अनेकपुर और आरंगपुर किसके अन्य नाम हैं

  1. SB 2.4.18: किरात, हूण, आन्ध्र, पुलिन्द, पुल्कश, आभीर, शुम्भ, यवन, खस आदि जातियों के सदस्य तथा अन्य लोग, जो पाप कर्मों में लिप्त रहते हुए परम शक्तिशाली भगवान् के भक्तों की शरण ग्रहण करके शुद्ध हो सकते हैं, मैं उन भगवान् को सादर नमस्कार करता हूँ।   
  2. Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 Questions and Answers Summary तलाश
  3. आनंदपुर
  4. श्रीरंगापुरं (अनंतपुर)
  5. निर्गुण संत काव्य और कवि MCQ [Free PDF]
  6. बिहारी (साहित्यकार)
  7. पत्र लेखन उदाहरण कक्षा 6 से 10 के लिए फॉर्मेट, उदाहरण
  8. शास्त्रीय नृत्य
  9. CBSE Class 6 Hindi Grammar कारक
  10. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी


Download: अनेकपुर और आरंगपुर किसके अन्य नाम हैं
Size: 21.7 MB

SB 2.4.18: किरात, हूण, आन्ध्र, पुलिन्द, पुल्कश, आभीर, शुम्भ, यवन, खस आदि जातियों के सदस्य तथा अन्य लोग, जो पाप कर्मों में लिप्त रहते हुए परम शक्तिशाली भगवान् के भक्तों की शरण ग्रहण करके शुद्ध हो सकते हैं, मैं उन भगवान् को सादर नमस्कार करता हूँ।   

SB 2.4.18: किरात, हूण, आन्ध्र, पुलिन्द, पुल्कश, आभीर, शुम्भ, यवन, खस आदि जातियों के सदस्य तथा अन्य लोग, जो पाप कर्मों में लिप्त रहते हुए परम शक्तिशाली भगवान् के भक्तों की शरण ग्रहण करके शुद्ध हो सकते हैं, मैं उन भगवान् को सादर नमस्कार करता हूँ। | श्रीमद् भागवतम Srimad Bhagavatam Hindi Audio Book, मुखर ध्वनियों - श्लोक, अनुवाद, तात्पर्य के साथ श्लोक 2.4.18 किरातहूणान्ध्रपुलिन्दपुल्कशा आभीरशुम्भा यवना: खसादय: । येऽन्ये च पापा यदपाश्रयाश्रया: शुध्यन्ति तस्मै प्रभविष्णवे नम: ॥ १८ ॥ शब्दार्थ अनुवाद play_arrowpause किरात, हूण, आन्ध्र, पुलिन्द, पुल्कश, आभीर, शुम्भ, यवन, खस आदि जातियों के सदस्य तथा अन्य लोग, जो पाप कर्मों में लिप्त रहते हुए परम शक्तिशाली भगवान् के भक्तों की शरण ग्रहण करके शुद्ध हो सकते हैं, मैं उन भगवान् को सादर नमस्कार करता हूँ। तात्पर्य play_arrow किरात—यह प्राचीन भारतवर्ष का एक प्रान्त था जिसका उल्लेख महाभारत के ‘भीष्मपर्व’ में हुआ है। सामान्यतया, किरात भारत के आदिवासियों के रूप में विख्यात हैं और आजकल के बिहार तथा छोटा नागपुर के सन्ताल परगने किरात नामक प्राचीन प्रान्त कहलाते थे। हूण—पूर्वी जर्मनी का क्षेत्र तथा रूस का एक भाग हूण प्रान्त कहलाते हैं। तदनुसार कभी-कभी पर्वतीय आदिवासी जाति हूण कहलाती है। आन्ध्र—यह दक्षिण भारत का एक प्रान्त था जिसका उल्लेख महाभारत के भीष्मपर्व में मिलता है। यह आज भी इसी नाम से प्रसिद्ध है। पुलिन्द—इसका उल्लेख महाभारत (आदि पर्व १७४.३८) में पुलिन्द नामक प्रान्त के निवासियों के लिए हुआ है। भीमसेन तथा सहदेव ने इस देश को जीता था। ग्रीसवासी पुलिन्द कहलाते हैं और महाभारत के वन-पर्व में उल्लेख हुआ है कि इस भू भाग की अवैदिक जाति संसार के ऊपर...

