Alankar ke kitne bhed hote hain

  1. Alankar in Hindi अलंकार
  2. वाक्य
  3. Alankar in Hindi Class 10
  4. Arthalankar in Hindi
  5. Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain: जानिए अलंकार किसे कहते है
  6. Swar And Vyanjan In Hindi / स्वर और व्यंजन


Download: Alankar ke kitne bhed hote hain
Size: 25.59 MB

Alankar in Hindi अलंकार

Learn Alankar in Hindi (अलंकार इन हिंदी) Alankar Ki Paribhasha, Bhed, Udaharan(Examples) & Types in Hindi Grammar अलंकार (Figure of Speech) अलंकार की परिभाषा काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्त्वों को अलंकार कहते हैं। अलंकार के चार भेद हैं- • शब्दालंकार, • अर्थालंकार, • उभयालंकार और • पाश्चात्य अलंकार। अलंकार का विवेचन शब्दालंकार काव्य में शब्दगत चमत्कार को शब्दालंकार कहते हैं। शब्दालंकार मुख्य रुप से सात हैं, जो निम्न प्रकार हैं-अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति, पुनरुक्तिप्रकाश, पुनरुक्तिवदाभास और वीप्सा आदि। 1. अनुप्रास अलंकार एक या अनेक वर्गों की पास-पास तथा क्रमानुसार आवृत्ति को ‘अनुप्रास अलंकार’ कहते हैं। इसके पाँच भेद हैं- (i) छेकानुप्रास जहाँ एक या अनेक वर्णों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति हो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है; जैसे- “इस करुणा कलित हृदय में, अब विकल रागिनी बजती” यहाँ करुणा कलित में छेकानुप्रास है। (ii) वृत्यानुप्रास काव्य में पाँच वृत्तियाँ होती हैं-मधुरा, ललिता, प्रौढ़ा, परुषा और भद्रा। कुछ विद्वानों ने तीन वृत्तियों को ही मान्यता दी है-उपनागरिका, परुषा और कोमला। इन वृत्तियों के अनुकूल वर्ण साम्य को वृत्यानुप्रास कहते हैं; जैसे- ‘कंकन, किंकिनि, नूपुर, धुनि, सुनि’ यहाँ पर ‘न’ की आवृत्ति पाँच बार हुई है और कोमला या मधुरा वृत्ति का पोषण हुआ है। अत: यहाँ वृत्यानुप्रास है। (iii) श्रुत्यनुप्रास जहाँ एक ही उच्चारण स्थान से बोले जाने वाले वर्षों की आवृत्ति होती है, वहाँ श्रुत्यनुप्रास अलंकार होता है; जैसे- तुलसीदास सीदति निसिदिन देखत तुम्हार निठुराई’ यहाँ ‘त’, ‘द’, ‘स’, ‘न’ एक ही उच्चारण स्थान (दन्त्य) से उच्चरित होने। वाले वर्षों की कई बार आवृत्ति हुई है, अत: य...

वाक्य

5 Shares आज की पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत महत्वपूर्ण विषय वाक्य किसे कहते है(vakya kise kahate hain) ,वाक्य का अर्थ(Vakya ka arth) वाक्य के कितने भेद होते है (vakya ke kitne bhed hote hain)पर चर्चा करेंगे ,आप इसे अच्छे से समझें । आर्टिकल के अंत में इस विषय से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है । उदाहरण :‘सत्य कड़वा होता है ।’ एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किन्तु ‘सत्य होता कड़वा।’ वाक्य नहीं है क्योंकि इसका अर्थ नहीं निकलता है। वाक्य के कितने अंग होते हैं – Vakya ke kitne ang Hote Hain वाक्य मे तीन भाग/पार्ट होते है कर्ता, कर्म, क्रिया। इन्हीं तीनो के आधार पर वाक्य के अंग बनाये गए है। * वाक्य के दो अंग होते है • उद्देश्य • विधेय वाक्य में उद्देश्य क्या है ? वाक्य में कर्ता (जो कार्य कर रहा है ) उसे उद्देश्य कहा जायेगा । साथ ही कर्ता का विस्तारक या विशेषण हो तो उसे भी हम उद्देश्य मे रखेंगे। जैसा कि हम जानते है कर्ता एक कारक है, वह कर्ता का विस्तारक कहलाता है। और कर्ता की विशेषता बताई जाये तो साथ ही हम यह भी कह सकते है कि विधेय जिसके लिये आये, वही कर्ता है, वही उद्देश्य है। आइये हम इसे उदाहरण से समझेंगे। उदाहरण :- मेरी सहेली पूजा बहुत सुंदर लेख लिखती है। पूजा – उद्देश्य मेरी सहेली – उद्देश्य का विस्तार लेख लिखती है –विधेय बहुत सुंदर – विधेय विस्तारक यहां पूजा जो कर्ता है और पूजा का विस्तारक मेरी सहेली है अतः मेरी सहेली का प्रयोग पूजा के लिये किया गया है यह पूजा का विस्तारक है इसलिए इसे उद्देश्य कहेगे । वाक्य में विधेय क्या है ? उद्देश्य के बारे मे जो कथन कहा जाता है वह विधेय है। इसमें कर्म और क्रिया का प्रयोग होता है कर्ता जो भी कार्य कर रहा ...

