अभिलेख किसे कहते हैं

  1. अभिलेख क्या है? » Abhilekh Kya Hai
  2. खतौनी क्या है? खसरा तथा खतौनी में क्या अंतर है?
  3. अभिलेख किसे कहते है
  4. अभिलेख किसे कहते हैं
  5. अभिलेख
  6. अभिलेख किसे कहते हैं और इसका क्या महत्व है?


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अभिलेख क्या है? » Abhilekh Kya Hai

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खतौनी क्या है? खसरा तथा खतौनी में क्या अंतर है?

8.5 खसरा तथा खतौनी में क्या अंतर है? खतौनी क्या है? | Khatauni in Hindi खतौनी एक राजस्व संबंधी भू अभिलेख है जिसमें किसी ग्राम में व्यक्ति विशेष द्वारा धारित सभी भूमियों की जानकारी प्राप्त होती है खतौनी जिसे राजस्व शब्दावली में बी 1 या किश्तबंदी भी कहा जाता है, खतौनी का मुख्य उपयोग राजस्व वसूली या लगान के लिए किया जाता है। खतौनी की क्यों बनाया गया? किसी ग्राम में निजी भूमि मालिकों की भूमिया खसरे में खसरा क्रमांकनुसार दर्ज होती है जिस कारण के किसी एक व्यक्ति द्वारा धारित समस्त भूमिया खसरे में अलग-अलग स्थान पर अंकित हो जाती हैं इससे सभी भूमियों की जानकारी एक स्थान पर उपलब्ध ना होने से होने वाली असुविधा के के निदान हेतु खतौनी(Khatauni) या बी1 की रचना की गई है। खतौनी की मदद से ग्राम स्तर पर राजस्व की वसूली में न्यूनतम त्रुटि के साथ सहायता प्राप्त होती है। ये भी पढ़े – खतौनी या बी 1 को बनाने के उद्देश्य • ग्राम स्तर पर कृषकों की भूमि का भू राजस्व वसूल करना । • कृषकों द्वारा धारित समस्त भूमि को एक स्थान पर अंकन कर खाते की रचना करना। • कृषकों का भूमि धारण के अनुसार वर्गीकरण करना। • पटवारी या लेखपाल द्वारा कृषकों को उनकी भूमि की जानकारी कम समय में देना क्योंकि खतौनी कृषकों के हिंदी वर्णमाला के नाम अनुसार तैयार की जाती है जिससे केवल नाम पूछकर ही उसकी भूमि की जानकारी प्राप्त हो जाती है। खतौनी का प्रारूप (khatauni Format) खतौनी एक राजस्व वसूली अभिलेख है जिसमें कृषक द्वारा धारित सभी भूमियों की जानकारी तथा प्रत्येक भूमि का राजस्व दर्ज होता है एवं विभिन्न जानकारियों को परस्पर प्रथक करने हेतु खतौनी के प्रारूप को विभिन्न पंक्ति व स्तंभों में विभाजित किया जाता है। इन खंडों में खाता क्रमांक ज...

अभिलेख किसे कहते है

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम इतिहास के महत्त्वपूर्ण टाॅपिक अभिलेख (Abhilekh) के बारे में बात करने वाले है। इसके अन्तर्गत अभिलेख किसे कहते है (Abhilekh Kise Kahate Hain), अभिलेख का अर्थ (Abhilekh Ka Arth) अभिलेखों की भाषा (Abhilekh Ki Bhasha), अभिलेखों के प्रकार (Abhilekh Ke Prakar) और प्रमुख अभिलेखों के बारे में पढ़ेंगे। अभिलेख क्या है – Abhilekh Kya Hai • राजाओं तथा अन्य महत्त्वपूर्ण लोगों के द्वारा अपने आदेशों को पत्थर व धातु जैसी कठोर सतह पर खुदवाये जाने वाले लेख अभिलेख होते है। • अभिलेख पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर राजाओं तथा अन्य महत्त्वपूर्ण लोगों के आदेश और उपलब्धियां खुदी हुई होती है। राजाओं ने अभिलेखों द्वारा अपने आदेशों को उत्कीर्ण करवाया था। अभिलेख पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन पर खुदे हुए एक तरह का स्थाई प्रमाण होता है। रीट मुख्य परीक्षा LEVEL 2 – SST विषय हेतु नीचे दिए गए लिंक में से किसी एक ग्रुप को ज्वाइन कर लेवें ..पूर्णतया निशुल्क रहेगा । • प्राचीन समय में कागज नहीं होता था, इसलिए राजा पत्थर व धातु पर अभिलेख लिखवाकर अपने इतिहास को स्थायीत्व प्रदान करते थे। ताकि आगे भी इन्हें देखा व पढ़ा जा सके। • अभिलेखों से ही हमें प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है तथा उस समय के राजाओं की तिथि व कार्यों का वर्णन मिलता है। अभिलेखों से तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सामाजिक जीवन की जानकारी मिलती है। • अभिलेखों में राजाओं और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के क्रियाकलाप, उनकी उपलब्धियाँ व विजय, राज-प्रशासन, धर्म आदि की जानकारी मिलती है। पुरातात्विक स्रोतों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अभिलेख है। ये अभि...

