आर्यभट्ट ने किसकी खोज की थी

  1. महान गणितज्ञ आर्यभट की जीवनी
  2. Zero का आविष्कार किसने किया, 0 की खोज किसने की, इतिहास
  3. गणितज्ञ आर्यभट्ट का जीवन परिचय
  4. आर्यभट्ट का सही परिचय कब और कैसे हुआ? – ElegantAnswer.com
  5. आर्यभट्ट का जीवन और उनकी 12 महत्वपूर्ण खोज़ें
  6. आर्यभट्ट का जीवन परिचय Biography Of Aryabhatta In Hindi
  7. आर्यभट्ट का जन्म और मृत्यु कब हुई थी? – Expert
  8. HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति – Haryana Board Solutions
  9. आर्यभट्ट का जीवन और उनकी 12 महत्वपूर्ण खोज़ें
  10. Zero का आविष्कार किसने किया, 0 की खोज किसने की, इतिहास


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महान गणितज्ञ आर्यभट की जीवनी

Aryabhatta ka Jeevan Parichay आर्यभट्टभारतकेएकमहानगणतिज्ञथे, जिन्होंनेशून्यऔरपाईकीखोजकीथी।वेएकअच्छेखगोलशास्त्रीभीथे, जिन्होंनेविज्ञानऔरगणितकेक्षेत्रमेंअपनामहत्वपूर्णयोगदानदिया, उनकीप्रसिद्धिनसिर्फदेशमेंबल्किविदेशोंमेंभीफैलीथी।आर्यभट्टकेद्धाराकीगईखोजोंनेविज्ञानऔरगणितकेक्षेत्रमेंएकनयाआयामप्रदानकियाहैऔरइसेआसानबनादियाहै। आपकोबतादेंकिबीजगणित (एलजेबरा) काइस्तेमालकरनेवालेआर्यभट्टपहलेशख्सियतथे।ऐसामानाजाताहैकि‘निकोलसकॉपरनिकस’सेकरीब 1 हजारसालपहलेहीआर्यभट्टनेयहअविष्कारकरलियाथाकिपृथ्वीगोलहैऔरवहसूर्यकेचारोओरचक्करलगातीहै। यहीनहींआर्यभट्टजीनेअपनेनामपरआर्यभट्टीयग्रंथकीरचनाकीथी।उनकेइसग्रंथमेंअंकगणित, बीजगणितऔरत्रिकोणमतिगणितकोसमझानेकीकोशिशकीगईहैसाथहीखगोलकोसमाहितकोभीकियागयाहै।आइएजानतेहैभारतकेमहानवैज्ञानिकआर्यभट्टजीकीअविष्कारऔरउनकेजीवनसेजुड़ीमहत्वपूर्णखोजोंकेबारेमें– महानगणितज्ञआर्यभटकीजीवनी– Aryabhatta Biography In Hindi आर्यभट्टजीकेजीवनकेबारेमेंएकनजरमें- Aryabhatta Information नाम (Name) आर्यभट्ट जन्म (Birthday) 476 ईसवीअश्मक, महाराष्ट्र, भारत मृत्यु (Death) 550 ईसवी कार्य (Work) गणितज्ञ, ज्योतिषविदएवंखगोलशास्त्री पढ़ाई (Education) नालंदाविश्वविद्यालय प्रसिद्धरचनायें आर्यभटीय, आर्यभट्टसिद्धांत महत्वपूर्णयोगदान पाईएवंशून्यकीखोज आर्यभट्टजीकाजन्मऔरशुरुआतीजीवन– Aryabhatta History महानगणितज्ञआर्यभट्टजीकाजन्मकेबारेमेंइतिहासकारोंकेअलग-अलगमतहै।कईइतिहासकारउनकाजन्म 476 ईसवीमेंकुसुमपुर ( आधुनिकपटना) मेंबतातेहैं, तोकईइतिहासकारउनकाजन्ममहाराष्ट्रकेअश्मकमेंबतातेहैं।वहींऐसामानाजाताहैकिआर्यभट्टपटनाकीमुख्य महानगणितज्ञआर्यभट्टजीकीप्रसिद्दरचनाएं– Aryabhatta Books आर्यभट्टनेअपनीजीवनकालमेंकईमहानग्रंथोंकीरचनाकीथी...