Alankar in Hindi Class 10

Alankar in Hindi Class 10 (अलंकार) – शब्दालंकार (Shabdalankar), अर्थालंकार (Arthalankar), उभयालंकार (Ubhaya alankar) परिभाषा– ‘अलंकार’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है – आभूषण अलम् + कार ↓ ↓ शोभा + करने वाला → काव्य की शोभा को बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहलाते हैं | → “अलंक्रियते इति अलंकार” जदपि सुजाति सुलक्षणी, सुबरन सरस सुवृत्त | भूषण बिनु न बिराजही, कविता, वनिता मित्त || अलंकार ( Alankar in Hindi) अलंकार के भेद ( Alankar ke bhed ) (1) शब्दालंकार (Shabdalankar) (2) अर्थालंकार (Arthalankar) (3) उभयालंकार (Ubhaya alankar) शब्दालंकार (Shabdalankar) जहाँ काव्य में शब्दों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ शब्दालंकार होता है | → अनुप्रास, लाटानुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति, पुनरुक्ति-प्रकाश, वीप्सा आदि शब्दालंकार है | जैसे → काली घटा का घमण्ड घटा | → काली घटा का घमण्ड कम हुआ | Lear more about – अर्थालंकार (Arthalankar) जहाँ काव्य में अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न किया जाता है, वहाँ अर्थालंकार होता हैं | → उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, विभावना, असंगति, विरोधाभास, संदेह, भ्रान्तिमान आदि | Learn more about – उभयालंकार (Ubhaya alankar) जहाँ काव्य में शब्द और अर्थ दोनों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न होता है वहाँ उभयालंकार होता हैं | Hindi Grammar Class 10 – Notes • • • • • • अलंकार – अलंकार के भेद • • • • • • • • • • • • • • • • • • •

Arthalankar in Hindi

Arthalankar ki Paribhasha अर्थालंकार की परिभाषा ‘अर्थालंकार’ अर्थ द्वारा उत्पन्न सौन्दर्य पर कार्य करते हैं | अर्थालंकारों को समझने के लिए कुछ आधारभूत बातों को समझ लेना चाहिए | अर्थालंकार से संबंधित आधारभूत बातें – • काव्य में कवि किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करता है और उसकी समानता किसी बाहरी व्यक्ति या वस्तु से दिखाता है | कवि जिस व्यक्ति / वस्तु का वर्णन करता है , वह कवि के लिए प्रस्तुत होता है और जिस बाहरी व्यक्ति या वस्तु से उसकी समानता दिखाई जाती है , उसे अप्रस्तुत कहते हैं | • इस तरह समस्त काव्य ‘प्रस्तुत’ तथा ‘अप्रस्तुत’ के बीच ही चलता है | कभी कवि प्रस्तुत तथा अप्रस्तुत की तुलना करता है , कभी प्रस्तुत तथा अप्रस्तुत की समानता बताता है , कभी प्रस्तुत पर अप्रस्तुत का आरोप करता है , तो कभी प्रस्तुत में अप्रस्तुत की संभावना करता है | • इन्हीं सब प्रक्रियाओं के कारण विभिन्न प्रकार के अर्थालंकार सामने आते हैं | • अलंकार शास्त्र में ‘प्रस्तुत’ को उपमेय तथा अप्रस्तुत को उपमान भी कहा जाता है | अर्थालंकार के भेद- Arthalankar ke Bhed • उपमा अलंकार • रूपक अलंकार • उत्प्रेक्षा अलंकार • अतिशयोक्ति अलंकार • मानवीकरण अलंकार उपमा अलंकार Upma Alankar Upma Alankar ki paribhasha जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं में समान गुण / धर्मों के कारण समानता बताई जाती है , वहाँ ‘ उपमा अलंकार ’ होता है | जैसे – ‘सीता के आँखें मृग के समान चंचल हैं |’ इस पंक्ति में सीता की आँखों की चंचलता मृग के समान बताई गई है | अतः यहाँ सीता के आँखे ‘प्रस्तुत’ होंगी और मृग ‘अप्रस्तुत’ | Upma Alankar ke Udaharan • दो वस्तुओं के बीच जब समानता बताई जाती है तब चार वस्तुएँ हमारे समक्ष आती हैं – • प्रस्तुत या उपमेय – जिस व...

Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain: जानिए अलंकार किसे कहते है

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल की मदद से बताएंगे की अलंकार क्या है (Alankar in Hindi), अलंकार कितने प्रकार के होते हैं (Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain), अलंकार की परिभाषा (Alankar Ki Paribhasha) क्या है? इन सभी तथ्यों के बारे में आपको विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे तो चलिए बिना किसी देरी के आज का यह आर्टिकल शुरू करते हैं: 8.4 अलंकार के दो भेद कौन से हैं: अलंकार किसे कहते हैं (Alankar Kise Kahate Hain): अलंकार एक ऐसा हिंदी शब्द है जिसका उपयोग इसके साथ ही अलंकार वाक्य के विभिन्न विचारों को और भावनाओं को जीवंत रूप में प्रभावी ढंग से समझाने के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो: जो शब्द काव्य की शोभा बढ़ाता है उसे हम अलंकार के नाम से जानते हैं, अलंकार हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण विषय है जोकि वाक्य को उसकी वास्तविक अर्थ से अलग बनाने में मदद करता है इसके साथ ही‌ इन वाक्यांशों का उपयोग भी कविता, कहानी और नाटक में बहुत सारे लोग करते हैं। अलंकार शब्द को आप आभूषण के रूप में भी जान सकते हैं जैसे कि एक नारी अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए आभूषणों का उपयोग करती है ठीक उसी प्रकार भाषा को सुंदर बनाने के लिए हम अलंकार का इस्तेमाल करते हैं। अलंकार भाषा को सुंदर बनाने वाला तत्वों में से एक है यह कविता की सुंदरता को बढ़ाने का एक अच्छा माध्यम है। इसके साथ ही यह शब्द काव्य में प्रयोग किए जाते हैं तो जो काव्य की शोभा बढ़ाने में मदद करता है उसे हम अलंकार कहते हैं और अंग्रेजी में ही इसे उदाहरण (Alankar Ke Udaharan): • उसकी आवाज सोने से भी मीठी है। • उसकी मुस्कान चांद से भी सुंदर है। Alankar Kise Kahate Hain इसे समझने के बाद चलिए अब समझते हैं कि Alankar Ki Paribhasha K...

Swar And Vyanjan In Hindi / स्वर और व्यंजन

Swar And Vyanjan In Hindi वर्ण क्या होता है ? मनुष्य किसी वर्ण का उच्चारण करते समय जब हवा उसके फेफड़े से निकलती है। फिर यह हवा glottis, larynx जैसे अंगो से होकर गुजरती है और अंत में यह हवा मुँह में प्रवेश करती है। तब नाक, तालू, तालु, वायुकोशीय रिज, दांत, होंठ, जीभ जैसे विभिन्न अंगों की हलचल होती है तब जाकर उच्चारण होता है। फिर इस उच्चारण ध्वनि को लिखकर किसी चिन्ह के रूप में बताए जाता है फिर यह चिन्ह का जब ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए उपयोग होता है उसे ‘ जब जीभ और उसका पिछला भाग एक साथ आता है तब एक अलग वर्ण का उच्चारण होता है और जब जीभ और दांत एक दूसरे को छूते है तब अलग वर्ण का उच्चारण होता है। वर्ण का कभी खंड और टुकड़े नहीं होते है। यह एक अखंड स्वरुप में रहते है। उदाहरण: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, क, ख, आदि। यह समस्त वर्णो की माला को ‘वर्णमाला’ कहा जाता है। हिंदी वर्णमाला में 45 वर्ण होते है। जिसमे 10 स्वर 35 व्यंजन होते है। लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 13 स्वर , 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते है। यह हिंदी वर्णमाला को दो भागों में विभक्त किए गए है। • स्वर • व्यंजन हिंदी वर्णमाला में स्वर कितने होते है / Swar Kitne Hote Hain हिंदी वर्णमाला में swar kitne hote hain इस प्रश्न का उत्तर कुछ इस तरह है। हिंदी वर्णमाला में कुल 13 स्वर होते है। हिंदी वर्णमाला में व्यंजन कितने होते है / Vyanjan Kitne Hote Hain हिंदी वर्णमाला में Vyanjan kitne hote hain इस प्रश्न का उत्तर कुछ इस तरह है। हिंदी वर्णमाला में कुल 35 व्यंजन होते है। हिंदी वर्णमाला के अनुसार Swar And Vyanjan In Hindi को आसानी से और विस्तार से समझने के लिए इस लेख को आखिर तक पढ़े। आपके Swar And Vyanjan In Hindi के बारेम...