Angena gatram sanskrit shlok meaning

  1. Relevant Sanskrit Shlokas with Meaning in Hindi & English – ReSanskrit
  2. 100+ Sanskrit Shloks with meaning
  3. 201+ संस्कृत श्लोक अर्थ सहित
  4. Ajnana, Ajñāna, Ājñāna: 28 definitions
  5. Bhagavad Gita
  6. 25 संस्कृत श्लोक अर्थ सहित Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi
  7. shantakaram bhujagashayanam shlok
  8. 100+ Sanskrit Shloks with meaning
  9. 25 संस्कृत श्लोक अर्थ सहित Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi
  10. shantakaram bhujagashayanam shlok


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Relevant Sanskrit Shlokas with Meaning in Hindi & English – ReSanskrit

Transliteration: svastiprajābhyaḥ paripālayantāṃ nyāyena mārgeṇa mahīṃ mahīśāḥ। gobrāhmaṇebhyaḥ śubhamastu nityaṃ lokāḥ samastāḥ sukhino bhavantu॥ English Translation: May the well-being of all people be protected By the powerful and mighty leaders be with law and justice. May the success be with all divinity and scholars, May all (samastāḥ) the worlds (lokāḥ) become (bhavantu) happy (sukhino).​ Hindi Translation: सभी लोगों की भलाई शक्तिशाली नेताओं द्वारा कानून और न्याय के साथ हो। सभी दिव्यांगों और विद्वानों के साथ सफलता बनी रहे और सारा संसार सुखी रहे। Source – Brihdaranyakopanishad 2.4.2 Sanskrit Quote on Attaining Nirvana Commentary by Swami Vivekananda This is the real goal of practice—discrimination between the real and unreal, knowing that the Purusa is not nature, that it is neither matter nor mind, and that because it is not nature, it cannot possibly change. It is only nature which changes, combining, and recombining, dissolving continually. When through constant practice we begin to discriminate, ignorance will vanish, and the Purusa will begin to shine in its real nature, omniscient, omnipotent, omnipresent. Source – Patanjali’s Yog Sutra 2.26 विवेकख्यातिरविप्लवा हानोपायः। Transliteration: vivekakhyātiraviplavā hānopāyaḥ। English Translation: Uninterrupted practice of discrimination (between real and unreal)is the means to liberation and the cessation of ignorance.​ Hindi Translation: निरंतर अभ्यास से प्राप्त​ निश्चल और निर्दोष विवेकज्ञान हान(अज्ञानता) का उपाय है...

100+ Sanskrit Shloks with meaning

विषयसूची / Table of Contents • • • • • • • • • • Sanskrit Shlokas • आज हम आपके लिए संस्कृत श्लोक हिंदी और इंग्लिश अर्थ के साथ लाये है। जीने हमने अलग अलग भागो में बटा हुआ है। जिसे आप ऊपर दिए गए विषयसूची / Table of Contents में देख सकते है :- Sanskrit Shlok on Father पितृ देवों भवः॥ Hindi Translation:- पितृ देवता के समान है।। English Translation:- father is like a deity. पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः। पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥ \ पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च। तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥ \ सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता। मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥ \ मातरं पितरंश्चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्। प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तदीपा वसुन्धरा॥ Hindi Translation:- पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। English Translation:- My Father is my heaven, my father is my dharma, he is the ultimate penance of my life. If he is happy, all deities are pleased.Whose service and virtues keep father and mother satisfied, That son gets the blessings of bathing in the Ganges every day. Mother is omniscient and father is the form of all deities. That is why parents shoul...