Zero का आविष्कार किसने किया, 0 की खोज किसने की, इतिहास

02-6-23 | 1 Minute Read Zero का आविष्कार किसने किया, 0 की खोज किसने की, इतिहास इस पोस्ट में हम जानेंगे की Zero Kya Hai और Zero Ka Avishkar Kisne Kiya साथ ही जानेंगे ज़ीरो की खोज कब हुई और क्या ज़ीरो इवन नंबर है. साथ ही पोस्ट में जानेंगे की जीरो कैसे लिखा जाता है और क्या जीरो रैशनल नंबर है. इन सब के बारे में इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे. 0 की खोज कब हुई 0 की खोज 628 ईस्वी में भारत में हुई थी इसकी खोज गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने की थी. परन्तु हमारे देश में कई लोग यह मानते है की ज़ीरो का आविष्कार 5वी सदी में आर्यभट्ट ने किया था. • Kya Zero Even Number Hai हाँ, जीरो एक सम संख्या (Even Number) होती है, क्योकि यह 2 से गुणा और भाग देने पर विभाजित हो जाती है और इसका परिणाम भी ज़ीरो ही मिलता है. सम संख्या (Even Number) : सम संख्या (Even Number) ऐसी संख्याएं होती है जिन्हे 2 से भाग दिया जाता है तो यह पूरी तरह विभाजित हो जाती है जैसे : 0, 2,4,6,8,10 आदि. Kya Zero Rational Number Hai हां, जीरो एक परिमेय संख्या (Rational Number) भी होती है क्योकि इसे p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. परिमेय संख्या ऐसी संख्या होती है जिन्हे p/q के रूप में व्यक्त किया जाता है जहाँ p और q दोनों पूर्णांक होते है. इसमें p शून्य के बराबर तथा q शून्य के बराबर नहीं होता है. इस तरह 0 को p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. अतः यह एक परिमेय संख्या भी है. Zero Ka Avishkar Kisne Kiya जीरो का आविष्कार का श्रेय भारत के महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने किया था. ब्रह्मगुप्त ने जीरो का आविष्कार लगभग 628 ईस्वी में किया था, परन्तु क्या आप जानते है ब्रह्मगुप्त से पहले महान गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट ने जीरो का प्रयोग किया थ...

गणितज्ञ आर्यभट्ट का जीवन परिचय

Aryabhatta Biography in Hindi: आर्यभट्ट प्राचीन भारत के सबसे महान गणितज्ञ तथा खगोलशास्त्रियों में से एक थे। आज के समय में भी दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए आर्यभट्ट प्रेरणा के स्रोत हैं। आर्यभट्ट खगोलशास्त्र तथा गणित के अलावा वे ज्योतिषविद भी थे। आर्यभट्ट की गिनती भास्कराचार्य, कमलाकर, वराहमिहिर तथा Image: Aryabhatta Biography in Hindi सबसे पहले आर्यभट्ट ने ही बीजगणित का प्रयोग किया था तथा उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना “आर्यभट्टीका” (जो कि एक गणित की पुस्तक है) को कविता के रूप में लिखा था। आर्यभट्ट द्वारा लिखी हुई गणित की पुस्तक “आर्यभटीका” भारत के प्राचीन पुस्तकों में सबसे चर्चित पुस्तक है। आर्यभट्ट का जीवन परिचय | Aryabhatta Biography in Hindi विषय सूची • • • • • • • आर्यभट्ट का जन्म आर्यभट्ट का जन्म महाराष्ट्र के अशवमा क्षेत्र में सन् 456 ईसवी को हुआ था। आर्यभट्ट नालंदा विश्वविद्यालय में कार्य किया करते थे, उन्होंने अपने जीवन काल में खगोल, ज्योतिष तथा गणित की अनेक सारी रचनाएं लिखी और इस विषय में अपना एक विशेष योगदान दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के आर्यभट्ट ने विश्व में सबसे पहले “पाई” एवं शून्य की खोज की थी। आर्यभट्ट की प्रमुख रचनाएं “आर्यभटीय व आर्यभट्ट सिद्धांत” है। आर्यभट्ट ने सन 550 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। आर्यभट्ट का प्रारंभिक जीवन आर्यभट्ट के जन्म स्थान को लेकर कई बातें होती है, जिसमें कुछ लोग महाराष्ट्र तथा कुछ लोग बिहार को उनका जन्म स्थान बताते हैं।‌ परंतु आर्यभट्ट ने अपने द्वारा लिखित ग्रंथ आर्यभट्टीका में अपना जन्म स्थान “कुसुमपुरा” बताया है। आर्यभट्ट के जन्म के समय कुसुमपुरा जो आज “पाटलिपुत्र” के नाम से जाना जाता है। यहां पर हिंदू और बौद...

