अलाउद्दीन खिलजी की पत्नी

  1. शहज़ादी फिरोज़ा जिसने हिंदू राजकुमार के लिए दी अपनी जान
  2. अलाउद्दीन खिलजी वाइफ के बारे में बताये » Alauddin Khilji Wife Ke Bare Me Bataye?
  3. अलाउद्दीन खिलजी की थी 4 पत्नियां, राजपूत रानी के बारे में नहीं जानते होंगे आप
  4. अध्याय
  5. अलाउद्दीन खिलजी व खिलजी वंश : HindiPrem.com


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शहज़ादी फिरोज़ा जिसने हिंदू राजकुमार के लिए दी अपनी जान

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अलाउद्दीन खिलजी वाइफ के बारे में बताये » Alauddin Khilji Wife Ke Bare Me Bataye?

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। क्या अलाउद्दीन खिलजी जी का जन्म हुआ था 12 लीटर 26 और उनको मोस्ट पावरफुल मुगल एंपरर्स खिलजी डायनेस्टी हिसाब से मारा जाता है क्योंकि उन्होंने जो शासन किया था बहुत शानदार शासन किया था दिल्ली सुलतानस हिसाब से और उनका जो मृत्यु हुआ था वह 3916 में हुआ था kya alauddin khilji ji ka janam hua tha 12 litre 26 aur unko most powerful mughal emperors khilji dynasty hisab se mara jata hai kyonki unhone jo shasan kiya tha bahut shandar shasan kiya tha delhi sulatanas hisab se aur unka jo mrityu hua tha vaah 3916 mein hua tha क्या अलाउद्दीन खिलजी जी का जन्म हुआ था 12 लीटर 26 और उनको मोस्ट पावरफुल मुगल एंपरर्स खिलजी

अलाउद्दीन खिलजी की थी 4 पत्नियां, राजपूत रानी के बारे में नहीं जानते होंगे आप

अलाउद्दीन खिलजी की थी 4 पत्नियां, राजपूत रानी के बारे में नहीं जानते होंगे आप संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' में रणवीर सिंह दिल्ली के सुल्तान रहे अलाउद्दीन ख‌िलजी की भूमिका में हैं। फिल्म पर चल रहे विवाद में अब तक उन दो महिलाओं का ज‌िक्र नहीं हुआ है जो अलाउद्दीन ख़िलजी की हिंदू पत्नियां थीं, हालांकि उस वक्त हिंदू शब्द उस तरह प्रचलन में नहीं था जैसे आज है। 1296 में दिल्ली के सुल्तान बने अलाउद्दीन ख‌िलजी के जीवन के रिकॉर्ड मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि ख‌िलजी की चार पत्नियां थीं, जिनमें से एक राजपूत राजा की पूर्व पत्नी और दूसरी यादव राजा की बेटी थीं। 1316 तक दिल्ली के सुल्तान रहे अलाउद्दीन ख‌िलजी ने कई छोटी राजपूत रियासतों पर हमले कर या तो उन्हें सल्तनत में शामिल कर लिया था या अपने अधीन कर लिया था। कमला देवी, गुजरात के राजपूत राजा की पत्नी 1299 में ख‌िलजी की सेनाओं ने गुजरात पर बड़ा हमला किया था। इस हमले में गुजरात के वाघेला राजपूत राजा कर्ण वाघेला (जिन्हें कर्णदेव और राय कर्ण भी कहा गया है) की बुरी हार हुई थी। इस हार में कर्ण ने अपने साम्राज्य और संपत्तियों के अलावा अपनी पत्नी को भी गंवा दिया था। तुर्कों की गुजरात विजय से वाघेला राजवंश का अंत हो गया था और गुजरात के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा था। कर्ण की पत्नी कमला देवी से अलाउद्दीन ख‌िलजी ने विवाह कर लिया था। गुजरात के प्रसिद्ध इतिहासकार मकरंद मेहता कहते हैं, "ख‌िलजी के कमला देवी से विवाह करने के साक्ष्य मिलते हैं। "मकरंद मेहता कहते हैं, "पद्मनाभ ने 1455-1456 में कान्हणदे प्रबंध लिखी थी, जो ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित थी। इसमें भी राजपूत राजा कर्ण की कहानी का वर्णन है।" मेहता कहते हैं, "पद्मनाभ ने राजस्थान के सूत...