अभिलेख किसे कहते हैं

अनुक्रम • • • • • अभिलेख किसे कहते हैं | abhilekh kise kahate hain अभिलेख पत्थर या धातु जैसे कठोर सतह पर उत्कीर्ण किए गए पाठन या लेख होते हैं. अभिलेखों का उपयोग प्राचीन काल से हो रहा है. प्राचीन काल में राजा महाराजा अपने राज्य के निर्देश और आदेशों को पत्थर पर उत्कीर्ण करके रखते थे. जिसे आम जनता पढ़ती थी और पालन करती थी. आधुनिक समय में भी अभिलेखों का उपयोग किया जाता है. प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की थी | प्रयाग प्रशस्ति क्या है किसी विशेष उद्देश्य के लिए लिखे गए लेख को अभिलेख कहा जाता है. अभिलेख सामान्य लेखों से भिन्न होते हैं. अभिलेखों को प्रचार, स्मृति या विज्ञप्ति के उद्देश्य से किसी ठोस धातु या पत्थर पर उत्कीर्ण किया जाता है. कागज, कपड़ा या किसी कोमल वस्तु पर लिखे हुए लेख अभिलेख अंतर्गत नहीं गिने जाते हैं. इन्हें हस्तलेख कहा जाता है. मिट्टी की वस्तु या बर्तन और दीवारों पर लिखे हुए लेख भी अभिलेख के अंतर्गत गिने जाते हैं. अभिलेख की परिभाषा किसी विशेष उद्देश्य से किसी ठोस वस्तु पर उत्कीर्ण लेख को अभिलेख कहा जाता है. अभिलेख आदेश, निर्देश, इतिहास या किसी वस्तु का उल्लेख भी हो सकते हैं. श्रवण कुमार के माता पिता का नाम क्या था | श्रवण कुमार की कहानी अभिलेख बनाने में उपयोग औजार और यंत्र अभिलेख के लिए कठोर वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है. जिसमें पत्थर, धातु, ईट, मिट्टी की तख्ती, ताड़पत्र का उपयोग किया जाता है. भारत, यूनान, इटली और मिस्र जैसे प्राचीन देशों में अभिलेखों के लिए मुख्य रूप से पत्थर का उपयोग किया जाता था. सम्राट अशोक ने स्मृति के लिए स्तंभ लेख बनाए थे. और उन्होंने अभिलेखों के लिए पत्थर के प्रयोग पर अपने धर्मलेख में लिखा भी हैं कि यह चिरस्थायी हो सकते हैं. पुराणों की...