आर्यभट्ट का सही परिचय कब और कैसे हुआ? – ElegantAnswer.com

आर्यभट्ट का सही परिचय कब और कैसे हुआ? इसे सुनेंरोकेंआर्यभट (४७६-५५०) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है। इसी ग्रंथ में इन्होंने अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 लिखा है। आर्यभट्ट का जीवन परिचय कैसे लिखें? इसे सुनेंरोकेंआर्यभट्ट का जन्म 476 ईस्वी को पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार) में हुआ था। उन्होंने आर्यभटीय किताब की रचना की थी जिसमें उन्होंने बताया है कि वे पाटलिपुत्र के निवासी हैं। तथा जब वह 23 साल के थे तब कलयुग के 3600 साल निकल चुके थे, जिससे पता चलता है कि वह समय 449 ईस्वी था जब उन्होंने उस किताब की रचना की थी। रामानुजन ने किसकी खोज की? इसे सुनेंरोकेंये हैं रामनुजन की कामायबी लैंडा-रामानुजन स्थिरांक, रामानुजन्-सोल्डनर स्थिरांक, रामानुजन् थीटा फलन, रॉजर्स-रामानुजन् तत्समक, रामानुजन अभाज्य, कृत्रिम थीटा फलन, रामानुजन योग जैसी प्रमेय का प्रतिपादन रामानुजन ने किया। इंग्लैंड जाने से पहले भी 1903 से 1914 के बीच रामानुजन ने गणित के 3,542 प्रमेय लिख चुके थे। आर्यभट्ट ने क्या खोज की थी? इसे सुनेंरोकेंकिंतु भारतीय गणितज्ञों में प्रथम-स्मरणीय आर्यभट ही हैं, जिन्होंने विश्व में सबसे पहले यह अनुमान लगाया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। राष्ट्रीय गणित दिवस के परिप्रेक्ष्य में हमारी यह प्रस्तुति भारत के इसी महान गणितज्ञ को समर्पित है। रामानुजन का जन्म कब हुआ था? 22 दिसंबर 1887श्रीनिवास रामानुजन् / जन्म तारीख आर्यभट्ट का जन्म और मृत्यु कब हुई? इसे सुनेंरोकेंआर्यभट्ट ने अपने सूत्रों से यह सिद्ध किया कि एक वर्ष में 366 दिन नहीं वरन 365.2951 दिन होते हैं। आर्य...

आर्यभट्ट का जीवन और उनकी 12 महत्वपूर्ण खोज़ें

आर्यभट भारत ही नही बल्कि प्राचीन विश्व के एक महान वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे। आचार्य आर्यभट ने वैज्ञानिक उन्नति में केवन योगदान ही नही दिया बल्कि उसमें चार चांद लगाए। इस महान वैज्ञानिक का जन्म भारत का स्वर्ण युग कहे जाने वाले गुप्त काल में हुआ था। गुप्त काल में आर्यभट जैसे महान वैज्ञानिको की बदौलत साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्रों में भारत ने काफी तरक्की की। अपने जन्मकाल की स्पष्ट सूचना देने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक आर्यभट ने अपने ग्रंथ आर्यभटीय में लिखा है कि उन्होंने इस ग्रंथ की रचना कलयुग के 3600 वर्ष बीत जाने के बाद की और इसे लिखते समय उनकी आयु 23 वर्ष है। भारतीय कैलंडर के अनुसार कलयुग की शुरूआत 3101 ईसापूर्व को हुई थी, इसका मतलब कि आर्यभट का जन्म 476 ईसवी में हुआ था। इस तरह से आर्यभट अपने जन्मकाल की सुस्पष्ट सूचना देने वाले भारत के पहले वैज्ञानिक थे। भले ही आर्यभट के जन्म के समय के बारे में स्पष्ट जानकारी है, पर उनके जन्मस्थान के बारे में विवाद है। इतिहासकारों के अनुसार उनका जन्म या तो पटना में हुआ था जा फिर महाराष्ट्र में। भले ही उनके जन्मस्थान के बारे में विवाद हो पर सभी इतिहासकार इस बात पर सहमत है कि उनके ग्रंथ आर्यभटीय से प्रभावित होकर गुप्त राजा बुद्धगुप्त ने उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय का प्रमुख बना दिया था। [ आर्यभट्ट नही, आर्यभट कहिए आर्यभट्ट का पूरा नाम क्या है? कभी-कभी हम आर्यभट को ‘आर्यभट्ट’ नाम से भी संबोधित करते हैं। परन्तु उनका सही नाम आर्यभट था। सबसे पहले डॉ. भाऊ दाजी ने यह स्पष्ट किया था कि उनका वास्तविक नाम आर्यभट है, नाकि आर्यभट्ट। आर्यभट को आर्यभट्ट लिखने के पीछे कुछ विद्वानों का तर्क है कि आर्यभट ब्राह्मण थे, अत: भट्ट शब्द का उपयोग किया जाना चाहि...

