अम्बेडकर का काला सच

  1. Remembering Dr Ambedkar: बाबा साहब अम्बेडकर के बारे में कुछ रोचक बातें, जो कम लोग जानते हैं
  2. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर: जीवनी और जीवन इतिहास
  3. अम्बेडकर जयंती 2022 : जानिए डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के बारे में
  4. अम्बेडकर के सामाजिक विचार
  5. आखिर कैसे हुई थी डॉ.भीमराव अम्बेडकर की मौत
  6. Bheem Sangh
  7. जानिए कौन थी रमाबाई ? जो बनी संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के सफल जिंदगी की प्रेरणास्रोत
  8. समान नागरिक संहिता के बारे में अम्बेडकर ने क्या कहा था?


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Remembering Dr Ambedkar: बाबा साहब अम्बेडकर के बारे में कुछ रोचक बातें, जो कम लोग जानते हैं

कहा जाता है कि भीमराव को उनके पिता ने स्कूल में उनका उपनाम 'सकपाल' की बजाय 'आंबडवेकर' लिखवाया। वे कोंकण के आंबडवे गांव के मूल निवासी थे और उस क्षेत्र में अपना उपनाम गांव के नाम पर रखने का प्रचलन था। एक ब्राह्मण शिक्षक कृष्ण महादेव अम्बेडकर को बाबा साहब से विशेष लगाव था। इस स्नेह के चलते ही उन्होंने उनके नाम से 'आंबडवेकर' हटाकर अपना उपनाम 'अम्बेडकर' जोड़ दिया। अम्बेडकर के पिता ब्रिटिश भारत की सेना की मऊ छावनी में सेवारत थे और यहां काम करते हुए उन्होंने सूबेदार का पद भी संभाला। बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने 1907 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की और अगले वर्ष उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया। इस स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने समुदाय के वे पहले व्यक्ति थे। 1912 तक उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में कला स्नातक (बी.ए.) प्राप्त की और बड़ौदा राज्य सरकार के साथ काम करने लगे। बडौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड़ की फेलोशिप लेकर अम्बेडकर ने 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास की। अम्बेडकर की रुचि संस्कृत पढ़ने में थी, लेकिन संस्कृत पढ़ने पर मनाही होने के कारण वे फारसी से पास हुए। बीए के बाद एमए की पढ़ाई के लिए बड़ौदा नरेश से दोबारा फेलोशिप लेकर उन्होंने अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपना नामांकन कराया। 1915 में उन्होंने स्नातकोत्तर की परीक्षा पास की। इसके बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय से उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से 'डॉक्टर ऑफ साइंस' डिग्री प्राप्त की। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. बी.आर. अम्बेडकर 64 विषयों के जानकार थे। उन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था। साथ ही उनके पास 32 डिग्र...

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर: जीवनी और जीवन इतिहास

डॉ. बी.आर. अम्बेडकर (1891-1956) जिन्हें समान्य तौर से बाबासाहेब के नाम से जाना जाता है, वे एक प्रसिद्ध भारतीय न्यायविद, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे, जिन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के विरद्ध होने वाले सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आजीवन अभियान चलाया, उन्होंने सिर्फ दलितों के अधिकारों का ही समर्थन नहीं किया बल्कि पिछड़ों और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी समर्थन किया है। वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और भारत के संविधान के प्रमुख वास्तुकार प्रमुख थे। आज इस लेख में हम भीमराव अम्बेडकर की जीवनी पढ़ेंगे और साथ ही उनके जीवन से जुड़े सभी तथ्यों का अध्ययन करेंगे Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • डॉ. बी.आर. अम्बेडकर: जीवनी-उनके जन्म और महानता की भविष्यवाणी की 14 अप्रैल, 1891 को भीमाबाई और रामजी अंबडवेकर के घर एक पुत्र का जन्म हुआ। उनके पिता रामजी मध्य प्रदेश के महू में तैनात एक सेना अधिकारी थे – वे ब्रिटिश शासन के तहत उस समय एक भारतीय जो सर्वोच्च पद पर आसीन हुए थे। मस्तिष्क की खेती मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। उनकी मां ने अपने बेटे को भीम बुलाने का फैसला किया। जन्म से पूर्व रामजी के चाचा, जो सन्यासी का धार्मिक जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति थे, ने भविष्यवाणी की थी कि यह पुत्र विश्वव्यापी ख्याति प्राप्त करेगा। उनके माता-पिता के पहले से ही कई बच्चे थे। इसके बावजूद, उन्होंने उसे अच्छी शिक्षा देने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया। नाम भीमराव अम्बेडकर पूरा नाम भीमराव रामजी अम्बेडकर जन्म 14 अप्रैल, 1891 जन्मस्थान महू मध्यप्रदेश पिता रामजी अंबडवेकर माता भीमाबाई पत्नी रमाबाई मृत्यु 6 दिसंबर 1956 मृत्यु का स्था...