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 Questions and Answers Summary तलाश

प्रश्न 1. मोहजोदड़ो की सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है? (i) 3000 वर्ष (ii) 5000 वर्ष (iii) 6000 वर्ष (iv) 4000 वर्ष उत्तर: (ii) 5000 वर्ष प्रश्न 2. सिंधु नदी का दूसरा नाम है? (i) इंडस (ii) इंडिया (iii) इंदु (iv) इंद्रनील उत्तर: (i) इंडस प्रश्न 3. एशिया की शक्ति कम होने पर कौन-सा द्वीप आगे बढ़ा? (i) यूरोप (ii) संयुक्त राज्य अमेरिका (iii) इंग्लैंड (iv) इंडोनेशिया उत्तर: (i) यूरोप प्रश्न 4. भारत का कौन-सा वर्ग इस समय बदलाव की कामना करता था? (i) निम्न वर्ग (ii) मध्यम वर्ग (iii) उच्च वर्ग (iv) शासक वर्ग उत्तर: (ii) मध्यम वर्ग प्रश्न 5. भारत कितने वर्षों से अंग्रेज़ों के अत्याचार झेल रहा था? (i) सौ वर्षों से (ii) दो सौ वर्षों से (iii) चार सौ वर्षों से (iv) पाँच सौ वर्षों से उत्तर: (i) सौ वर्षों से प्रश्न 6. भारत का नाम किसके नाम पर पड़ा? (i) राजा भारत (ii) राजा भरत (iii) भरतमुनि (iv) भारद्वाज उत्तर: (ii) राजा भरत प्रश्न 7. तक्षशिला के अवशेष कितने प्राचीन थे? (i) दो हज़ार वर्ष पूर्व (ii) तीन हजार वर्ष पूर्व (iii) चार हजार वर्ष पूर्व (iv) पाँच हजार वर्ष पूर्व उत्तर: (i) दो हज़ार वर्ष पूर्व प्रश्न 8. भारतीयों की जीवन शैली कैसी थी? (i) खुशहाल (ii) अभावों व असुरक्षा से ग्रस्त (iii) सामान्य (iv) उच्च कोटि की उत्तर: (ii) अभावों व असुरक्षा से ग्रस्त लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. नेहरू जी ने भारत को किस नज़रिए से देखना शुरू किया और क्यों? उत्तर: नेहरू जी ने भारत को एक आलोचक की दृष्टि से देखना शुरू किया। वे एक ऐसे आलोचक थे जो वर्तमान को देखते थे पर अतीत के बहुत से अवशेषों को नापसंद करते थे। वे ऐसा इसलिए करते थे जिससे वे अतीत के पसंद एवं नापसंद दोनों पात्रों का अवलोकन करना चाहते थे। प्रश्न 2. ल...

आनंदपुर

आनंदपुर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के अशोकनगर जिले के ईसागढ़ तहसील का एक गाँव है। यह जिला मुख्यालय अशोकनगर से उत्तर की ओर 42 KM दूर स्थित है। ईसागढ़ से 12 कि.मी. राज्य की राजधानी भोपाल से 217 कि.मी. श्री आनंदपुर भक्ति और अध्यात्म के मुख्य केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ सत्य के साधक आध्यात्मिक ज्ञान और शांति प्राप्त करते हैं।

श्रीरंगापुरं (अनंतपुर)

देय् जिल्ला जाःथाय् श्रीरंगापुरं थ्व थाय् भूगोल [ ] अनन्तपुर जिल्लायागु अक्षांश १३'४०' निसें १५'-१५' उत्तर व देशान्तर ७६'-५०' व ७८'-३०' पूर्वय् ला । • पूर्व: • पश्चिम: • उत्तर: • दक्षिण: भाषा [ ] थ्व थासे छ्येलिगु मू भाय् तेलेगु ख। तेलेगु बाहेक थन अंग्रेजी, हिन्दी, उर्दू आदि भाय् नं छ्येलिगु खने दु। लिधंसा [ ] • Boundaries and Topography.जुन ७, ई सं २००७ कथं। पिनेयागु स्वापूत [ ] • •

निर्गुण संत काव्य और कवि MCQ [Free PDF]