आर्यभट्ट का जीवन परिचय Biography Of Aryabhatta In Hindi

इस पोस्ट Biography Of Aryabhatta In Hindi में आर्यभट्ट का जीवन परिचय (Aryabhatta Ki Jivani) जानने का प्रयास करेंगे। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ थे। आर्यभट ने Aryabhatta In Hindi आर्यभट्ट की जीवनी Biography Of Aryabhatta In Hindi – आर्यभट्ट का जन्म 476 ईसवी में कुसुमपुर में हुआ था। इस स्थान का जिक्र आर्यभट्टीय ग्रन्थ में है। वेसे आर्यभट के जन्मस्थान के बारे में विरोध भी है। कुछ इतिहासकारो का मानना है कि आर्यभट्ट का जन्म महाराष्ट्र के अश्मक में हुआ था। आर्यभट ने अपने जीवन मे कई ग्रन्थो की रचना की थी। इनमे आर्यभट्टीय, दशगीतिका, तंत्र प्रमुख थे। आर्य सिद्धांत नामक ग्रन्थ भी आर्यभट की रचना है लेकिन यह एक विलुप्त ग्रन्थ है। आर्यभट्टीय ग्रन्थ में घनमूल, वर्गमूल, गणित का वर्णन है। आर्यभट ने इस ग्रन्थ में गणित और खगोल को समाहित किया और समझाया। इसमे अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति जैसी गणित को बताया गया है। आर्यभट्टीय ग्रन्थ में कुल चार अध्याय है – गितिकपाद, गणितपाद, गोलपाद और कालक्रियापाद। इस ग्रन्थ में 108 छंद है। आर्यभट्ट को ज्योतिष का भी ज्ञान रहा था। उन्होंने अपने ग्रन्थो में ज्योतिष के बारे में भी लिखा था। आर्यभट को ज्योतिष विज्ञान का जनक भी कह सकते है। आर्यभट्ट का अंतरिक्ष विज्ञानं में योगदान Aryabhatta Ki Jivani गोलपाद नामक ग्रन्थ में आर्यभट्ट ने बताया कि आर्यभट्ट का यह मानना था कि चन्द्रमा और अन्य ग्रह आर्यभट्ट ने बताया कि ग्रहण होने का मुख्य कारण पृथ्वी पर पड़ने वाली या पृथ्वी की छाया होती है। उन्होंने बताया कि सूर्यग्रहण तब होता है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चन्द्रमा आ जाये। तब हमें सूर्य नही दिखाई पड़ता है। चन्द्रग्रहण में सूर्य और आर्यभट्ट का विश्वास था कि काल अनाद...