अभिलेख

Abhilekhik srot आज के इस लेख में हम आईये देखते हैं अभिलेख क्या हैं? अभिलेख किसे कहते हैं | आभिलेख क्या है ? प्राचीन समय में राजा महाराजा किसी न किसी उद्देश्य से पत्थरों, धातुओं या अन्य किसी भी स्थान पर उस समय की भाषा व लिपि में कुछ लेख लिखवाते थे। यही लेख जब उत्खनन में प्राप्त होते हैं तो इन्हें अभिलेखों की संज्ञा दी जाती है। अतः हम कह सकते हैं कि “पत्थर अथवा धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किये गये पाठन सामाग्री अभिलेख कहलाते हैं।” प्राचीन काल से इसका उपयोग हो रहा है। प्राचीन काल के शासक विभिन्न उद्देश्यों से आभिलेख लिखवाते थे और जगह जगह उन्हें स्थापित कराते थे। अभि-लेख | आभिलेखिक स्रोत (ancient Inscriptions) : पुरातात्त्विक स्रोतों अथवा साक्ष्यों के अन्तर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत अभिलेख हैं। ये अभिलेख पत्थर या धातु की चादरों पर उत्कीर्ण किये गये हैं, अतः उनमें हेर-फेर की सम्भावना नहीं थी। इन अभिलेखों की तिथि कभी-कभी उन पर लिखी होती थी, पर प्रायः अक्षरों की बनावट के आधार पर उनका तिथिक्रम ज्ञात कर लिया जाता है। सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के हैं। अशोक का नाम उसके, सिर्फ हैदराबाद के मास्की और मध्यप्रदेश के गुज्जर्रा स्थलों से पाये जानेवाले अभिलेखों में मिलता है। उसके अन्य अभिलेखों में उसे देवताओं का प्रिय प्रियदर्शी राजा कहा गया है। इन अभिलेखों से अशोककाल के धर्म तथा राजस्व के आदर्श पर प्रकाश पड़ता है। अशोक के अधिकांश अभिलेख ‘ब्राह्मी लिपि’ में उत्कीर्ण हैं। केवल उत्तर-पश्चिमी भारत में लिए कुछ अभिलेख ‘ खरोष्ठी लिपि‘ में हैं। इसके कुछ अभिलेख ‘आरमेइक लिपि’ में भी मिले हैं। अशोक के बाद के अभिलेखों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है: (i) सरकारी अभिलेख (ii) निजी आभिलेख...

अभिलेख किसे कहते हैं और इसका क्या महत्व है?

अभिलेखों के महत्व किसी भी देश के प्राचीन इतिहास की जानकारी के लिए विभिन्न प्रकार के स्रोतों की आवश्यकता होती है. इन स्रोतों में अभिलेखों का भी बहुत बड़ा महत्व है. अभिलेख, लिखित रूप से प्राप्त प्राचीन काल के जानकारियों को कहा जाता है.ये लिखित जानकारियां हमें मुख्य रूप से शिलाओं, स्तंभों, भोजपत्रों, ताम्र पत्रों, मंदिर की दीवारों, मूर्तियों आदि पर लिखे मिलते हैं.इन अभिलेखों का नाम भी उनके प्राप्ति स्थान के अनुसार रखे जाते हैं, जैसे कि शीला पर लिखे अभिलेखों को शिलालेख, ताम्रपत्र पर लिखे अभिलेख कुत्ता पर लेख तथा स्तंभों पर लिखे लेख स्तंभ लेख कहा जाता है. अभिलेख प्राचीन काल के अध्ययन के लिए अत्यंत प्रमाणित और विश्वसनीय स्रोत होते हैं क्योंकि यह समकालीन होते हैं. इनके अध्ययन करने समय तत्कालीन राजा के बारे में उनके राज्य राज्य के विस्तार उनके चरित्र उपलब्धियां आदि की जानकारी मिलती है. बहुत से अभिलेखों से हमें तत्कालीन धार्मिक संस्कृति रीति-रिवाजों की जानकारी मिलती है. भारत में अब तक विभिन्न समय काल के अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं. इनमें से सबसे प्राचीन अभिलेख पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व का पिप्रावा कलश लेख है. इस प्रकार भाव भारत के विभिन्न स्थानों पर अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं. प्राचीन काल के अभिलेख मुख्यता पाली संस्कृत और प्राकृत भाषा में मिलते हैं. इसके अतिरिक्त बहुत से अभिलेख तमिल, मलयालम, कन्नड़, और तेलुगु भाषा में भी मिले हैं. अधिकांश अभिलेखों की लिपि ब्राह्मी है. बहुत से अभिलेखों के राजाओं ने लिखवाया था. इनमें उनके आदेश, उपलब्धियां, विजय स्मारक, और अधिकारों की जानकारी दी गई है. इन सबसे प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए काफी मदद मिलती है. अब तक का सबसे ज्यादा सम्राट अशोक के...