अनुच्छेद 14 का क्या अर्थ है ?

  1. Maulik Adhikar in Hindi
  2. अनुच्छेद 14
  3. Article 14: Right To Equality
  4. अनुच्छेद १४ क्या कहता है? » Anuched 14 Kya Kahata Hai
  5. मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के बीच अंतर
  6. मौलिक अधिकारों के आधार के रूप में अनुच्छेद 12 और 13
  7. आर्थिक न्याय का अर्थ क्या है? – ElegantAnswer.com
  8. Shiksha ka Adhikar: Right to Education Notes, विशेषताएं


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Maulik Adhikar in Hindi

मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान के भाग- III में निहित, मौलिक अधिकार भारत के संविधान द्वारा प्रदत बुनियादी मानवाधिकार है। छह मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचार का अधिकार शामिल हैं। निम्नलिखित दिए गए लेख में, हमने यह बताया है की मौलिक अधिकार क्या हैं, मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं, मौलिक अधिकार कितने प्रकार के होते हैं, मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण अवं अन्य प्रमुख विशेषताएं | Table of Content • 1. मौलिक अधिकार क्या हैं? Maulik Adhikar Kya Hai • 2. मौलिक अधिकारों की प्रमुख विशेषत...

अनुच्छेद 14

यह लेख अनुच्छेद 14 का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें। इसकी व्याख्या इंग्लिश में भी उपलब्ध है, इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करें; अपील - Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें; 📌 📌 📌 📌 📜 अनुच्छेद 14 (Article 14) 14. विधि के समक्ष समता – राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा । ——————— 14. Equality before law.—The State shall not deny to any person equality before the law or the equal protection of the laws within the territory of India. ————— 🔍 व्याख्या (Explanation) संविधान के भाग 3के अनुच्छेद 14 से लेकर 18 तक समता का अधिकार (Right to Equality) वर्णित किया गया है। जिसे कि आम नीचे चार्ट में देख सकते हैं। इसी का पहला अनुच्छेद है अनुच्छेद 14, जो कि विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण की बात करता है। समता का अधिकार ⚫ अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समता एवं विधियों का समान संरक्षण ⚫ अनुच्छेद 15 – धर्म, मूलवंश, लिंग एवं जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध ⚫ अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समता ⚫ अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत ⚫ अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत समता का आशय समानता से होता है, एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए समानता एक मूलभूत तत्व है क्योंकि ये हमें सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक वंच...

Article 14: Right To Equality

वर्तमान में भारत में नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 (CAA) को लागू कर दिया गया है. जिसके तहत कुछ धर्मों के विदेशी नागरिकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. चूंकि इन विदेशी लोगों को धर्म के आधार पर नागरिकता दी जा रही है और एक धर्म विशेष के लोगों को नागरिकता नहीं दी जा रही है इसलिए CAA का विरोध करने वालों का तर्क है की यह कानून भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 (Article 14) का उल्लंघन है. क्योंकि आर्टिकल 14 विधि के समक्ष समानता के अधिकार की बात करता है. आइये इस लेख में जानते हैं कि आखिर आर्टिकल 14 के अंतर्गत किस तरह के प्रावधान हैं? भारतीय संविधान का आर्टिकल 14 स्पष्ट रूप से कहता है कि, राज्य, भारत के राज्य में किसी भी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा. यहाँ पर ‘व्यक्ति’ से मतलब भारतीय नागरिक और विदेशी नागरिक के साथ-साथ संविधानिक निगम, पंजीकृत कम्पनियाँ, या किसी भी तरह का विधिक व्यक्ति सम्मिलित हो सकता है. उपर दिए गये दो शब्दों ‘विधि के समक्ष समता’ और ‘विधियों के समान संरक्षण’ को जानना जरूरी है. ‘विधि के समक्ष समता’ (Equality before Law): इसके प्रावधान ब्रिटेन के संविधान से लिए गये हैं. इसमें शामिल है; I. न्यायालय के समक्ष सभी व्यक्तियों के लिए समान व्यवहार. अर्थात कानून अंधा होगा,वह नहीं देखेगा कि उसके सामने कटघरे में कौन खड़ा है? अमीर या गरीब. II. किसी व्यक्ति विशेष के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं होगा. अर्थात सभी को समान अपराध के लिए समान सजा मिलेगी. III. कोई भी व्यक्ति (चाहे वो अमीर/गरीब हो, गोरा हो काला हो, मंत्री हो) कानून से ऊपर नहीं होगा. अर्थात कानून, मंत्री और संत्री दोनों के लिए समान होगा. (लालू यादव पूर्व मंत्री होते हुए भ...