आर्यभट्ट का जन्म और मृत्यु कब हुई थी? – Expert

Table of Contents • • • • • • • आर्यभट्ट का जन्म और मृत्यु कब हुई थी? आर्यभट्ट का जन्म 476 ईस्वी को पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, बिहार) में हुआ था। उन्होंने आर्यभटीय किताब की रचना की थी जिसमें उन्होंने बताया है कि वे पाटलिपुत्र के निवासी हैं। तथा जब वह 23 साल के थे तब कलयुग के 3600 साल निकल चुके थे, जिससे पता चलता है कि वह समय 449 ईस्वी था जब उन्होंने उस किताब की रचना की थी। आर्यभट्ट का जन्म कहाँ हुआ था? पाटलिपुत्रआर्यभट / जन्म की जगहबिहार की राजधानी पटना का पुराना नाम पाटलिपुत्र है। पवित्र गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसे इस शहर को लगभग 2000 वर्ष पूर्व पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। इसी नाम से अब पटना में एक रेलवे स्टेशन भी है। पाटलीपुत्र अथवा पाटलिपुत्र प्राचीन समय से ही भारत के प्रमुख नगरों में गिना जाता था। विकिपीडिया आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था? 476 ईस्वीआर्यभट / जन्म तारीख आर्यभट्ट ने किसकी खोज की थी? किंतु भारतीय गणितज्ञों में प्रथम-स्मरणीय आर्यभट ही हैं, जिन्होंने विश्व में सबसे पहले यह अनुमान लगाया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। राष्ट्रीय गणित दिवस के परिप्रेक्ष्य में हमारी यह प्रस्तुति भारत के इसी महान गणितज्ञ को समर्पित है। READ: दारू का नशा जल्दी कैसे उतारे? आर्यभट्ट का पूरा नाम क्या है? आर्यभट पूरा नाम आर्यभट जन्म 476 ई. मृत्यु 550 ई. कर्म भूमि भारत आर्यभट्ट ने शिक्षा कहाँ से प्राप्त की? आर्यभट्ट का जन्म ईस्वी सन् 476 में कुसुमपुर (पटना) में हुआ था। यह सम्राट विक्रमादित्य द्वितीय के समय हुआ थे। इनके शिष्य प्रसिद्ध खगोलविद वराह मिहिर थे। आर्यभट्ट ने नालंदा विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर मात्र 23 वर्ष की आयु में ‘आर्यभट्टीय’ नामक एक ग्रंथ लिखा था। आर्यभट्ट...

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति – Haryana Board Solutions

Haryana State Board Haryana Board 10th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 संस्कृति HBSE 10th Class Hindi संस्कृति Textbook Questions and Answers Chapter 17 संस्कृति HBSE 10th Class Kshitij प्रश्न 1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है? उत्तर- लेखक का मत है कि रूढ़िवादी अपनी रूढ़ियों से इस प्रकार बँधे हुए हैं कि हर पल, हर क्षण बदलते इस संसार से पिछड़ जाते हैं। वे अपनी बँधी हुई सीमाओं तक ही सीमित रह जाते हैं। ऐसे लोग अपनी संकीर्ण सोच और संकुचित दृष्टिकोण के कारण सभ्यता एवं संस्कृति के लोककल्याणकारी पक्ष नहीं देख पाते तथा अपने व्यक्तिगत, जातिगत व वर्गगत हितों की रक्षा में लगे रहते हैं। वे इसे अपनी सभ्यता और संस्कृति मान बैठते हैं। यद्यपि सच्चाई यह है कि सभ्यता और संस्कृति में बिना किसी वर्गगत, जातिगत यहाँ तक कि धर्मगत भावना का कोई स्थान नहीं होता, उसमें पूरी मानवता के कल्याण की भावना रहती है। यही कारण है कि अब तक लोगों की सभ्यता और संस्कृति के प्रति सही सोच नहीं बन पाई है। HBSE 10th Class Hindi Kshitij Chapter 17 संस्कृति प्रश्न 2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे? उत्तर- आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज है क्योंकि वह मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता को पूरी करती है। वह भोजन पकाने में काम आती है और भोजन से मनुष्य की भूख समाप्त हो जाती है। आज भी इस खोज का महत्त्व सर्वोप्रिय है। आज भी हम हर सांस्कृतिक कार्य के आरंभ में दीप जलाते हैं। सर्दियों में तो आग का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। ठंडी रात में जहाँ आग से तपन मिलती है वहीं अँधेरा भी दूर भाग जाता है। आदिम युग में केवल प...