अम्बेडकर जयंती 2022 : जानिए डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के बारे में

अम्बेडकर जयंती 2022 :Ambedkar Jayanti 2022 Details in Hindi • जन्म - 14 अप्रैल 1891 • स्थान -मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मऊ छावनी • पिता का नाम रामजी सकपाल • माता का नाम भीमाबाई • पत्नी का नाम रामाबई • अम्बेडकर का उपनाम सकपाल • मृत्यु - 6 दिसम्बर , 1969 भीमराव अम्बेडकर सामान्य परिचय भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में इंदौर के पास मऊ छावनी में हुआ था। उस समय वहां उनके पिता अंग्रेजी सेना में शिक्षक के रूप में सूबेदार थे। वैसे उनका गांव अम्बावाडे था जो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है। उनके पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। भीमराव अम्बेडकर का बचपन • भीमराव अम्बेडर का बचपन में ताता के नाम पर भीम नाम रखा गया था तथा उपनाम सकपाल था , परंतु उनके एक शिक्षक जिनका उपनाम अम्बेडकर था के दिल में भीम के लिए बहुत स्नेह तथा जगह थी ओर वह भीम को अपना बेटा मानते थे। अतः इस शिक्षक के स्नेह एवं ममता के फलस्वरूप भीम ने अपना उपनाम सकपाल की जगह अम्बेडकर लिख दिया था। • इस प्रकार भी सच है कि इस शिक्षक ने खुद ही स्कूल के स्कॉलर के रजिस्टर में भीम के उपनाम सकपाल की जगह अम्बेडकर लिख दिया था। इस प्रकार से डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर में माता , पिता और शिक्षक का समावेश हो गया। • भीम की बुआ मीराबाई सतारा आ गयी और उसने भीम का लालन-पालन किया। भीम के पिता ने भीम को पढ़ना , लिखना और गिनती सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे उन्हें महाभारत तथा रामायण के आंश , कबीर के भक्ति गीत तथा महाराष्ट्र के महान संतों की गाथाएं सुनाया करते थे। भीम ने यहां से अपनी प्रारंभिक शिक्षा वर्ष 1900 में पूरी कर ली। भीमराव अम्बेडकर की शिक्षा • भीम का मुम्बई के मराठा हाई स्कूल में दाखिला वर्ष 190...

अम्बेडकर के सामाजिक विचार

डॉ. अम्बेडकर के सामाजिक विचार डाक्टर अम्बेडकर के पास एक प्रखर, ऐतिहासिक दृष्टि थी। वे इतिहास की विकास प्रक्रिया को पूर्णरूपेण समझते थे और घटनाओं का समुचित आकलन कर सकते थे, किन्तु उनके पास कोई विशेष आध्यात्मिक दृष्टि नहीं थी। इसलिए वे ऐतिहासिक घटनाओं का सामाजिक मूल्यांकन तो करते थे, किन्तु उनको शाश्वत आध्यात्मिक मूल्यों के परिप्रेक्षय में, प्रस्तुत करने का प्रयास उन्होंने नहीं किया। यही कारण है कि उनकी ऐतिहासिक दृष्टि एकांगी प्रतीत होती है। कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि जैसे वे किसी व्यक्तिगत मान्यता को सिद्ध करने के लिए ही इतिहास का प्रयोग कर रहे हों। इसका एक स्पष्ट कारण यह है कि वे इतिहास को, आर्थिक समस्याओं के संदर्भ में समझने का प्रयास करते हैं। उनके अध्ययन का विषय अर्थशास्त्र था। इसी विषय में उन्होंने उच्चतम डिग्रियाँ प्राप्त की और पुस्तकें लिखीं। उनके विचारों का देश और विदेशों में समुचित आदर हुआ, वे शास्त्रीय (तकनीकी) नियमों के अनुसार सही और उपयोगी हैं। उन्होंने प्रायः भारत की आर्थिक समस्याओं और व्यवस्थाओं पर ही अधिक ध्यान दिया और उनकी विश्लेषण-पद्धति, तर्क-सम्मत है। उन्होंने आर्थिक समस्याओं के आधार पर, सामाजिक व्यवस्था का जो अध्ययन किया है वह एकांगी होते हुए भी, अत्यन्त उपयोगी है। एक बात और स्पष्ट दिखाई पड़ती है। उनके सामाजिक विश्लेषण में वस्तुपरकता होते हुए भी एक पूर्वाग्रह है। वे विशेषतः उन्हीं समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयत्न करते हैं, जिससे दलित और अछूत वर्ग के शोषण की बू आती है। वे इतिहास के उन पक्षों की ओर प्रायः दृष्टिपात नहीं करते जिनसे भारतीय मानस के मूल शाश्वत सिद्धान्तों का आभास मिलता है। यहाँ तक कि किसी घटना या व्यवस्था के मूल्यांकन में वे प्रायः भ...

