अजैविक घटक किसे कहते हैं

  1. पर्यावरण के जैविक घटक
  2. अजैविक घटक किसे कहते है
  3. जैविक और अजैविक संसाधन से आप क्या समझते हैं?
  4. पर्यावरण (परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार, संरचना और संघटक)
  5. पर्यावरण (परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार, संरचना और संघटक)
  6. पर्यावरण के जैविक घटक
  7. अजैविक घटक किसे कहते है
  8. जैविक और अजैविक संसाधन से आप क्या समझते हैं?


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पर्यावरण के जैविक घटक

प्रकृति एवं मानव एक ही नियम से सीधे पर्यायवरण के प्रत्येक तत्त्व जुड़े हुए हैं, चाहे वह अन्तरिक्ष हो, वनस्पति हो या फिर जीव-जन्तु हो। इस प्रकार व्यक्ति विशेष एवं जीव जगत की अन्त:क्रियाओं का उनके वातावरण में समायोजन के ‌‌‌अध्धयन को महत्त्व दिया जाता है। अत: पर्यायवरण उन समस्त आन्तरिक एवं बाह्य दशाओं और प्रभावों का योग है जो प्राणि-जगत के जीवन और विकास पर प्रभाव डालता है। भारतीय केंचुए का कार्य कृषि के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है, परन्तु उस के लिए केचुओं को भूमि के अन्दर व बाहर सूक्ष्म पर्यावरण की आवश्यकता होती है। भूमि की सतह के ऊपर फसल के मध्य जिस हवा का संचरण होता है, उसका तापमान 25-32 डिग्री के मध्य होना चाहिए और उस हवा में नमी की मात्रा 65-72 प्रतिशत तक होनी चाहिए। इसके साथ ही भूमि के अन्दर अंधेरा व वाफसा तथा भूमि के ऊपर काष्ठ आच्छादन होना चाहिए। इस एकात्मिक स्थिति को सूक्ष्म पर्यावरण कहते हैं। वाफसा - भूमि के अन्दर मिट्टी के दो कण समूहों के बीच में जो खाली जगह होती है, उसमें पानी बिल्कुल नहीं होता, बल्कि उसमें 50 प्रतिशत हवा और 50 प्रतिशत वाष्प का सम्मिश्रण होता है। इसे वाफसा कहते हैं। पौधों की जड़ें पानी नहीं, वाफसा को ही ग्रहण करती हैं। काष्ठाच्छादन - फसलों के अवशेषों को भूमि पर गिरने/बिछाने को काष्ठाच्छादन कहते हैं। जैसे कि जंगलों में पेड़ों के पत्ते, फूल, टहनियाँ गिर कर एक दूसरे के ऊपर गिरती रहती हैं, जिससे उस जगह की भूमि पर वनस्पत्तियों के अवशेष ही होते हैं, उसे काष्ठाच्छादन कहते हैं। ये पौधों के अवशेष भूमि की सतह पर गिरने और उसके बाद सूखने पर अनन्त कोटि सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा विघटित होकर ह्यूमस (Humus) का निर्माण करते हैं, जो फसल का खाद्य भण्डार है। अतः हम कह सकते...