201+ संस्कृत श्लोक अर्थ सहित

Sanskrit Shlokas With Meaning in Hindi : भारत में संस्कृत भाषा को सभी भाषाओ के जननी माना जाता है, संस्कृत दुनिया की सबसे पुराणी भाषा है संस्कृत की महानता Sanskrit ke best slokas से है देश में संस्कृत भाषा को देव भाषा की उपाधि दिया गया है पुराने समय से ही संस्कृत श्लोको के आधार पर मानव रहा है। अगर आप भारतीय है और हिन्दू धर्म से तालुक रखते है तो आपको संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlokas) का ज्ञान होना चाहिए मनुष्य जाती के लिए संस्कृत हमारे जीवन का एक अनमोल हिस्सा रहा है पुराने समय से ही ऋषि-मुनियों ने कई सारे अद्भुत संस्कृत भाषा (sanskrit slokas) में बेहतरीन आयुषः क्षण एकोऽपि सर्वरत्नैर्न न लभ्यते। नीयते स वृथा येन प्रमादः सुमहानहो ॥ अर्थात् : सभी कीमती रत्नों से कीमती जीवन है जिसका एक क्षण भी वापस नहीं पाया जा सकता है। इसलिए इसे फालतू के कार्यों में खर्च करना बहुत बड़ी गलती है। (3) आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण, लघ्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्। दिनस्य पूर्वार्द्धपरार्द्धभिन्ना, छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्॥ अर्थात् : दुर्जन की मित्रता शुरुआत में बड़ी अच्छी होती है और क्रमशः कम होने वाली होती है। सज्जन व्यक्ति की मित्रता पहले कम और बाद में बढ़ने वाली होती है। इस प्रकार से दिन के पूर्वार्ध और परार्ध में अलग-अलग दिखने वाली छाया के जैसी दुर्जन और सज्जनों व्यक्तियों की मित्रता होती है। (4) यमसमो बन्धु: कृत्वा यं नावसीदति। अर्थात् : मनुष्य के शरीर में रहने वाला आलस्य ही उनका सबसे बड़ा शत्रु होता है, परिश्रम जैसा दूसरा कोई अन्य मित्र नहीं होता क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं होता है। (5) परान्नं च परद्रव्यं तथैव च प्रतिग्रहम्। परस्त्रीं परनिन्दां च मनसा अपि विवर्जयेत।। अर्थात् : पराया...

Ajnana, Ajñāna, Ājñāna: 28 definitions

[ Dharmashastra glossary Ajñāna (अज्ञान) is a Sanskrit technical term, used in jurisdiction, referring to “ignorance” (imperfect knowledge). It is mentioned as one of the causes for giving false evidence. The word is used throughout Dharmaśāstra literature such as the Manusmṛti. (See the Manubhāṣya 8.121) context information Dharmashastra (धर्मशास्त्र, dharmaśāstra) contains the instructions (shastra) regarding religious conduct of livelihood (dharma), ceremonies, jurisprudence (study of law) and more. It is categorized as smriti, an important and authoritative selection of books dealing with the Hindu lifestyle. [ Purana glossary Cologne Digital Sanskrit Dictionaries: The Purana Index Ajñāna (अज्ञान).—Of tamas quality and the source of all dfficulties; the enemy to knowledge; creates a thirst for desire ( rāga). If not got rid of, one attains tiryak-yoni. • context information The Purana (पुराण, purāṇas) refers to Sanskrit literature preserving ancient India’s vast cultural history, including historical legends, religious ceremonies, various arts and sciences. The eighteen mahapuranas total over 400,000 shlokas (metrical couplets) and date to at least several centuries BCE. [ Ayurveda glossary gurumukhi.ru: Ayurveda glossary of terms Ajñāna (अज्ञान):—Ignorance, Illusion context information Āyurveda (आयुर्वेद, ayurveda) is a branch of Indian science dealing with medicine, herbalism, taxology, anatomy, surgery, alchemy and related topics. Traditional practice of Āyurveda in...

Bhagavad Gita

Bhagavad gita | भगवद गीता अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः । अनिच्छन्नपि वाष्र्णेय बलादिव नियोजितः । । ३६ Hindi translation:- अर्जुन भगवान श्री कृष्ण से पूछते हैं कि यह कौन है जो मुझसे पाप करा रहा है। मेरी तो इच्छा भी नहीं है, मुझे ऐसा लगता है कि बलपूर्वक मुझसे यह काम करवाया जा रहा है। English translation:- Arjuna asks Lord Krishna who is this who is making me sin. I do not even wish, I feel that I am being forced to do this work. भावार्थ:- यह अर्जुन का तात्पर्य है कि मनुष्य न चाहते हुए भी पाप कर्म के लिए प्रेरित क्यों होता है। ऐसा लगता है कि उसे बलपूर्वक उनमें लगाया जा रहा है। यह ऐसा क्यू होता और कैसे होता है तथा कोन करता है। काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः । महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम् ॥ ३७ ॥ Hindi translation:- भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बताते है कि मनुष्य से पाप करने वाल रजो गुड है। रजोगुड से काम उत्पन्न होता है जो बाद में क्रोध का रूप धारण करता है और जो इस संसार का पापी शत्रु है। English translation:- Lord Shri Krishna tells Arjuna that, It is lust alone, which is born of contact with the mode of passion, and later transformed into anger. Know this as the sinful, all-devouring enemy in the world. भावार्थ:- यह भगवान श्री कृष्ण का तात्पर्य है कि रजो गुड के कारण काम, क्रोध उत्पन्न होता है और यही मनुष्य को पाप करने के लिए प्रेरित करता है। यह मनुष्य का सबसे बड़ा पापी शत्रु है। आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा । कामरूपेण कौन्तेय दुष्परेणानलेन च ॥ ३९ ॥ Hindi translation:- भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बताते है कि यह मनुष्य के ज्ञान को ढक देता है और ज्ञानी लोगो...