आखिर कैसे हुई थी डॉ.भीमराव अम्बेडकर की मौत

• आप यह सुनकर चौक जायेंगे कि जिस महापुरुष ने देश का संविधान बनाया उससे जुड़ी कोई भी जानकारी भारत सरकार के पास नहीं है। सुनने में यह भले ही अजीब लगे मगर यह सच है कि भारत सरकार के पास इस बात की जानकारी नहीं हैं कि संविधान निर्माता डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर की मौत कैसे हुई थी। RTI ऐक्ट के तहत दायर आवेदन के जवाब में केंद्र के दो मंत्रालयों और आंबेडकर प्रतिष्ठान ने अपने पास आंबेडकर की मौत से जुड़ी कोई भी जानकारी होने से इनकार किया है। एक मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी ने यह भी कहा है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि मांगी गई सूचना किस विभाग से संबद्ध है। आरटीआई कार्यकर्ता आर एच बंसल ने राष्ट्रपति सचिवालय में आवेदन दायर कर पूछा था कि डॉ. भीमराव आंबेडकर की मौत कैसे और किस स्थान पर हुई थी? उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या मृत्यु उपरांत उनका पोस्टमॉर्टम कराया गया था। पोस्टमॉर्टम की स्थिति में उन्होंने रिपोर्ट की एक प्रति मांगी थी। आवेदन में यह भी पूछा गया था कि संविधान निर्माता की मृत्यु प्राकृतिक थी या फिर हत्या। उनकी मौत किस तारीख को हुई थी, क्या किसी आयोग या समिति ने उनकी मौत की जांच की थी? राष्ट्रपति सचिवालय ने यह आवेदन गृह मंत्रालय के पास भेज दिया जिस पर गृह मंत्रालय द्वारा आवेदक को दी गई सूचना में कहा गया है कि डॉ. अंबेडकर की मृत्यु और संबंधित पहलुओं के बारे में मांगी गई जानकारी मंत्रालय के किसी भी विभाग, प्रभाग और इकाई में उपलब्ध नहीं है ।कुछ लोग बाबा साहब की की मौत का कारण डायबिटीज बताते हैं तो कुछ साजिश द्वारा वहीं कुछ लोग अम्बेडकर की मौत स्वाभाविक मानते हैं तो कुछ हत्या भी। सरकार डॉक्टर भीमराव की मौत को रहस्य बना कर भूलाना चाहती हैं। न सरकार डॉक्टर भीमराव की मौत को रहस्य ब...

Bheem Sangh

भीम संघ भारत के मूलनिवासियों (SC, ST, OBC और आदिवासियों) के लिए बनाई गई एक वेबसाइट है। भीम संघ का मुख्य उद्देश्य भारत के सभी मूलनिवासी समाज के लोगों को जाति, धर्म और पंथ पर विचार किए बिना, भारत का सही इतिहास बताना और ब्राह्मणवाद का असली चेहरा सामने लाना है और देश के सभी मूलनिवासियों तक डॉ. भीम राव अम्बेडकर का मानवतावादी सन्देश पहुँचाना है। ताकि देश के मूलनिवासियों को ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की गुलामी से मुक्त करवाया जा सके। देश में हजारों सालों से स्थापित अमानवीय जाति व्यवस्था और धर्म व्यवस्था को समाप्त कर के न्याय, बंधुत्व और स्वतंत्रता का शासन स्थापित हो सके। धर्म और जाति के आधार पर होने वाले मूलनिवासियों के शोषण को रोका जा सके और धर्म और जाति के आधार पर मानव के हाथों मानव शोषण भी समाप्त किया जा सके। Top Posts Most Recent Posts Most Downloaded Books कृपया ध्यान दें! इस वेबसाइट पर लिखे सभी लेखों के प्रकाशन से सम्बंधित समस्त अधिकार "भीम संघ" और "अध्यक्ष, भीम संघ" के पास सुरक्षित है! बिना अनुमति के इस वेबसाइट से किसी भी लेख को कहीं भी प्रकाशित करने या गलत ढंग से प्रयोग करने वाले व्यक्ति या संस्था कानूनी कार्यवाही के स्वयं जिमेवार होंगे! अध्यक्ष, भीम संघ •