अजैविक घटक किसे कहते है

अजैविक कारक को 2 भागों में विभाजित करा गया है: भौतिक कारक और रासायनिक कारक। भौतिक कारक भौतिक कारक वे कारक हैं जो अपने भौतिक गुणों द्वारा जीवों को प्रभावित करते हैं। इसके दो प्रकार हैं। ताप कारक प्रकाश कारक ताप कारक वस्तु की गर्मी को उसका ताप कहते हैं। इस प्रकार जो वस्तु जितनी अधिक गर्म होगी उसका ताप उतना ही अधिक होगा। पृथ्वी के दो तिहाई भाग में जल तथा एक तिहाई भाग में भूमि है। सूर्य की किरणों से पृथ्वी को ऊष्मा मिलती है जिससे पृथ्वी का जल भाग धीरे-धीरे तथा स्थल भाग शीघ्रता से गर्म होता है। रात्रि में जब जल और स्थल दोनों ठंडे हो जाते हैं तो विकिरण द्वारा ऊष्मा पुनः वातावरण में लौट जाती है। प्रत्येक समय तापमान समान नहीं रहता। ताप जीव-जंतुओं और वनस्पतिओं दोनों को प्रभावित करता है। ताप को सहन करने की क्षमता सभी जीवों में समान नहीं होती। अधिकतर जीवों में 0° सेल्सियस से कम तथा 50° सेल्सियस से अधिक ताप सहन करने की क्षमता नहीं होती। यदि तापमान 50° से ऊपर हो जाए तो जीवों की अनेक जातियां विलुप्त हो जाएंगी। प्रकाश कारक सूर्य की विकिरण ऊर्जा का वह भाग जो दृश्य स्पेक्ट्रम का निर्माण करता है, प्रकाश कहलाता है। पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं। इसके लिए उन्हें ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो उन्हें सूर्य के प्रकाश से विकिरण के रूप में प्राप्त होती है तथा भोजन के रूप में पौधों संग्रहीत हो जाती है। इस ऊर्जा पर जीव निर्भर रहते हैं। इस प्रकार प्रकाश के रूप में प्राप्त ऊर्जा पर समस्त जीव आश्रित हैं। प्रकाश के अभाव में पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रकाश जीवों के विकास, वृद्धि एवं रंग को प्रभावित करता है। प्रकाश की कम या अधिक मात्रा के आधार पर ठण्डे प्रदेश ...

जैविक और अजैविक संसाधन से आप क्या समझते हैं?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • नवीकरणीय संसाधन का उयपोग कर उसे फिर प्राप्त किया जाता सकता है, जबकि गैर-नवीकरणीय संसाधन की उपलब्धता सीमित होती है। नवीकरणीय संसाधनों में लकड़ी, हवा और प्रकाश शामिल हैं जबकि गैर-नवीकरणीय संसाधनों में कोयला और प्राकृतिक गैस शामिल हैं। जैविक और अजैविक संसाधन क्या है पारिस्थितिक तंत्र को आकार देने के लिए जैविक और अजैविक दो आवश्यक कारक जिम्मेदार हैं। जैविक कारक एक पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद सभी जीवित प्राणियों को संदर्भित करते हैं। वही अजैविक कारक सभी गैर-जीवित घटकों जैसे तापमान, पीएच, आर्द्रता, लवणता और विभिन्न गैसों को संदर्भित करते हैं। जैविकशब्द अंग्रेजी के बायोटिक शब्द का हिन्दी रूपांतरण है। जिसका अर्थ जीवन से है। यह एक पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद सभी जीवित प्राणियों से संबंधित है। पारिस्थितिकी तंत्र में हवा, पानी, मिट्टी आदि में मौजूद खनिज पोषक तत्व होते हैं। इसलिए, अजैविक और जैविक दोनोंसंसाधनजीविका और प्रजनन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, ये दोनों घटक एक दूसरे पर निर्भर हैं। मान लीजिए कि यदि किसी एक कारक को हटा दिया जाता है या बदल दिया जाता है, तो इसका असर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भुगतना पड़ेगा। निस्संदेह, अजैविक कारक जीवों के अस्तित्व को सीधे प्रभावित करते हैं। यह जानने के लिए पढ़ें कि पारिस्थितिक तंत्र में अजैविक और जैविक संसाधन क्या भूमिका निभाते हैं। जैविक कारक किसे कहते हैं जैविक कारक पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीवित चीजों से संबंधित हैं। उनकी उपस्थिति और उनके जैविक उपोत्पाद एक पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना को प्रभावित करते हैं। जैविक कारक जानवरों और मनुष्यों से लेकर पौधों, कवक और बैक्टीरिया तक सभी जीवित जीवों को सं...