आर्यभट्ट का जीवन और उनकी 12 महत्वपूर्ण खोज़ें

आर्यभट भारत ही नही बल्कि प्राचीन विश्व के एक महान वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे। आचार्य आर्यभट ने वैज्ञानिक उन्नति में केवन योगदान ही नही दिया बल्कि उसमें चार चांद लगाए। इस महान वैज्ञानिक का जन्म भारत का स्वर्ण युग कहे जाने वाले गुप्त काल में हुआ था। गुप्त काल में आर्यभट जैसे महान वैज्ञानिको की बदौलत साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्रों में भारत ने काफी तरक्की की। अपने जन्मकाल की स्पष्ट सूचना देने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक आर्यभट ने अपने ग्रंथ आर्यभटीय में लिखा है कि उन्होंने इस ग्रंथ की रचना कलयुग के 3600 वर्ष बीत जाने के बाद की और इसे लिखते समय उनकी आयु 23 वर्ष है। भारतीय कैलंडर के अनुसार कलयुग की शुरूआत 3101 ईसापूर्व को हुई थी, इसका मतलब कि आर्यभट का जन्म 476 ईसवी में हुआ था। इस तरह से आर्यभट अपने जन्मकाल की सुस्पष्ट सूचना देने वाले भारत के पहले वैज्ञानिक थे। भले ही आर्यभट के जन्म के समय के बारे में स्पष्ट जानकारी है, पर उनके जन्मस्थान के बारे में विवाद है। इतिहासकारों के अनुसार उनका जन्म या तो पटना में हुआ था जा फिर महाराष्ट्र में। भले ही उनके जन्मस्थान के बारे में विवाद हो पर सभी इतिहासकार इस बात पर सहमत है कि उनके ग्रंथ आर्यभटीय से प्रभावित होकर गुप्त राजा बुद्धगुप्त ने उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय का प्रमुख बना दिया था। [ आर्यभट्ट नही, आर्यभट कहिए आर्यभट्ट का पूरा नाम क्या है? कभी-कभी हम आर्यभट को ‘आर्यभट्ट’ नाम से भी संबोधित करते हैं। परन्तु उनका सही नाम आर्यभट था। सबसे पहले डॉ. भाऊ दाजी ने यह स्पष्ट किया था कि उनका वास्तविक नाम आर्यभट है, नाकि आर्यभट्ट। आर्यभट को आर्यभट्ट लिखने के पीछे कुछ विद्वानों का तर्क है कि आर्यभट ब्राह्मण थे, अत: भट्ट शब्द का उपयोग किया जाना चाहि...

Zero का आविष्कार किसने किया, 0 की खोज किसने की, इतिहास

02-6-23 | 1 Minute Read Zero का आविष्कार किसने किया, 0 की खोज किसने की, इतिहास इस पोस्ट में हम जानेंगे की Zero Kya Hai और Zero Ka Avishkar Kisne Kiya साथ ही जानेंगे ज़ीरो की खोज कब हुई और क्या ज़ीरो इवन नंबर है. साथ ही पोस्ट में जानेंगे की जीरो कैसे लिखा जाता है और क्या जीरो रैशनल नंबर है. इन सब के बारे में इस पोस्ट में विस्तार से जानेंगे. 0 की खोज कब हुई 0 की खोज 628 ईस्वी में भारत में हुई थी इसकी खोज गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने की थी. परन्तु हमारे देश में कई लोग यह मानते है की ज़ीरो का आविष्कार 5वी सदी में आर्यभट्ट ने किया था. • Kya Zero Even Number Hai हाँ, जीरो एक सम संख्या (Even Number) होती है, क्योकि यह 2 से गुणा और भाग देने पर विभाजित हो जाती है और इसका परिणाम भी ज़ीरो ही मिलता है. सम संख्या (Even Number) : सम संख्या (Even Number) ऐसी संख्याएं होती है जिन्हे 2 से भाग दिया जाता है तो यह पूरी तरह विभाजित हो जाती है जैसे : 0, 2,4,6,8,10 आदि. Kya Zero Rational Number Hai हां, जीरो एक परिमेय संख्या (Rational Number) भी होती है क्योकि इसे p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. परिमेय संख्या ऐसी संख्या होती है जिन्हे p/q के रूप में व्यक्त किया जाता है जहाँ p और q दोनों पूर्णांक होते है. इसमें p शून्य के बराबर तथा q शून्य के बराबर नहीं होता है. इस तरह 0 को p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. अतः यह एक परिमेय संख्या भी है. Zero Ka Avishkar Kisne Kiya जीरो का आविष्कार का श्रेय भारत के महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने किया था. ब्रह्मगुप्त ने जीरो का आविष्कार लगभग 628 ईस्वी में किया था, परन्तु क्या आप जानते है ब्रह्मगुप्त से पहले महान गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट ने जीरो का प्रयोग किया थ...