निर्गुण संत काव्य और कवि Question 1: निम्नलिखित कथनों के आधार पर सही विकल्प का चयन कीजिए। A. 'निर्गुण पंथ के लिए मार्ग निकालने वाले नाथपंथ के योगी और भक्त नामदेव थे। B. रसेश्वर दर्शन का उल्लेख 'सर्वदर्शन संग्रह' में है। C. कबीर व निर्गुणपंथियों ने अंतस्साधना में रागात्मिक 'भक्ति' और 'ज्ञान' का योग किया। D. मसनवी शैली फारसी काव्यों से विकसित हुई। E. रहीम के दोहे वृंद और गिरिधर के पद्यों के समान कोरी नीति के पद्य हैं। नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए। सही उत्तर हैं- • A. 'निर्गुण पंथ के लिए मार्ग निकालने वाले नाथपंथ के योगी और भक्त नामदेव थे। • B. रसेश्वर दर्शन का उल्लेख 'सर्वदर्शन संग्रह' में है। • C. कबीर व निर्गुणपंथियों ने अंतस्साधना में रागात्मिक 'भक्ति' और 'ज्ञान' का योग किया। Key Points • मसनवी शैली फारसी काव्यों से नहीं, बल्कि अपभ्रंश काव्य के दौरान स्वयंभू के काव्य से विकसित हुई। • रहीम के दोहे वृंद और गिरिधर के पद्यों के समान कोरी नीति के पद्य नहीं हैं। • उनमें मार्मिकता है, उनके भीतर से एक सच्चा हृदय झाँक रहा है। • जीवन की सच्ची परिस्थितियों के मार्मिक रूप को ग्रहण करने की क्षमता जिस कवि में होगी वही जनता का प्यारा कवि होगा। चौसरिया के खेल में रे, जुग्ग मिलन की आस। नर्द अकेली रह गयी रे, नहिं जीवन की आस हो।।"- • कबीर की इस पंक्ति में 'नर्द' शब्द का अर्थ है : गोटी Key Points पंक्तियों का भावार्थ हैं- • चौसर के खेल में जब दो गोटियाँ एक जगह इकट्ठी हो जाती है तब उसकी आशा में ही भक्त भीतर-भीतर उतरता जाता है। • सब कुछ दाँव पर लगता जाता है, बस एक ही आशा रह जाती है कि कोई समय तो आयेगा जब दोनों गोटें एक जगह मिल जायेगे, जहाँ मैं और तू का मिलन होगा। • अगर गो...

बिहारी (साहित्यकार)

जन्म ग्वालियर जानिये खंड बुंदेले बाल। तरुनाई आई सुघर मथुरा बसि ससुराल॥ नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल॥ इस दोहे ने राजा पर मंत्र जैसा कार्य किया। वे रानी के प्रेम-पाश से मुक्त होकर पुनः अपना राज-काज संभालने लगे। वे बिहारी की काव्य कुशलता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बिहारी की एकमात्र रचना सतसई (सप्तशती) है। यह मुक्तक काव्य है। इसमें 719 दोहे संकलित हैं। कतिपय दोहे संदिग्ध भी माने जाते हैं। सभी दोहे सुंदर और सराहनीय हैं तथापि तनिक विचारपूर्वक बारीकी से देखने पर लगभग 200 दोहे अति उत्कृष्ट ठहरते हैं। 'सतसई' में सतसई को तीन मुख्य भागों में विभक्त कर सकते हैं- नीति विषयक, भक्ति और अध्यात्म भावपरक, तथा श्रृंगारपरक। इनमें से श्रृंगारात्मक भाग अधिक है। कला-चमत्कार सर्वत्र चातुर्य के साथ प्राप्त होता है। श्रृंगारात्मक भाग में रूपांग सौंदर्य, सौंदर्योपकरण, 'सतसई' के मुक्तक दोहों को क्रमबद्ध करने के प्रयास किए गए हैं। 25 प्रकार के क्रम कहे जाते हैं जिनमें से 14 प्रकार के क्रम देखे गए हैं, शेष 11 प्रकार के क्रम जिन टीकाओं में हैं, वे प्राप्त नहीं। किंतु कोई निश्चित क्रम नहीं दिया जा सका। वस्तुत: बात यह जान पड़ती है कि ये दोहे समय-समय पर मुक्तक रूप में ही रचे गए, फिर चुन चुनकर एकत्रित कर संकलित कर दिए गए। केवल मंगलाचरणात्मक दोहों के विषय में भी इसी से विचार वैचित्य है। यदि 'मेरी भव बाधा हरौ' इस दोहे को प्रथम मंगलाचरणात्मक अर्थात् केवल राधोपासक होने का विचार स्पष्ट होता है और यदि 'मोर मुकुट कटि काछिनि'-इस दोहे को लें, तो केवल एक विशेष बानकवाली कृष्णमूर्ति ही बिहारी की अभीष्टोपास्य मूर्ति मुख्य ठहरती हैं - बिहारी वस्तुत: सतसई के देखने ...