पर्यावरण (परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार, संरचना और संघटक)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • पर्यावरण क्या है? (Paryavaran Kya Hai) पर्यावरण के कार्य और कार्य करने की जो भी विधियां है, वो प्रकृति प्रदत्त साधनों से होती है। पर्यावरण के सभी तत्व एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। पर्यावरण धरती का जीवन आधार है। यह पृथ्वी पर विद्यमान मनुष्यों और जीवों तथा जन्तुओं और वस्पतियो के उद्गम, उद्भव उसके विकास और अस्तित्व का मुख्य आधार है। यह सब पर्यावरण पर ही निर्भर करते है। जबसे सभ्यता का विकास हुआ है, मानव जाति की जितनी भी उन्नति हुई है, वह सब पर्यावरण के कारण ही संभव हो पाया है। पर्यावरण ने इन विकासों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। पर्यावरण का तात्पर्य वनस्पतियों एव जीवधारियो के चारों ओर एक आवरण है, इस आवरण को ही पर्यावरण का नाम दिया गया है। पर्यावरण में जो शब्द है, वह फ्रेंच शब्द environ से उत्पन्न हुआ है और environ का शाब्दिक अर्थ है घिरा हुआ अथवा आवृत्त। यह जैविक और अजैविक अवयव का ऐसा समिश्रण है, जो किसी भी जीव को अनेक रूपों से प्रभावित कर सकता है। इन्ही पर्यावरण में कुछ ऐसे कारक भी है, जो संसाधन बनकर उनके रूप में कार्यो को संपन्न करते है और इन्ही में से कुछ नियंत्रक के कार्य करने लग जाते है। कुछ वैज्ञानिक पर्यावरण को milieu कहते है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है, चारों ओर विद्यमान वातावरण का समूह। पर्यावरण अलग-अलग विषयों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे इकोसफियर (ecosphere) अथवा प्राकृतिक वास (habitat), जीवमंडल (geosphere) इत्यादि। सामान्य शब्दो में पर्यावरण का यह कार्य है कि वह ऐसी परिस्थितियों और भौतिक दशाओं का प्रदर्शन करता है, जो जीवों अथवा जीवों के समूह के चारों तरफ को ढकती है और उनका प्रभाव भी जीव समूहों पर पड़ता है। पर्यावरण...

पर्यावरण (परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार, संरचना और संघटक)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • पर्यावरण क्या है? (Paryavaran Kya Hai) पर्यावरण के कार्य और कार्य करने की जो भी विधियां है, वो प्रकृति प्रदत्त साधनों से होती है। पर्यावरण के सभी तत्व एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। पर्यावरण धरती का जीवन आधार है। यह पृथ्वी पर विद्यमान मनुष्यों और जीवों तथा जन्तुओं और वस्पतियो के उद्गम, उद्भव उसके विकास और अस्तित्व का मुख्य आधार है। यह सब पर्यावरण पर ही निर्भर करते है। जबसे सभ्यता का विकास हुआ है, मानव जाति की जितनी भी उन्नति हुई है, वह सब पर्यावरण के कारण ही संभव हो पाया है। पर्यावरण ने इन विकासों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। पर्यावरण का तात्पर्य वनस्पतियों एव जीवधारियो के चारों ओर एक आवरण है, इस आवरण को ही पर्यावरण का नाम दिया गया है। पर्यावरण में जो शब्द है, वह फ्रेंच शब्द environ से उत्पन्न हुआ है और environ का शाब्दिक अर्थ है घिरा हुआ अथवा आवृत्त। यह जैविक और अजैविक अवयव का ऐसा समिश्रण है, जो किसी भी जीव को अनेक रूपों से प्रभावित कर सकता है। इन्ही पर्यावरण में कुछ ऐसे कारक भी है, जो संसाधन बनकर उनके रूप में कार्यो को संपन्न करते है और इन्ही में से कुछ नियंत्रक के कार्य करने लग जाते है। कुछ वैज्ञानिक पर्यावरण को milieu कहते है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है, चारों ओर विद्यमान वातावरण का समूह। पर्यावरण अलग-अलग विषयों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे इकोसफियर (ecosphere) अथवा प्राकृतिक वास (habitat), जीवमंडल (geosphere) इत्यादि। सामान्य शब्दो में पर्यावरण का यह कार्य है कि वह ऐसी परिस्थितियों और भौतिक दशाओं का प्रदर्शन करता है, जो जीवों अथवा जीवों के समूह के चारों तरफ को ढकती है और उनका प्रभाव भी जीव समूहों पर पड़ता है। पर्यावरण...