25 संस्कृत श्लोक अर्थ सहित Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi

Table of Contents • • • संस्कृत श्लोक हिन्दी – अर्थ सहित Sanskrit Shlok Hindi Arth Sahit सीखने की चाह हो तो व्यक्ति कही से भी कुछ भी अच्छी बातें सीख सकता है. मैंने भी अपने स्कूल के दिनों में संस्कृत विषय का कहानियों के अलावा संस्कृत श्लोक काफी अच्छे लगते थे. ये श्लोक समझने में जितने आसान होते थे उतना ही ज्यादा इनसे यही मेरे जीवन का वह समय था जहाँ से मेरे अंदर अर्थ भी साथ में दिया हुआ है. मेरी आपसे रिक्वेस्ट है की इन श्लोक को आप अच्छी तरह से पढ़े और अपनी यकीन मानिए यह संस्कृत श्लोक मेरी तरह आपकी भी सोच में बदलाव लाएगी और आपकी आध्यातिम्क ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करेगी. Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi Sanskrit Shlok संस्कृत श्लोक 1:स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ! सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् !! हिन्दी अर्थ : किसी व्यक्ति को आप चाहे कितनी ही सलाह दे दो किन्तु उसका मूल स्वभाव नहीं बदलता ठीक उसी तरह जैसे ठन्डे पानी को उबालने पर तो वह गर्म हो जाता है लेकिन बाद में वह पुनः ठंडा हो जाता है. संस्कृत श्लोक 2:अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते ! अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः !! हिन्दी अर्थ : किसी जगह पर बिना बुलाये चले जाना, बिना पूछे बहुत अधिक बोलते रहना, जिस चीज या व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए उस पर विश्वास करना मुर्ख लोगो के लक्षण होते है. संस्कृत श्लोक 3:यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ! चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !! हिन्दी अर्थ : अच्छे लोग वही बात बोलते है जो उनके मन में होती है. अच्छे लोग जो बोलते है वही करते है. ऐसे पुरुषो के मन, वचन व कर्म में समानता होती है. संस्कृत श्लोक 4:षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ! निद्रा तद्र...

shantakaram bhujagashayanam shlok

Vishnu Dhyan Mantra शान्ता कारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशम् विश्वा धारं गगन सदृशं मेघ वर्णं शुभाङ्गम् | लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभिर्ध्या नगम्यम् वन्दे विष्णुं भव भय हरं सर्वलोकैक नाथम् || Shaanta kaaram Bhujaga Shayanam Padma Naabham Suresham Vishvaa dhaaram Gagana Sadrsham Megha Varnnam Shubha Anggam | Lakssmii Kaantam Kamala Nayanam Yogi bhirDhyaana Gamyam Vande Vishnnum Bhava Bhaya Haram Sarva Lokaika Naatham || Hindi translation :- जिनका स्वरूप शांत है, जो शेषनाग पर विश्राम तथा बैठते है, जिनकी नाभि में कमल है और जो देवताओं के भी देव है। जो पूरे ब्रह्मांड तथा विश्व को धारण किए हुए है, जो सर्वत्र व्याप्त एवं विद्यमान है, जो नीलमेघ के समान नील वर्ण वाले है और जिनके अङ्ग – अङ्ग शुभ एवं मनमोहक है। जो लक्ष्मीजी के स्वामी ( पति ) है, जिनके नेत्र कमल के समान कोमल है और योगी जिनका निरंतर चिंतन करते है। ( ऐसे ) भगवान श्री विष्णु को में प्रणाम करता / करती हु, जो सभी भयो को हारते, नष्ट करते है तथा जो सभी लोकों के स्वामी है, पुरे ब्रह्माण्ड के ईश्वर है। ( में प्रणाम करता / करती हु) English translation :- Whose nature is calm, Who sit on Sheshnag, Who has lotus in his navel and Who is also the god of gods. That holds the whole universe and the world, Who exists everywhere, Which is blue like the blue cloud And whose body parts are auspicious and Adorable. The husband of Lakshmi, Whose eye is as soft as a lotus, And yogis whose constant contemplation. I bow to Lord Vishnu, All those who destroy fear and who are the masters of all worlds. यह भी पढ़ें

100+ Sanskrit Shloks with meaning

विषयसूची / Table of Contents • • • • • • • • • • Sanskrit Shlokas • आज हम आपके लिए संस्कृत श्लोक हिंदी और इंग्लिश अर्थ के साथ लाये है। जीने हमने अलग अलग भागो में बटा हुआ है। जिसे आप ऊपर दिए गए विषयसूची / Table of Contents में देख सकते है :- Sanskrit Shlok on Father पितृ देवों भवः॥ Hindi Translation:- पितृ देवता के समान है।। English Translation:- father is like a deity. पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः। पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥ \ पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च। तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥ \ सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता। मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥ \ मातरं पितरंश्चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्। प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तदीपा वसुन्धरा॥ Hindi Translation:- पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। English Translation:- My Father is my heaven, my father is my dharma, he is the ultimate penance of my life. If he is happy, all deities are pleased.Whose service and virtues keep father and mother satisfied, That son gets the blessings of bathing in the Ganges every day. Mother is omniscient and father is the form of all deities. That is why parents shoul...