अनुच्छेद १४ क्या कहता है? » Anuched 14 Kya Kahata Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार इसमें कहा गया है राज्य किसी नागरिक के खिलाफ सिर्फ धर्म मूल वंश जाति लिंग जन्म स्थान है इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा विपक्ष का यह कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 धर्म के आधार पर लाया गया है anuched 14 samanata ka adhikaar isme kaha gaya hai rajya kisi nagarik ke khilaf sirf dharm mul vansh jati ling janam sthan hai inmein se kisi ke aadhar par koi bhed nahi karega vipaksh ka yah kehna hai ki nagarikta sanshodhan kanoon 2019 dharm ke aadhar par laya gaya hai अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार इसमें कहा गया है राज्य किसी नागरिक के खिलाफ सिर्फ धर्म मूल वं

मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के बीच अंतर

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • परिचय भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। इसमें मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स), मौलिक कर्तव्य (फंडामेंटल ड्यूटीज), निर्देशक सिद्धांत (डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स) और सरकार के कर्तव्य भी शामिल हैं। यह वर्ष 1947 में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान सभा के द्वारा तैयार किया गया था, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। तब से, संविधान में बहुत से संशोधन हुए हैं, जिनमें 42 वें और 86 वें संविधान संशोधन के द्वारा मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जोड़ना भी शामिल है। संविधान में दो “मूल सिद्धांतों” का अस्तित्व होने से यह प्रश्न उठता है कि इन दोनों के बीच क्या अंतर है? क्या दोनों मूल सिद्धांत कानूनी रूप से लागू करने योग्य हैं? संविधान में इन दोनों सिद्धांतो की क्या जरूरत है? इस लेख में, हम इन सवालों के साथ साथ कुछ अन्य सवालों के जवाब देने का भी प्रयास करेंगे। मौलिक अधिकार क्या होते हैं जैसा कि हमे इसके नाम से ही पता चलता है, मौलिक का अर्थ कुछ ऐसी चीज होती है जो किसी और चीज के कार्य करने के लिए सबसे आवश्यक होती है। इस प्रकार, मौलिक अधिकार बुनियादी (बेसिक) मानव अधिकार हैं, जो भारत के नागरिकों को उनके अलग अलग जन्म स्थान, धर्म या लिंग के उपर ध्यान दिए बिना प्रदान किए जाते हैं। ये अधिकार किसी भी लोकतंत्र की नींव होते हैं क्योंकि यह लोकतांत्रिक समाज में रहने वाले लोगों को किसी भी दमन (सप्रेशन) के डर के बिना, अपनी क्षमताओं को हासिल करने में सक्षम बनाते है। ये अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं। भारत में, ये अधिकार भारतीय संविधान के भाग III के तहत अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 3...

मौलिक अधिकारों के आधार के रूप में अनुच्छेद 12 और 13

Image Source- https://rb.gy/n2jtde यह लेख मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ, उदयपुर, राजस्थान की छात्रा, सातवें सेमेस्टर की Mariya Paliwala ने लिखा है। यह लेख भारत के संविधान पर प्रकाश डालता है, जिसमें भाग III विशेष (स्पेसिफिक) रूप से अनुच्छेद (आर्टिकल) 12 और 13 पर विशेष जोर दिया गया है। इस लेख का अनुवाद Archana Chaudhary द्वारा किया गया है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • परिचय (इंट्रोडक्शन) कई अन्य अवधारणाओं (कॉन्सेप्ट) और विचारों की तरह, मौलिक अधिकारों (फंडामेंटल राइट्स) की अवधारणा पश्चिम (वेस्ट) से उधार ली गई है। मानवाधिकारों (ह्यूमन राइट्स) के इस युग में मौलिक अधिकारों के इस विचार से संबंधित उनके सिद्धांत (थ्योरी) के दो आधार हमारे भारत उदार संविधानवाद (लिबरल कांस्टीट्यूशनलिस्म) में परिलक्षित (रिफ्लेक्ट) होते हैं: • यह राज्य पर, व्यक्ति की स्वतंत्रता (लिबर्टी) में दख़ल/हस्तक्षेप (इंटरफीयर) नहीं करने के लिए, उस पर एक नकारात्मक दायित्व (नेगेटिव ऑब्लिगेशन) लगाता है। • यह राज्य को एक कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए सभी संभव कदम उठाने के लिए राज्य पर सकारात्मक (पॉजिटिव) दायित्व डालता है। जब हम इन दोनों आधारों को संवैधानिकता की उदार परंपरा से देखते हैं तो पहले को आसानी से स्वीकार कर लिया जाता है, जबकि बाद वाले को कुछ प्रतिरोध (रेसिस्टेंस) के साथ स्वीकार किया जाता है। मौलिक अधिकारों की अवधारणा की कल्पना संविधान के भाग III में की गई है। ‘राज्य’ मौलिक अधिकारों से किस प्रकार संबंधित है? राज्य द्वारा बनाए गए अन्य कानूनी अधिकारों के विपरीत, जो व्यक्तियों को एक दूसरे के खिलाफ अधिकार प्रदान (कॉन्फर) करते हैं, हालांकि मौलिक अधिकारों का दावा केवल राज्य के खिलाफ...