पत्र लेखन उदाहरण कक्षा 6 से 10 के लिए फॉर्मेट, उदाहरण

पत्र लिखना स्कूल में कितना बढ़िया अनुभव था। पत्र लेखन लगभग सभी कक्षाओं में पूछा जाता है। अच्छा पत्र लिखना भी एक कला है जिसके अनुसार ही परीक्षा में अंक दिए जाते हैं। आपको परीक्षा में इस टॉपिक में पूरे अंक प्राप्त हों इसलिए इस ब्लॉग में पत्र लेखन से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण नियम, कुछ प्रश्न और फॉमेट दिए गए हैं, आइए विस्तार से जानते हैं। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पत्र लेखन क्या है? एक व्यक्ति अपनी भावनाओं को एक कागज के पत्र पर लिखकर दूसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करता है, उस प्रोसेस को पत्र लेखन कहा जाता है। पत्र लेखन को चिठ्ठी भी कहा जाता है। कोई व्यक्ति जब अपनी भावनाओं को दूसरे के सामने प्रकट करता है, तो पत्र प्राप्त करने वाला व्यक्ति भी उस पत्र का जवाब पत्र के माध्यम से उस व्यक्ति तक पहुंचाता है। कुछ दशक पहले एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने का एक मात्र साधन पत्र ही था। पत्र लेखन कैसे लिखते हैं? नीचे कुछ बिंदु दिए गए हैं जो पत्र लिखने के लिए बहुत ही आवश्यक है- • सरलता से पत्र लिखें– पत्र लेखन हमेशा सरल, सीधा और स्पष्ट भाषा में होना चाहिए । पत्र लेखन में कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। • पत्र लेखन में अपना उद्देश्य अच्छे से लिखें– पत्र में अपना उद्देश्य को अच्छे से समझाएं, उसमें किसी भी प्रकार की शंका या जिज्ञासा नहीं होनी चाहिए। • स्पष्टता के साथ पत्र लिखें– पत्र के द्वारा हम जो भी बात बताना चाहते हैं वह स्पष्ट वाक्य में लिखें, उसके अंदर सरल और सीधे वाक्यों का प्रयोग कीजिए। • पत्र लेखन हमेशा प्रभावित होना चाहिए– जब भी सामने वाले हमारा पत्र लेखन अच्छे से समझ जाता है और पढ़ पाता है तब हमारा पत्र प्रभावित कहलाता है। पत्र लेखन में...