जानिए कौन थी रमाबाई ? जो बनी संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के सफल जिंदगी की प्रेरणास्रोत

रमाबाई अंबेडकर का पूरा जीवन परिचय कहते हैं हर सफल इंसान के पीछे एक औरत का हाथ होता है और इस बात को समाज की नारियों ने सच भी साबित किया है। ऐसे ही संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की सफल जिंदगी और उनकी परछाई बनी उनकी पत्नी रमाबाई अम्बेडकर भी थी। जो चुपचाप हमारे संविधान के निर्माता को समर्थन देने के लिए दृढ़ थीं, जबकि वह विनम्रता, व्यवहार और करुणा की प्रतीक थीं। आज से पहले शायद ही कुछ लोग इनको जानते होंगे लेकिन जब बात नारी शक्तीकरण की आती है तब रमाबाई का नाम उसमे सबसे ऊपर आता है. रमाबाई भीमराव अम्बेडकर सामाजिक न्याय के अग्रदूत डॉ. भीमराव अम्बेडकर के लिए सबसे बड़ी प्रेरणाओं में से एक रही हैं। मुख्य रूप से कन्नड़ और मराठी में बनी फिल्मों के अलावा उनके बारे में न के बराबर लिखा गया है। आज के समय में, उन महिलाओं पर योग्य प्रकाश डालना महत्वपूर्ण है, जो पुरुषों को प्रेरित करने में आवश्यक हैं, जिनकी हम आज प्रशंसा करते हैं। उन्हें आज रमई या माँ राम के रूप में याद किया जाता है। शुरूआती जीवन रमाबाई आंबेडकर जी का जन्म 7 फरवरी 1898 में हुआ था उनके माता पिता का नाम रुक्मणी देवी और भाकू दात्रे वलंगकर था उनके पिताजी के बारे में कहा जाता है कि वह पेशे से एक मजदूर थे जो दाभोल बंदरगाह से बाजार तक टोकरियों में मछलियां बेंचकर अपने परिवार की जीविका चलाते थे.रमाबाई अपने तीन भाई-बहनों गोराबाई, मीराबाई और शंकर के साथ दाभोल के पास वालांग गाँव के महापुरा इलाके में रहती थीं। काफी कम उम्र में ही रमाबाई की माँ का स्वर्गवास हो गया था और उनके गुजरने के कुछ साल बाद उनके पिता का भी देहांत हो गया। भाई-बहनों को उनके चाचा वलंगकर और गोविंदपुरकर ने तत्कालीन बॉम्बे में पाला। उनके दृढ़ स्वभाव ने उन कठिनाइयों को ...

समान नागरिक संहिता के बारे में अम्बेडकर ने क्या कहा था?

9 दिसंबर को, राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को तैयार करने और इसे पूरे भारत में लागू करने के लिए एक राष्ट्रीय निरीक्षण और जांच समिति की मांग करने वाला निजी सदस्य विधेयक पेश किया जिसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया और अंततः इसे ध्वनि मत के ज़रिए सदन में पेश किया गया। विपक्ष ने मीणा से अपना प्रस्ताव वापस लेने को कहा और साथ ही राज्यसभा के सभापति, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से देश की धर्मनिरपेक्ष नींव को नष्ट करने की ताक़त रखने वाले विधेयक को पेश न करने देने का अनुरोध किया था। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिट्स ने सदन में भारत के विधि आयोग की हालिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जो स्पष्ट रूप से कहती है कि देश में यूसीसी "न तो जरूरी है और न ही वांछनीय" है। उन्होंने यूसीसी को एक "असभ्य संहिता" के रूप में वर्णित किया जो समाज का ध्रुवीकरण करेगी। विधि आयोग के हालिया परामर्श पत्र में कहा गया है कि, " आयोग ऐसे कानूनों से निपटा है जो समान नागरिक संहिता प्रदान करने के बजाय भेदभावपूर्ण हैं जो इस स्तर पर न तो जरूरी है और न ही वांछनीय है। अधिकांश देश अब समाज में मौजूद भिन्नता को मान्यता देने की ओर बढ़ रहे हैं, और केवल भिन्नता होना भेदभाव नहीं है, बल्कि एक मजबूत लोकतंत्र का संकेत है।" द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के तिरुचि शिवा ने कहा कि यूसीसी को लागू करने के प्रस्तावों को पहले भी कई बार सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन सदन के अन्य सदस्यों द्वारा इसका विरोध करने के बाद पेश नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि देश को एक साथ रखने वाली धर्मनिरपेक्षता और संघवाद की नींव दांव पर लगी है, और यदि यह निजी सदस्य का विधेयक पारित हो ज...