25 संस्कृत श्लोक अर्थ सहित Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi

Table of Contents • • • संस्कृत श्लोक हिन्दी – अर्थ सहित Sanskrit Shlok Hindi Arth Sahit सीखने की चाह हो तो व्यक्ति कही से भी कुछ भी अच्छी बातें सीख सकता है. मैंने भी अपने स्कूल के दिनों में संस्कृत विषय का कहानियों के अलावा संस्कृत श्लोक काफी अच्छे लगते थे. ये श्लोक समझने में जितने आसान होते थे उतना ही ज्यादा इनसे यही मेरे जीवन का वह समय था जहाँ से मेरे अंदर अर्थ भी साथ में दिया हुआ है. मेरी आपसे रिक्वेस्ट है की इन श्लोक को आप अच्छी तरह से पढ़े और अपनी यकीन मानिए यह संस्कृत श्लोक मेरी तरह आपकी भी सोच में बदलाव लाएगी और आपकी आध्यातिम्क ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करेगी. Sanskrit Slokas With Meaning in Hindi Sanskrit Shlok संस्कृत श्लोक 1:स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ! सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् !! हिन्दी अर्थ : किसी व्यक्ति को आप चाहे कितनी ही सलाह दे दो किन्तु उसका मूल स्वभाव नहीं बदलता ठीक उसी तरह जैसे ठन्डे पानी को उबालने पर तो वह गर्म हो जाता है लेकिन बाद में वह पुनः ठंडा हो जाता है. संस्कृत श्लोक 2:अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते ! अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः !! हिन्दी अर्थ : किसी जगह पर बिना बुलाये चले जाना, बिना पूछे बहुत अधिक बोलते रहना, जिस चीज या व्यक्ति पर विश्वास नहीं करना चाहिए उस पर विश्वास करना मुर्ख लोगो के लक्षण होते है. संस्कृत श्लोक 3:यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ! चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !! हिन्दी अर्थ : अच्छे लोग वही बात बोलते है जो उनके मन में होती है. अच्छे लोग जो बोलते है वही करते है. ऐसे पुरुषो के मन, वचन व कर्म में समानता होती है. संस्कृत श्लोक 4:षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ! निद्रा तद्र...

shantakaram bhujagashayanam shlok

Vishnu Dhyan Mantra शान्ता कारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशम् विश्वा धारं गगन सदृशं मेघ वर्णं शुभाङ्गम् | लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभिर्ध्या नगम्यम् वन्दे विष्णुं भव भय हरं सर्वलोकैक नाथम् || Shaanta kaaram Bhujaga Shayanam Padma Naabham Suresham Vishvaa dhaaram Gagana Sadrsham Megha Varnnam Shubha Anggam | Lakssmii Kaantam Kamala Nayanam Yogi bhirDhyaana Gamyam Vande Vishnnum Bhava Bhaya Haram Sarva Lokaika Naatham || Hindi translation :- जिनका स्वरूप शांत है, जो शेषनाग पर विश्राम तथा बैठते है, जिनकी नाभि में कमल है और जो देवताओं के भी देव है। जो पूरे ब्रह्मांड तथा विश्व को धारण किए हुए है, जो सर्वत्र व्याप्त एवं विद्यमान है, जो नीलमेघ के समान नील वर्ण वाले है और जिनके अङ्ग – अङ्ग शुभ एवं मनमोहक है। जो लक्ष्मीजी के स्वामी ( पति ) है, जिनके नेत्र कमल के समान कोमल है और योगी जिनका निरंतर चिंतन करते है। ( ऐसे ) भगवान श्री विष्णु को में प्रणाम करता / करती हु, जो सभी भयो को हारते, नष्ट करते है तथा जो सभी लोकों के स्वामी है, पुरे ब्रह्माण्ड के ईश्वर है। ( में प्रणाम करता / करती हु) English translation :- Whose nature is calm, Who sit on Sheshnag, Who has lotus in his navel and Who is also the god of gods. That holds the whole universe and the world, Who exists everywhere, Which is blue like the blue cloud And whose body parts are auspicious and Adorable. The husband of Lakshmi, Whose eye is as soft as a lotus, And yogis whose constant contemplation. I bow to Lord Vishnu, All those who destroy fear and who are the masters of all worlds. यह भी पढ़ें