देश का पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट (India’s first satellite Aryabhata)आज ही के दिन लॉन्च हुआ था. य़ह दुनिया के विकसित देशों से कदमताल करने की दिशा में उठाया गया हिंदुस्तान का अहम कदम था. लेकिन आसमान की यह उड़ान बहुत आसान नहीं थी. इस सफलता को हासिल करने में भारत को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. दरअसल साठ के दशक में जब अमेरिका और सोवियत रूस ने अंतरिक्ष में अपने कदम बढ़ा दिये तभी से भारत में भी स्पेस में कुछ बड़ा लक्ष्य हासिल करने का सपना देखा जाने लगा था. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मुल्क को विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में सक्षम और कामयाब बनाने में जुटे थे. इसके लिए सबसे पहले इसरो (ISRO) शुरू किया. विक्रम साराभाई का मिशन वास्तव में यह मिशन महान भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) के विजन का हिस्सा था. इसके लिए उन्होंने अपना जीवन लगा दिया. स्पेस रिसर्च की फील्ड में भारत को दुनिया के बड़े देशों के सामने ला खड़ा किया. वैज्ञानिक साराभाई साठ के दशक में अमेरिका और रूस का दौरा कर चुके थे जब और उनके अंतरिक्ष कार्यक्रम को करीब से समझ लिया था. भारत आने के बाद उन्होंने अपने करीबी शिष्य यूआर राव को उपग्रह अभियान का टीम लीडर बना दिया. सालों तक रिसर्च कार्यक्रम चला. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सहमति हो चुकी थी और 1971 में रूस भी सहयोग करने को तैयार हो गया. जब सबसे बड़े मिशन को लगा झटका भारत के इस सबसे बड़े स्पेस मिशन को बड़ा झटका तब लगा जब वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की हर्ट अटैक से अचानक मृत्यु हो गई. जोकि इसके कर्ताधर्ता थे. चारों तरफ ...

Aryabhatta Information In Marathi

Aryabhatta Information In Marathi: आर्यभट्ट हे भारतातील पहिले महान गणितज्ञ आणि खगोलशास्त्रज्ञ होते. आजपासून सुमारे 1600 वर्षांपूर्वी त्यांचा जन्म झाला होता. त्यावेळी भारत देश स्वतंत्र झाला नव्हता. तेव्हा राजांची राजवट असायची. आर्यभट्ट यांनी आपल्या मेहनतीने गणित आणि खगोलशास्त्राची अनेक तत्त्वे मांडली. उलथापालथ, युद्धे आणि राजांच्या अनिश्चित राजवटीचा त्यांच्यावर परिणाम झाला नाही आणि त्यांनी आपले कार्य चालू ठेवले. त्यांच्यासारखा महान शास्त्रज्ञ प्राचीन भारतात नव्हता. १२व्या शतकात जन्मलेल्या भास्कराचार्यांनी आपल्या बुद्धिमत्तेने आर्यभट्टासारखे संशोधन केले, त्यामुळे त्यांचे नाव महान वैज्ञानिकांमध्येही प्रसिद्ध झाले. Aryabhatta Information In Marathi नाव आर्यभट्ट जन्म 476 AD, पाटलीपुत्र (सध्याचे पाटणा, भारत) आई अज्ञात वडील अज्ञात शोध कार्य शून्य, pi चे मूल्य, ग्रहांची गती आणि ग्रहण, बीजगणित, अनिश्चित समीकरणांचे निराकरण, अंकगणित आणि इतर कार्य क्षेत्र गणित आणि खगोलशास्त्र काळ गुप्त काळ वय 74 वर्षे मृत्यू 550 AD, प्राचीन भारत आर्यभट्ट यांचा जन्म पाटलीपुत्र (सध्याचे पाटणा, बिहार) येथे इसवी सन 476 मध्ये झाला. त्याने आर्यभटीय हा ग्रंथ रचला ज्यामध्ये त्याने आपण पाटलीपुत्र येथील रहिवासी असल्याचे सांगितले आहे. आणि जेव्हा ते 23 वर्षांचे होते, तेव्हा कलियुगाची 3600 वर्षे उलटून गेली होती, यावरून असे दिसून येते की त्यांनी तो ग्रंथ रचला तो काळ इसवी सन 449 होता. त्यांचा जन्म 23 वर्षांपूर्वी म्हणजेच 476 मध्ये झाला होता. त्यांनी तारेग्ना (सध्याच्या पाटण्याजवळ) मंदिरात एक वेधशाळा देखील स्थापन केली जिथून ते ग्रह आणि खगोलीय नक्षत्रांची माहिती मिळवत असत. आर्यभटाची कामे (Aryabhatta’s Cre ations) आर्य...