अध्याय

अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक जीवन अलाउद्दीन खिलजी का पिता शिहाबुद्दीन मसउद खिलजी, सुल्तान जलालुद्दीन फीरोजशाह खिलजी का भाई था। शिहाबुद्दीन के चार पुत्र थे जिनमें से अलाउद्दीन सबसे बड़ा था। अलाउद्दीन का जन्म 1266-67 ई. में हुआ था। जलालुद्दीन के तख्त पर बैठने से काफी पहले ही शिहाबुद्दीन की मृत्यु हो चुकी थी। इसलिये अलाउद्दीन का पालन पोषण जलालुद्दीन ने ही किया। अलाउद्दीन को नियमित रूप से लिखने-पढ़ने की सुविधा प्राप्त नहीं हो सकी। उसके वयस्क होने पर जलालुद्दीन ने अपनी पुत्री का विवाह अपने भतीजे अलाउद्दीन से कर दिया। इस प्रकार अलाउद्दीन खिलजी, जलालुद्दीन खिलजी का भतीजा तथा दामाद था। उसने घुड़सवारी, खेलकूद तथा युद्ध विद्या सीख ली। पढ़ाई-लिखाई में रुचि नहीं होने से वह नितांत निरक्षर बना रहा। जब जलालुद्दीन खिलजी सुल्तान बना तो उसने अपने भतीजे अलाउद्दीन को अमीर-ए-तुजुक का पद दिया। अलाउद्दीन का वैवाहिक जीवन अलाउद्दीन का वैवाहिक जीवन बहुत नीरस था। उसकी सास मलिका जहान तथा पत्नी, दोनों मिलकर उलाउद्दीन को बात-बात पर ताने देती थीं। इसलिये उसने महरू नामक एक प्रेमिका तलाश कर ली। अलाउद्दीन की पत्नी को इस बात का पता चल गया इसलिये उसने एक दिन अलाउद्दीन के सामने ही महरू की पिटाई कर दी। इससे अलाउद्दीन का मन दिल्ली से उखड़ गया। कड़ा-मानिकपुर की सूबेदारी अलाउद्दीन के सौभाग्य से 1291 ई. में कड़ा के गवर्नर मलिक छज्जू ने सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह को दबाने में अलाउद्दीन ने भारी वीरता का परिचय दिया। सुल्तान के बड़े पुत्र अर्कली खाँ ने सुल्तान के समक्ष अलाउद्दीन की प्रशंसा की। इस पर सुल्तान ने अलाउद्दीन को कड़ा-मानिकपुर का सूबेदार नियुक्त कर दिया। अलाउद्दीन दिल्ली...

अलाउद्दीन खिलजी व खिलजी वंश : HindiPrem.com

दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला यह दूसरा राजवंश है। सल्तनत काल के पहले राजवंश गुलाम वंश के पतन के बाद खिलजी वंश का उदय हुआ। इस वंश के शासकों ने दिल्ली सल्तनत पर 1290 ई. से 1320 तक शासन किया। ‘दिल्ली सल्तनत’ के अंतर्गत खिलजी वंश, खिलजी वंश की जानकारी दी गई है। खिलजी वंश की स्थापना जलालुद्दीन खिलजी ने की थी। खिलजी – खिलजी प्रदेश अफगानिस्तान में हेलमन्द नदी घाटी में बसा हुआ था। वहाँ के निवासियों को खिलजी कहा जाता था। मूल तुर्कों से पृथक ये तुर्कों की ही एक शाखा थे। इन्होंने प्रशासन में तुर्कों के एकाधिकार को समाप्त कर दिया। इन्होंने तुर्कों की नस्लवादी नीति के विरुद्ध भारतीय मुसलमानों को भी बड़े पद दिये। इन्होंने कुलीनता के स्थान पर प्रतिभा को महत्व दिया। खिलजी भी भारत में गोरी के साथ ही आए थे। 1191 ई. में तराइन की पहली लड़ाई में गोरी घायल हो गया था। तब उसे युद्ध भूमि से एक खिलजी अधिकारी ने ही निकाला था। खिलजी वंश के किसी भी शासक ने खलीफा से पद की वैधता प्राप्त करने का प्रयास नहीं किया। जलालुद्दीन खिलजी (1290-96 ई.) जलालुद्दीन खिलजी 1290 ई. में 70 वर्ष की अवस्था (सर्वाधिक वृद्ध सुल्तान) में सल्तनत का शासक बना। इसका राज्याभिषेक कैकुबाद द्वारा निर्मित किलोखरी महल में कराया। परंतु इसने बलबन के सिंहासन पर बैठने से मना कर दिया। इसने मंगोलों के विरुद्ध कई सफल लड़ाइयां लड़ी थीं। कैकुबाद ने इसे आरिज ए मुमालिक का पद दिया। बाद में तीन माह तक क्यूमर्स का संरक्षक व वजीर भी रहा। प्रारंभ में दिल्ली की जनता के बीच यह इतना लोकप्रिय न हुआ। इसलिए इसने किलोखरी को ही अपनी प्रारंभिक राजधानी बनाया। एक साल बाद कोतवाल फखरुद्दीन और दिल्ली की जनता के आमंत्रित करने पर दिल्ली पहुँचा। अन्य अधिकारी – इसने...