पर्यावरण के जैविक घटक

प्रकृति एवं मानव एक ही नियम से सीधे पर्यायवरण के प्रत्येक तत्त्व जुड़े हुए हैं, चाहे वह अन्तरिक्ष हो, वनस्पति हो या फिर जीव-जन्तु हो। इस प्रकार व्यक्ति विशेष एवं जीव जगत की अन्त:क्रियाओं का उनके वातावरण में समायोजन के ‌‌‌अध्धयन को महत्त्व दिया जाता है। अत: पर्यायवरण उन समस्त आन्तरिक एवं बाह्य दशाओं और प्रभावों का योग है जो प्राणि-जगत के जीवन और विकास पर प्रभाव डालता है। भारतीय केंचुए का कार्य कृषि के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है, परन्तु उस के लिए केचुओं को भूमि के अन्दर व बाहर सूक्ष्म पर्यावरण की आवश्यकता होती है। भूमि की सतह के ऊपर फसल के मध्य जिस हवा का संचरण होता है, उसका तापमान 25-32 डिग्री के मध्य होना चाहिए और उस हवा में नमी की मात्रा 65-72 प्रतिशत तक होनी चाहिए। इसके साथ ही भूमि के अन्दर अंधेरा व वाफसा तथा भूमि के ऊपर काष्ठ आच्छादन होना चाहिए। इस एकात्मिक स्थिति को सूक्ष्म पर्यावरण कहते हैं। वाफसा - भूमि के अन्दर मिट्टी के दो कण समूहों के बीच में जो खाली जगह होती है, उसमें पानी बिल्कुल नहीं होता, बल्कि उसमें 50 प्रतिशत हवा और 50 प्रतिशत वाष्प का सम्मिश्रण होता है। इसे वाफसा कहते हैं। पौधों की जड़ें पानी नहीं, वाफसा को ही ग्रहण करती हैं। काष्ठाच्छादन - फसलों के अवशेषों को भूमि पर गिरने/बिछाने को काष्ठाच्छादन कहते हैं। जैसे कि जंगलों में पेड़ों के पत्ते, फूल, टहनियाँ गिर कर एक दूसरे के ऊपर गिरती रहती हैं, जिससे उस जगह की भूमि पर वनस्पत्तियों के अवशेष ही होते हैं, उसे काष्ठाच्छादन कहते हैं। ये पौधों के अवशेष भूमि की सतह पर गिरने और उसके बाद सूखने पर अनन्त कोटि सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा विघटित होकर ह्यूमस (Humus) का निर्माण करते हैं, जो फसल का खाद्य भण्डार है। अतः हम कह सकते...

