आयनिक बंध किसे कहते हैं

  1. निबन्ध
  2. सहसंयोजक यौगिक की परिभाषा क्या है?
  3. आयनिक यौगिक किसे कहते है


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निबन्ध

निबन्ध (Essay) इतिहास-बोध परम्परा की रूढ़ियों से मनुष्य के व्यक्तित्व को मुक्त करता है। निबन्ध की विधा का सम्बन्ध इसी इतिहास-बोध से है। यही कारण है कि निबन्ध की प्रधान विशेषता व्यक्तित्व का प्रकाशन है। निबन्ध की सबसे अच्छी परिभाषा है- निबन्ध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है। इस परिभाषा में अतिव्याप्ति दोष है। लेकिन निबन्ध का रूप साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा इतना स्वतन्त्र है कि उसकी सटीक परिभाषा करना अत्यन्त कठिन है। परिभाषा - निबन्ध वह रचना है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तार और पाण्डित्यपूर्ण विचार किया जाता है। वास्तव में, निबन्ध शब्द का अर्थ है-बन्धन। यह बन्धन विविध विचारों का होता है, जो एक-दूसरे से गुँथे होते हैं और किसी विषय की व्याख्या करते हैं। अनुक्रम • 1 निबन्ध की विशेषता • 2 हिन्दी साहित्य में निबन्ध • 3 प्रमुख हिन्दी निबन्धकार • 4 इन्हें भी देखें • 5 बाहरी कड़ियाँ निबन्ध की विशेषता [ ] सारी दुनिया की भाषाओं में निबन्ध को साहित्य की सृजनात्मक विधा के रूप में मान्यता आधुनिक युग में ही मिली है। आधुनिक युग में ही मध्ययुगीन धार्मिक, सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का द्वार दिखाई पड़ा है। इस मुक्ति से निबन्ध का गहरा सम्बन्ध है। "नए युग में जिन नवीन ढंग के निबन्धों का प्रचलन हुआ है वे व्यक्ति की स्वाधीन चिन्ता की उपज है। इस प्रकार निबन्ध में निबन्धकार की स्वच्छन्दता का विशेष महत्त्व है। " निबन्ध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छन्द गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है। यही उसकी अर्थ सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है। अर्थ-सम्बन्ध-सूत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ ही भिन्न-भिन्न लेखकों के दृष्टि-पथ को निर्दिष्ट करती हैं। एक...

सहसंयोजक यौगिक की परिभाषा क्या है?

विषयसूची Show • • • • • • • अध्याय : 2. बंधन के मूल तथ्य सहसंयोजक यौगिकों के लक्षण 1. सहसंयोजक यौगिक उदासीन अणु द्वारा बने होते है। अत: अणुओं के मध्य आकर्षण बल आयिनक यौगिकों की अपेक्षा दुर्बल होता है। यद्यपि, सहसंयोजक यौगिक प्राय: वाष्पशील द्रव या गैसे होती है। 2. सहसंयोजक यौगिकों के गलनांक व क्वथनांक सामान्यत: कम होते है। अतएवं सहसंयोजक यौगिक उदासीन अणुओं के बने होते है, अणुओं के मध्य आकर्षण बल बहुत दुर्बल होता है। इसलिए तुलनात्मक रूप से ऊष्मा ऊर्जा की कम मात्रा इस दुर्बल अंतराआण्विक आकर्षण बल को तोड़ने के लिए आवश्यक है। अत: ये कम गलनांक व क्वथनांक रखते है। 3. सहसंयोजक यौगिक जल में अविलेय है परन्तु कार्बनिक विलायकों में विलेय है। 4. सहसंयोजक यौगिक धारा का चालन नहीं करते है। क्योंकि ये उदासीन अणुओं के बने होते है, आयनों के नहीं तथा गलित अवस्था या जलीय विलयन में आयन उत्पन्न नहीं करते है। नवीनतम लेख और ब्लॉग • Physics Tutor, Math Tutor Improve Your Child’s Knowledge • How to Get Maximum Marks in Examination Preparation Strategy by Dr. Mukesh Shrimali • 5 Important Tips To Personal Development Apply In Your Daily Life • Breaking the Barriers Between High School and Higher Education • 14 Vocational courses after class 12th • Tips to Get Maximum Marks in Physics Examination • Get Full Marks in Biology Class 12 CBSE Download Old Sample Papers For Class X & XII Download Practical Solutions of Chemistry and Physics for Class 12 with Solutions • Search for • Home • Online Test • GK • Computer • School • व्याकरण • विज्ञान • गणित • Q&A • Questions • सहसंयोजी यौगिक सहसंयोजक बंध की परि...

आयनिक यौगिक किसे कहते है

एक परमाणु (Atom) के द्वारा दूसरे परमाणु पर इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण (Transfer of electron) के कारण बनने वाले रासायनिक बांड (Chemical bond) को आयनिक बांड (Ionic bond) कहते है. इसे इलेक्ट्रोवैलेंट बांड के रूप में भी जाना जाता है और आयनिक बांड युक्त यौगिकों को आयनिक यौगिक भी कहा जाता है. इसलिए, ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि आयनों से आयनिक यौगिक बनते हैं. जब एक धातु (metal) एक अधातु (non metal) के साथ प्रतिक्रिया करता है तो वे आयनिक बांड (Ionic bond) बनाते हैं तथा बनने वाला यौगिक (compound) आयनिक यौगिक (Ionic compound) कहलाता है. धातु की अधातु के साथ प्रतिक्रिया के फलस्वरूप दोनों एक दूसरे के साथ इलेक्ट्रोस्टैटिक फोर्स के आकर्षण (Electrostatic force of attraction) से बंध जाते हैं, ऐसे बांड को रासायनिक बांड (Chemical bond) कहते हैं. आयनिक यौगिक (Ionic Compound) कैसे बनते हैं? उधाहरण के लिए: सोडियम धातु स्थाई इलेक्ट्रॉनिस विन्यास (Electronic configuration) प्राप्त करने के लिय हमेशा बाहरी कक्षा (outermost orbit) में 8 इलेक्ट्रॉन (electron) पूरा करना चाहता है. चूँकि सोडियम की बाहरी कक्षामें एक इलेक्ट्रॉन है, अत: सोडियम एक इलेक्ट्रॉन आसानी से खो (loose) सकता है, अत: सोडियम अपनी बाहरी कक्षा से (Outermost orbit) एक इलेक्ट्रॉन खोकर सोडियम आयन (sodium ion, Na+) बनाता है जो कि धनावेशित (positively charged) होता है. दूसरी ओर क्लोरीन जिसकी बाहरी कक्षा (outermost orbit) में सात इलेक्ट्रॉन है, स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Stable electronic configuration) पाने के लिये हमेशा 8 इलेक्ट्रॉन पूरा करने के लिये एक इलेक्ट्रॉन पाने (gain) के लिये तत्पर रहता है. Source:www.eweb.furman.edu.com हाइड्रोजन बम, ...