आर्थिक न्याय का अर्थ क्या है? – ElegantAnswer.com

आर्थिक न्याय का अर्थ क्या है? इसे सुनेंरोकेंआर्थिक न्याय का तात्पर्य दोनों कल्याण के एक प्रमुख भाग के रूप में हैअर्थशास्त्र और सामाजिक न्याय। इसे आर्थिक संस्थानों की स्थापना के लिए नैतिक और नैतिक सिद्धांतों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। सामाजिक न्याय के लिए समानता के क्या मायने हैं? इसे सुनेंरोकेंसामाजिक न्याय को आमतौर पर समाज में समानता या समान अवसर की धारणा के साथ समरुप किया जाता है। इसे वितरणात्मक न्याय के उपनाम के रुप में उपयोग किया। सामाजिक न्याय की अवधारणा एक क्रांतिकारी अवधारणा हैं जो जीवन को अर्थ और महत्व प्रदान करती हैं और कानून के शासन को गतिशील बनाती हैं। सामाजिक न्याय के लिए कौन सी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए? इसे सुनेंरोकेंएक विचार के रूप में सामाजिक न्याय (social justice) की बुनियाद सभी मनुष्यों को समान मानने के आग्रह पर आधारित है। इसके मुताबिक किसी के साथ सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पूर्वर्ग्रहों के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। सामाजिक व आर्थिक न्याय का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरोकेंआर्थिक न्याय (Economic Just ice) सामाजिक न्याय का ही सहगामी तत्व है। आर्थिक न्याय की संकल्पना के रूप में स्वतंत्रता का समस्त विचार ही राजनीति के क्षेत्रा को व्यापक बना करके आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में पदार्पण करता है। यह कहा जाता है कि यदि स्वतंत्रता आर्थिक न्याय प्राप्त करने में बाधक है तो यह निरर्थक है। आर्थिक न्याय कौन देता है? इसे सुनेंरोकेंउत्तर: भारतीय संविधान के भाग – चार के अन्तर्गत सामाजिक व आर्थिक न्याय की व्यवस्था की गई है। कौन से मौलिक अधिकार भारत में सामाजिक न्याय के ध्येय की पूर्ति करते हैं? इसे सुनेंरोकेंमौलिक अधिकार के रूप में जो अधिकार प्रद...

Shiksha ka Adhikar: Right to Education Notes, विशेषताएं

आज शिक्षा का अर्थ हम सभी लोग जानते हैं और शिक्षा ही हमारी सफलता का कारण बनती है। बचपन से ही शिक्षा हम लेने लगते हैं चाहे वह घर पर दी गई शिक्षा हो या किसी कंपनी में नौकरी करने के लिए ली जाने वाली शिक्षा परंतु शिक्षा का सही अर्थ क्या है?Shiksha ka Adhikar कब लागू हुआ और कब से शिक्षा को परम माना जाने लगा। Shiksha ka Adhikar हमें कौन-कौन से अधिकार प्रदान करता है। सभी महत्वपूर्ण जानकारियां नीचे दी गई है जो इस प्रकार है आइए लेते हैं shiksha ka adhikar की संपूर्ण जानकारी। Table of contents • • • • • • • • शिक्षा का अधिकार shiksha ka adhikar बच्चों को किसी भी देश की सर्वोच्च संपत्ति है। shiksha ka adhikar संभावित मानव संसाधन के लिए करने के लिए दृढ़ता से जानकारी और देश को प्रगति सक्षम पूर्ण किए जाने के लिए उपयोग होता है।shiksha ka adhikar और शिक्षा का महत्व हर एक मनुष्य के जीवन में ट्रांसलेट डेंटल का महत्व होता है।आज के समय में शिक्षा संदेश के एक कान के बिना और एक ही के एक आदमी के आकार का रूप है। RTE अधिनियम विभिन्न विशेषताओं के साथ जा रहा है और एक अनिवार्य प्रकृति में, इसलिए सच के रूप में लंबे समय लगा और साथ ही सभी के लिए शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता सपना लाने के लिए shiksha ka adhikar आ गया है। भारत देश में सबसे से 66 प्रतिशत के एक गरीब साक्षरता दर के रूप में अपनी रिपोर्ट 2007 में संयुक्त राष्ट्र शिक्षक सांस्कृतिक संगठन और वैज्ञानिक द्वारा दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट 2009 में शामिल के साथ विश्व साक्षरता रैंकिंग में 149 स्थान पर है। शिक्षा एक संवैधानिक अधिकार आशीर्वाद के समय में परंतु अब एक मौलिक अधिकार का दर्जा प्राप्त कर लिया है। shiksha ka adhikar का ...