अजैविक घटक किसे कहते है

अजैविक कारक को 2 भागों में विभाजित करा गया है: भौतिक कारक और रासायनिक कारक। भौतिक कारक भौतिक कारक वे कारक हैं जो अपने भौतिक गुणों द्वारा जीवों को प्रभावित करते हैं। इसके दो प्रकार हैं। ताप कारक प्रकाश कारक ताप कारक वस्तु की गर्मी को उसका ताप कहते हैं। इस प्रकार जो वस्तु जितनी अधिक गर्म होगी उसका ताप उतना ही अधिक होगा। पृथ्वी के दो तिहाई भाग में जल तथा एक तिहाई भाग में भूमि है। सूर्य की किरणों से पृथ्वी को ऊष्मा मिलती है जिससे पृथ्वी का जल भाग धीरे-धीरे तथा स्थल भाग शीघ्रता से गर्म होता है। रात्रि में जब जल और स्थल दोनों ठंडे हो जाते हैं तो विकिरण द्वारा ऊष्मा पुनः वातावरण में लौट जाती है। प्रत्येक समय तापमान समान नहीं रहता। ताप जीव-जंतुओं और वनस्पतिओं दोनों को प्रभावित करता है। ताप को सहन करने की क्षमता सभी जीवों में समान नहीं होती। अधिकतर जीवों में 0° सेल्सियस से कम तथा 50° सेल्सियस से अधिक ताप सहन करने की क्षमता नहीं होती। यदि तापमान 50° से ऊपर हो जाए तो जीवों की अनेक जातियां विलुप्त हो जाएंगी। प्रकाश कारक सूर्य की विकिरण ऊर्जा का वह भाग जो दृश्य स्पेक्ट्रम का निर्माण करता है, प्रकाश कहलाता है। पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं। इसके लिए उन्हें ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो उन्हें सूर्य के प्रकाश से विकिरण के रूप में प्राप्त होती है तथा भोजन के रूप में पौधों संग्रहीत हो जाती है। इस ऊर्जा पर जीव निर्भर रहते हैं। इस प्रकार प्रकाश के रूप में प्राप्त ऊर्जा पर समस्त जीव आश्रित हैं। प्रकाश के अभाव में पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रकाश जीवों के विकास, वृद्धि एवं रंग को प्रभावित करता है। प्रकाश की कम या अधिक मात्रा के आधार पर ठण्डे प्रदेश ...

जैविक और अजैविक संसाधन से आप क्या समझते हैं?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • नवीकरणीय संसाधन का उयपोग कर उसे फिर प्राप्त किया जाता सकता है, जबकि गैर-नवीकरणीय संसाधन की उपलब्धता सीमित होती है। नवीकरणीय संसाधनों में लकड़ी, हवा और प्रकाश शामिल हैं जबकि गैर-नवीकरणीय संसाधनों में कोयला और प्राकृतिक गैस शामिल हैं। जैविक और अजैविक संसाधन क्या है पारिस्थितिक तंत्र को आकार देने के लिए जैविक और अजैविक दो आवश्यक कारक जिम्मेदार हैं। जैविक कारक एक पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद सभी जीवित प्राणियों को संदर्भित करते हैं। वही अजैविक कारक सभी गैर-जीवित घटकों जैसे तापमान, पीएच, आर्द्रता, लवणता और विभिन्न गैसों को संदर्भित करते हैं। जैविकशब्द अंग्रेजी के बायोटिक शब्द का हिन्दी रूपांतरण है। जिसका अर्थ जीवन से है। यह एक पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद सभी जीवित प्राणियों से संबंधित है। पारिस्थितिकी तंत्र में हवा, पानी, मिट्टी आदि में मौजूद खनिज पोषक तत्व होते हैं। इसलिए, अजैविक और जैविक दोनोंसंसाधनजीविका और प्रजनन प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, ये दोनों घटक एक दूसरे पर निर्भर हैं। मान लीजिए कि यदि किसी एक कारक को हटा दिया जाता है या बदल दिया जाता है, तो इसका असर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भुगतना पड़ेगा। निस्संदेह, अजैविक कारक जीवों के अस्तित्व को सीधे प्रभावित करते हैं। यह जानने के लिए पढ़ें कि पारिस्थितिक तंत्र में अजैविक और जैविक संसाधन क्या भूमिका निभाते हैं। जैविक कारक किसे कहते हैं जैविक कारक पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीवित चीजों से संबंधित हैं। उनकी उपस्थिति और उनके जैविक उपोत्पाद एक पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना को प्रभावित करते हैं। जैविक कारक जानवरों और मनुष्यों से लेकर पौधों, कवक और बैक्टीरिया तक सभी जीवित जीवों को सं...