शास्त्रीय नृत्य

इस नृत्‍य शैली की खास विशेषताएं, नायक-नायिका प्रसंग पर आधारित पदम अथवा कविताएँ हैं। भरत नाट्यम, भारत के प्रसिद्ध नृत्‍यों में से एक है तथा इसका संबंध दक्षिण भारत के भरत नाट्यम में नृत्‍य के तीन मूलभूत तत्‍वों को कुशलतापूर्वक शामिल किया गया है। ये हैं भाव अथवा मन:स्थिति, राग अथवा संगीत और स्‍वरमार्धुय और ताल अथवा काल समंजन। भरत नाट्यम की तकनीक में, हाथ, पैर, मुख, व शरीर संचालन के समन्‍वयन के 64 सिद्धांत हैं, जिनका निष्‍पादन नृत्‍य पाठ्यक्रम के साथ किया जाता है। भरत नाट्यम में जीवन के तीन मूल तत्‍व – कथकली [ ] विभिन्‍न विशेषताएं, मानव, देवता समान, दैत्‍य आदि को शानदार वेशभूषा और परिधानों के माध्‍यम से प्रदर्शित किया जाता है। इस नृत्‍य का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव भाव की उच्‍च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्‍यक्ति होती है जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्‍यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है तथा एक कथकली अभिनेता - नर्तक द्वारा विभिन्‍न भावनाओं को प्रकट किया जाता है। इसमें अधिकांशत: पुरुष ही महिलाओं की भूमिका निभाते हैं, जबकि अब कुछ समय से महिलाओं को कथकली में शामिल किया जाता है। वर्तमान समय का कथकली एक नृत्‍य नाटिका की परम्‍परा है जो केरल के नाट्य कर्म की उच्‍च विशिष्‍ट शैली की परम्‍परा के साथ शताब्दियों पहले विकसित हुआ था, विशेष रूप से कुडियाट्टम। पारम्‍परिक रीति रिवाज जैसे थेयाम, मुडियाट्टम और केरल की मार्शल कलाएं नृत्‍य को वर्तमान स्‍वरूप में लाने के लिए महत्‍व्‍पूर्ण भूमिका निभाती हैं। कथक ...

CBSE Class 6 Hindi Grammar कारक

CBSE Class 6 Hindi Grammar कारक Pdf free download is part of CBSE Class 6 Hindi Grammar कारक कारक का शाब्दिक अर्थ है-‘क्रिया को करने वाला’ अर्थात क्रिया को पूरी करने में किसी-न-किसी भूमिका को निभाने वाला। यानी अर्थपूर्ण बनाने वाला। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया तथा वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबंध का पता चलता है, उसे कारक कहते हैं। कारक के भेद – कारक के आठ भेद हैं आइए, कारक चिह्नों के वाक्यों में प्रयोग के उदाहरण पर एक नज़र डालें • कर्ता (ने) – अंशु ने बर्गर खाया। कोहली ने शानदार दोहरा शतक लगाया। • कर्म (को) – तुषार ने आयुष को पुस्तक दी। श्रीकृष्ण ने कंस को मारा। • करण ( से/के द्वारा) – माँ चाकू से फल काटती है। • संप्रदान (को, के लिए) – मैं आपके लिए चाय बना रही हूँ। • अपादान (से) – पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं। • अधिकरण (में, पर) – मछली पानी में रहती है। • संबंध (का, की, के, रा, री, रे) – यह आयुष का घर है। नेहा के पिता लेखक है। • संबोधन (हे, अरे, ओ )-हे! राम ये क्या हुआ? अरे! तुम कब आए? कारक, कारक चिह्न, परसर्गः • कर्ता कारक – कर्ता का अर्थ होता है-करने वाला; जैसे-आयुष ने स्वर्ण पदक जीतकर विद्यालय का सक्मान बढ़ाया। उपर्युक्त वाक्य में सम्मान बढ़ाने वाला आयुष है। अतः कर्ता वही है और इसका ज्ञान करा रहा है–ने परसर्ग। शब्द के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे कर्ता कारक कहते हैं। जैसे-माँ ने खाना बनाया। • कर्म कारक – शब्द के जिस रूप पर क्रिया का फल पड़े, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक का परसर्ग ‘को’ होता है; जैसे-डाकिया ने ओजस्व को पत्र दिया। कर्म की पहचान के लिए क्रिया के साथ क्या तथा किसको लगाकर प्रश्न करने पर, जो उत्तर. आता है वही कर्म होता है। • करण क...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है किआभूषण, यह दो शब्दों से मिलकर बनता है-अलम + कार। जिस प्रकार स्त्री की शोभाआभूषणों से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जो शब्द आपके वाक्यांश को अलंकृत करें वह अलंकार कहलाता है। Alankar के बारे में विस्तार से जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ें। This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार किसे कहते हैं? Alankar किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है। अलंकरोति इति अलंकार भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें Alankar कहते हैं। • अनुप्रास • उपमा • रूपक • यमक • श्लेष • उत्प्रेक्षा • संदेह • अतिशयोक्ति आदि ये भी पढ़ें : क्लॉज़िज़ अलंकार के भेद Alankar को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्दालंकार अलंकार शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब Alankar किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस Alankar में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है। शब्दालंकार के भेद शब्द ...